हेलो दोस्तों, अब तक आपने पढ़ा की मम्मी ने मुझे जल्दी घर बुला लिया था. फिर जब मैं घर पहुँचा तो पापा मम्मी की ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे. उसके बाद मैं और मम्मी बेज़ार चले गये थे. अब आयेज-
मैं और मम्मी स्कूटी लेके बेज़ार चले गये. बेज़ार जाके हमने मेरे लिए कपड़ों की शॉपिंग करी. मम्मी ने मुझे बोला की जॉकी के शोरुम चल, तो मैं मम्मी को जॉकी के शोरुम ले गया. मुझे लगा मम्मी को अंडरगार्मेंट्स लेने थे, पर मम्मी ने बॉक्सर दिखाने के लिए कहा 85सीयेम का. तो मुझे पता चला की वो मेरे लिए बॉक्सर ले रही थी. क्यूंकी पापा का साइज़ तो 90सीयेम था.
मैने मम्मी को बोला: मम्मी मैं तो बॉक्सर पहनता ही नही हू. नॉर्मल अंडरवेर पहनता हू.
तो मम्मी ने बोला: हा मुझे पता है. तभी तो बॉक्सर दिला रही हू.
उसके बाद हमने केक वग़ैरा लिया, और घर के लिए निकल गये.
मैं: मम्मी आपने बॉक्सर क्यूँ लिया जब पता है की मैं कभी नही पहनता?
मम्मी: तू रात को बिना अंडरवेर पहन के सोता है, तो ले लिया.
मैं: लेकिन बॉक्सर पहनने से क्या होगा?
मम्मी: और तू अब छ्होटा बच्चा नही है. तेरी बड़ी बेहन भी तेरे साथ सोती है. (मैं तो एक-दूं शॉक हो गया की मम्मी को ये सब कैसे पता)
मैं (दर्र से): सॉरी मम्मी, आयेज से नही सौंगा ऐसे. पर बॉक्सर की क्या ज़रूरत है? अंडरवेर ही पहन लेता.
मम्मी: कब तक अंडरवेर पहन के सोएगा, कंफर्टबल नही होता है मुझे पता है. बॉक्सर पहनेगा तो लूस-लूस रहेगा, और प्राइवेट पार्ट भी सही रहेगा.
मुझे अब मम्मी की बातों में मज़ा आने लगा था, और मैं और बात करना चाहता था.
मैं: हा अनकंफर्टबल तो लगता है, पर प्राइवेट पार्ट सही कैसे रहेगा?
मम्मी: वो तो बस ऐसे ही.
मैं: बताओ ना कैसे रहेगा? मुझे भी तो पता चले. मैं भी ध्यान रखूँगा.
मम्मी: अर्रे जो लड़कों का प्राइवेट पार्ट होता है ना, टाइट अंडरवेर में वो टेढ़ा हो जाता है, और हवा भी नही लगती, तो पसीना आने से बीमारी भी लग जाती है.
मैं (आसचर्या करते हुए): क्या?! टेढ़ा हो जाता है? सच में? ऐसे-कैसे होगा, अंडरवेर से ये थोड़ी होता है.
मम्मी: अर्रे होता है, जब प्राइवेट पार्ट हार्ड होता है ना, तब वो टेढ़ा जाता है. तो उसी से पर्मनेंट टेढ़ा हो जाता है. इसलिए लूस पहन के सोना चाहिए.
ऐसे ही बातें करते-करते हम घर पहुँच गये, और दीदी भी घर आ चुकी थी. हम दोनो के फेस पे अपने आप स्माइल आ गयी. जो हम दोनो के बीच चल रहा था उसे देख के यही लग रहा था की आज रात मेरा लंड दीदी की छूट में ही सोएगा. रात को हमने केक काटा और खाना ऑर्डर करके खाया.
पापा को रात को खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत है, तो वो बाहर चले गये. मम्मी बर्तन सॉफ कर रही थी, और दीदी अपने कॉलेज का काम कर रही थी. मैं रूम में जाके अंडरवेर निकाल के बॉक्सर पहन लिया और मम्मी को दिखाने चला गया. पापा भी नही थे, तो यही सही मौका था मम्मी से बात कंटिन्यू करने का.
मम्मी ने मेरा बॉक्सर देखा तो मुझे अछा लगने लगा, जैसे वो मेरे बॉक्सर से लंड का साइज़ नाप रही हो. यही सोच के मेरा लंड खड़ा हो गया. मम्मी की नज़रों के सामने ही मेरे बॉक्सर में टेंट बन गया, और मेरा लंड बॉक्सर से सॉफ दिख रहा था. मम्मी मेरे लंड को देखे जेया रही थी. वो शरम से बिल्कुल लाल हो गयी थी.
मैने मम्मी को सॉरी बोला, और लंड हाथ से च्छूपा कर बाहर आने लगा. दीदी बाहर से ही ये सब देख रही थी. दीदी को मम्मी का मेरे लंड को ऐसे देखना तोड़ा अजीब लगा. पर फिर उन्होने इग्नोर कर दिया मम्मी सोच के. मैं दीदी का हाथ पकड़ के रूम में ले गया. रूम में जाते ही दीदी ने मेरे लंड को देखा.
दीदी: तेरे लंड को किसकी याद आ गयी जो ये खड़ा हो गया. कही ये मम्मी की वजह से तो नही खड़ा ना?
मैं (अब दीदी को सच तो नही बता सकता था): नही दीदी, कैसी बात कर रही हो? मम्मी है वो. ये तो आपकी वजह से खड़ा है.
दीदी: अछा, पहले मम्मी पापा तो सो जाए, तब तक इसको शांत रख.
रात को 11 बजे के करीब मम्मी-पापा सो गये, और दीदी भी सो गयी. मैं तो सोच रहा था आज दीदी की चुदाई करने का मौका मिलेगा. नेरा लंड खड़ा था, और छूट छाईए थी. अब रहा नही जेया रहा था. सुबा-सुबा दीदी ने चूस के खड़ा कर दिया. फिर दोपहर में टानू ने चूस के खड़ा कर दिया, और अब रात को मम्मी ने खड़ा कर दिया. अब मुझसे और नही रहा जेया रहा था.
दीदी दूसरी तरफ फेस करके सो रही थी. मैने सोचा दीदी की चुदाई ना सही कम से कम देख के ही मूठ मार लेता हू.
मैने दीदी को बोला: दीदी पनटी निकाल दो ना, मुझे छूट देखनी है.
दीदी नींद में थी और उसने माना कर दिया. फिर मैने अपना बॉक्सर निकाला, और दीदी के पीछे लेट के अपना लंड गांद के बीच रगड़ने लगा. मुझे अछा लग रहा था, पर फील नही आ रही थी. तो मैने सोचा मैं ही दीदी की पनटी निकाल देता हू.
मैने दीदी की गांद को उपर उठाया और पनटी निकाल दी. दीदी नींद में थी तो उन्होने कुछ नही बोला, बस चुप-छाप पनटी निकालने दी. अब मैने अपना लंड दीदी के गांद के बीच घुसा दिया और आयेज-पीछे होने लगा. मेरा लंड दीदी की गांद के बीच से होता हुआ दीदी की छूट पे टच हो रहा था. दीदी की छूट की गर्मी मुझे हल्की-हल्की अपने लंड की टिप पे फील हो रही थी.
अब मुझे पूरी फील आ रही थी, और मैं और जोश में आता जेया रहा था. मैने दीदी की ब्रा बूब्स से उपर कर दी, और पीछे से ही ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा. दीदी बस नींद में इस सब का मज़ा ले रही थी. मैने दीदी को कमर की साइड सीधा लिटा दिया, और पैर खोल दिए. पैर खोल के दीदी की छूट पे अपने होंठ मिला दिए.
दीदी की छूट से गरम पानी निकल रहा था. वो गरम हो चुकी थी, और मेरी जीभ से अपनी छूट छुड़वा रही थी. मैने 10 मिनिट तक दीदी की पूरी छूट को आचे से छाता और पानी पिया. अब मैने देर ना करते हुए दीदी की छूट में 2 उंगलियाँ डाल दी. तभी दीदी की नींद में ही एक हल्की और प्यारी सी आ निकल गयी.
दीदी अभी भी सो ही रही थी, पर मैं तो हवस में पागल सा हो चुका था. मुझे तो दीदी का नंगा बदन मेरे सामने दिख रहा था. अब मुझसे रहा नही जेया रहा था. मुझे छूट में लंड डालना था, पर समझ नही आ रहा था की दीदी सो रही थी, और डालने देंगी की नही.
मैने दीदी की छूट पे अपना लंड रखा, और दोनो लिप्स के बीच में लंड रब करने लगा. धीरे-धीरे अब मेरी कमर भी हिलने लगी थी. अब मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड को दीदी की छूट के होंठो के बीच रग़ाद रहा था. दीदी भी इस मीठे एहसास का आनंद ले रही थी. तभी दीदी ने मेरी गांद पे हाथ रखा, और मुझे अपने तरफ खींच लिया.
मेरे लंड का टिप सीधा छूट के होंठो को साइड करते हुए चीरता हुआ अंदर चला गया. दीदी ने ज़ोर की एक लंबी साँस ली, और आँखें खोली. उसके चेहरे पे बड़ी सी मुस्कान थी. दीदी सोने का नाटक कर रही थी. मैने भी अपना दूं लगते हुए एक और झटके में आधा लंड छूट में डाल दिया. मेरे लंड की स्किन पूरी पीछे की और खिच सी गयी. दीदी ने मुझे अपने उपर खींचा और कहा-
दीदी: आराम से कर.
उसकी छूट बहुत गरम और गीली हो चुकी थी. दीदी वर्जिन नही थी, पर छूट थोड़ी-थोड़ी टाइट फील हो रही थी. मैने दीदी को किस किया, और धक्के मारने शुरू करे. 10-15 झटकों में ही दीदी की छूट तोड़ा खुलने लगी. अब मेरा लंड और अंदर तक जेया रहा था. दीदी ने अपने दोनो पैर हवा में उठा लिए, ताकि लंड और अंदर तक जेया सके.
मैने झटके मारे तो मेरे टेस्ट्स दीदी की छूट को चू रहे थे. हर झटके के साथ लंड बिल्कुल छूट की गहराई को नाप रहा था. मेरा लंड दीदी की गीली छूट के कारण एक-दूं चिकना हो गया था. लगातार 10 मिनिट की चुदाई के बाद दीदी ने मुझे नीचे लेता दिया, और खुद मेरे उपर आ गयी.
दीदी ने मेरा लंड अपनी छूट पे सेट किया और पुर वज़न के साथ उसमे बैठ गयी. वो उछाल-उछाल के लंड को छोड़ रही थी, और अपने बूब्स दबा रही थी, और अपने नाख़ून मेरी छाती पे चुबा रही थी. उछाल-उछाल के दीदी के पैर दुखने लगे थे, पर फिर भी दीदी रुक नही रही थी. भाई का लंड पकड़ कर वो पागल सी हो गयी थी.
मैने दीदी को उपर हटाया, और बेड के किनारे पर कुटिया बना दिया. मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया, और दीदी की छूट में लंड पेल दिया. मैं दीदी को 15 मिनिट से छोड़ रहा था. अब मैं कभी भी झाड़ सकता था, तो मैने दीदी की हार्ड रफ चुदाई स्टार्ट कर दी. मैने अपने धक्को की स्पीड तेज़ कर दी, और दीदी की कमर पकड़ के ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा.
दीदी को तेज़ झटकों में ज़्यादा मज़ा आ रहा था, जिससे दीदी की आवाज़ निकल रही थी, पर दीदी कंट्रोल कर रही थी. दीदी ने अपने हाथ से अपना मूह दबा लिया, तो मैने फुल स्पीड में छोड़ना शुरू कर दिया. तभी दीदी झाड़ गयी और पानी छ्चोढ़ दिया.
दीदी की छूट से सफेद पानी निकल रहा था, और छूट बिल्कुल ढीली हो गयी थी. रूम में चुदाई की आवाज़ आने लगी. मेरा लंड अब पानी छ्चोढने को तैयार था. अगले ही पल मैं दीदी की छूट में झाड़ गया. मेरी और दीदी की साँसे बहुत तेज़ चल रही थी. सर्दी में नंगे होके भी हमे गर्मी लग रही थी. मैं और दीदी दोनो नंगे ही एक-दूसरे की बाहों में सो गये.
मैं: ई लोवे योउ दीदी.
दीदी: ई लोवे योउ टू राहुल.
मैं: आज का दिन बहुत अछा था. तीस इस थे बेस्ट गिफ्ट एवर.
दीदी: मुझे पता है तू मुझसे प्यार करता है. मैं भी तुझसे कब प्यार करने लगी पता ही नही चला.
मैं: हा दीदी, मुझे भी. पर आप सोने का क्यूँ नाटक कर रही थी.
दीदी: मैं बस चाहती थी की तू खुद मेरी चुदाई करे. पर तू दर्र रहा था. तो मैने सोचा सोने का नाटक करती हू, ताकि तू कुछ करे.
मैं: हा दीदी अपनी बेहन को छोड़ने में दर्र तो लगता ही है. आपको नही पता कितनी गांद फट-ती है पर अब आप देखना मैं आपको रोज़ छोड़ा करूँगा.
फिर मैं और दीदी दोनो सो गये, और आयेज दिन से हमारा रिश्ता पूरी तरह से बदल गया. आयेज मेरे और दीदी और मेरे और मम्मी की बीच क्या हुआ, आयेज के पार्ट्स में ज़रूर पढ़े. कॉमेंट सेक्षन अपना फीडबॅक ज़रूर दे. आपके कॉमेंट से मुझे स्टोरी करने में और ज़्यादा मज़ा आता है.