चाची की सफाचत चूत लंड की प्यासी

दोस्तो, सुमित का आप सबको प्यार भरा नमस्कार।

आज मैं आप लोगों को अपनी कहानी सुना रहा हूँ। मेरी यह कहानी बिल्कुल 100% सच्ची है।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद रखता हूँ.. सबको पसन्द आएगी।

मेरी उम्र 24 साल है, शरीर से दुबला-पतला हूँ। मेरा लंड ज़्यादा बड़ा नहीं है लेकिन मैं किसी भी लड़की या औरत को संतुष्ट कर सकता हूँ।

यह कहानी मेरी और मेरी सेक्सी चाची शोभा (बदला हुआ नाम) के बारे में है।

बात उस वक्त की है.. जब मैं किशोरवय का था। मेरे सबसे बड़े चाचा मुम्बई में एक दुकान चलाते थे और मेरे छोटे चाचा भी उनके काम में मदद करते थे।

लेकिन मेरी छोटी चाची गाँव में दादी के साथ रहती थीं। मेरी चाची की उम्र करीब 25 साल की होगी। देखने में वो बस ठीक-ठाक ही थीं।

चाचा साल में 3-4 बार ही गाँव आते थे तो चाची से ज़्यादा मिल नहीं पाते थे। उनकी शादी हुए 9 साल हो गए थे लेकिन उनको कोई संतान नहीं थी।

मेरा परिवार पूना में रहता था। मैं अपने माँ-बाप का एकलौता लड़का था। मैं हर साल गर्मी की छुट्टी में गाँव आता था।

चाची मुझे अपने बच्चे की तरह मानती थीं और मेरा बहुत ख़याल रखती थीं। रात में हम सब लोग एक साथ ही सोते थे। नीचे ज़मीन पर मैं चाची, दादी मेरे सबसे छोटी चाची, उनकी लड़की, मेरे सबसे छोटे चाचा सोते थे।

ऊपर खाट पर मेरे दादाजी अकेले सोते थे।

चाची की चूची

एक दिन मैं चाची से सट कर सोया था। जब मेरी रात को आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ उनकी चूचियों के ऊपर था।
चाची गहरी नीद में थीं.. तो उनको मालूम नहीं था कि मेरा हाथ कहाँ है।

यह कहानी भी पड़े  Mere Devar Ne Meri Jamake Chudai Ki

मैंने धीरे-धीरे उनके चूचे को सहलाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि वो नींद से जाग गई हैं.. सो मैंने मेरा हाथ हटा लिया।
लेकिन चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर वापिस अपने चूचे पर रख दिया।

यह देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए और अगले ही पल मैं उनके चूचे मुँह में लेकर चूस रहा था।

मैंने बहुत देर तक उनके दोनों चूचे चूसे। चूचे चुसवाते समय वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी छाती पर दबा रही थीं और मुझे बांहों में जकड़ रही थीं।
थोड़ी देर बाद मैं उनसे अलग हो गया और सो गया।

अब यह हमारा हर रोज का खेल हो गया था।

कुछ दिनों में मेरी छुट्टी खत्म होने वाली थी.. तो पिताजी मुझे लेने गाँव आ गए और मैं उनके साथ पुणे चला गया।

कुछ महीनों बाद चाचा गाँव आ गए और दादी से बात करके चाची को अपने साथ मुंबई ले गए।

चाचा ने अपनी नई दुकान चालू की थी और एक मकान भी खरीद लिया था। अब चाचा और चाची मुंबई में रहने लगे।

कुछ सालों बाद चाची ने एक लड़की को जनमा.. समय बीतता गया.. इस दौरान मेरी और चाची एक या दो बार मुलाकात हुई थी।

अब मैं भी अच्छे नंबरों से पास हो गया और मैंने पुणे के एक अच्छे कॉलेज में बी.टेक. के लिए दाखिला ले लिया था।

जब मैं बी.टेक. के दूसरे साल में था तो मैंने एक कम्पटीशन में हिस्सा लिया और हमारा ग्रुप अगले राउंड के लिए सिलेक्ट हो गया।

यह कहानी भी पड़े  ट्रेन में बहन की चुदाई

बाद में हमारे कॉलेज के प्रोफेसर ने हम लोगों को बताया कि हम सब लोगों को दो दिन के लिए मुंबई के IIT कॉलेज में जाना है।

Pages: 1 2 3 4


error: Content is protected !!