चाची और भतीजे की मस्त चुदाई की कहानी

अंजलि को पहली नज़र में राजू पसंद आ गया था. और वो उसको सर से लेकर पावं तक घूर-घूर कर देख रही थी. राजू भी ऐसे ही अंजलि को सर से पावं तक घूर रहा था. मतलब दोनो एक-दूसरे को हवस भारी नज़रों से देख रहे थे.

और फिर दादी मा ने राजू को अलग से रूम दे दिया, और कहा: आज से तुम इस रूम में रहोगे.

राजू भी मान गया दादी मा की बात, और वो उस रूम में शिफ्ट हो गया.

कुछ देर बाद राजू बातरूम में गया फ्रेश होने के लिए, तो उसने अंदर से बातरूम के दरवाज़े की कुण्डी नही लगाई थी. फिर अचानक से अंजलि भी उस रूम के बातरूम में आ गये, और राजू को ऐसे नंगा-पुंगा देख लिया. तभी अंजलि बोली-

अंजलि: ओह शीत राजू! तुम बातरूम के दरवाज़े की कुण्डी बंद करके नही नहा सकते हो?

राजू: चाची मुझे दर्र लगता है. इसलिए मैं दरवाज़ा खोल कर नहाता हू. सॉरी, मुझे माफ़ कर दो.

इस बीच दरवाज़ा अभी भी खुला था बातरूम का, और अंजलि राजू को नंगा ही देखे जेया रही थी. क्यूंकी राजू का लंड एक-दूं खड़ा था, जो अंजलि घूरे जेया रही थी. अंजलि की सीधी नज़र राजू के लंड पर ही अटक गयी थी.

अंजलि (मॅन में): ओह बाप रे! राजू का लंड कितना मोटा और लंबा है. इसको देख कर मेरी नीयत खराब हो रही है. मेरा दिल कर रहा है अभी मेरा झुका लंड अपने मूह में लेकर चूसने लागू. क्या लंड है!

राजू: चाची क्या हुआ. चाची आप किस सोच में पद गयी?

अंजलि: कुछ नही, ऐसे ही. तुम फ्रेश हो जाओ.

राजू: लेकिन अभी आप मेरे सामने से जाओ. मुझे शरम आ रही है.

अंजलि: अछा, तुमको शरम आ रही है? लेकिन तुम्हारा लंड तो कुछ और ही कह रहा है.

अंजलि के इतना बोलने के बाद राजू ने झट से बातरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया, और अंजलि भी वापस नीचे आ गयी. लेकिन अंजलि के दिमाग़ में अब सिर्फ़ और राजू का लंड ही घूम रहा था.

अंजलि (मॅन में): ओह बाप रे! क्या लंड है राजू का. जी करता है अभी अपनी छूट में ले लू. अब मुझे कैसे भी करके राजू के साथ अपनी छूट की चुदाई करनी है. और मुझे जैसा लंड चाहिए, वैसा ही लंड राजू का है. ये क्या हो रहा है मुझे? ओह मेरा जिस्म! राजू के लंड को याद करके मेरे बूब्स के निपल्स कितने कड़क हो रहे है.

अंजलि (मॅन में): सिर्फ़ उसका लंड देखने से मुझे ऐसा हो रहा है. जब मैं उसका लंड अपनी छूट में लूँगी, तो क्या होगा.

अंजलि: ओह बाप रे! अब तो मेरी छूट भी गीली होने लगी है. लगता है राजू के लंड में बहुत दूं है. तभी तो उसके लंड के बारे में सोच कर ही मेरी छूट पानी छ्चोढने लगी है.

अंजलि राजू के बारे में ये सब सोच कर अपनी छूट में उंगली करने लगी, और बूब्स को भी दबाने लगी थी. तभी अचानक से उसको कुछ गिरने की आवाज़ आई.

अंजलि: कौन है वाहा, मेरे सामने आओ?

राजू: चाची मैं हू राजू, आपका भतीजा.

इतना बोल कर राजू दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गया, और सामने देखता है उसकी चाची अंजलि आधी नंगी बेड पर बैठी थी. अब राजू बड़ी हवस की नज़रों से उसको खड़े-खड़े घूर रहा था. अंजलि ने उसको देखते ही जल्दी से अपने कपड़े ठीक कर लिए, और खड़ी हो गयी उसके सामने.

अंजलि: राजू क्या तुम्हे पता नही किसी के बेडरूम में जाने से पहले दरवाज़े को नॉक करते है?

राजू: हा चाची मुझे पता है. लेकिन आप जो कर रही थी, वो खड़ा हो कर देख रहा था दरवाज़े पर. क्यूंकी मुझे वो अछा लग रहा था, और मज़ा भी आ रहा था. इस चक्कर में मैं नॉक करना भूल गया. ई आम वेरी सॉरी.

अंजलि: राजू तेरा क्या मतलब है, तुझे मज़ा आ रहा था?

राजू: वो मुझे नही पता चाची, जब आप बेड पर बैठ कर जो कर रहे थे, उसको देख कर मेरा नीचे वाला खड़ा हो गया था, और मुझे अछा लग रहा था बस.

अंजलि: ओके, ठीक है, कोई बात नही. चलो आओ बैठो मेरे पास. और तुम यहा मेरे बेडरूम में किस लिए आए थे?

राजू: वो चाची मुझे बहुत भूख लगी थी, इसलिए मैं आपके बेडरूम में आया था, ताकि आप मुझे कुछ खाने के लिए दो.

और फिर अंजलि उठी, और राजू को अपने सीने से लगाया. फिर वो उसको नीचे हॉल में ले गयी, और डाइनिंग टेबल पर राजू को बिता दिया. वो खुद किचन में चली गयी उसके लिए खाना लाने के लिए.

राजू: चाची खाने में से खुश्बू तो बहुत अची आ रही है. वाउ टेस्ट तो बहुत ही अछा है चाची. लगता है आपके हाथो में जादू है.

अंजलि: हा राजू, मैं सब के लिए खाना प्यार से बनती हू. वैसे थॅंक्स मेरे खाने की तारीफ करने के लिए. और अगर तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते हो तो कर सकते हो.

राजू: थॅंक योउ सो वेरी मच चाची. मैं भी आपसे दोस्ती करना चाहता हू, क्यूंकी आप मुझे बहुत-बहुत अची लगती हो.

अंजलि: हा मुझे भी तुम बहुत आचे लगते हो. मेरा दिल तो कर रहा है, की तुम्हे अभी अपने बेडरूम ले जेया कर तुम्हारा लंड अपने मूह में लेकर चूसने लागू.

राजू: चाची आपने क्या बोला, मैं कुछ समझा नही?

अंजलि: कुछ नही राजू, तुम खाना खा लो. मैं तो बस ऐसे ही.

राजू: चाची आप जानती हो आप इस घर में सबसे अची हो? और आप जैसी खूबसूरत लड़की मैने आज तक कभी नही देखी. चाची आप बहुत-बहुत खूबसूरत हो.

अंजलि: शायद तुम ठीक कह रहे हो राजू. मैं इस घर में सबसे अची हू. लेकिन मेरा जो अकेलापन है, वो आज तक डोर नही हुआ. क्यूंकी मुझे तुम्हारे जैसा लाइफ पार्ट्नर नही मिला.

राजू: चाची आप ऐसी बातें मत करो. मैं आपका दोस्त हू, और मैं आपका अकेलापन डोर कर दूँगा. क्यूंकी मैं आपसे बहुत प्यार करता हू.

अंजलि: ओह बाप रे! राजू तुम ये क्या बोल रहे हो?

राजू: चाची मैं सब सच बोल रहा हू. मैं आपसे प्यार करता हू, और आज से मैं आपका पूरा ख़याल रखुगा.

अंजलि: अछा-अछा ठीक है राजू, डोर कर देना मेरा अकेलापन.

राजू के मूह से ये बातें सुन कर अंजलि को भी कुछ होने लगा था. क्यूंकी आग दोनो तरफ लगी हुई थी, बस एक इशारे की ज़रूरत थी. और कुछ दीनो में वो दोनो इतनी हद तक घुल-मिल गये थे, की उन्होने अपने रिश्ते की हद पार कर दी थी.

एक दिन घर पर सिर्फ़ राजू और अंजलि थे. सुबा का टाइम था, तो राजू किचन में से कॉफी बना कर अंजलि के बेडरूम में गया.

अंजलि के बेडरूम का दरवाज़ा खुला हुआ था, तो राजू जैसे ही अंदर गया तो देखा अंजलि कंबल ओढ़ के सोई हुई थी.

तो फिर राजू ने कॉफी साइड में टेबल पर रख दी, और अंजलि के उपर से कंबल हटाया. उसने देखा की अंजलि ब्रा और पनटी में सोई हुई थी. ये सब देख कर राजू अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया.

राजू: गुड मॉर्निंग! अर्रे चाची तो कंबल ओढ़ कर सो रही है. चलो मैं ही कंबल हटता हू चाची के उपर से. उठो चाची उठो, सुबा हो गयी. ओह मा चाची तो एक-दूं सेक्सी आंड हॉट लग रही है इस रेड ब्रा और पनटी में. और इन्हे ऐसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो रहा है. अब मैं क्या करू?

अंजलि: गुड मॉर्निंग मी लव्ली डार्लिंग राजू. ओह! तुम मेरे लिए कॉफी लेकर आए हो.

अंजलि के मूह से लव्ली डार्लिंग सुन कर राजू बहुत खुश हो गया था. और उसका लंड भी खुश हो गया था. इसलिए तो उसका लंड खड़ा हो गया था अंजलि की छूट में जाने के लिए. क्यूंकी अंजलि वैसे भी बिकिनी में थी तब.

अंजलि: चलो आओ राजू मेरे पास. हम दोनो एक साथ कॉफी पिएँगे.

राजू: ठीक है चाची. मैं भी आप से यही कहना चाहता था, की कॉफी हम दोनो एक साथ पिए.

अंजलि: तो फिर देर किस बात की? आ जाओ बेड पर. हम साथ में कॉफी पीते है.

और फिर राजू बेड पर अंजलि के साथ बैठ गया कॉफी पीने के लिए. फिर जैसे ही अंजलि ने कप उठाया पीने के लिए, तो राजू बोला-

राजू: चाची ऐसे कॉफी नही पीनी है.

अंजलि: तो फिर कैसे पीनी है कॉफी, बताओ तुम ही?

राजू: चाची, कॉफी एक ही कप में पीते है. एक घूट आप और एक घूट मैं. ऐसे कॉफी पीने से बहुत अछा लगेगा, और मज़ा भी आएगा दोनो को.

राजू के इतने बोलने के बाद अंजलि भी तैयार हो गयी, और दोनो एक ही कप में कॉफी पीने लगे, एक घूट अंजलि और एक घूट राजू. और जब कॉफी ख़तम हो गयी, तो राजू और अंजलि एक-दूसरे को गौर से देखने लगे. फिर तभी राजू बोला-

राजू: चाची मेरी एक और प्राब्लम है. क्या आप मेरी हेल्प कर सकती हो ?

अंजलि: हा मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हू. बोलो क्या प्राब्लम है तुम्हारी?

राजू: चाची वो मेरी प्राब्लम ये है, की जब मैं आपको देखता हू तो मेरा ये नीचे वाला लंड खड़ा हो जाता है. इसका आप कुछ कर सकती है?

अंजलि: अछा ये प्राब्लम है तुम्हारी. चलो उतरो अपनी पंत, और दिखाओ अपना लंड मुझे. मैं भी देखती हू कैसा है.

और फिर राजू उठा और अपनी पंत उतार दी, और लंड अंजलि के आयेज करके खड़ा हो गया.

राजू: लो चाची, देखो ये मेरा लंड है जो आपको देख कर बार-बार खड़ा हो रहा है.

अंजलि: वाउ राजू, तेरा लंड तो बहुत लंबा और मोटा है. मुझे शक तो था की तेरा लंड काफ़ी बड़ा होगा. ठीक है राजू, मैं तुम्हारी प्राब्लम समझ गयी हू. लेकिन मैं जो भी करू तुम्हारे लंड के साथ, तुम घर में किसी को नही बताओगे.

राजू: ठीक है चाची. आप जो करो आपकी मर्ज़ी, मैं घर में किसी को नही बतौँगा, मैं वादा करता हू.

और अंजलि राजू का लंड अपने हाथ में पकड़ कर फैलने लगी. मतलब मूठ मारने लगी, और राजू अपनी मूह से-

राजू: आह आह आह आह ऑश उफ़फ्फ़, चाची ऐसे ही करते रहो. और तेज़, और तेज़. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. आपके हाथो में तो जादू है. करते रहो, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. रुकना मत ह ह ऑश.

राजू की आँखें बंद थी, तो अंजलि ने उसका लंड मूह में ले लिया, और कुलफी की तरह चूसने लगी. ऐसे लंड चूसने से राजू को और मज़ा आने लगा, और अंजलि भी गरम हो गयी. और फिर दोनो ने अपने कपड़े उतार दिए.

अब राजू ने बिना कुछ कहे अंजलि की छूट में अपना लंड डाल दिया, और उसको घपा-घाप उपर चढ़ कर छोड़ने लगा. अंजलि भी अपने मूह से ह ह ऑश आह आह ऑश सिसकियाँ निकालने लगी.

करीब 10 मिनिट तक राजू ने अंजलि को ऐसे ही छोड़ा, और फिर अंजलि की छूट में अपने लंड की गरमा-गरम पिचकारी छ्चोढ़ दी. अब दोनो शांत हो गये थे.

तो फ्रेंड्स कैसी लगी राजू अंजलि की फर्स्ट चुदाई? इससे आयेज क्या हुआ, वो इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी.

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