चाची की सफाचत चूत लंड की प्यासी

चाची के घर गया

मेरा दिल में बहुत खुशी हुई.. क्योंकि मैं बहुत सालों बाद मुंबई जाने वाला था और चाची से मिलने का मौका भी मिला था।

अगले हफ्ते हम लोग मुंबई के लिए रवाना हो गए। मैंने अपने सर से बात कर ली थी कि मैं अपने चाचा के घर रहूँगा क्योंकि उनका घर कॉलेज के पास ही था।

मैंने चाचा को फोन करके बता दिया था कि मैं मुंबई आ रहा हूँ.. तो वे भी बहुत खुश हुए।

हम लोग सुबह 9 बजे कॉलेज पहुँच गए।

शाम को 5 बजे हमारा कम्पटीशन खत्म हो गया। रिज़ल्ट अगले दिन शाम को 4 बजे आना था.. तो मैंने सर से बात की और मैं चाचा के घर निकल गया।

मैं पहले दुकान पर गया.. चाचा से मिला वो मुझे देख कर बहुत खुश हो गए।
उनसे बात करने के बाद घर आ गया।
जैसे ही चाची ने मुझे देखा तो फट से गले लगा लिया, मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में भर लिया।

उनकी चूचियां मेरे सीने से रगड़ रही थीं.. इसके कारण मेरा लंड खड़ा हो गया।

चाची ने मेरा लंड महसूस किया तो वो मेरे से अलग हो गईं.. लेकिन मेरा दिल उनको छोड़ने को मान नहीं रहा था।

उनका घर ज़्यादा बड़ा नहीं था.. दो कमरों का था। उसमें से भी मेरे चाचा ने एक कमरा किराए पर दे दिया था।

चाची ने मेरे लिए चाय बनाई.. फिर इधर-उधर की बातें की। मेरे पूछने पर पता चला कि चाचा रात को एक बजे घर आते हैं।

उनकी बेटी अभी ढाई साल की थी। मैंने सोच लिया था कि आज मौका हाथ से जाने दिया तो पता नहीं बाद में मिले या ना मिले।

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मैं कुछ देर बाद घूमने के लिए बाहर गया। आते समय मेडिकल से दो वियाग्रा ले लीं। करीब रात के 9 बजे मैं घर आया तो देखा कि चाची अपनी लड़की को सुला रही थीं।

उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया। चाची ने सब काम खत्म किया और सोने की तैयारी की।
उन्होंने बच्ची को ऊपर बिस्तर पर सुला दिया था।

मैंने वियाग्रा खा ली।

प्यासी चाची की चिकनी चूत

अब हम दोनों नीचे ज़मीन पर सो रहे थे और बातें कर रहे थे.. लेकिन मेरे दिल में बस उनकी चुदाई का ख्याल था। करीब आधे घंटे बाद चाची सो गईं।

मैं थोड़ी हिम्मत करके उनके नज़दीक गया और एक चूची पर हाथ रख दिया थोड़ी देर बाद देखा कि उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हो रही है.. तो मैं और ज़ोर से सहलाने लगा।

थोड़ी देर बाद चाची की मुँह से आवाज़ आने लगी.. तो मैं समझ गया कि वो सोने का नाटक कर रही हैं।

मेरी हिम्मत और बढ़ गई तो मैंने उनके कान में बोल दिया- अगर असली मज़ा चाहती हो तो खुलकर साथ दो।
चाची- मेरे राजा आज मेरी प्यास बुझा दे.. बहुत दिनों की प्यासी हूँ।

मैंने पूछा तो पता चला कि बेटी होने के बाद चाचा उनको ज़्यादा चोदते नहीं हैं।

मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा.. चूसने लगा।
मुझे लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।

मैंने अपना एक हाथ उनकी चूची पर रख दिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।
वो गर्म होने लगीं..

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फिर मैंने उनकी साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थीं।

उन्होंने एक हाथ मेरे पैन्ट में डाल दिया और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगीं।
अब मैंने उनका ब्लाउज खोल दिया।

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