दरवाज़ा बंद करते ही वो मेरी तरफ धीरे से आँखें झुकाए अपना पल्लू सर पे ओढ़ कर, अपना सर नीचे झुका कर पलट गयी. उनकी खूबसूरत रेड और गोलडेन बॉर्डर सिल्क सारी उनपे चमक ला रही थी. गले में बहुत सारा गोल्ड पहने हुई थी.
धीरे से मेरी तरफ अपनी पायल छान-छान करते, कमर मतकते हुए मेरे सामने आके खड़ी हुई.
रूपा दीदी: मेरी पहली सुहग्रात है आज.
मैं: दीदी मेरी भी.
रूपा दीदी: अब दीदी मत बोल, नाम से बुला सकता है.
मैं: ठीक है रूपा.
ये बोलते हुए मैने उसके सर पे चूम लिया. और हम दोनो मुस्कुराने लगे.
रूपा: बहुत रोमॅंटिक हो आप तो.
मैं: क्या बात है, तू से आप.
रूपा: औरत हू, और आप मेरे पहले मर्द.
माहौल रोमॅंटिक होने लगा था, और दोनो एक-दूसरे को गले लगाए वही खड़े रहे कुछ देर. फिर दोनो अलग हुए, और एहसास हुआ दोनो एक-दूसरे को कितना प्यार करते थे.
मैं: बहुत प्यारी लग रही हो.
रूपा: पहले नही थी क्या (और मुस्कुराइ)?
मैं (कानो पे चूमते हुए बोला): पहले से ज़्यादा.
और कान धीरे से काट लिया. रूपा इस आवाज़ के साथ मुस्कुराते हुए आँखें बंद करके सर मटकाने लगी, और मुझे देखते हुए अपने आप को रोक नही पाई और गले लगाए एक-दूसरे के होंठो को चूसने लगे.
कुछ देर ऐसा ही चलता रहा. होंठो को चूमते हुए मैं उसकी पीठ और गांद दबाता, और वो मेरी पीठ पे सहलाती.
रूपा को वही ज़मीन पे लिटा दिया. रोमॅंटिक मूड बिगाड़ने बहुत सारे पिन्स लगे हुए थे, जिन्हे एक-एक करके निकाला, और सारी का पल्लू हटाया.
मैं उसकी गर्दन पे चूमने लगा, और चूसने लगा. साथ-साथ स्टान्नो को दबाने लगा. अब नीचे स्टान्नो को दबाते हुए पैरों के पास गया. फिर मैने एक पैर पकड़ा, और अंगूठे पे चूमते हुए शुरू किया.
रूपा: जी गंदा है पैर.
मैं: मेरे लिए यही स्वर्ग है.
ये कहते हुए दोनो पैर मेरी शर्ट से सॉफ किए, जिससे उसको गुदगुदी होने लगी और वो हासणे लगी. इससे बाहर से फिर आवाज़ आई-
आवाज़: क्या हुआ?
और उसके जवाब पे बोली: कुछ याद आ गया.
फिर बाहर से आवाज़ आई: जल्दी करो, इतनी देर क्यूँ.
इस्पे दीदी बोली: तुम लोग घूम के आओ तब तक.
और बाहर वाले चुप हो गये.
रूपा: आज जो करना है कर लो. मुझे तुम पसंद आ गये.
मैं मुस्कुराने लगा. फिर मैने उनके दोनो पैरों को मिलाया, और एक साथ चूमने और चूसने लगा. इससे उसको गुदगुदी होने लगी, और मूह दबा के पैर खींच लिए.
रूपा: अब बस करो (कहते हुए हासणे लगी).
मैं फिर उठ के उसके मूह के सामने गया.
रूपा: बस तड़पाने का इरादा है, या कुछ और भी करोगे?
मैं: बहुत तडपया है तुमने, अब मेरी बारी.
रूपा: भूलो मत, मेरी शादी का दिन है, और बहुत समय नही है. तुम्हारी इस रूपा को कोई और तुमसे पहले छोड़ लेगा.
मैं (होश में आया): मुझसे पहले किसी का हक नही.
फिर मैं तोड़ा सा नीचे गया, और स्टान्नो को ब्लाउस से बाहर आज़ाद किया. 4 साल में इनके स्टअंन बढ़ गये थे, और मेरे हाथो में फिट हो गये थे. मैं चूचियों को चूसने लगा, और रूपा बहुत प्यार से मुस्कुराते हुए मेरे बालों को सहलाते हुए देख रही थी.
रूपा: और चूसो मेरे ये स्टअंन. अब दूध निकाल दो.
ऐसा कहते हुए अपने एक हाथ नीचे किया.
मैं: इस बार दूध पक्का निकालूँगा.
रूपा: निकालो फिर.ये नुणु कितना बड़ा हो गया देखु तो.
मैं: देख ले.
रूपा मेरी पंत के उपर से मेरा लंड दबाने लगी, और बोली-
रूपा: बहुत बड़ा हो गया है.
मैं बस अपने काम पे लगा था, और कुछ देर बाद नाभि जीभ से चाटने लगा, और चूमने लगा. फिर मैं पैर के पास आया, और चूमते हुए सारी उपर करने लगा. रूपा तोड़ा उठ गयी, और मेरी शर्ट एक झटके में निकाल दी.
मैं बोला: कोई आएगा तो जवाब क्या देंगे.
वो बोली: मैं हू ना, टेन्षन मत लो आप.
मैं: लंड चूसोगी?
रूपा: कभी नही चूसा, नही ची!
मैं: सोच ले, आज तेरी शादी है इसके बाद किसी और से चुसवाना पड़ेगा.
रूपा मुस्कुराते हुए मेरा लंड ज़ोर से पकड़ ली, और बोली.
रूपा: कोई रंडी नही है जो मुझसे पहले इसको चूस ले.
फिर मुझे धक्का दिया और मेरे उपर बैठ गयी. मेरी पंत के अंदर टेंट बना था.
रूपा (पंत निकालते हुए बोली): देख कैसे तड़प रहा है.
पंत से लंड बाहर आया, और मेरा लंड देखते ही रह गयी और बोली-
रूपा: इतना बड़ा?
मैं मुस्कुराया. पहले वो बहुत देर बस महसूस करने लगी, और हिलने लगी. फिर थोड़ी देर बाद खुद हिम्मत करके मूह में ले लिया. पहले उसको पसंद नही आया, और मूह से निकाल लिया. फिर धीरे-धीरे लंड गले तक लेने लगी.
मैं उसके बाल पकड़ के, आहें आह आह और अंदर ह निकाले हुए इतना जोश में था, उसके मूह में सारा पानी निकाल दिया. रूपा वॉमिट करने वाली थी, पर संभाल लिया. वो संभालने के बाद बोली-
रूपा: बोलना था ना तू!
मैं: कुछ नही होगा.
रूपा: कुत्ते, मार डालूंगी, अंदर निकाल दिया.
मैं: ज़ुबान संभाल के, तेरा मर्द हू.
ये बोलते हुए उसको मैने नीचे धकेल दिया. फिर उसकी सारी के अंदर से तुरंत पनटी निकली, और चूमते हुए छूट की गर्मी महसूस करने लगा. बहुत गरम हो गयी थी वो, और छूट में से रस्स भी बह रहा था.
रूपा: सारी उतार तो ले मेरी.
मैं कुछ नही बोला, और उसको देखते हुए क्लिट चूसने लगा. फिर वो आह आहह करते हुए, अपने शरीर को हिलाते हुए मेरे बालों पे उंगलिया फेरने लगी. मैं उसको चूस्टे हुए देख रहा था, और उसको मज़ा आ रहा था.
कुछ देर बस उसकी सिसकियाँ निकालने लगी आहह आ श की, और उसने और चूसो बोल कर साथ में मेरा सर अपने पैरों के बीच पकड़ लिया. फिर आँखें बंद करके अपना रस्स निकाल दिया.
मैने सारा रस्स पी लिया, और फिर उसको देखा. उसके चेहरे पे अलग खुशी थी. फिर वो बोली-
रूपा: मुझे नही पता था इतना अछा लगता है चूसने पे. हमारे यहा किसी औरत का छूट नही चूस्टे है.
मैं: क्यू?
रूपा: औरते लंड चूस्टी है और मर्द बस अंदर हिला के निकाल देते है.
मैं: तुझे कैसे पता?
रूपा: हम गाओं की लड़कियाँ और औरते कभी बातें कर लेती है इसके बारे में. पता नही मेरा पति ऐसा करेगा के नही.
मैं: तुझे पता चलेगा कुछ दीनो में.
रूपा: अब अंदर डाल दे यार.
फिर मैने तुरंत अपना लंड पकड़ लिया, और हिलाते हुए छूट के पास गया. वो बस मेरा लंड घूर रही थी. मैं उसको चिढ़ते हुए छूट के आस-पास रगड़ने लगा.
फिर रूपा मेरी तरफ देखते हुए अपने हाथो को मेरी कमर पे रक्ते हुए प्यार से बोली-
रूपा: अब डाल भी दो, और नही रहा जाता.
मैने मुस्कुराते हुए अपने मूह से तोड़ा थूक लिया, और लंड पे लगाया. छूट पे लंड का रस्स महसूस हुआ, और धीरे से धक्का देने लगा. कुवारि थी, तो लंड नही जेया रहा था. मैने तोड़ा धक्का दिया, और फिसल गया.
फिर मैने उसके पैर पूरी तरह से फैला दिए, और छूट पे लंड रखा, और धक्का दिया. धक्के के साथ मैं भी उसके उपर गिर गया, और उसका मूह पकड़ लिया. इससे उसकी चीख डब गयी.
मेरा लंड भी दर्द करने लग गया. वो मुझे ज़ोर से धक्का देने लगी. वो ना कुछ बोल पा रही थी, और ना ही चीख पा रही थी. कुछ देर मैने ऐसे ही लंड रोक के रखा. उसके शांत होने के बाद उसके मूह से उंगलिया हटाई. रूपा मुझे ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी.
रूपा: आराम से डालता कमीने, मार ही डाला तूने तो. निकाल इसको.
मैं: रुक, दर्द कम हो जाएगा थोड़ी देर में.
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद रूपा खुद नीचे से अपनी छूट हिलने लगी. उसका साथ देते हुए मैं भी हिलने लगा. कुछ देर धक्के देता रहा मिशनरी पोज़िशन में और उसकी साँसे तेज़ होती गयी.
रूपा: ह्म ह्म आराम से करो.
ये कहते हुए उसने पोज़िशन चेंज की. अब मैने उसको मेरे उपर बैठने को कहा. मैं उठा तो देखा खून मेरे लंड पे, और तोड़ा सा ज़मीन पे लगा हुआ था. फिर रूपा उठी, और अपनी सारी शरीर से अलग की, और पूरी तरह नंगी हो गयी.
उसका फिगर मैने पहले भी देखा था, और अब भी उसका फिगर देख के अपने आप को खुशनसीब समझने लगा. कमाल का आकार था. अब वो मेरे उपर बैठ गयी, और हिलने लगी. मैं उसकी चूचियों को उंगलियों के बीच मसालने लगा, और वो मुझे देखते हुए तेज़ी से हिलने लगी.
उसकी छूट टाइट होने लगी, और आहें तेज़ होने लगी. उम्म्म उम्म्म उफ़फ्फ़ उम्म्म्म कहते हुए मुझे उसकी छूट से गरम रस्स का मेरे लंड के आस-पास एहसास हुआ. उसने तुरंत मुझे पदक लिया. मैने उसकी गांद पकड़ ली, और तेज़ी से धक्के देने लगा, और दोनो होंठो को चूमने लगे.
भूत खुश हो रही थी वो. फिर कुछ देर उसी पोज़िशन में हिलती रही, और फिर पोज़िशन बदल दी. मैने उसको घोड़ी बनाया, और उसका बाल और कमर पकड़ के पीछे से धक्का देने लगा. लंड और छूट टकराने पे छाप-छाप करने लगा, और पायल बजने लगी. रूपा की आहें वाहा गूंजने लगी-
रूपा: ह ह तेज़, आ रहा है आहह. फिर निकल रहा है, तेज़ करो.
ये कहते हुए मैने तुरंत उसको पलट दिया, और मिशनरी में उसके उपर लेट गया. उसने अपने पैरों को उपर तक उठा लिया, और होंठो को चूमते हुए गले लगा लिया. उसने दोनो पैरों को मेरी कमर पे रख लिया, और बोली-
रूपा: तेज़ी से आह ह तेज़-तेज़ करो..मेरा फिर निकालने वाला है.
मैं भी बोला: मेरा भी निकालने वाला है.
रूपा बोली: रुकना नही करते रहो.
और मैं भी छूट के अंदर तेज़ी से धक्के देने लगा. हम दोनो होश में नही थे, और कमरे में दोनो की सिसकारियाँ गूँजे लगी.
मैं: आहह आह रूपा मेरा निकलेगा हह ह ह.
रूपा: मेरा भी थोड़ी देर आह रोको, आह आ.
ये कहते हुए उसका और मेरा दोनो का शरीर झटके मारने लगा. रस्स निकालते हुए मेरी आँखों में तारे दिखने लगे, और पूरी तरह अंधेरा होने लगा. मुझे छूट के अंदर मेरा रस्स निकलते हुए महसूस हो रहा था.
मुझे लगा मैं स्वर्ग की सवारी कर रहा था. कुछ देर पूरा शरीर अकड़ सा गया. करीब 4 बार उसका रस्स निकला था. मुझे ऐसे लगा कोई मुझे उठा रहा है. फिर आँखें खोली और तोड़ा उठा तो देखा रूपा मुझे गले लगाए मुस्कुरा रही थी. वो बोली-
रूपा: जी पहली सुहग्रातें बहुत मज़ा आया.
मैं तब जाके होश में आया और समझ गया की मैं बेहोश हो गया था.
मैं बोला: तुम्हारे अंदर रस्स निकाल दिया है मैने.
रूपा: अछा हुआ अंदर डाल दिया, वरना इतना कमाल का एहसास नही कर पति. काश मेरा पति भी ऐसे ही चुदाई करे.
मैं मुस्कुराया, उठ गया, और कपड़े पहन लिए. फिर मैं खिड़की के पास से बाहर निकालने वाला था. बस एक बार पलटा तो देखा खून उसकी छूट पे और छूट के पास वैसे ही लगा हुआ था.
रूपा: फिर कब मिलेगा?
मैं: मैं भी मिलना चाहता हू, और मिलने का प्लान बाद में बनाएँगे.
ये कहते हुए मैं चलने लगा. बाहर निकला तो देखा कुछ पायल की आवाज़ आई. बाहर कूद के देखा तो बहुत लड़कियाँ बाहर से भाग गयी. मैने कुछ टेन्षन नही ली, और वाहा से फील्ड पे आ गया जहा सब बैठे थे.
मैं सब के साथ कुछ बातें करके वही सो गया. इसके बाद बहुत बार उसके पति के गाओं में जाके छोड़ा और मैं शहर चला गया. शहर में था, तब पता चला वो प्रेग्नेंट हो गयी थी. और उसका पति बहुत प्यार से संभाल रहा था.
इसके बाद वाली सारी स्टोरी और एपिसोड्स एक-दूसरे से रिलेटेड रहेंगे. अगर स्टोरी पसंद आई हो, तो लीके और कॉमेंट कर देना. ये मेरी एमाइल ईद है: [email protected]