पिछले पार्ट में मैने बताया मेरी सगाई हो चुकी थी. अब हमारे रीलेशन में नया मोड़ आ गया था. शादी को 4 महीने थे. मैने 2भक फ्लॅट लेने का सोचा. वो मैने द्वारका देल्ही में देखा. मम्मी ऑगस्ट में आई शिफ्ट करवाने. उस वक़्त वो 4 दिन रही. वो बहुत रोई. सेक्स करने में भी मज़ा नही आ रहा था. उसका मॅन बहुत खराब था. वो बार-बार बोल रही थी पहले जैसा प्यार नही करोगे मुझे अब.
मैं: क्यूँ नही करूँगा. तू ही मेरी असली बीवी रहेगी. तेरे बिना तो मुझे दर्र है की ये खड़ा भी होगा की नही.
मम्मी: बकवास ना करो मुझे पता है. जैसे वो आएगी उसको देख के पहले खड़ा होगा. मुझे बोलॉगे बुद्धि हो गयी हो.
मैं: जान तेरे बिना सोच-सोच के मेरा दिल भी रो रहा है. ये बात तो है पहले की तरह तो नही छोड़ पौँगा तुझे. मगर मुझे तू ही छाईए. क्या करू, शादी के लिए माना कैसे करू?
मम्मी: कोई नही. शादी तो आपको किसी और से करनी ही थी. मेरे साथ तो ज़िंदगी भर नही रह सकते थे. और ना ही हमारे पास कोई ऑप्षन है जिससे साथ में रह सके हमेशा. कोई बात नही.
उन 4 दीनो में मुस्किल से 4 से 5 बार छोड़ा होगा सुषमा को. मगर वो मेरे लिए काफ़ी सीरीयस थी, और किसी और के साथ नही देख सकती थी. जैसे मैं उसको पापा के साथ नही देख सकता था. एक दिन मेरी होने वाली वाइफ ने मोविए का प्लान बनाया.
मम्मी: अभी से मिलने की क्या ज़रूरत है आपको?
मैं: वो बोल रही है मोविए देखने चले.
मम्मी: उसके बोलने से क्या है? माना कर दो. बोलो टाइम नही है.
मैं: कैसे कर डू? ऐसे नही होता.
मम्मी से च्छूप कर मिलता था मैं होने वाली वाइफ से. कभी 10 मिनिट भी मिलना होता था, और फोन नही उठता था उसका फोन आ जाता तो फिर सारा दिन नाराज़ रहती. मैं अपनी वाइफ का नाम नही बतौँगा. आयेज की कॉन्वर्सेशन में मैं उसको फेक नाम रूबी ही बोलूँगा. रूबी ने मोविए का प्लान बनाया. मम्मी को इसलिए बताना ज़रूरी था, की कम से कम 3 घंटे रूबी के साथ रहूँगा, तो मम्मी तंग नही करेंगी.
उस दिन मम्मी नाराज़ रही. मैं रूबी के साथ मोविए देखने गया. हमने लंच किया साथ में. फिर रूबी बोली एक और मोविए देखते है. बस फिर क्या था मम्मी की कॉल पर कॉल. मैने कॉल उठाई और बोला एक और मोविए देख रहे है. मम्मी आग बाबूला हो गयी. मुझे पता था रात को लगने वाली थी. बताने के बाद भी मम्मी कॉल करती रही, कब ख़तम होगी मोविए पूछने के लिए.
रूबी बोली: कुछ काम है तो चले जाओ. मम्मी बार-बार कॉल कर रही है.
मैने बोला: मम्मी की आदत है.
रूबी बोलती है: मम्मी ज़्यादा ही केर करती है आपकी.
उस दिन के बाद मम्मी रूबी को अची नही लगनी स्टार्ट हो गयी. जैसे ही मैं रूम पर पहुँचा मम्मी को कॉल किया. वो गुस्सा हुई पड़ी थी फुल. बोली रात को करेगी बात. रात को सुषमा रोटी गयी और बोलती गयी.
मम्मी: मुझे भूल ही गये हो. नयी मिल गयी है तो मेरी क्या ज़रूरत. अब तो कुछ नया नही बचा मेरे में. पहले जैसे नही रहे आप. पहले इतना प्यार करते थे. 2 महीने में सारा प्यार ख़तम. मेरे मज़े ले लिए अब क्या ही मिलेगा.
मैं सुनता गया और बोला: इस वीकेंड आ रहा हू, जो बोलना है साथ में बोलती रहना. तुझे छोड़ता रहूँगा, तू बोलती रहना. ऐसे तो तू चुप नही होगी. तुझे छोड़ के की बता सकता हू कितना प्यार करता हू.
वीकेंड पर फिर घर गया. मम्मी नाराज़ थी ही. उसको पहले किस किया. उसको चूमता रहा पुर चेहरे पर. जब उसने स्माइल की तब नहाने लेके गया. फिर साथ में नहाए. उसका मॅन-पसंद गांद के च्छेद को खाया. फिर नहाने के बाद बेडरूम में लेके छोड़ा.
मैं बोला: अब तुम कितना प्यार करती हो बताओ. लंड को 30 मिनिट तक चूस के प्रूव करो.
इसमे मुझे मज़ा आता था, आपको पहले भी बताया है. वो लंड मूह में लेती, और मैं उसकी नंगी गांद देखता. मुझे इसलिए भी अछा लगता था, क्यूंकी एक अलग ही थ्रिल था सुषमा को ऐसे देखने में. मैं उसके मूह में लंड दे रहा हू, और वो बच्चो की तरह चूस रही है. बचपन में लॉलिपोप माँगते थे मम्मी से. आज मेरा लॉलिपोप चूस रही है. 2 दिन फुल खुश किया. अब रूबी से मिलना तो होता ही था.
मम्मी को मानने घर जाता खुश करता. अब शादी का दिन भी पास आ रहा था. हमारी घबराहट बढ़ी जेया रही थी. नोव में मम्मी आई द्वारका. रूबी मैं, मम्मी ने फर्निचर सेलेक्ट किया. उस वक़्त मम्मी की ज़िद ज़्यादा दिख रही थी. रूबी को जो पसंद आता मम्मी कमी निकाल देती. ऐसी बातों से रूबी मम्मी से चिढ़ने लगी.
रात को सारा फर्निचर सेलेक्ट करने के बाद वापस फ्लॅट पर आए. मम्मी फिरसे वही पहले जैसा प्यार नही करती. अभी से दिख रहा था रूबी के साथ प्यार इतना बढ़ रहा है. उसको मानने के लिए रात भर प्यार करता. वो 7 दिन रही द्वारका. हर रात किसी ना किसी बात पर गुस्सा. फिर सारी रात मानता. जो भी वो बोलती वैसे ही सेक्स करता. जब शांत हो जाती मेरा फॅवुरेट करवाता उनसे.
लंड उनके मूह में और उनकी नंगी गांद देखता. फिर सॅटिस्फॅक्षन मिलती. 7 दिन में हमने फर्निचर खरीदा और लगवाया. उसके बाद वो चली गयी. उनको छ्चोढने इसबत गया. जाते वक़्त उसने लेटर दिया और बोली मेरी बस चलने के बाद ही खोलना. वो चली गयी. मैने लेटर खोला.
उसमे लिखा था: रवि पता नही ये कैसे स्टार्ट हुआ, कब स्टार्ट हुआ, और मैं आप से प्यार करने लगी. जब हम घूमने जाते थे, एक फीलिंग आती थी आपके लिए. पता नही क्या था, वो अछा लगता था. सोचा नही था ऐसी जगह तक पहुँच जाएँगे. तब ऐसा था हम एक आचे फ्रेंड बन सकते जिससे मैं सब कुछ शेर कर साकु. वो फीलिंग धीरे-धीरे प्यार में बदल गयी.
लेटर: जब हमने एक-दूसरे को पर्पस किया आपके ब’दे पर तब लगा इस रीलेशन में मा बेटे वाला प्यार कभी ना आए. इसको डोर करने के लिए मैने यही सोचा की आप मुझे अपनी मा की तरह ट्रीट ना करे. और मैं आपको बेटे की तरह. इसलिए तब मैने सोचा आप मुझे तुम से बोला करोगे जिससे मा वाली रेस्पेक्ट ना आए. मैं आपको आप बोलू. धीरे-धीरे मैं आपकी हो गयी. जब आप दाँत लगते थे मुझे कभी खराब नही लगा. मुझे अछा लगता था मुझे अपनी गफ़ की तरह मानते थे.
लेटर: अब बस दर्र लग रहा है अब हम डोर होने वाले है. मैं जो आज कल बिहेव कर रही हू, उससे गुस्सा मत होना. मुझे प्यार करते रहना हमेशा.
मुझे ये लेटर पढ़ के लगा उस वक़्त उस बस को रोक लू. उसको वापस लेके अओ, और कही भाग जौ सुषमा के साथ. मैने कॉल किया तो कॉल नही उठाई उसने.
रात को बात की तो बोली: अब कोई फ़ायदा नही. और हमारे पास कोई ऑप्षन भी नही.
बस नेक्स्ट मंत मेरी शादी भी हो गयी. शादी के बाद हम हनिमून पर गये. मम्मी बहुत बेचैन थी. कॉल करती थी हाल-चाल पूछने के बहाने. जब भी रूबी इधर-उधर होती तो मैं उन्हे कॉल करता. मम्मी जेलासी में पूछती मज़े कर रहे हो. मैं यही कहता आपके बिना मज़े नही. वैसे हुआ भी नही एक बार भी सेक्स.
वैसे साची मेरा सेक्स हो ही नही पा रहा था रूबी के साथ. वो नर्वस थी कही दर्द ना हो. मेरा रीज़न मम्मी थी. मेरा उनके बिना खड़ा हो ही नही पा रहा था. तो रूबी की नर्वुसनेस से ये फ़ायदा हुआ. मुझे उसके साथ सेक्स की टेन्षन नही हुई. मगर ये सोचता था कही ना हुआ तो? फिर हम हनिमून से वापिस आए.
सुबा जब रूबी नहा रही थी, मम्मी को किस की. सलवार को नीचे करके सबसे पहले उसकी गांद खाई. 5 मिनिट बाद मम्मी ने अलग कर दिया कही पकड़े ना जाए. घर हम 2 दिन रहे. जब भी रूबी नहाने जाती तोड़ा सा ये मज़ा ले लेता उनके साथ. हम द्वारका आ गये. मगर सेक्स नही हुआ रूबी के साथ.
मम्मी को बताया आपके बिना खड़ा ही नही हो रहा है. उसने बोला मुझे सोच के कर लिया कर. रात को उनको सोच के खड़ा करता मगर रूबी की नर्वुसनेस की वजह से अंदर नही जेया पाता. वो दर्र जाती दर्द ना हो उसे. मगर मैने एक दिन सुबा ट्राइ किया तो सेक्स हो गया हमारे बीच. उसका हल्का फूलका दर्र भी निकल गया.
मम्मी को बताया हमारा सेक्स हो गया. मुझे पता है ये सुन के वो उदास थी. फिर भी मेरे लिए खुशी जताई.
मम्मी: 2 को छोड़ दिया तुमने.
मैं: हा, उसमे तू मेरी अचीव्मेंट है.
मम्मी: वर्जिन छूट छोड़ के मज़ा आया?
मैं: मुझे तो कुछ ऐसा अलग नही लगा. तुझे छोड़ने में ज़्यादा मज़ा आया था.
मम्मी: झूठ मत बोल.
मैं: झूठ? तुझे जब पहली बार छोड़ा था याद है लंड फिर भी टाइट था? तुम्हे भोग भी लिया था, फिर भी शांत नही हुआ था.
मम्मी: वो कैसे भूल सकती हू आपके साथ मेरी पहली चुदाई. मेरी भी वैसे सॅकी पहली चुदाई थी जिसमे मज़ा आया था. आपके पापा के साथ कभी मज़ा नही आया.
मैं: मुझे तो तेरे साथ ही मज़ा आता है. किस का टेस्ट तेरा अलग है. इसके साथ नही आता.
मम्मी: अछा.
मैने रूबी को मूह में लंड लेने के लिए भी बोला, वो माना करती रही 4 से 5 दिन. एक रात को बोला लेके देख मैने उसको नंगा किया. जो मम्मी के साथ करता था वैसे किया. सॅकी बतौ कुछ भी मज़ा नही आया. छोड़ने में भी मज़ा नही आता था. मम्मी को बताया मैने लंड दिया उसके मूह में. मेरे वाली फेवोवरिट पोज़िशन भी ली.
नंगी गांद देखते हुए उसके मूह में दिया. मम्मी नाराज़ हुई. वो चाहती थी ये हमारे लिए ही रहे. मैं उसके साथ ही करू, किसी और के साथ नही. उनको बताया मुझे बिल्कुल मज़ा नही आया. उनके मूह में देने में ही मज़ा आता था. वो थोड़ी खुश हुई.
तब मुझे समझ आया सेक्स में मज़ा थ्रिल का ही है. थ्रिल ना हो सेक्स केवल स्पर्म निकालना ही है. मुझे सुषमा के साथ मज़ा इसलिए आता था वो मेरी मा थी. ये सोच के मैं उसको छोड़ रहा था, जो मुझे छ्होटा होते दांती थी, मैं उसको छोड़ रहा था, लंड मूह में दे रहा था.
आप बीवी के बाहर अफेर करते है, उसमे मज़ा केवल थ्रिल का ही है. मैं तो उससे बड़ा ही कर रहा था. बाहर अफेर भी मम्मी से. उसको छोड़ रहा था. बाकी सेक्स भी जो नॉर्मल नही होते थे. उनकी गांद के च्छेद को जीभ से चाटना. अलग ही थ्रिल पैदा करता था.
मगर रूबी से शादी हुए 2 महीने हो चुके थे. मतलब सुषमा को छोड़े भी 2 महीने से ज़्यादा हो चुके थे.
सुषमा छोड़ने को बोलती नही थी. मुझे पता था उसका मॅन था मैं जौ और छोड़ू उसे. वीकेंड पर जाने का मौका मिल नही रहा था. वैसे जाता भी तो सेक्स तब भी ना कर पाते. अब रूबी जॉब थी. रिस्क लेना ज़िंदगी खराब करना था. 2 महीने बाद रूबी 1 वीक के लिए माइके गयी. तब ही मौका मिला घर जाने का रूबी के बिना वो भी.
इस बार थर्स्डे फ्राइडे की छुट्टी लेके घर गया. 2 दिन पुर थे, और 2 दिन हाफ हाफ. हमने जी भर कर सेक्स किया. वो छ्चोढ़ ही नही रही थी. जब भी मैं छोड़ के छ्चोढता, वो मूह में लेती, मेरा फेवोवरिट व्यू देती, उसके मूह में लंड और उसकी नंगी गांद. उसने जी भर कर गांद के च्छेद को चटवाया.
ये नया मोड़ था हमारी प्रेम कहानी में. आयेज की कहानी में बतौँगा कैसे हम अलग हुए. ये तो नही कहूँगा हमने प्यार करना बंद कर दिया. मेरी तरफ से प्यार तो बंद नही हुआ, वो अब बताती नही की वो प्यार करती थी की नही. हम डोर हो चुके है अब. अगली कहानी में ख़तम करने की कोशिश करूँगा. नही तो 2 पार्ट्स में ख़तम हो ही जाएगी. चलो बाइ.