भाई ने बहन के नाम का पानी निकाला

हेलो दोस्तों काफ़ी दीनो बाद इस कहानी का अगला पार्ट लिख रहा हू. मैं अपनी पढ़ाई में बिज़ी हू, पर टाइम-टाइम पे आपके लिए स्टोरी लिखता रहूँगा. पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे मैने अपनी सग़ी बेहन को नंगा देखा और उसके बाद हम दोनो एक-दूसरे से शर्मा रहे थे, और नज़रे नही मिला पा रहे थे.

हम दोनो कॉलेज के लिए तैयार होके डाइनिंग टेबल पर मिलते है. पर हम दोनो एक-दूसरे से बिल्कुल बात नही कर रहे थे. मैं मनु दीदी से बहुत ज़्यादा प्यार करता था ( जो प्यार एक भाई अपनी सग़ी बेहन से करता है). उनसे डोर नही रह सकता था मैं, और ना ही दीदी मुझसे डोर रह सकती थी.

दीदी से बिना बात किए मैं एक दिन नही रह सकता हू. मुझे काफ़ी बुरा लग रहा था, और खुद पे गुस्सा भी आ रहा था की ये मैने क्या कर दिया.

ब्रेकफास्ट करके हम दोनो स्कूटी से कॉलेज चले गये. पहली बार ऐसा हुआ की हमने कॉलेज जाते हुए बात नही की हो. मुझे लगा की दीदी अब मुझसे बात नही करना चाहती थी, तो मैं घर जल्दी आ गया. घर आते ही मैं रूम में जाके सो गया.

फिर करीब 4 बजे दीदी घर आई तो उन्होने देखा की मैं सो रहा था. शाम को मैं बाहर घूमने चला जाता हू, ताकि दीदी की सामने ना अओ. रात को डिन्नर के टाइम हम मिलते है, और डिन्नर करने लगते है. हम दोनो को चुप-चुप देख के मम्मी पापा पूछते है-

पापा: क्या हुआ आज तुम दोनो को? इतना चुप-चुप क्यूँ बैठे हो?

दीदी: कुछ नही हुआ पापा मुझे तो, राहुल को ही हुआ है शायद.

पापा: क्यूँ राहुल, क्या हुआ?

मैं: ऐसे ही पापा, तोड़ा सर दर्द कर रहा है.

मम्मी: कोई नही बेटा, खाना खा के जल्दी सो जाना.

डिन्नर करके सब अपने-अपने रूम्स में चले गये. दीदी और मैं एक ही रूम में और एक ही बेड पे सोए हुए थे. आज पूरा दिन दीदी से बात नही हुई, तो मैं काफ़ी उदास हो गया था. दीदी भी मेरे को ऐसे नही देख पा रही थी, तो दीदी ने चुप्पी तोड़ी.

दीदी: तूने ठीक से डिन्नर क्यूँ नही किया? और ना ही सुबह से कुछ बोल रहा है?

मैं दीदी की बात का कोई रिप्लाइ नही करता, और दूसरी तरफ फेस करके लेट जाता हू.

दीदी: राहुल मैं कुछ पूच रही हू. डिन्नर क्यूँ नही किया?

मैं फिरसे कोई रिप्लाइ नही देता हू. दीदी मेरा फेस अपने साइड करती है, और मेरी आँखों में देखती है. तभी मैं बहुत एमोशनल हो जाता हू, और दीदी को हग कर लेता हू, और रोने लगता हू.

मैं: दीदी ई’म सॉरी, मुझसे ग़लती हो गयी. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. मेरा कोई ग़लत इरादा नही था आपको लेके. मैं आपसे बहुत प्यार करता हू.

दीदी: राहुल तेरी कोई ग़लती नही थी. मेरा ही ध्यान नही था, और गाते खुला छ्चोढ़ दिया.

मैं: फिर भी दीदी, मुझे गाते नही खोलना चाहिए था.

दीदी: हा मानती हू की तुझे गाते नही खोलना चाहिए था, पर कोई बात नही. मैने माफ़ कर दिया तुझे.

मैं: थॅंक योउ दीदी.

दीदी मुझे हग करती है और मेरे गाल पर किस कर लेती है. दीदी ने पहली बार मुझे किस किया था, और दीदी के किस करते ही मेरे शरीर में अजीब सा करेंट दौड़ने लगा. मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा.

मैं मेरे लोवर में बना टेंट च्छुपाने की कोशिश करता हू, पर दीदी को पता चल जाता है. उनकी नज़र मेरे लोवर पर पड़ती है, और मुझे नकली गुस्सा दिखाते हुए मुझसे पूछती है-

दीदी: ये क्या है, तू अपनी दीदी के बारे में ये सब सोचता है?

मैं: नही दीदी, मैं आपके बारे में ग़लत नही सोचता. ये पता नही कैसे हो गया.

दीदी: पता तो तुझे सब है. सुबह भी जब तूने मुझे बिना कपड़ों के देखा था, तब भी तेरा (चुप हो जाती है).

ये सुन्न के मैं भी तोड़ा नॉर्मल और ओपन होता हू दीदी के साथ.

मैं: वो दीदी आपको नंगे देख के अपने आप हो गया. अब मेरे कंट्रोल में थोड़ी है. ये अपनी मर्ज़ी से खड़ा होता है, और बैठ जाता है.

दीदी: सब समझ रही हू मेरे बूब्स और बट्स देख के तुझे अछा लग रहा था.

मैं: दीदी यार मुझे नही पता उस टाइम मुझे क्या हुआ. आप इतनी सुंदर हो की मेरा (चुप हो जाता हू), पर बुरा भी लगा बाद में.

दीदी: अछा बेटा तुझे मैं अब सुंदर दिखने लगी हू. रुक तेरी तो शिकायत करनी पड़ेगी मम्मी पापा को.

मैं: दीदी अब छ्चोढो ना, हो गया अब, सॉरी ना.

दीदी: बेहन हू मैं तेरी, गर्लफ्रेंड नही हू. अपनी गर्लफ्रेंड को देखना जैसे देखना है.

मैं: नही दीदी, अब तो बहुत महीनो से सिंगल हू. कोई ढंग की लड़की नही मिल रही.

दीदी: हा तभी तेरा ये हाल हो रहा (मेरे लंड की और इशारा करते हुए और हासणे लगी).

मैं: दीदी आप भी ना, क्यूँ परेशन कर रही हो?

फिर दीदी ने मुझे गाल में किस किया, और गुड नाइट बोल के सो गयी. पर मेरा लंड अभी भी बिल्कुल खड़ा था, और मुझे नींद नही आ रही थी. मेरे उपर हवस चढ़ने लगी थी, और मुझे बस अब किसी की छूट छोड़ने का मॅन कर रहा था.

साइड में दीदी दूसरी तरफ फेस करके लेती हुई थी, और मुझे सुबह जो दीदी को नंगा देखा वो दिमाग़ में आने लगा. दीदी की बूब्स मैं इमॅजिन कर सकता था. हवस इतनी चढ़ चुकी थी, मैं वही दीदी की साइड में लेट के अपने बॉक्सर में हाथ डाल के लंड सहलाने लगा.

अब मुझे पहली बार दीदी की लिए ग़लत ख़याल आया. पर उसको छोड़ने के बारे में मैने अभी भी नही सोचा था. मुझे लगा दीदी सो गयी थी, तो मैं लंड बाहर निकाल के और बिना आवाज़ किए लंड हिलने लगा. 5 मिनिट तक लंड हिलने के बाद मेरा पानी निकालने वाला था. मेरी साँसे भी तेज़ हो चुकी थी. बाद में मुझे पता चला की दीदी सू नही रही थी.

मेरी सांसो की और हिलने की आवाज़ दीदी को सुनाई दे रही थी. पर वो अंजान बन के चुप-छाप सोती रही. तभी मैं चरम पर पहुँच गया, और मेरा सारा पानी वही अपने पेट पे निकाल दिया, और ऐसे ही बिना सॉफ किए सो गया.

पिछले पार्ट में आप लोगों ने बहुत सपोर्ट किया. उसके लिए थॅंक योउ. और आपके कॉमेंट्स पढ़ के मुझे बहुत अछा लगा. अब से मैं जल्दी से जल्दी नेक्स्ट पार्ट लिखने की कोशिश करूँगा. अगले पार्ट में पढ़े क्या हुआ और कॉमेंट सेक्षन में स्टोरी पढ़ के फीडबॅक ज़रूर दे.

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