बुरा न मानो होली है 2

बुरा न मानो होली है मैने कहा, “बाबुजी अब आप चिंता मत किजिये , “साली खूद् साफ नही करेगी तो मै ही झांट साफ कर दुंगा. “
मां किचन गयी और वहा से अपना साया और ब्लाउज लेकर आयी.
साया पहनते हुये मां ने कहाँ , “पुछो अपने बेटे से कि उसे मां के साथ होली खेलने में मजा आया कि नही.”
“बहुत मजा आया मां. सिर्फ पिचकारी से रंग डालना बाकी रह गया वो बाद मे डाल लूंगा.”

मां ने साया और ब्लाउज पहन लिया था लेकिन वैसा नही जैसा पहले पहना था. मै कुछ बोलता, उस से पहले बाबुजी ने वो बात कह दी जो मै कहना चाहता था… ”रानी, ऐसे क्या पहन रही हो.? आज होली है, ऐसा पहनो की हुम लोगों को कुछ ना कुछ माल दिखता रहे…”

“बोलो तो , नंगी ही रहूं. “ कह कर मां ने साया खोल दिया और नंगी हो गई. बूर को उचकाते हुये कहा, “अब ठीक है ना…बाबुजी (दादाजी) को भी बहू का बूर देखना अछ्छा लगेगा..”

“क्या मां, तुम भी….” कहते हुये मै मां के पास गया और साया उठाकर इस तरह बांधा कि साया के उपर से काली काली झांटे दिखाई देने लगी. साया ठीक करने के बाद मैने ब्लाउज का उपर क बटन तोड दिया और कपर्डेल को थोडा फैला दिया. अब मां की चुची उपडी हिस्सा और दोनो चुची का मिलन स्थल पुरा दीख रहा था.

“बेटा , मुझे इस तरह देख कर तेरे दादाजी आज हत्तू मारेंगे और अपनी बहु कि चूत का सपना देखेंगे…” मां ये कहते हुये अपने कमरे मे चली गयी.
मां के वंहा से हटते ही बाबुजी ने कहा, “ बेटा , लगता है तु मां को चोदना चाहता है..”

“हां बाबुजी , पिछले 6 साल से मां को चोदने का मन है , लेकिन आप से डर लगता है..”

आज अछ्छा मौका था , बाबुजी के सामने मां को नंगा कर पूरा मजा लिया और उस से पहले मा ने चूत को भर-पूर चोदने दिया. बस अब बाबुजी को मनाना था कि मै जब चाहू मां को चोद सकुं. हिम्मत करके मैने कहा,
“बाबुजी , अब अगर मां की बूर मे लौडा नही पेल पाउंगा तो मै पागल हो जाउंगा…मां के चूत के चक्कर मे ही मै रंडीओ के पास जाने लगा ..जब भी मै किसी भी रंडी को चोदता हूं तो यही सोच सोच कर चुदाई करता हूं कि मै किसी रंडी को नहीं अपनी मां की चूत मे लौडा पेल रहा हूं.. ”

मैने अन्धेरे मे एक तीर फेंका, “ बाबुजी मै आज वादा करता हूं कि जब मेरी शादी होगी तो आपको अपनी बीबी चोदने को दुंगा ..बस बाबुजी आप मा को बोलीये कि मुझसे चुदवाये , जब भी मै चाहु…”
मै डर् रहा था कि बाबुजी क्य बोलेंगे , डांटेगे लेकिन नही, बाबुजी को शायद अपनी अनदेखी बहु कि चूत का ख्याल आ गया और बाबुजी खडे हो गये और प्यार से मुझे गाल पर एक चपत मारी और कहा, “अब से तेरा जब मन करें , मां को चोद, मेरे सामने भी और मेरे पीछे भी, मै उसको बोल दुंगा , तुझे खुब मजा दे…लेकिन बस , इतना ध्यान रखना कि किसी को कुछ पता ना चले…
मैने मन ही मन कहा, “ मां आज दादाजी और मुझसे चुद्वायी तो आपको पता चला क्या..”
जो भी हो, मै बहुत खुश था कि मै अपनी सबसे प्यारी माल को जब चाहूं चोद सकता था.
तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई.

दादाजी अन्दर आये और मां अन्दर से बाहर आई. हम सबने मां की झांटे और चुची देखी. दादाजी के आंखो मे चमक आ गयी और मां ने दादाजी को आंख मारी और किचन चली गयी.

अन्दर जाते जाते उसने कहा, “आप लोग सब स्नान कर लिजीये..फिर खाना खायेंगे.”

हम लोग एक दुसरे को नहाने के लिये बोल रहे थे .मै चाहिये रहा था कि बाबूजी और दादा पहले नहाने जायें तो मै मां के साथ एक चुदाई और कर लुं. यही इछ्छा दादा की भी रही होगी तभी दादा भी बाद मे नहाने की बात कर रहे थे. तभी बाहर दरवाजे पर फिर दस्तक हुई. मां किचन से बाहर आयी और हमरे पास आकर कहा कि हम सभी कमरे के अन्दर ही रहें और जब तक मां ना बोले, कोई कमरे से बाहर ना आये. मालती वापस घूमी तो मेरा कलेजा और कलेजा के साथ लौडा खुश हो गया. पीछे से मां कि चुत्तरो का उपरी मिलन स्थल दीख रहा था. हुम मांसल चुतारो को देखते रहे और वो गान्ड हिलाती हुयी चली गयी दरवाजा खोलने. दर्वाजे पर दुबारा दस्तक हुई . मां ने कुन्डी खोला और तीन लडके अन्दर आये. मां ने दरवाजा बन्द किया और उन तीनो में जो बडा लडका था उसे गले लगाकर बांहो मे दबाया. उस लडके ने मां की गालो को चूमा और फिर वो तीन लडके को लेकर मां बरामदे पर आयी. तब मै और बाबुजी ने उस बडे लडके को पहचाना. वो बल्लु था जो चार साल पहले तक हमारे यहां पुराने मकान मे काम करता था. ज़ब मैने उसे आखरी बार देखा था वो 12-13 का दूबला पतला लडका था . हुमने जब मकान बदला तो उसने यह कहकर काम करना बन्द कर दिया था कि हमारा घर उसके घर से बहुत दूर है और आज वही साला मां से होली खेलने के लिये इतनी दूर आया. अब बल्लु 16-17 का साल का जवान हो गया था. दीखने मे हट्टा कठ्ठा था और करीब 5’7” लम्बा था. उसके साथ जो 2 लडके थे वे बल्लु से छोटे थे करीब 14-15 साल के , उनकी दाढी मुंछ भी ठीक से नही नीकली थी. हम सब ने देखा कि बल्लु बार बार मालती को चूम रहा है और साथ ही कभी चुची पे तो कभी साया के उपर से चूत को सहला रहा है.
मां तीनो को लेकर बिलकुल हमारे नजदीक बरामदे पर आ गयी. अब हमें उनकी आवाज भी साफ साफ सुनाई देने लगी थी.. मां – “ये दोनो कौन है..”
बल्लु- मेरे दोस्त है, मै इन्हे दूनिया की सबसे मस्त माल दिखाने लाया हुं.” मां – धत्त ..बोल क्या खायेगा…
बल्लु.. “जो खिलाओगी खाउंगा लेकिन पहले थोडा रंग तो खेल ले..” बल्लु आगे बढा.
मां थोडा पीछे हट् गयी और कहाँ , “ मै तुमसे नाराज हु, तु पीछ्ली होली मे रंग खेलने क्यो नही आया…मै दिन भर तेरा इंतजार करती रही… आज तुझे दो साल के बाद देखा है… लगता है कोई दुसरी मुझसे अछ्छी माल मिल गयी है.. ”

बल्लु झट्के से आगे बढ कर मां को बांहो मे लेकर जकड लिया और कहा.. “ मुझे और कोई माल नही दीखती है, हर समय सिर्फ आपकी मस्त जवानी मेरे आंखो के सामने तैरती रहती है..” बल्लु ने मां की मांसल चुत्तरो को मसलते हुये ओंठो को चुमा और कहा ,
“मालकिन , अब कितना तरपाओगी… पीछले चार सालों से आपको चोदने के लीये तडप रहा हुं.. कितना तडप्पाओगी….अब बरदास्त नही होता है….”

मां भी बल्लु को चुमती रही और कहा ..” दुनिया मे औरत की कमी है क्या…पैसा फेंको तो एक से बढ्कर एक मस्त चूत मिल जायेगी चोदने के लिये …” और मां ने बल्लु का हाथ पकड्कर अपनी चुची पर दबाया . मां इन छोटे छोटे लडको के सामने चूत और चोदने कि बातें कर रही है…इतना तो तय था कि बल्लु ने मां को अभी तक नही चोदा था. चूंकी आज होली है और आज के दिन मां अपना चूत लोगों के लिये खोलना कर रखती है तो शायद अभी बल्लु से चुदवा ले…मां ने बल्लु से फिर कहा,
“तु साला शादी क्यो नही कर लेता है…एक चूत मिल जायेगी , रोज चोदते रहना अपनी घरवाली को और अपने दोस्तों से भी उसे चूदवाना…” कहते हुये मां ने बल्लु को धक्का दिया और कहा , देख तेरे ये दोस्त चुप-चाप खडे है..इन्हे भी मेरे साथ होली खेलने दे..”
मां की हरकत पर हम सब परेशान थे. उन लडको को नही पता था कि घर के अन्दर उनकी माल का जवान बेटा, ससुर और घरवाला बैठा है और सब देख सुन रहा है.. लेकिन ये रंडी जान बूझ कर हम सब को अपना रंडीपना दीखा रही है.

बल्लु ने अपने दोनो दोस्तो से कहा, “ अरे यार चुप-चाप क्यो खडे हो, अछ्छा मौका है.. इतनी मस्त और हसीन माल के साथ होली खेलने का मौका जल्दी नही मिलेगा…जहां मन करें रंग लगा लो..”

और बल्लु ने खुद अपने पॉकेट् से रंग का पुडिया नीकाला और कुछ रंग हाथ मे लगा कर कुछ पानी लिया और दोनो हाथो मे रगडा . बल्लु का दोनो हाथ गहरा लाल रंग का हो गया और वो मालती की तरफ बढा .
“ चल साला, रानी के ब्लाउज का बट्न खोल दे….”
एक लडके ने दोनो हाथों से मालती की चुची को खुब रगडा और फटा फट सारे बटन खोल दाले…उसने ब्लाउज को अलग किया और तीसरे लडके ने पीछे से ब्लाउज को बदन से बाहर नीकाल दिया.
अब मां कमर से उपर नंगी थी. उसकी मोटी –मोटी गोल गोल चुची उपर –नीचे हो रही थी. बल्लु के दोस्त , एक आगे से और दूसरा पीछे से खुब मसल मसल कर चुचीयों को मसल रहा था… ”क्यों रे कैसा माल है…” बल्लु ने पूछा. ”सच भैया..ऐसा चुची तो मेरी 20-21 साल की दीदी का भी नही है.. ओफ कितना टाइट है और कितना मोता भी….” एक ने कहा और चुची को मसलता रहा.

दुसरा जो पीछे से चुची मसल रहा था , कहा “ बल्लु भैया, घुन्डी ( नीपल) तो देखो, इतना लम्बा ना तो तेरी मां का है ना मेरी मा का… मै आज भी दोनो का दूध चुस कर आया हुं…उन दोनो की चुची पीचक गयी है, पुल पुल हो गया है..और ये देखो क्या मस्त है… हम तीनो रात भर चूसते रहेंगे तो भी कडा का कडा ही रहेगा .. भैया मै एक बार चुची को चुंसु. “
“जल्दी से दोनो एक एक चुची का दूध पी लो..तब तक मै अपनी रानी को रंग लगाता हुं. “ बल्लु ने कहा और दोनो हाथो से पहले गालों पर रंग लगाया और ओंठों को बार बार चुसता रहा और बाकी दोनो लडके एक एक घुंडी को मुह मे लेकर चुची दबा दबा कर पुरा मजा ले रहे थे.. बल्लु बार बार हाथों मे रंग लेता था, कभी लाल, कभी नीला, कभी हरा और कभी पीला और थोडी ही देर मे मेरी मां एक रंगीन पोस्टर बन गयी.

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“बेटा, तुम लोगों ने बहुत दूध पी लिया अब जरा असल माल का मजा लो॥ जल्दी से साया खोलो और चूत का दर्शन करो..”
बल्लु ने कहा और एक लडके ने झट्के से साया का नाडा खोलना दिया और मेरी मां बिल्कुल नगी थी. साया के खूलते ही तीनो मालती के उपर लट्क गये और मां तीनो को खुश करने मे लग गयी. वो पैर फैला कर खडी हो गयी . क़ोई चुची मसल रहा था तो कोई चूत मे अंगुली घुसेर कर मजा ले रहा था. एक चुत्तरो को सहला रहा था. तीनो बारी बारी से अपनी जगह बदल रहे और मां उन तीनो को अपनी जवानी का जलवा दीखा रही थी. एक 35-36 साल कि मस्त जबान औरत तीन कम उम्र के लडको को नंगी जवानी दिखा दिखा कर मस्ता रही थी. दोनो छोटे लडके चुची और चूत से खेल रहे थे और बल्लु मालती को रंगने मे व्यस्त था. उसने मां को उलत पलत कर उसकी पीठ, छाती, जांघे, कमर , चुत्तर सबको लाल पीले हरे रंग से रंग डाला. यहा तक की उसने बुर की पत्तीयो को भी फैला फैला कर रंग डाला. मां पांव चियार कर लेटी थी. तीनो लडके बारी बारी से चूत मे अंगुली पेल पेल कर मजा ले रहे थे. अचानक बल्लु खडा हुआ और फटा फट नंगा हो गया. हम सब दंग रह गये. बल्लु का लौडा मेरे और दादाजी के लौडे से लम्बा और मोटा था. बल्लु ने लौडे को हिलाते हुये कहा,
“मालकिन, देखो तुने मेरी क्या हालत बना दी है.. तेरी चूत को याद कर कर ये लौडा इतना बडा हो गया है…अब तो इसे अपनी बूर मे घुसाकर इसकी प्यास बुझा दो…. चोदने दो मालकिन….”
और बल्लु मां के नजदीक गया. मां ने उसका लौडा पकड कर हिलाने लगी और कहा ,
“तु हमेशा गलत समय पर आता है.. अब मालिक लोग आने बाले है…और फिर इन बच्चो के सामने कैसे चुदवाउंगी…कभी अकेले आना …प्यार से इसे बूर का रस पिलाउंगी.. अभी मुझे इसका रस पीने दे… “ मां खुब जोर जोर से लंड हिलाने लगी और उधर उन दोनो लडको ने भी अपने सारे कपडे उतार दिये और अपने अपने लंड को मां के बूर से रगडने लगे. शायद उन बच्चो को नहीं मालुम था कि चुदाई कैसे की जाती है… मां बल्लु क लंड हिलाती रही और 3-4 मिनट के बाद बल्लु का लंड पानी फेंकने लगा. बल्लु का सारा विर्य मां के गालों पर चिपक गया . उधर दोनो लडके बूर मे अपना लौडा रगड रहे थे और उन्होने भी माल उगल दिया. इतना ही नही, उन दोनो लडको ने बूर को रगडा और झुक कर बूर को चुमा.
जब तीनो ठंडे हो गये तो मां उठी और उनको कपडे पहन ने को कहा और खुद किचन मे चली गयी . तभी बाबुजी ने धीरे से कहा , “ ओह , साली चुदवाई क्यो नही ..मै तो चुदाई देखना चाह्ता था…”
मां किचन से वापस आयी तो उसके हाथ मे खाने पीने का सामान था.. मां ने अपने हाथों से उन तीनो को खीलाया और साथ ही उनसे फिर चुची और चूत मसलवाई..

“मालकिन, कब आंउ , चोदने .. “ बल्लु ने बूर को मसलते हुये पुछा.

“देख अभी विनोद आया हुआ है , 15-20 दिनो मे वो चला जायेगा फिर आना ..पहले तुम चोदना और मेरी चूत का मजा लेना . मेरी चूत तुमको पसन्द आये तो बाद मे इन दोनो को भी लेकर आना…इनको दूध पीलाउंगी और तु मुझे चोदना और हां खबरदार , अगर मुझसे पहले किसीको चोदा तो मै अपना बूर भी देखने नही दुंगी.”
और कुछ देर के बाद मां नंगी ही तीनो को दरवाजे के बाहर तक छोड आयी. बल्लु ने मां को इस तरह से रंग दिया था कि कोई ये नही बोल सकता था कि वो नंगी है.

दरवाजा बंद करने के बाद मां सीधा कमरे की ओर आने लगी तो हम तीनो बाहर आ गये . इससे पहले कि हम कुछ कहे , मां ने कहा,

“ आप लोगों को ये मुफ्त का सिनेमा अछ्छा लगा कि नही. “ उसने अपनी चुची को सहलाया और कहा , “बल्लु ने कितना मेहनत से मेरे बाडी को रंगा है.. मै आज ऐसे ही रहुंगी सिर्फ मुह साफ करना परेगा..”

“लेकिन तुमने लौडा बूर मे क्यो नही लिया..हमारे लंड से भी बडा और मोटा लंड था,, बहुत मजा आता उस लंड से तुम्हारी चुदाई देखने मे…” बाबुजी ने कहा ..

“साला, पिछले चार साल से मेरे चूत के चक्कर मे है… साले को सब मजा देती हुं बस अब तक चोदने नही दिया..आज अगर तुम लोग घर मे नही रहते तो शायद मै तीनो से चुदवाती …खैर अब आप लोग नहा लो… “

मां बाथ रूम गयी और दस मिनट के बाद वापस आई. उसने सिर्फ मुह का रंग हटाया था . बाकी सारे शरीर पर रंग वैसे का वैसे ही लगा था. काले काले झांट भी रंगीन हो गये थे. मां अब बिलकुल नंगी घुम रही थी..इस लिये हमें उसे चोदने की जल्दी नही थी… मां कि हरकतो से यह पता चल गया था कि आज वो हम तीनो ( बेटा, घरवाला और ससुर) को पुरा मस्ती देने के मूड मे है…
मै यह इंतजार कर रहा था कि मां कब हम तीनो के पास आये और कहे कि “ मुझे चोदो.”

हुम तीनो मर्द बारी बारी से नहा लिये. मन तो हमारा भी कर रहा था कि नंगे ही रहे लेकिन घर मे और भी मर्द थे इस लिये हम तीनो ने कपडे पहन लिये. मां पिछले एक घंटे से ज्यादा समय से नंगी ही घूम रही थी. चेहरे को छोड कर साली का पुरा बदन रंगा हुआ था. मां ने खाना परोसा .हम सब ने जिद्द करके मां को अपने साथ ही बीठाया. हम तीनो उसकी रंगीन मस्त गदराई जवानी को देख देख कर खाना खाते रहे और मां हमें अपना चूत पुरा खोलकर दिखाती रही. खाना खाते खाते देखा कि मां बार बार अपने शरीर को खुजला रही है..कभी पेट को, कभी गालो को, कभी चुची को तो कभी चूत को… ”बहु, क्या हुआ…इतना क्यो खुजला रही हो…” दादाजी ने पूछा.

“लगता है , रंग काट रहा है..इतना देर तक रंग शरीर पर लगा रहेगा तो काटेगा ही..” दादाजी ने फिर कहा.. ”अछ्छा होगा कि तुम रंग साफ कर लो..नही तो कही कुछ दाग –उग ना रह जाये, “

दादाजी ने अपनी बहु से कहा , “ बेटी तेरी मस्त गदरायी जवानी पर कोई भी दाग अछा नही लगेगा….जा रानी तु रंग साफ कर ले…हम सब ये बरतन बासन साफ कर लेंगे…”

हम सब ने खाना खतम किया और सब बरतन उठाकर किचन मे ले गये. दादाजी ने फिर कहा, “जा बेटी रंग साफ कर ले…और ऐसा कर आंगन में ही नहा …”

“ठीक है बाबुजी…आप जैसा बोलीये…” मां ने मेरी ओर देख और कहा ,
“चल बेटा, तीन चार बालटी पानी आंगन मे रख दे…”

मां बीच आंगन मे बैठ् गयी और मै फटा फट चार बालटी पानी लाकर मां के पास रख दिया. मां ने नहाना शुरु किया और अपने बॉडी पर साबुन रगड रगड कर नहाने लगी..लेकिन बल्लु का रंग बहुत पक्का था.
“लगता है, मै ये सब रंग साफ नही कर पाउंगी …आप लोग भी मुझे साफ करो. “ मां ने कहा . हम तीनो तो इसी इंतजार मे थे. हम अपने कपडे उतारने लगे तो मां ने मना कर दिया और कहा,

“अगर आप लोग नंगे होईयेगा तो मै सारे कपडे पहन लुंगी.” वो खडी हो गयी और अपनी चूत को ढंक लिया.

“ठीक है रानी, हम नंगे नही होगे.. तुम ही अपना जवानी हमें दीखाती रहो.. “ दादाजी ने कहा. वो मां के सामने गये और एक साबुन हाथ मे लेकर दोनो हाथो से मां की पीठ और चुत्तर पर रगडने लगे. मां खडी थी और दादाजी आराम से नंगे शरीर पर साबुन लगा रहे थे और पानी भी डाल रहे थे.
“तुम दोनो क्या देख रहे हो? तुम लोग भी लगाओगे तो जल्दी साफ हो जायेगा..” मां ने हमारी ओर देखते हुये कहा. मैने और बाबुजी ने दादाजी कि तरह सिर्फ जांघिया पहन कर मां के पास गये और मै मा की चूत और जांघ पर साबुन लगाने लगा और बाबुजी ने चुची को साफ करना शुरु किया. करीब आधे घंटे से ज्यादा समय तक हम तीनो मां की एक एक माल को रगडते रहे और आखिरकार मां बिल्कुल साफ हो गयी. पहले की तरह उनका अंग अंग चमकने लगा . हम तीनो ने साबुन लगाते लगाते और पानी से साफ करते करते कई बार बूर और गांड मे अंगुली पेल कर मां की जमकर चुदाई की. मां भी इतनी गरम हो गयी थी की हम तीनो उसको रगड रहे थे और वो रंडी सिसकारती मारती हुई मजा ले रही थी. अपने को समभालने के बहाने उस कुतिया ने कई बार जांघिया के उपर से हमारा लौडा सहलाया. हम तीनो का लौडा जांघिया को फाड कर निकलने को तैयार था

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नहाने के बाद मां और भी हसीन और मालदार लग रही थी. मेरा तो मन कर रहा था कि साली रंडी को वही बाबुजी और दादा के सामने पटक कर चोद दालुं. शायद दादा भी यही चाह रहे थे तभी वो बहुत प्यार और आराम से अपनी बहु के सुडौल बदन को तौलियी से पोंछ रहे थे. पोंछते पोंछते दादा ने कहा ,
“बेटी, तेरी प्यारी सी चूत इन झांटों ने ढक कर रख्खी है.. कुछ भी नही दीखता है.. तेरा घरवाला कुछ बोलता नही…..मैने तो तेरी सास ( दादीजी) को कभी भी झांट बढाने नही दिया और दादाजी ने मां के पैंरो के पास बैठ कर चूत को चूमा और दोनो हाथो से झांट अलग कर बूर की फांक को फैलाया कहा, .
“ कितना प्यारा माल है…चुमने और चाट्ने का मन करता है… लेकिन इन झांटो के बीच बूर चुसने और चाट्ने मे मजा नही आयेगा. “

दादा ने फिर बूर को फैलाया और अन्दर के गुलाबी माल को चुमा. दादा खडे हो गये और मां के दोनो गालो को अपने हाथों मे दबाया और खुब प्यार से चुची मसल मसल कर चुमा. मां को सहलाते हुये दादा ने कहा ,
“लगता है तेरा घरवाला कभी तेरी चूत को चुसता नही है… तो फिर तुम्हे चूत का मजा तो अभी तक मिला ही नही होगा…रानी चुदाई से ज्यादा मजा चूत चटवाने मे आता है… चूत साफ कर ले फिर तुझे ऐसा मजा दुंगा कि बूर चाटने के लीये लोगों से खुशामद करती रहेगी.”
दादा ने मां को फिर से चुमा और अलग हट गये. मां हम लोगों के सामने पैर चियार कर बैठ गयी. कुछ देर हम तीनो की तरफ देख कर कहा..
“आप लोग अपने को मर्द कहते हो ! दो घंटे से एक रंडी नंगी घर मे घुम रही है..लंड के लीये तरस रही है और तुम नामर्द लोग बस उपर उपर मजा ले रहो हो..”

मां ने अपनी चूची मसलते हुये कहा, “ कि मै बेबकूफ हुं कि बल्लु और उसके दोस्तो से नही चुदवाया यह सोच कर कि उनके जाने के बाद मुझे नंगा देख कर तुम लोग मुझे एक के बाद एक चोदते रहोगे….”

मां ने घुंडी को रगडा और कहा ,” अब कोई दुसरा मर्द ढुंढना पडेगा जो मुझे चोद चोद कर थका डाले..”
मां का इतना कहना था कि दादा ने अपना जांघिया उतारा और मां को गोदी मे उठा कर बेड रुम मे ले जा कर बेड पर पट्का और बिना कोई चुम्मा चाटी के अपना तनतनाया हुआ लौडा बूर मे पेल दिया…एक बार मां भी कराह उठी.. “राजा धीरे…”
उसके बाद करीब 15 मिनत तक दादा जी दना दन अपनी बहु कि चुदाई करते रहे और उस रंडी का बेटा और घरवाला चुदाई देखता रहा. जब मुझे लगा कि दादाजी झरने बाले है मैने बाबुजी से कहा कि दादाजी के लंड बाहर निकालने के बाद वो अपनी बीबी को चोदे . मैने कहा कि मै बाद मे चोदुंगा..
दादाजी ने अपना पानी बूर मे गिराया और कुछ देर के बाद लंड बाहर खींच लिया .. झांतो के बीच रंडी की खुली हुई चूत दीख रही थी. मैने बाबुजी को धक्का दिया,
“बाबुजी, रंडी आपका लंड का इंतजार कर रही है…”
बाबुजी खडे हुये और जाकर अपनी बीबी को चोदने लगे…
दादाजी मेरे बगल में बैठे थे . उनका लौडा थोडा ढीला हो गया था.
“दादाजी कैसा है रंडी का चूत, मजा आया चोदने मे..?.” मैने पुछा.
“अरे, कुछ मत पुछ बेटा, तेरी मां बहुत मस्त माल है.. जब भी मौका मिले कुतिया को खुब चोद…बहुत गरमी है साली के चूत मे… “ दादा ने अपना लौडा सहलाते हुये कहा,
“पहले तो सोचा था कि कल चला जाउंगा लेकिन नही अभी 8-10 दिन और रहुंगा और रंडी कि जम कर चुदाई करुंगा. आज या कल साली का झांट साफ कर दिन भर बूर चुसता रहुंगा ..और कुतिया को लौडा चुसाउंगा …..दादा ने जांघिया के उपर से मेरा लौडा सहलाया और कहते रहे ,
“ मादरचोद को तु भी खुब चोद और कल जा कर बल्लु और उसके दोस्तो को बुला कर ला.. सब मिल कर इस माल का मज़ा लेंगे..”
दादा मेरा लौडा सहला रहे थे मुझे बहुत अछा लगा, और मैने जांघिया उतार दिया. मेरा लौडा भी मां को चोदने को बेकरार था.
दादा ने लंड अपनी मुठ्ठी मे लेकर दबाया और कहा कि मै किसी तरह से बल्लु और उसके घर मे कोई जवान लडकी हो या उसकी मां हो या बहन हो तो उसे भी साथ लाउं जिससे हमें भी बल्लु कि तरह नया माल का मजा मिले. दादा मेरे लंड को मसल रहे थे तो अचानक मैने भी दादा का लंड लेकर मसलने लगा.. ये पहला मौका था कि मैने किसी और का लंड पकडा था और आशचर्य मुझे लंड पकडना अछा लग रहा था . मुझे ध्यान आया कि बल्लु कि एक छोटी और एक बडी बहन है.. और शायद दोनो कि शादी हो चूकि है…मुझे ये सोचकर बहुत आनन्द आया कि कल या परसो मां मेरे और दादा के सामने बल्लु और उसके दोस्तो से मरवायेगी और मै और दादा बल्लु की बहन और मां को चोदेंगें. तभी देखा की बाबुजी रंडी की बूर से लंड नीकाल कर उठ गये है. बाबुजी ने मेरा लौडा दबाया और कहा ,
“जा बेटा , अपनी कुतिया मां को इतना चोद कि साली चुदाना भुल जाये … “
लेकीन मैने बाबुजी और दादा कि तरह सत सत चुदाई श्रु नही की. मै कुछ देर तक मां को चुम्मा लिया, चुची को चुसा , बूर को भी फैला कर उससे खेला और उसके बाद मैने लंड को बुर मे पेला. मै खुब जोर जोर से धक्का मार रहा था. ये पहला मौका नही था कि मै लोगों के सामने चोद रह था. मैने पहले कई बार अपने दोस्तो के साथ एक रंडी की बारी बारी से चुदाई की है…और मै मां को पुरा दम लगा कर चोदता रहा.. मुझे खुश रखने के लिये या मां को सच मुच बहुत मजा आ रहा था , वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी. ”आह्ह्ह….बेटा…आह्ह्ह्ह…और पेलो….फाड दे चूत को…..ठंडा कर दे बूर को…आह्ह्ह्ह….बहुत मजा आ रहा है….चोद अपनी मां को… चोद चोद कर रंडी बना दे.. बहुत मस्त लौडा है तेरा बेटा, रोज चोद..जब मन करें चोद… आह्ह्ह्ह…….
और इस तरह सिसकारी मारते मारते वो ठन्डी हो गयी और पैर फैला कर शांत हो गयी. मै चुदाई कर ही रहा था कि दादाजी मां के बगल मे आकर बैठ गये और चुचि को मसलते हुये पुछा ,
“बोल कुतिया, हम लोग मर्द है कि नही…” ”हां राजा, तुम तीनो मर्द हो…मेरी बूर खुश हो गयी… अब जो बोलो सब करुंगी …” मां ने दादा के लौडे को सहलाते हुये कहा. ळेकिन मैने दादा को टोका .. ”दादाजी आज बहुत हो गया …अभी हम लोग थोडा आराम करते है..क्योंकी घंटे बाद लोग बाग गुलाल खेलने आयेंगे. आप मां के साथ सो जायीये .”

मैने बूर से लंड खींचा और मां के मुह पर लंड रगडते हुये कहा,
“मां मेरा पानी अभी नही निकला है, रात को पहले मै चोदुंगा. “

दादा और मां एक साथ और हम अलग अलग बेड पर सो गये. ऎक घंटे के बाद उठे और सबने साफ , नये सफेद कपडे पहने. मां ने गोटा लगे हुये नये कुर्ता और सलवार् पहना. उनहोने खुब सुन्दर मेक-अप किया. मां को सजा धजा देख कर दादा ने कहा ,
“रानी, तुमको देखकर सारे मर्द पागल हो जायेंगे..”

बानुजी ने कहा , “ और हां लोगो को कपडे के अन्दर हाथ डालने से मना मत करना … सलवार थोडा ढीला बांधो और कुर्ता का एक बट्न खोल कर रख्हो.”
जैसा बाबुजी ने कहा , मां ने कपडा ठीक किया.
बाबुजी ने मुझे और दादा से कहा कि हम हाथ डाल कर देखें कि चूत और चुची तक हाथ पहुचता है कि नही. मैने कुर्ता उठाकर सलवार मे हाथ डाला ..और चूत को मसला. मां ने चड्डी नही पहना था. दादा ने कुर्ते के उपर् और नीचे दोनो ओर से हाथ घुसाया और चुची को दबाया.
“आराम से लोग चुची दबा सकते हैं…” दादा ने कहा…
हम लोगों का इंतजार करने लगे. बारी बारी से कई लोग अपने अपने परिबार के साथ आये और आपस में गुलाल रगड कर एक दुसरे के गले मिले और चले गये. ऐसा कोई नही आया जिसमे हिम्मत हो कि वो हम सब के सामने मां को चुम सके या कपडो के अन्दर हाथ घुशेर कर चुची और चूत का मजा ले सके. उपर उपर तो कई मर्द और औरतों ने मां की चुची को मसला और मजा लिया.

करीब 9 बजे एक ऐसा परिवार् आया जिसे देख कर मै बहुत खुश हो गया. ये मेरा स्कूल का दोस्त अमित था. वो अभी किसी दुसरे शहर में पढ रहा था. हम दोनो करीब दो साल के बाद मिले .



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