हेलो फ्रेंड्स, मैं थोर आपके लिए लेज़्बीयन सेक्स स्टोरी लेके आया हू. उमीद है मेरी पिछली सेक्स कहानियाँ पढ़ कर आप लोगों को मज़ा आ रहा होगा. मेरी किसी भी कहानी को मिस ना करे. सारी कहानियाँ मैने बड़े दिल से लिखी है. ये कहानी सिक्किम से शीतल ने मुझे भेजी है. तो चलिए कहानी शुरू करते है शीतल की ज़ुबानी.
मेरा नाम शीतल है. मैं 30 साल की हू. मेरी शादी पिछले साल ही हुई है. मेरा रंग गोरा है, और शरीर आवरेज है, मतलब ना ज़्यादा मोटा, ना पतला. फिगर मेरा 34-28-34 है.
कॉलेज में जाते ही मुझे इस बात का पता चल गया था की मुझे लड़कों में इंटेरेस्ट नही है, और मैं एक लेज़्बीयन हू. लेकिन मैं ये बात किसी को बता नही सकती थी. क्यूंकी मेरे परिवार वाले ऐसी सोच वाले नही थे, जो मेरे लेज़्बीयन होने को आक्सेप्ट करे.
कॉलेज ख़तम करके मैं नौकरी करने लग गयी. मैने सरकारी नौकरी की परीक्षा पास की, और सरकारी जॉब पर लग गयी. अब मेरे घर में मेरी शादी की बात होने लगी, पर मैं हमेशा ताल-मटोल करके माना कर देती. इस तरह करते-करते मैं 29 साल की हो गयी. फिर आख़िरकार मेरी फॅमिली ने मुझे एमोशनल ब्लॅकमेल करके मेरी शादी करवा दी.
शादी के बाद मेरे पति ने मुझे पहली बार छोड़ा. उसको बहुत मज़ा आया, लेकिन मुझे नही आया. फिर भी हर रात मैं उसका बिस्तर गरम करती, और उसके माल को अपनी छूट में लेती. कुछ दिन ऐसे ही बात गये. फिर एक दिन मेरे पति की बड़ी बेहन कुछ दिन हमारे घर रहने आई. उनके साथ उनकी बेटी भी थी, जो 20 साल की थी. उसका नाम किंजल है.
किंजल बहुत गोरी थी, और भारी शरीर की थी. वो बहुत फ्रेंड्ली थी, और मुझसे बहुत बातें करती थी. मेरी बहुत तारीफ करती थी वो. वो अक्सर मुझे छूटी रहती थी. कभी मुझे हग कर लेती, और कभी गाल पर किस कर देती. लेकिन मुझे ये नही पता था की वो भी लेज़्बीयन थी. फिर एक दिन मुझे पता चल गया.
रात के वक़्त था, और मैं अपने कमरे में थी. तभी मेरे हज़्बेंड कमरे में आया, और मेरे पास आके मुझे प्यार करने लगे. उन्होने मुझे नंगा किया, और मुझे छोड़ने लगे. मुझे मज़ा तो नही आ रहा था, लेकिन उनको सुनने के लिए मैं आ आ कर रही थी.
तभी मेरी नज़र रूम की खिड़की की तरफ पड़ी. मैने देखा किंजल वहाँ पर खड़ी हमे देख रही थी. जब तक हमारी चुदाई चलती रही, वो हमे देखती रही. फिर जब चुदाई ख़तम हुई, तो वो चली गयी. चुदाई ख़तम होने के बाद मैं उसके रूम में गयी. वो अभी जाग रही थी. मैने उसको कहा-
मैं: किंजल तुम हमारे रूम के बाहर क्या कर रही थी. किसी के प्राइवेट मोमेंट्स को देखना बुरी बात है. और वो तुम्हारे मामा है. तुम ऐसे उनको नही देख सकती.
किंजल बोली: मामी मैं आपको देखने गयी थी, मामा को नही.
उसकी बात सुन कर मैं हैरान हो गयी. फिर मैं बोली: क्या मतलब?
किंजल: मामी मैं आपको बहुत पसंद करती हू. आपको देख कर नीचे कुछ होने लगता है. मेरा दिल करता है मैं आपको टच करू, किस करू.
मैं उसकी बात सुन कर समझ गयी की वो भी मेरी तरह लेज़्बीयन थी. फिर मैने उससे पूछा-
मैं: कहाँ टच करने को दिल करता है?
किंजल: हर जगह.
फिर मैं उसके पास गयी, और उसके हाथ को कपड़ों के उपर से अपने बूब पर रखती हुई बोली: यहाँ टच करने को दिल करता है?
किंजल: हा.
फिर वो मेरे बूब्स को दबाने लगी, और देखते ही देखते हम एक-दूसरे को किस करने लग गये. हम दोनो बेड पर साथ में लेट गये, और पागलों की तरह किस करते गये. मैं किस करते हुए उसके बूब्स दबा रही थी, और वो मेरे बूब्स दबा रही थी.
हम दोनो ने पाजामा और त-शर्ट पहनी हुई थी. फिर मैने अपनी त-शर्ट उतरी, और किंजल को अपने उपर ले लिया. मेरे होंठो पर किस करने के बाद वो मेरी गर्दन पर किस करने लगी. उसके बाद वो मेरी क्लीवेज पर आई, और उसको चाटने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मैं उसको अपनी आगोश में लेके अपने बूब्स में उसके मूह को दबा रही थी.
फिर मैने अपनी ब्रा उतार दी, और वो मेरे बूब्स पर टूट पड़ी. वो मेरे निपल्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पीने के लिए निपल चूस्टा है. कुछ देर तक बूब्स चुसवाने के बाद मैने उसकी त-शर्ट भी उतरवाई, और ब्रा भी उतरवा दी.
उसके बूब्स मेरे बूब्स से थोड़े बड़े थे. मैं उसके बूब्स पकड़ कर उनको दबाने लगी, और अपने मूह के पास खींच कर चूसने लगी. वो आ आ करने लगी, और नीचे से अपनी छूट मेरी छूट पर रगड़ने लगी. कुछ देर तक हमारी चूसाम-चुसाई ऐसे ही चलती रही.
फिर हम दोनो ने अपने पाजामे और पॅंटीस निकाल दी, और 69 पोज़िशन में एक-दूसरे के उपर आ गयी. अब हमारी छूट एक-दूसरे के सामने थी. मैने देखते ही उसकी छूट पर अपना मूह लगा दिया. उसने मेरी छूट पर अपना मूह लगा दिया.
मैं उसकी छूट के पुर एरिया को चाटने लगी, और उसकी जांघों को मसालने लगी. वो भी मुझे कॉपी करते हुए वैसा ही करने लगी. कुछ देर ऐसा ही करने के बाद मैं अपनी जीभ चूत में जितनी हो सके उतनी डाल कर अंदर-बाहर करने लगी.
उसकी छूट चाटने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और जब वो मेरी छूट में जीभ डालती, फिर तो जन्नत ही मिल जाती थी. कुछ देर जीभ से चुदाई के बाद मैं उसकी, और वो मेरी छूट के दाने को मसालने लगी. इससे हम दोनो बहुत उत्तेजित होने लगी, और हमारे जिस्म काँपने लग गये.
तकरीब 20 मिनिट ऐसे ही हम एक-दूसरे की चूत के साथ खेलते रहे, उसको प्यार करते रहे. फिर हम दोनो एक साथ एक-दूसरे के मूह में झाड़ गये. ये मेरी ज़िंदगी का पहला चरमसुख देने वाला ऑर्गॅज़म था. मुझे इतना मज़ा आया, की पूछो की मत. उसकी छूट का पानी मेरे लिए अमृत जैसा था.
पानी निकालने के बाद मैं कुछ देर उसके साथ लेती, बातें की, और फिर अपने रूम में आ गयी. हमारा सेक्स का रिश्ता अभी भी कायम है.