भतीजे की चाची के साथ सुहाग रात की कहानी

अंजलि अपने मूह से आ आ आ आ करने लगी, और फिर थोड़ी ही देर में राजू का लंड खड़ा हो गया. फिर अंजलि के पीछे से उसने अपना लंड अंजलि की छूट में घुसा दिया और फिरसे घपा-घाप छोड़ने लगा.

अंजलि: ह आह आह ऑश उफ़फ्फ़ आह राजू ऐसे तो बहुत मज़ा आ रहा है. पूरा लंड तुम्हारा मेरी छूट की गहराई तक जेया रहा है. ऐसे ही छोड़ते रहो मुझे, और रुकना मत राजू. छोड़ते रहो आह ऑश उफ़फ्फ़ ऑश उफ़फ्फ़ आह आह ऑश उफ़फ्फ़.

राजू: चाची आप मेरी बीवी हो. आप जब बोलॉगी तब मैं तुमको छोड़ूँगा. क्यूंकी आपको खुश रखना मेरा फ़र्ज़ है, और आप सिर्फ़ मेरी हो, सिर्फ़ मेरी हो. और मैं सिर्फ़ आपका हू, सिर्फ़ आपका, और किसी का नही. आपकी छूट मेरे लंड की है, और मेरा लंड आपकी छूट का है, हमेशा के लिए, ज़िंदगी भर के लिए.

और फिर करीब 7 मिनिट के बाद राजू ने अपना लंड अंजलि की छूट से बाहर निकाल दिया, और सेक्स पोज़िशन चेंज की. नेक्स्ट पोज़िशन थी मिशनरी. इस पोज़िशन में अंजलि बेड पर सीधी अपने पावं फैला कर लेती थी, और उपर राजू चढ़ गया.

उसने अपना लंड सीधा अंजलि की छूट में घुसा दिया, और वैसे ही घपा-घाप चुदाई चालू कर दी. ऐसे अंजलि को बहुत मज़ा आ रहा था, तो उसने अपनी टांगे उपर कर दी राजू की कमर की तरफ.

उसने अपनी टांगे एक-दूसरे से फ़ससा दी, ताकि राजू का दबाव ज़्यादा हो, और लंड पूरा छूट के अंदर जाए, जिससे मज़ा और ज़्यादा आएगा. राजू भी अंजलि के दोनो हाथ पकड़ कर धक्के मारने लगा ताकि मज़ा और ज़्यादा आए दोनो को. और ऐसा ही हुआ. दोनो बड़े मज़े से एक-दूसरे का साथ दे रहे थे.

ऐसे ही करीब 20 से 25 मिनिट तक राजू ने अंजलि को छोड़ा, और फिरसे उसकी छूट के अंदर अपने पानी की पिचकारी छ्चोढ़ दी. फिर वो दोनो एक-दूसरे को कस्स के पकड़ कर सो गये.

नेक्स्ट सुबा सवेरे राजू और अंजलि बेड पर सोए हुए थे. दोनो की आँख खुली, और एक-दूसरे को गुड मॉर्निंग बोला. राजू फिरसे अंजलि को चूमने लगा. तभी डोरबेल बाजी, और आवाज़ आई-

आवाज़: आप तैयार होकर नीचे आ जाओ. आप दोनो से मिलने गेस्ट्स आए है.

तभी अंजलि ने जवाब दिया: थोड़ी देर में हम फ्रेश होकर आते है नीचे.

और फिर दोनो उठे, और बातरूम में चले गये नहाने. वो दोनो एक साथ बातरूम में जेया कर शवर के नीचे खड़े हो गये, और पानी चालू कर दिया. वैसे वो दोनो पहले से ही नंगे थे.

फिर एक-दूसरे को साबुन लगाया, राजू ने अंजलि को और अंजलि ने राजू को. दोनो बहुत खुश थे. दोनो एक-दूसरे से बहुत मस्ती कर रहे थे बातरूम में भी.

उन दोनो के जिस्म पर साबुन लगा हुआ था, तो एक-दूसरे को रग़ाद रहे थे. अंजलि फिरसे गरम हो गयी, और राजू का लंड भी खड़ा हो गया था. शवर चालू था, तो साबुन सारा निकल गया था. तभी अंजलि खड़ी हो गयी, और राजू उसकी टाँगों के बीच में गया, और अपनी जीभ से उसकी छूट को चाटने लगा.

अंजलि फिरसे मज़े से ह ह ऑश आह करने लगी. वो पागल सी हो रही थी, क्यूंकी राजू बहुत आचे तरीके से छूट चूस रहा था. और अंजलि को छूट चटवाना बहुत पसंद था.

अंजलि अब बहुत गरम हो चुकी थी. अब वो खुद को रोक नही पा रही थी. उसको अब अपनी छूट में राजू का लंड चाहिए था, इसलिए वो राजू को हटा कर खुद नीचे आ गयी, और राजू का लंड अपने हाथ में पकड़ कर अपने मूह में ले लिया.

वो एक कुलफी की तरह लंड चूसने लगी. पहले तो अंजलि अपनी जीभ राजू के लंड के टोपे पर घूमने लगी, और फिर जैसे-जैसे राजू का लंड बड़ा होने लगा, वैसे वो अपने मूह में लेकर चूसने लगी.

राजू भी बड़े मज़े से उसके मूह को छोड़ने लगा. मतलब खड़े-खड़े उसका सर अपने हाथो से पकड़ कर लंड से उसके मूह में धक्के मारने लगा. ऐसे दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर बातरूम की दीवार की तरफ अंजलि झुक गयी, और पीछे से राजू खड़े-खड़े उसकी छूट में लंड डाल कर उसको घपा-घाप छोड़ने लगा.

अंजलि: ह ह ह ह ऑश उफफफ्फ़ राजू तुम ऐसे ही मुझे छोड़ते रहो, बहुत मज़ा आ रहा है. और ज़ोर से झटके मारते रहो. राजू मुझे छोड़ो, अपनी बीवी को छोड़ो, और ज़ोर से छोड़ो ह ह ऑश उफफफ्फ़. बहुत मज़ा आ रहा है. राजू तुम्हारा लंड बहुत मस्त है. मुझे बहुत पसंद है तुम्हारा लंड. तुम हमेशा मुझे ऐसे ही छोड़ते रहना आहह.

राजू: हा चाची, मुझे भी आपके साथ बहुत मज़ा आता है. जब भी मैं आपकी छूट को देखता हू, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है.

करीब 10 मिनिट के बाद राजू ने अंजलि की छूट में अपने लंड की गरम-गरम पिचकारी छ्चोढ़ दी, और दोनो बातरूम में फ्रेश होकर बाहर आ गये कपड़े पहन कर. तब तक उनके लिए खाना भी आ गया था उनके बेडरूम में, और अब दोनो तैयार होकर खाने पर बैठ गये.

राजू: चाची आज तो मैं आपको अपने हाथो से खिलौँगा.

अंजलि: ठीक है मेरे प्यारे पति देव, आज तुम ही मुझे खाना खिलाओ.

और फिर राजू ने रोटी का एक टुकड़ा तोड़ कर सब्ज़ी में लेकर अंजलि को खिलाया. अंजलि को बहुत अछा लगा, और ऐसे ही अंजलि ने भी राजू को वैसे ही खाना खिलाया. मतलब वो पहली बार एक-दूसरे को प्यार से खाना खिला रहे थे, पति-पत्नी की तरह).

राजू: चाची मैं आप से एक बात कहना चाहता हू.

अंजलि: हा बोलो, अब तो तुम मेरे पति हो. तुम जो कहोगे मैं वही करूँगी.

राजू: चाची मैं आपसे बहुत प्यार करता हू, और आपके बिना एक पल जी नही सकता हू. आपके बिना मेरी ज़िंदगी कुछ भी नही है. आप मेरी ज़िंदगी हो. आप हो तो मैं हू, आप नही तो मैं भी नही.

अंजलि: मेरे बच्चे मुझे मालूम है मेरे पति, की तुम मुझसे कितना प्यार करते हो. लेकिन तुम कहना क्या चाहते हो, ये सब मुझे बता कर हा? बोलो, चुप क्यूँ हो गये?

राजू: कहना चाहता हू, हम जैसे भी मिले, हमारी शादी हू,ई और हम एक-दूसरे से बहुत खुश है. और एक-दूसरे से प्यार भी बहुत करते है. लेकिन मेरे दिल में ये बात बार-बार आ रही है, की मैं आप से पूचु, की अगर आपको आपकी उमर का कोई मिल गया, तो मुझे छ्चोढ़ कर तो नही जाओगी ना?

अंजलि: नही मेरे बच्चे, मैं तुम्हे छ्चोढ़ कर कभी नही जौंगी. तुम मुझे छ्चोढना चाहोगे, तब भी मैं तुम्हे छ्चोढ़ कर नही जौंगी.

राजू: ई लोवे योउ मी लव्ली चाची. मेरी प्यारी वाइफ, और मैं आपसे बहुत प्यार करता हू. मैं भी आपको कभी छ्चोढ़ कर नही जौंगा.

अंजलि: मुझे पता है, की तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो. और तुम्हे एक और बात बता डू. मैं अगर तुम्हें छ्चोढ़ कर जाना चाहती, तो मैं तुम्हारे पास आती ही नही. क्यूंकी तुमसे पहले मुझे टीन मर्द और मिल चुके है. तुम्हे भी पता है मैं चाहती तो उनके साथ खुश रहती. लेकिन मुझे तुमसे प्यार हुआ, इसलिए तुमसे शादी की मेरे प्यारे पति.

राजू: थॅंक योउ चाची. लेकिन मैं आपसे ये बात पूच सकता हू, की आप इस घर में कैसी और कब आई?

अंजलि: हा बिल्कुल, मैने कहा ना अब तुम मेरे पति हो, तो मुझसे सब कुछ पूच सकते हो. तो लो मैं तुम्हें बताती हू, की मैं इस घर में कैसे आई.

तो फ्रेंड्स अब आयेज की कहानी सुनते हैं अंजलि की ज़ुबानी, की कैसे वो इस घर में आई, और कितने टाइम के बाद राजू के साथ उसकी चुदाई शुरू हुई.

नाम अंजलि, आगे 21 साल, फिगर 38-30-38, हाइट 5’4″, वेट 62 क्ग, रंग गोरा (पुसी शेप बार्बी).

मेरे घर में मेरी मा और मेरा एक छ्होटा भाई था 15 साल का, जो अभी स्कूल में पढ़ रहा था. सारे घर का काम-काज सब मैं संभालती थी. मैं लोगों के घरो में जेया कर झाड़ू करके, और बर्तन धो कर अपने घर का गुज़ारा करती थी.

तकलीफ़ थी, फिर भी ठीक चल रहा था. फिर एक दिन मेरी सहेली ने मुझे कहा की कोई प्रीतम नाम का बड़ा सेठ आया हुआ था. उनका एक गेस्ट हाउस था. अगर मैं उधर काम पर लग जौंगी, तो मुझे आचे ख़ासे पैसे मिल सकते थे. इससे मेरी बहुत सारी तकलीफे डोर हो सकती थी.

मैने भी अपनी सहेली को हा बोल दिया, और एक दिन उसके साथ उस प्रीतम जी के घर उनके गेस्ट हाउस पहुँच गयी. उन्होने मेरी बहुत सारी हेल्प की. उन्होने पैसे भी दिए, और मुझे अपने गेस्ट हाउस में भी काम दे दिया. इससे मेरी सारी तकलीफे डोर हो गयी.

अब मैं बहुत खुश थी, क्यूंकी मेरा काम बहुत अछा था. मेरा भाई भी आचे स्कूल में पढ़ रहा था. मेरी मा की दवाई भी आचे से आ रही थी. और घर का रॅशन भी सब अछा चल रहा था.

ये सब प्रीतम जी के कारण हुआ था. उन्होने अपने गेस्ट हाउस में मुझे काम दे दिया था, जिससे मैं ये सब कर पाई, और वो बहुत आचे थे दिल के. वो महीने के 10-12 दिन के लिए गेस्ट हाउस आते थे. बाकी के दिन वो अपनी फॅमिली के पास रहते थे.

वो हमारे गाओं से काफ़ी डोर था, इसलिए अब पुर गेस्ट हाउस का काम-काज मेरे हाथ में था.

तो फ्रेंड्स इससे आयेज क्या हुआ, मैं इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट में तो बतौँगी.

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