भाई ने देखी अपने दोस्त के साथ अपनी बहन की रासलीला

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा होगा कि गज्जू और काव्या दोनों एक-दूसरे के लिए कैसे तड़प रहे थे। आगे की कहानी अब शुरू करते हैं।

उस दिन शनिवार था, तो कालेज से उस दिन काव्या जल्दी छूट गयी, और मैं उस दिन उसके कालेज के तरफ ही गया हुआ था। तो मैंने देखा कि गज्जू काव्या को आटो पर बैठाया और चल दिया। मैंने भी उनका पीछा किया। मैंने देखा कि जब सुनसान वाली जगह आई तो गज्जू ने आटो खेत-खलिहान वाले रास्ते की तरफ मोड़ दिया।

तो मैंने भी कुछ दूरी पर रह कर उनका पीछा किया। फिर अचानक से गज्जू ने उस खंडहर वाले घर के पास आटो रोक दिया। तो मैं भी गाड़ी किनारे करके छुप गया। फिर गज्जू ने इधर-उधर देखा और जब कोई नहीं दिखा तो आटो को खंडहर के पीछे ले जाकर खड़ा कर दिया, जिससे गाड़ी दिखे ना।

फिर गज्जू और काव्या दोनों आटो से उतरे और खंडहर में बने उस रूम की तरफ दोनों गए जहां पर गज्जू अक्सर लड़कियां लाकर चोदता था। मैं समझ गया कि आज इनकी चुदाई फिक्स थी। पर मुझे पता था कि गज्जू ने पहले ही चोद दिया था काव्या को। तो मैंने सोचा कि जब दोनों की मर्जी है तो क्यूं बीच में रोड़ा बनना, और मैं चुप-चाप एक जगह खड़ा होकर देखने लगा।

मैंने देखा कि काव्या ने पिंक कलर की वही साड़ी पहनी थी जो कालेज की ड्रेस थी। गज्जू तुरन्त काव्या को पीछे से पकड़ लिया।

गज्जू ने काव्या को अपनी आगोश में ले लिया, और पीछे ही खड़े होकर ही काव्या की चूचियों को ब्लाऊज के ऊपर से ही मसलने लगा। फिर ज्यादा मजा लेने के लिए गज्जू ने काव्या की कमर को पीछे से पकड़ लिया, और फिर उसे थोड़ा झुका दिया।

अब वो उसकी जवानी के साथ खेलने लगा। वो काव्या के जिस्म का जायजा साड़ी के ऊपर से ही ले रहा था, और बार-बार बोल रहा था, “तू कमाल की माल है, कल तो मैंने जायजा लिया ही नहीं था, बस हचाक से पेल ही दिया था। पर असली मजा तो तेरे जिस्म के साथ खेलने में है”।

ऐसा कहते हुए गज्जू अपने हाथों को काव्या की कमरे से छूता हुआ काव्या की चूचियों तक ले आया, और जोर से दबा कर मसलने लगा, काव्या की चीख निकल गयी।

गज्जू आज पूरे मजे ले रहा था, और कुछ देर में ही गज्जू काव्या की साड़ी के पल्लू को पकड़ कर खींचने लगा। कुछ देर में ही काव्या की साड़ी निकल गयी, और अब काव्या ब्लाउज और जींस में थी, क्यूंकि वो पेटीकोट के जगह पर जींस पहनती थी। गज्जू काव्या को जींस में देख पागल सा होने लगा, क्यूंकि जींस में काव्या की गांड की चौड़ाई और उभार का पता चल रहा था। जिसे देख गज्जू अपना आपा खो रहा था।

फिर उसने काव्या की गांड पर दो चमाट लगाये, और अपनी तरफ खींच कर कस कर जकड़ लिया, और अपने होठों को काव्या के होठों पर रख दिया। गज्जू ने काव्या को लिप-लाॅक कर दिया था। उस वक्त काव्या के रसीले होंठ गज्जू के होठों को अपना रस पिला रहे थे और गज्जू उसका पूरा लुत्फ उठा रहा था। अपने हाथों से वो कभी काव्या के बालों को सहलाए, तो कभी कमर पर हाथ डाले, तो कभी पीठ को सहलाए, तो कभी गांड को पकड़ कर दबा देता।

काव्या उत्तेजित होती जा रही थी, और वो गज्जू को अपनी इज्जत नीलाम कर रही थी।‌ वो जोर-जोर से बोल रही थी-

काव्या: गज्जू मेरे राजा, खुला है मेरे दिल का दरवाजा। तू अपनी बंदूक जैसे लंड को लेकर मेरी चूत में समा जा। आ जा मेरे राजा, खोल दे दरवाजा।

गज्जू: आ रहा मेरी रानी, खोलूंगा तेरी मच्छरदानी। लंड से मैं अपने चोदूंगा तेरी जवानी, हां मेरो रानी फाड़ूंगा तेरी बच्चेदानी।

इतना कहते ही दोनों एक-दम मस्त हो गए और एक-दूसरे को फिर से चूमने लगे। तभी गज्जू ने काव्या के ब्लाउज के बटन खोल दिए और ब्रा का हुक भी खोल कर दोनों एक साथ निकाल कर फेंक दिया। तुरन्त काव्या के 34” की साइज की गोरी गोरी मलाई से भरपूर हल्की गुलाबी निप्पल वाली चूचियां बाहर आजाद होकर झूमने लगी। दोनों चूचियां आपस में टकरा-टकरा कर एक-दूसरे को मजा दे रही थी।

गज्जू ने ये नजारा देख वो काव्या को अपने सीने से इस कद्र लगा लिया, कि काव्या की चूचियां गज्जू के सीने से दब कर गज्जू को आराम देने लगी, और गज्जू पूरे मजे ले रहा था। कुछ देर काव्या को गले से लगा कर उसके होठों को चूमा, और अब गज्जू आगे बढ़ने लगा। वो तुरन्त काव्या की एक चूची को मुंह में भर लिया और दूसरी चूची को हाथ में पकड़ लिया।

काव्या की चूचियां बड़ी होने के कारण गज्जू अपने हाथों से काव्या की चूचियों को अच्छे से पकड़ने में असमर्थ था। लेकिन फिर भी वो चूचियों को मसल-मसल कर मजे ले रहा था। वो काव्या की चूचियों को चूसते हुए बार-बार यही बोल रहा था कि, “जब से मैं तुम्हे देखा हूं, तब से तुम्हारी चूचियों को चूसना चाहता था, और तुम्हारी गदराई जवानी को देख मैंने तभी सोच लिया था कि एक दिन तुम्हे अपने लंड की रानी बना कर चोदूंगा। और देखो आज वो मलाई वाली चूचियां मेरे मुंह में है”। और फिर चूचियों को चूसने लगा।

फिर दांत से हल्का काट लिया, तो काव्या आवाज निकालती हुई रोने लगी, और जब वो काव्या की चूचियों को मुंह से बाहर निकाला, तो गज्जू के दांत के निशान काव्या की चूचियों पर आ गए थे।

काव्या बिलख रही थी, पर गज्जू ने तुरन्त दूसरी चूची को चूसना शुरू किया, और करीब पांच मिनट चूसने के बाद फिर से दांत काट लिया। तो काव्या आहहहहह अइईई मादरचोद काटा क्यूं करते हुए चिल्लाने लगी। तभी गज्जू ने मौके का फायदा उठाते हुए काव्या को चुप कराने के लिए काव्या के होठों पर अपने होंठ रख दिये, और चूमने लगा।

फिर कुछ देर में दर्द कम होने पर काव्या भी उसका साथ देने लगी। आखिर आग तो गज्जू ने कल ही लगा दी थी, तो बिना प्यास बुझे कहां आग बुझने वाली थी। गज्जू काव्या की चूची को काटने लगा। चूचों को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा। काव्या इस उत्तेजना भरे माहौल में कभी गज्जू को गर्दन पर किस करती, तो कभी कंधे पर।

उस वक़्त उन दोनों में क्या केमिस्ट्री चल रही थी। उन दोनों को किसी बात का अहसास नहीं था कि मैं उन दोनों को देख रहा था। वो दोनों दो जिस्म एक जान होने की कोशिश कर रहे थे। फिर कुछ देर में ही काव्या की सिसकारियां निकलने लगी, और वो बोली, “अब मत तड़पाओ, अब देर ना करो प्लीज”। और तभी गज्जू उठा और इधर-उधर देखने लगा कि कोई आ तो नहीं रहा।

फिर वो बाहर आया तो मैं पेड़ के पीछे छुप गया और इधर-उधर देखा तो कोई नहीं आ रहा था। तो वो सोचा कि अब चोद देते हैं पर लौटते वक्त शायद उसने मुझे देख लिया था कि मैं छुप कर खड़ा था। वो समझ गया था कि मैं कुछ नहीं बोलूंगा, तो वो तुरन्त अन्दर गया। फिर गज्जू ने काव्या से बोला, “आज से तू मेरी रंडी बन कर रहेगी”।

फिर काव्या बोली कि, “बातें ज्यादा बनाते हो, कब से बोल रही कि अब डाल दो, पर तुम हो कि सुनते ही नहीं,”। तभी गज्जू बोला कि, “अगर तेरा भाई जान गया कि हम दोनों का शारीरिक सम्बन्ध है, तो वो तो जीने नहीं देगा मुझे”। काव्या बोली, “उन्हें मैं देख लूंगी, पर पहले तुम चोदो यार, बातें ज्यादा करते हो”।

तो गज्जू बोला, “रूक जा मेरी रंडी, अभी खेलूंगा तेरे साथ कबड्डी। पहले अपनी चूत तो दिखा दे, और पहले मेरे लंड को तो तू खा ले”। फिर काव्या ने अपना हाथ नीचे करके गज्जू के लोअर को नीचे कर दिया, और गज्जू आंखें बन्द करके काव्या के होंठों की मधुशाला को पीता रहा।

फिर गज्जू भी काव्या की पीठ से हाथ फेरते हुए काव्या की जीन्स को नीचे सरकाने लगा, और जब गज्जू काव्या के जीन्स को उतारने लगा।

वो मुझे सुनाने के लिए जोर-जोर से बोलने लगा कि, “यार काव्या, मेरी रंडी, तेरी ये गोरी-गोरी टांगे, मांसल जांघे, और गठीले बदन को देख कर मेरा मन करता है कि दिन रात तुम्हे चोदूं, और चोदता ही रहूं”। और फिर अपनी टांगों के बीच काव्या को बैठा लिया।

अब काव्या को इस पोजीशन में गज्जू के लंड का एहसास होने लगा, और गज्जू भी काव्या की चूचियों और जवानी से खेल रहा था। काव्या गज्जू का भरपूर साथ दे रही थीं।

ना गज्जू ने पूरी तरह से, ना ही काव्या ने उसके जिस्म का अच्छे से दीदार किया था। बस एक दफा ही दोनों ने कल शाम को अपनी हदों को पार करके दोनों के जिस्म का रसपान किया था। इस वजह से दोनों को एक-दूसरे में समाने की जल्दी मची थी।

फिर अचानक से गज्जू ने अपना अंडर वियर नीचे किया, और काव्या के सामने अपने लंड को रख दिया और चूसने को बोला-,

काव्या बोली: कि नहीं, गंदा है। अभी जीभ कैसे लगाऊं? मैं नहीं चाटूंगी।

गज्जू: उससे क्या? मैं अभी तुमको तुम्हारा चूत चाट कर दिखाता हूं।

फिर बहुत कहने पर काव्या ने गज्जू का लंड पकड़ा, और घुटने के बल बैठ कर लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। अचानक अपने आप गज्जू की आंखें बंद हो गईं, और काव्या ने जब गज्जू के लंड का टोपा पलट कर लंड चूसना शुरू किया, तो गज्जू मजे में झूमने लगा। पर उसे डर था कि अभी झड़ जाएगा तो वो काव्या को रोक दिया। अब गज्जू का आठ इंच लम्बा लंड एक-दम तैयार खड़ा था। पर काव्या को लंड चूसने में मजा आने लगा, और वो फिर नहीं मानी तो फिर से गज्जू लेट गया, और फिर काव्या लंड चूसने लगी।

पता नहीं काव्या में क्या जादू था? काव्या मुंह से नहीं, जीभ से लंड चाट रही थी, और फिर गज्जू झड़ने को हुआ तो वो काव्या को उल्टा लिटा दिया और जोर-जोर से मुंह चोदने लगा, और तुरन्त मुंह में झड़ गया। फिर गज्जू ने भी उसकी गुलाबी चूत पर अपना मुंह रख दिया, और चूत के दाने को चाटने लगा। कुछ देर चाटने के बाद काव्या को भी चूत चटवाने में मजा आने लगा, और वो भीनी-भीनी सी हल्की-हल्की सिसकारियां लगाने लगी।

धीरे-धीरे उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। और उसकी आवाजें “उहहह आआहहह वाव ओह बेबी वाह आआहह उउउहह फक मी फक मी ओह बेबी उफ्फफ्फ ओह माय गाड प्लीज अब डाल दो ना प्लीज” आनी शुरू हुई।

गज्जू अब समझ गया कि लोहा गर्म था, अब हथौड़ा मार देना चाहिए।

इसके आगे की कहानी, अगले भाग में।

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