बुड्ढे अंकल ने लंड चुस्वाया

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम दीपा है. आज जो कहानी मैं आप सब के सामने लेके आई हू, वो एक बिल्कुल सच्ची कहानी है. इसमे लिखी गयी एक-एक बात सच है. तो ये कहानी पढ़ते वक़्त अपने मॅन में बिल्कुल वहाँ ना रखिएगा की ये एक झूठी कहानी है. तो चलिए अब और ज़्यादा टाइम वेस्ट ना करते हुए मैं कहानी शुरू करती हू.

ये कहानी 2 साल पहले की है जब मेरी उमर 19 थी. तब मेरे बूब्स का साइज़ तोड़ा बड़ा हो गया था, जो 36″ था. मैं कम उमर में ही जवान दिख रही थी. सेक्स के बारे में मैं जानती थी. मैने कुछ पॉर्न वीडियोस भी देख रखी थी. लेकिन मैने सेक्स किया कभी नही था. मुझे सेक्स कुछ अजीब लगता था.

मैं कॉलेज के एग्ज़ॅम देने के बाद अपनी मम्मी के साथ गाओं जेया रही थी घूमने के लिए. मैं 4 साल बाद गाओं जेया रही थी. मेरे पापा गाओं नही गये, और शहर में ही रुके, क्यूंकी उनको शहर में कुछ काम था.

मेरा एक भाई था जो गाओं में ही रहता था. उसका अपना बिज़्नेस था. वो आक्च्युयली मुर्गी फार्म चलता था. फिर हम गाओं पहुँच गये. अट्मॉस्फियर काफ़ी शांति वाला होता है गाओं में. गाओं पहुचने के बाद वाहा मैं भाई के साथ बिके पे बैठ के गाओं की सैर करने चली गयी.

हमने वाहा चोवोक पे जाके पानी-पूरी खाई. वाहा कुछ लड़के मुझे ही घूर रहे थे, और मुझ पर लाइन मार रहे थे. फिर हम फार्म पे गये. वाहा मैने मुर्गियाँ देखी. सब बड़ी हो चुकी थी.

फार्म पे एक स्टाफ का बंदा था, जिसका नाम सुरेश था. उसकी उमर लगभग 55 साल होगी. लेकिन दिखने में वो कम उमर का लग रहा था. उसने अपने आप को मेनटेन करके रखा हुआ था. जब से उसने मुझे वाहा देखा था, वो मुझे घूरे ही जेया रहा था.

मैने उसको ध्यान से देखा तो उसकी नज़र मेरी चूची पर थी. उसने लूँगी पहन रखी थी. और उसका लंड लूँगी में टेंट बना रहा था. मैं उसका खड़ा हुआ लंड सॉफ-सॉफ देख पा रही थी. फिर फार्म देखने के बाद हम दोनो घर चले गये.

घर पर भी मेरे दिमाग़ में सुरेश और उसके लंड के बारे में आ रहा था. उसका लंड काफ़ी बड़ा लग रहा था. पता नही क्यूँ मैं उसके लंड को भूल नही पा रही थी. फिर शाम हुई, और मैं अकेले फार्म पे चली गयी.

मैं सुरेश के लिए नास्टा लेके गयी थी. क्यूंकी भाई बेज़ार गया था दवाई लाने, इसलिए मैं अकेली गयी थी. फिर फार्म पे जाके देखा तो सुरेश मुर्गियों को दाना दे रहा था. वो सिर्फ़ बनियान और हाफ पंत में था. उसने मुझे वाहा देख लिया. उसके बाद उसने दाना लगाया. मैं वही पे खड़ी थी नाश्ता लेके, और उसको दाना लगते हुए देख रही थी.

अब यहा से मैं सुरेश को काका बूलौंगी. चलिए बताती हू हमारी क्या बात हुई.

मे: काका मैं आपके लिए नाश्ता लाई हू. आओ जल्दी से कर लो.

काका: 10 मिनिट बस काम ख़तम हो ही गया है.

मे: ठीक है, मैं वेट करती हू.

मैं फिर नाश्ता रख के बगल में लितची का बागान था, वो देखने चली गयी. थोड़ी देर बाद मैने देखा की काका लितची के बगल वाले खेत में आए. उनको देख कर मैं च्छूप गयी, और उसे देखने लगी. मैने देखा की काका ने अपनी हाफ पंत नीचे की, और अपना लंड बाहर निकाल लिया.फिर वो अपने लंड को सहलाने लगे. मैं देख के डांग रह गयी उसके लंड को. उसका लंड काफ़ी मोटा था, और 8 इंच लंबा था. फिर वो लंड हिलने लगा. मैं चुप-छाप उसको ये करते हुए देख रही थी. कुछ देर बाद मुझे अचानक से छींटी ने काटा, और मेरे मूह से आवाज़ निकल गयी.

उसने आवाज़ सुनते ही मेरी तरफ देखा, और मुझे वाहा च्छूपी हुई देख लिया. मुझे देखते ही वो पंत उपर करके मेरे पास आ गया. मैं बहुत दर्र गयी थी, की अब क्या होगा.

काका: तुम मुझे यहा च्छूप कर देख रही थी?

मे: नही मैने आपको लंड हिलाते नही देखा (जल्दी-जल्दी में मेरे मूह से निकल गया).

काका: साली रंडी, नही देखा तो तुझे कैसे पता चला की मैं हिला रहा था?

ये बोल के वो मेरे एक-दूं पास आ गये. फिर वो मुझे बोले-

काका: तूने मेरा मूड खराब किया है. तुझे ही अब मेरा मूड बनाना होगा.

मे: क्या बोल रहे हो आप? मुझे कुछ समझ नही आ रहा है. कों सा मूड खराब किया मैने, और कैसे बनाना पड़ेगा मूड आपका?

काका: ज़्यादा भोली मत बन, मुझे पता है तू चूड़ना चाहती है. अगर नही चूड़ना चाहती होती, तो सुबा मेरा खड़ा लंड देखने के बाद तू वापस यहा नही आती. तू अकेली आई है, मतलब तेरी छूट में आग लगी हुई है.

ये बोलते ही काका ने मेरा हाथ पकड़ा, और अपने लंड पे रख दिया. उन्होने अपना हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया. मेरे माना करने के बाद भी काका ने मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया. फिर काका ने अपनी पंत उतरी, और अपना 8 इंच का लंड मेरे हाथ में दे दिया.

उन्होने अब मुझे उनका लंड हिलने को बोला. मेरे पास और कोई ऑप्षन नही थी, और मैं चाहती भी थी ये सब करना, तो मैं उनका लंड हिलने लगी. वो मेरे बूब्स को कपड़ों के उपर से ही मसल रहे थे. मेरे मूह से आ आ आ की आवाज़ आ रही थी.

थोड़ी देर बाद काका ने मुझे घुटनो पे जाने को कहा, और अपना लंड मूह में लेने को कहा. पहले तो मैने माना करने का ड्रामा किया. लेकिन फिर काका ने मेरा मूह खोल कर लंड मूह में घुसा दिया और अंदर-बाहर करने लगे.

2 मिनिट बाद उसने स्पीड बढ़ा दी. अब मुझे सास लेने में तकलीफ़ हो रही थी. 10 मिनिट बाद काका ने अपना सारा माल मेरे मूह में ही छ्चोढ़ दिया, और पीने को बोला. लेकिन मुझे उल्टी हो गयी.

फिर काका ने बोला पंत उतारने के लिए. मैं पंत उतारने लगी, क्यूंकी मुझे लग गया था की आज वो मुझे छोड़े बिना नही छ्चोढेगा.

मैं अपनी जीन्स खोल ही रही थी तभी किसी की आवाज़ आई. काका देखने गये, की कों था जिसकी आवाज़ आई थी.

आयेज की स्टोरी दूसरे पार्ट में पढ़ने को मिलेगी. गिव युवर फीडबॅक ओं डीप9974911@गमाल.कॉम.
इट इस वेरी इंपॉर्टेंट तो मे.

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