भोंसड़ा बना एक बहन की चूत और गांद का

भाई: और अभी पीना भी मत, रुक.

फिर भाई ने फोन उठाया, और बोले: चल मदारचोड़ मूह खोल.

तो मैने मूह खोला और भाई ने ऐसे ही मेरी तस्वीरे लेली थोड़ी सी.

फिर भाई बोले: चल अब पी जा इसे.

मैं पी गयी. उसका स्वाद कुछ अजीब सा था, लेकिन मज़ेदार था. फिर भाई ने मुझे बेड पे लिटाया और अब वो आचे से मेरे पे आ गये, और मेरी छूट पे लंड सहला के मुझे तड़पने लगे.

तभी मैं बोली: छोड़ दो ना भाई, क्यूँ तडपा रहे हो? आज छूट का बना दो भोंसड़ा, छोड़ दो मुझे.

भाई ये सुन के बोले: हा रंडी, तेरी तो मैं छूट और गांद दोनो आज फाड़ दूँगा.

ये बोल के भाई ने लंड को छूट पे सेट किया, और एक ज़ोर का धक्का लगाया. भाई के लंड का टॉप ही अंदर गया और मुझे इतना दर्द हुआ की मैं ज़ोर से चिल्लाने लगी और भाई को कहने लगी.

मैं: भाई इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द हो रहा है. अंदर जलन हो रही है. इसे बाहर निकालो. नही करना मुझे कुछ, प्लीज़ बाहर निकालो.

ये सुन कर भाई बोले: साली रंडी, अभी तो छुड़वाने के लिए तड़प रही थी. अब नही छुड़वाना. चुप-छाप लंड लेले

भाई ने फिर एक और ज़ोर का झटका मारा, और छूट से खून निकालने लगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, पर भाई मान ही नही रहे थे. अब मुझे रोना आ रहा था, और मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने के साथ कहने लगी-

मैं: भाई मैं आपकी बेहन हू. प्लीज़ नही करना मुझे. बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़.

पर भाई ने एक ना सुनी और बोले: तू मेरी रंडी बेहन है, और रंडी का काम होता है अपने मलिक का कहा मानना. और तू भी वही करेगी.

भाई थोड़ी देर रुके, और मैं थोड़ी शांत हुई. फिर ज़ोर के झटके से पूरा लंड मेरी छूट में चला गया, और अब अंदर-बाहर करना भी स्टार्ट कर दिया था भाई ने.

मैं भाई को कह रही थी: प्लीज़ मत करो, दर्द होता है मुझे.

लेकिन भाई पे छोड़ने का भूत सवार था, और वो ज़ोर-ज़ोर से छूट मार रहे थे. थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, और अब मुझे मज़ा आने लगा था.

मैं बोली: छोड़ो भाई छोड़ो, ह फाड़ दो इस छूट को ह. भर दो ह अपना पानी इस छूट में. फाड़ दो इसे अहह.

और भाई और तेज़ी से छोड़ने लगे. करीब 15 मिनिट तक भाई ने मेरी हार्डकोर चुदाई की, और फिर मेरी छूट में ही झाड़ गये, और फिर फोन से अब मेरी छूट से निकलते पानी के साथ पूरी नंगी फोटो खींची. इस बीच मैं 2 बार झाड़ चुकी थी.

मैने बोला: ऐसे भी कोई अपनी बेहन को छोड़ता है क्या? मैं आपकी बेहन हू, प्रोफेशनल रंडी नही, की इस तरह छोड़ रहे हो.

भाई बोले: नही है तो बन जाएगी. प्रोफेशनल रंडी बना दूँगा तुझे आज.

अब भाई ने बोला: इसे चूस-चूस कर फिरसे खड़ा कर रंडी.

मैं भी अची रंडी की तरह भाई के लंड को चाटने लगी. अब मैं लंड चाट-ते हुए भाई की आँखों में आँखें डाल कर हस्स-हस्स कर एक पक्की रंडी की तरह लंड चूस रही थी.

थोड़ी देर बाद भाई झड़ने वाले थे, तो उन्होने मेरे मूह को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से मूह छोड़ने लगे. फिर थोड़ी देर में वो झाड़ गये. अब मैने उनका पूरा पानी पी लिया. फिर उन्होने मुझे बेड पे लिटा दिया, और अब हम 69 पोज़िशन में आ गये. भाई मेरी छूट चूस रहे थे, और मैं उनका लंड.

भाई ने एक उंगली डाली, और अपनी जीभ से ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगे. मैं भी उनका लंड ज़ोर-ज़ोर में मूह में लेने लगी. भाई ने बोला-

भाई: रंडी तेरी छूट तो साली ढीली ही नही पद रही. अभी भी वैसे की वैसी ही है.

मैं बोली: क्यूँ नही होगी, आपकी रंडी बेहन जो हू.

ये सुन के भाई ज़ोर-ज़ोर से छूट चाटने लगे. मैं थोड़ी ही देर में झाड़ गयी, और भाई ने मेरा सारा पानी पी लिया. अब वो मेरे बूब्स के साथ खेल रहे थे, और मैं सिसकियाँ भर रही थी. वो बूब्स को काट-काट के पूरा लाल बना चुके थे, और थोड़ी देर खेलने के बाद बोले-

भाई: चल बे रंडी साली, कुटिया बन जेया.

ऐसा बोलते ही मैं एक अची रंडी की तरह बेड पे घोड़ी बन के बैठ गयी. अब भाई का मॅन छूट नही गांद मारने का था. तो भाई आयेज बढ़े और ज़ोर से मेरी कमर पकड़ के मेरी गांद पे दोनो तरफ ज़ोर से छानते मारे.

मैं बोली: भाई दुख रहा है.

तो भाई ने दो और छानते लगा दिए और बोले: साली रंडी, दुख रहा है हा.

और फिरसे दो बार मारा और बोले: चल मदारचोड़, बोल की मेरे मलिक मेरी गांद फाड़ दो. मैं आपकी रंडी हू, रंडी बेहन हू.

और फिरसे भाई ने छानते मारे, और बोले: बोल बे साली.

मैं बोली: मलिक मेरी गांद फाड़ दो. मैं आपकी रंडी बेहन हू. आप मेरी गांद मार के मेरी चुदाई की भूख शांत कीजिए.

ये सुन के भाई ने मेरी गांद के च्छेद में अपना आधा लंड एक ही झटके में डाल दिया. अब मैं फिर से दर्द से कराह रही थी. पर भाई रुके नही, और दूसरे झटके में पुर लंड को गांद में डाल दिया.

मेरी गांद से अब खून निकल रहा था, पर भाई को कुछ फराक नही पड़ा, और भाई ने ज़ोर-ज़ोर के झटके स्टार्ट कर दिए. मैं फिरसे रो रही थी, और ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी-

मैं: अहह भाई धीरे, धीरे अहह दर्द आह दर्द हो रहा है, धीरे ह.

और भाई बोले: चुप बे रंडी.

और फिर और ज़ोर से छोड़ने लगे. थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, लेकिन दर्द तो अभी भी हो ही रहा था. पर चुदाई से मज़ा भी आ रहा था.

भाई थोड़ी ही देर में गांद में झाड़ गये, और फिर हम दोनो शांति से बेड पे लेट गये.

भाई बोले: क्या माल है तू बहनचोड़, मज़ा ही आ गया.

मैं बोली: आख़िर बेहन किसकी हू.

भाई ने हस्स कर मेरी तरफ देख कर मुझे किस किया, और फिर पूरी रात हमने 2 बार और चुदाई की. भाई ने आचे से मेरी छूट और गांद मारी. छूट मारते-मारते भाई बोल रहे थे-

भाई: साली रंडी, तेरी छूट तो अभी भी टाइट है साली. ढीली ही नही हो रही मदारचोड़. मज़ा आ रहा है अभी भी टाइट छूट को छोड़ कर.

ये सुन कर मैं मॅन ही मॅन मुस्कुरा रही थी. फिर 1 महीने तक जब तक बुआ वापस घर नही आई, तब तक भाई ने मुझे हर जगह छोड़ा, किचन में, बातरूम में, हॉल में. एक भी जगह नही छ्चोढी थी घर की, की जहा भाई ने मुझे छोड़ा ना हो.

आयेज बतौँगी की भाई ने दोस्तों के साथ मिल के मुझे कैसे चोदा.

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