मोहब्बत की यह महफ़िल में चलो कुछ खेल खेलेंगे
वह गर पेलेंगे उनके लंड की हम मार झेलेंगे।
छिपाएंगे ना चूत अपनी ना चूचियों को छिपाएंगे
चूसेंगे लंड उनका हम खुले दिल से चुदवायेंगे।
रीता बिना बोले नंगी असहाय सी खड़ी हुई नंग-धड़ंग सूरज की आंखों में आंखें डाल कर उसे देखती रही। सूरज ने झुक कर रीता को अपनी बाहों में फिर से दोपहर की ही तरह ऊपर उठाया। इस बार रीता की नंगी चूत बिल्कुल सूरज के नंगे लंड के ऊपर टिकी हुई थी। सूरज ने रीता के होंठों से अपने होंठ मिलाये और रीता से कहा, “रीता इस बार तुम अपने पति के कहने पर नहीं पर अपनी मर्जी से मेरे होंठों को चूमो। मैं तुम्हारा चुम्बन पाकर धन्य हो जाऊंगा।”
बिना कोई उत्तर दिए कुछ क्षोभ में और कुछ सूरज के लंड के रीता की चूत के स्पर्श होने पर उत्तेजना के मारे अनायास ही रीता का मुंह सूरज के मुंह को चूमने के लिए खुल गया। रीता की नाक सूरज की नाक से कुछ समय तक रगड़ने के बाद उनके होंठ मिले और देखते ही देखते रीता के पूरे बदन में कामवासना की आग भड़क उठी। रीता ने अपनी चूत में से उसके स्त्री रस को उदारता से रिसते हुए महसूस किया। रीता की चूत और रीता के स्तनों में एक अजीब सी कामुक हलचल मचलने लगी।
सूरज के हाथ रीता के कूल्हों और गांड की दरार को कुरेदने लगे। सूरज ने अपना तगड़ा लंड रीता की चूत से रगड़ना शुरू किया। रीता ने सूरज के तगड़े लंड को अपनी चूत से रगड़ते हुए महसूस किया। स्विंमिंगपूल के पास की फर्श पर लेटे हुए रीता को सूरज के तगड़े लंड की मोटाई और लम्बाई का कुछ एहसास तो हो ही गया था।
उसे महसूस होते ही रीता के रोम-रोम में एक कंपन सी दौड़ पड़ी। कुछ पलों के लिए रीता को लगा की सूरज उसे चोदना चाहता है और इस अंधेरे का फायदा उठा कर वह रीता को अपनी कमर पर हवा में उठाये हुए रीता की कोमल सी नाजुक चूत में अपना सांड सा लम्बा और मोटा लंड डाल कर रीता को चोदना शुरू कर देगा।
रीता उस हाल में नहीं थी कि सूरज को उसे चोदने से रोक पाए। उसकी अपनी चूत अपना स्त्री रस निकाल रही थी। रीता खुद चाहती थी कि सूरज उसे चोदे। पर रीता ने कुछ डर के मारे और कुछ लाज और शर्म के मारे सूरज को आगे बढ़ने से रोका। अपनी टांगें खोल कर रीता सूरज की कमर से नीचे सरक फर्श पर खड़ी हो गयी। रीता के इस तरह रोक ने से हतप्रभ सूरज का हाथ थाम कर रीता ने सूरज को किनारे पर रखी हुई कुर्सी के पास ले जा कर उसके उपर लिटा दिया।
अपने घुटनों के नीचे एक तौलिये को डाल कर घुटनों के बल नीचे फर्श पर कुर्सी के करीब बैठ कर एक हाथ से सूरज का लंड अपने हाथ में ले कर रीता बोली, ” सूरज थोड़ा रुक जाइये। धीरज का फल मीठा होता है। मैं आपको वचन देती हूँ कि आज रात को मैं कमरे में पलंग पर आपका अच्छे तरीके से एक पत्नी जैसे ही धन्यवाद करूंगी। पर इस खुले माहौल में नहीं। जब तक मेरे पति या आपकी पत्नी यहां हमें ढूंढते हुए आ नहीं जाते तब तक आप इसी से काम चला लीजिये।”
यह कह कर रीता ने अपने चारों और देखा। अंधेरे में उसे कोई नजर नहीं आया। तब पहली बार बिना कोई डर, शर्म या दोष भाव के रीता ने झुक कर सूरज के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर लंड की ऊपर वाली त्वचा को प्यार से अपनी हथेली में ले कर ऊपर-नीचे हिलाना शुरू किया। रीता के हाथ का स्पर्श पाते ही सूरज के मुंह से दबी हुई सिसकारियां निकलने लगी। रीता के बालों को अपने हाथों से संवारते हुए अपनी आंखें मूंदे हुए सूरज रीता के हस्त मैथुन का आनंद उठाने लगा।
जल्द ही रीता ने झुक कर सूरज का महाकाय लंड अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। तब जा कर रीता को सूरज के लंड की लम्बाई और मोटाई का अच्छा सा अंदाज हुआ। सूरज के लंड की मोटाई ऐसी थी कि रीता जान गयी कि उसके लिए उस लंड को मुंह में घुसा पाना नामुमकिन था।
रीता के मुंह की लार से लथपथ सूरज का वैसे ही चिकना गीला लंड उस अंधेरे में भी चमकने लगा। लंड के टोपे को चाटते हुए कुछ ही देर में रीता ने सूरज के लंड के टोपे के सिरे को धीरे-धीरे अपने मुंह में ले कर उसे चूसना शुरू किया, और अपना मुंह ऊपर-नीचे करते हुए अपने होंठों से उसे होंठ चुदाई का आनंद देने लगी।
रीता के मुंह में तो लंड नहीं गया पर टोपे की ही ऐसी सेवा समर्पण से सूरज के सारे रोंगटे खड़े हो गये। अपने लंड की इस कदर प्यार भरी सेवा रीता के मुंह से इतनी जल्दी होगी इसकी कल्पना भी सूरज ने नहीं की होगी।
रीता से नजरें बचाते हुए मैं जब किरण के पास स्विंमिंगपूल के दूसरे छोर पर पहुंचा तो मैंने उसे पानी में किनारे को पकड़ कर लंबा लेटे हुए अपने पांव पानी की सतह पर मारते हुए पाया। किरण की छोटी सी लंगोटी जैसी उसकी पैंटी इस तरह के प्रयोगों से कई बार थोड़ी सी हट जाती और मुझे एक पल के लिए ही सही पर किरण के मादक प्रेम-छिद्र की जरा सी झांकी का आभास महसूस होने लगता।
अगर रीता उस समय सूरज के बदन में आग लगा रही थी तो उसी समय पानी से खेल रही किरण भी मेरे जहन में ज्वाला पैदा कर रही थी। किरण के बदन के लिए मेरी प्यासी नज़रों को किरण अच्छी तरह भांप गयी थी।
पर उसे मेरी कामुक नज़रों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। जैसे ही किरण पानी में उछलती, उसकी मदमस्त फूली हुई चूचियां इतनी मादक तरीके से उसकी छाती पर उछलती थीं कि जिसे देख कर अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए।
थोड़ा सा भी इधर-उधर घूमते हुए किरण के सुआकार भरे हुए स्पष्ट दिख रहे कूल्हों के लाल गाल इस कदर मटकते थे कि किसी की भी नजर वहां से हट ही नहीं सकती थी। किरण के घुंघराले लम्बे बाल बार-बार उसके मादक स्तनों पर बिखरते हुए बड़े ही आकर्षक तरीके से आच्छादित हो कर उनको कुछ पलों के लिए उन चूचियों को छिपाने की नाकाम कोशिश करते रहते थे।
जब-जब भी किरण अपना सिर एक तगड़े झटके से हिला कर अपने बालों को ठीक से लगाने की कोशिश करती, पानी की एक बौछार किरण के बालों से निकल कर चारों और फ़ैल जाती और उस समय लगभग नग्न किरण के इर्द-गिर्द फैली पानी की बौछारों का दृश्य बड़ा ही कामुक और मर्दों के लंड को खड़ा कर देने वाला था। मैं बेचारा पानी में खड़ा हुआ जब किरण को इस तरह पानी से खेलते हुए देखा था तो मुझे ऐसे लगता था जैसे मेरे पांव के नीचे से जमीन खिसक रही हो।
मुझे उसे घूरते हुए देख खिलखिला कर हंसती हुई किरण आगे बढ़ी और पानी की सतह ऊपर जोर से हाथ घुमाते हुए किरण ने मेरे ऊपर पानी की एक जोरदार बौछार डाली। मैंने आगे बढ़ कर किरण के ऊपर भी उसी तरह से जब पानी की बौछारें डालना शुरू किया, तब पानी की मार से झुंझलाती हुई किरण मेरे करीब आयी और मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे रोकने की कोशिश करने लगी।
उसी समय मैंने चारों तरफ छा रहे अंधेरे में दूर से एक हल्की सी झांकी जैसे देखा कि सूरज और मेरी पत्नी रीता पानी में कुछ जद्दोजहद में लगे हुए थे। क्या सूरज मेरी पत्नी को उस समय चोद रहा था? मैं इस बात को यकीन के साथ नहीं कह सकता था।
पर मुझे इस बात का यकीन हो गया कि मेरा करतब उसी शाम को रंग लाने वाला था। मुझे रीता के पानी में डूबने की कोई चिंता इस लिए नहीं थी, क्यूंकि मैं जानता था कि काफी सशक्त होने के उपरान्त सूरज एक अच्छा तैराक भी था। मेरी पत्नी रीता सूरज के वहां होते हुए बिल्कुल सुरक्षित थी।
मैंने मुश्किल से रीता और सूरज पर से नजर हटाई और मेरे सामने खड़ी परी सी किरण पर अपनी नजर डाली। एक तरफ मेरी बीवी के हाल देख कर मुझे लग रहा था कि उसी शाम रीता के जन्मदिवस के अवसर पर ही उसकी बढ़िया चुदाई सूरज से होने वाली है। हो सकता है उसी समय वहीं स्विंमिंगपूल में ही अंधेरा होते ही मौक़ा मिलने पर सूरज रीता को चोद ही डाले।
मुझे मन में कहीं ना कहीं यह भरोसा हो चला था कि सूरज मेरी बीवी के पतिव्रता होने के नखरों को अच्छी तरह से नेस्तो-नाबूद कर रीता को अपने वश में कर लेगा। दूसरी तरफ मुझे किरण की चूत मिलने की काफी उम्मीद थी। इन्हीं उम्मीदों से उस समय किरण को उस स्विमिंग कॉस्च्यूम में पानी से खेलते हुए देख कर मेरी निक्कर में मेरा लंड तन कर एक-दम सख्ती से खड़ा हो गया था।
अचानक ही किरण ने हंसते हुए पानी की एक जोरदार बौछार मुझ पर दे मारी। मैंने पानी में ही छलांग लगाते हुए आगे बढ़ कर किरण को अपनी बांहों में पकड़ना चाहा। पर किरण कोई कम नहीं थी। वह पानी में ही फुर्ती से तैरती हुई सीढ़ी से चढ़ कर भागी और स्विंमिंगपूल के क्लब हाउस में जा पहुंची। उस समय पूरे फ़ार्म हाउस में माली, दो नौकर और दो चौकीदारों को छोड़ कर और कोई नहीं था। सब कर्मचारियों को उस समय वहां से दूर रहने की हिदायत दी गयी थी। पूरा क्लब हाउस खाली था।
पर स्विंमिंगपूल की तरह क्लब हाउस में अन्धेरा नहीं था। वहां सारी लाइटें जल रहीं थीं। शायद सूरज ने स्टाफ को जान बूझ कर स्विंमिंगपूल पर लाइटें नहीं जलाने के आदेश दिए थे। मैंने क्लब हाउस की ओर भागते हुए अंधेरे में ही स्विंमिंगपूल में रीता और सूरज के सायों को पानी में बौछारें उड़ाते हुए कुछ खेल कर रहे देखा। उस समय मैं नहीं जानता था कि रीता वहां डूब रही थी और सूरज उसे निकालने की जद्दोजहद में लगा था।
भागने से हांफती हुई किरण जब थक कर लुढ़क कर क्लब हाउस के एक सोफे पर जा गिरी, तब मैं उसके पीछे भागता हुआ सोफे के ऊपर लेटी हुई किरण के ऊपर जा गिरा। मैंने किरण को पकड़ कर सोफे पर लम्बा कर लिटा दिया, और उसके ऊपर सवार हो कर उसके मुंह पर अपना मुंह रख कर किरण के होंठों पर मैंने अपने होंठ चिपका दिए।
लम्बी सांसे लेती हुई किरण अचम्भे से बड़ी-बड़ी खुली आंखों से मुझे देखती हुई अपना मुंह खोल कर मेरी जीभ को अंदर ले कर और मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द अपनी बांहों को लिपट कर मेरी लार को चूसने लगी।
मैंने अपने हाथों से किरण के कूल्हों को दबाते हुए किरण की गांड की दरार में अपनी उंगली डाली जिसके कारण उत्तेजित किरण सोफे पर एक-दम उछल पड़ी। किरण ने मेरी आंखों में आंखे डालते हुए हल्के से मुस्काते हुए कुछ भी बोले बिना बड़े प्यार से अपना एक हाथ मेरी जांघों के बिच में मेरी निक्कर पर रखा और मेरे सख्ती से खड़े लंड से बने तम्बू को मेरी निक्कर के ऊपर से ही सहलाने लगी।
मैं और किरण अपने मुंह की पोज़िशन को बारी-बारी से बदलते हुए अपनी जीभ को एक दूसरे के मुंह में डाल कर उस जीभ को और होंठों को चाटने और चूसने लगे। किरण के मुंह की लार में गजब की मिठास मैंने महसूस की। किरण चुंबन में विशारद थी। काफी अरसे तक बिना रुके और बोले हम दोनों एक-दूसरे को चूमते रहे और मैं किरण की गांड को और किरण मरे लंड को सहलाते, दबाते और हिलाते रहे।
मैंने जब अपना मुंह ऊपर की और किया और किरण को सांस लेने दिया, तब किरण ने मेरी और देखा और बोली, “तुम तो गजब के किसर निकले राज! आज तक किसी ने मुझे इस तरह इतना कस कर, इतनी शिद्द्त से और इतनी देर तक नहीं चूमा। वैसे तुम्हारी बीवी रीता भी बड़ी बढ़िया किस करती है। मैंने उसे भी चूमा है।”