प्रिया दी: भाई आज रात तो मेरी फ्रेंड आस्था के बड़े भाई की शादी है। तो उसने मुझे और तुम्हें भी इनविटेशन भेजा है। तो हम दोनों को वही जाना है।
मैं: अच्छा है दी, वहीं आज रात खाना खा लेंगे। खाने की कोई टेंशन नहीं। वैसे कब चलेंगे?
प्रिया दी: भाई वहीं शाम 7 बजे। तू रेडी हो जाना जल्दी से।
मैं: ओह मैं जल्दी से रेडी हो जाऊंगा, 4 घंटे आप तैयार होती हो, और मुझे बोल रही हो जल्दी से तैयार हो जाना।
प्रिया दी: अच्छा देखना आज तेरे से जल्दी तैयार होकर दिखाउंगी।
मैं: ऐसा तो आज तक नहीं हुआ है, ना ही कभी होगा।
हम दोनों भाई बहन में ऐसे ही मज़ाक और बातें चल रही थी। शाम को 4 बज गए। फिर हम दोनों बाजार घूमने चले गए। दी को कुछ कपड़े भी खरीदने थे। मैं भी अपनी दाढ़ी शेविंग करा के सेट करा लिया। 5:30 बज गए।
प्रिया दी: भाई गोलगप्पे खिला दो।
मैं (मज़ाक में): दी आपके बड़े-बड़े गोलगप्पे ना जाने कितने लोग खा रहे है, और आप बाज़ार के छोटे-छोटे गोलगप्पे खा रही हो।
प्रिया दी ( मुस्कुरा कर ): भाई तेरी बहन के पास गोलगप्पे नहीं दूध की टंकी है, वो सब तेरी बहन का दूध पीते है।
हम दोनों हसने लगे।
मैं: सॉरी दी, आपकी दूध की टंकी को गोलगप्पा बोल दिया। चलो आ जाओ, गोलगप्पे खिला देता हूं आपको।
फिर मैं दी को गोलगप्पे खिलता हूं। वापस हम दोनों घर आते है। 6:10 हो गये थे।
मैं: दी चलो रेडी हो जाओ, 7 बजने ही वाले है।
प्रिया दी: हां भाई मैं जा रही हूं तैयार होने, तुम भी तैयार हो जाओ।
मैं भी तैयार होने चला गया। दी अपने रूम में चली गयी। मैं तो 7 बजे तक तैयार हो गया। फिर मैं दी को बुलाने उनके रूम में गया। दी अभी तैयार ही हो रही थी।
मैं: क्यूं दी, मैंने बोला था ना आप मुझसे पहले तैयार नहीं हो पाओगी। आप हार गयी ना।
प्रिया दी: अच्छा बाबा तुम जीत गए मैं हार गयी, ख़ुश?
मैं उनके बेड पर बैठ जाता हूं, और दी को देखता रहता हूं।
प्रिया दी: भाई शादी में क्या पहनूं सूट या साड़ी?
मैं: बैकलेस वाली ब्लाउस पर साड़ी पहनो, बहुत अच्छी लगोगी।
प्रिया दी: ओके भाई।
मैं: सुनो दी।
प्रिया दी: हां बोलो भाई।
मैं: दी ब्रा मत पहनना, बस ब्लाउज़।
प्रिया दी (मुस्कुरा कर): अच्छा तू रूम के बाहर जा, तभी तो साड़ी पहनूंगी।
मैं: मैं बाहर जाकर आपका वेट करूं। उसके लिए कुछ चार्ज लगेगा
प्रिया दी: हां पता है मुझे तुम्हे क्या चार्ज चाहिए।
मैं: तो दो अपनी पैंटी जो आज पहनी थी।
प्रिया दी: शैतान हो गए तुम भाई। अच्छा जाओ बाथरूम में है, लेलो।
मैं दौड़ते हुए दी के बाथरूम में गया। पैंटी साइड में टंगी हुई थी। मैं झट से उठा कर उसको सूंघने लगा। फिर मैं बाहर आया और दी के सामने उनकी पैंटी चाटने लगा।
प्रिया दी (हसते हुए): भाई मेरी पैंटी खा मत जाना।
मैं: मन तो यही कर रहा है दी। इसमें आपके पसीने और चूत की खुशबू इतनी प्यारी जो है।
प्रिया दी: अच्छा भाई, अब जा बाहर मुझे रेडी हो जाने दे।
मैं पैंटी लेकर बाहर आया उसको पूरा चाटने लगा।
आधे घंटे बाद प्रिया दी बाहर आयी और बोली: कैसी लग रही हूं भाई?
मैं तो बस अपनी बहन को देखता ही रह गया। क्या मॉल लग रही थी। प्रिया दी ने रेड कलर की साड़ी पहनी थी। उस पर हल्के-हल्के ब्लैक कलर के डिज़ाइन बने थे, और बैकलेस ब्लैक कलर की ब्लाउज़ थी। ऊपर दी की बड़ी-बड़ी चूचियां चार चांद लगा रही थी। मैं दी से बोला था कि वो ब्रा ना पहने, तो दी भी ब्रा नहीं पहनी थी, जिसके कारण ब्लाउज़ के ऊपर बड़े-बड़े चूचों के नज़ारे दिख रहे थे। मैं तो बस देखे ही जा रहा था। 5 मिनट बाद-
प्रिया दी: अरे बताओगे भी कैसी लग रही हूं? या बस अपनी बहन को आज आंखों से लूट लोगे?
मैं: सॉरी दी, आप ऐसी मॉल लग रही हो, कि मेरे पास तो कोई वर्ड ही नहीं है। शानदार आइटम लग रही हो आज तो।
प्रिया दी: ओह्ह थैंक यू सो मच भाई!
मैं: दी एक बार पीछे तो घूमो। पीछे से तो देखूं कैसी लग रही हो।
प्रिया दी: बिल्कुल भाई, लो देख कर बताओ कैसी लग रही हूं?
दी पीछे घूमी। वॉव क्या नज़ारा था। मेरी बहन की नंगी ग़दराई हुई पीठ। कमर के नीचे साड़ी पहनी थी दी। उसकी बड़ी-बड़ी गांड क्या ही बताऊं दोस्तों, मुंह में पानी आ गया। चौड़ी-चौड़ी गांड बहुत ही सुंदर लग रही थी।
मैं: दी बहुत प्यारी लग रही हो। आपकी बड़ी-बड़ी गांड, आपकी नंगी पीठ, किसी का भी मन यही होगा बस ये मॉल एक रात के लिए मिल जाए बस।
प्रिया दी: अच्छा जी मेरे प्यारे छोटे भाई। अब चला जाए या रात भर मेरी ही तारीफ करते रहोगे?
मैं: हां दी चलो ना। क्या करूं, आपको देखने का मन कर रहा है ऐसे ही।
प्रिया दी (मुस्कुरा कर): अच्छा बस भी करो चलो।
मैंने जब टाइम देखा तो 8:30 हो गये थे।
मैं: अरे दी लेट हो जायेगा। जल्दी चलो, वापस भी आना है।
मैं फिर तुरंत गाड़ी निकाला। दी घर का गेट बंद करके गाड़ी में बगल की सीट पर बैठी। मैं गाड़ी लेकर निकल गया।
मैं: थैंक्स दी।
प्रिया दी: थैंक्स किस बात के लिए भाई?
मैं: वो मैं आपसे बोला था कि आप ब्रा मत पहनना। आपने मेरी बात मान ली उसके लिए।
प्रिया दी: तो इसमें थैंक्स वाली क्या बात है? तू मेरा छोटा भाई है। जब इतना प्यार से बोला तो कैसे ना मानती तुम्हारी बात?
मैं बार-बार दी की चूचियां देख रहा था।
प्रिया दी: भाई गाड़ी सामने देख कर चला। मेरी चूचियां देखेगा तो ठोक देगा किसी को।
मैं: क्या करूं दी, आपकी चूचियां है ही ऐसी। कितना भी देखो, मन ही नहीं भरता है।
फिर हम दोनों 9:30 तक दी के फ्रेंड के घर आस्था के घर पहुंच गए। मैंने गाड़ी को पार्क किया। हम दोनों अंदर गए। वहां जब दी बाहर निकली, वहां सभी लोग दी की चूचियां, कोई गांड और उसकी पीठ को घूर-घूर कर देख रहे थे। इतनी बड़ी चूचियों वाली, और इतनी बड़ी गांड वाली मॉल तो बहुत कम मिलती है। फिर वहां दी अपने फ्रेंड से मिली। थोड़ी-बहुत बात-चीत करने के बाद हम दोनों खाना खाने आ गये। मैं और दी दोनों साथ में खाना खा रहे थे।
मैं: दी देखो ना आपकी चूचियों को सब लोग कैसे घूर-घूर देख कर मज़े ले रहे है।
प्रिया दी: देखने दे भाई, मुझे भी मज़ा आ रहा है। ऐसे ही सब घूरे मुझे। तूने अच्छा किया मुझे ब्रा पहनने से मना कर दिया। ब्लाउज़ के बाहर मेरे बड़ी क्लीवेज दिख रही है। वो सब देख कर ही सब पागल हो गए है। मैं और दी दोनों साथ में हस-हस कर मज़े लेकर खाना खा रहे थे। तभी एक लड़का आया हैंडसम, मस्त बॉडी, 6 फीट लम्बा, दाढ़ी वाला, लगभग 30-32 साल का रहा होगा। था तो सावला ही, लेकिन बहुत हैंडसम लग रहा था। मस्त चौड़ी बॉडी थी। देखने से ही कोई बॉडीबिल्डर लग रहा था।
वो आते ही ज़ब दी को पीछे से देखा तो दी की गांड और पीठ को घूर-घूर कर देख रहा था। अपने होंठो को जीभ से चूस रहा था। मानो मेरी बहन को लॉलीपॉप की तरह चूस जाए।
मैं: दी एक बार पीछे देखो, वो लड़का आपको कैसे देख रहा है।
प्रिया दी (पीछे घूम कर उस लड़के को देखी): वॉव भाई, ये कौन हैंडसम है? मस्त बॉडी वाला लड़का है यॉर।
ज़ब वो लड़का सामने से देखा तो दी की चूचियां अब तो उसको पागल कर दी।
मैं: पता नहीं कौन है दी। मैं भी तो अभी देखा हूं। ज़ब से आया है वो आपको ही देखे जा रहा है।
प्रिया दी: यॉर भाई पता कर ना कहां का है ये लड़का। यॉर मुझे तो ये बहुत पसंद है। मॉल है ये भाई मॉल, लड़का नहीं।
मैं (मुस्कुराते हुए): अच्छा दी तो अब ये लड़का चाहिए आपको आज रात?
प्रिया दी: भाई ये भी पूछने वाली बात है।
मैं: तो दी आप पटा लो ना। आपके जाल में तो वो वैसे फसा हुआ है।
प्रिया दी उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
वो लड़का ख़ुश हो गया। वो भी स्माइल कर दिया। वो दी की गांड को लगातार देखे जा रहा था।
मैं: लगता है दी उसको आपकी गांड बहुत पसंद आ गयी है। आप एक बार उसको अपनी गांड की तरफ इशारा करो।
प्रिया दी अपनी गांड की तरफ देख कर उसकी तरफ देखी। लड़का दी को लाइन मारा। फिर वो भी हमारे साथ खाना खाने आ गया, और हम तीनों खाना खाने लगे। फिर हम तीनों बात-चीत शुरू किये।
मैं: तो आपका नाम क्या है?
लड़का: मेरा नाम फैज़ल अंसारी है।
प्रिया दी: ओह्ह तो मुस्लिम हो आप।
फैज़ल: हांजी, आपका नाम?
प्रिया दी: प्रिया सिंह।
फैज़ल: हिन्दू।
मैं: मेरा नाम रोहन सिंह।
क्यूं आपको हिन्दू पसंद नहीं क्या?
फैज़ल: नहीं-नहीं ऐसी बात नहीं है।
वो मेरी दी के तरफ देख बोला: मुझ तो आप जैसी लड़कियां बहुत पसंद है।
प्रिया दी (स्माइल): वैसे आप कहां से हो फैज़ल?
फैज़ल: हैदराबाद, ये मेरे फ्रेंड की शादी है।
मैं: अच्छा जी आप यहां लखनऊ में फ्रेंड की शादी में आये हो?
फैज़ल: हां यॉर, फ्रेंड की शादी में आया हूं।
मै कुछ बोलता तभी फैज़ल मुझसे बोलता है: मैं तुम्हारी बहन से अकेले में कुछ बात कर सकता हूं?
मैं: बिल्कुल, आप लोग बात करो।
प्रिया दी मेरी तरफ स्माइल की। मैं भी स्माइल करके वहां से थोड़ी दूर चला गया। लेकिन वहां डीजे बज रहा था, तो आवाज़ क्लियर नहीं हो रही थी। कुछ देर बाद फैज़ल दी को साइड में ले जाता है। मैं भी तुरंत बगल से जाकर देखने लगता हूं।
फैज़ल और दी एक-दूसरे को किस कर रहे थे। लेकिन कोई न कोई बार-बार आ-जा रहा था, तो प्रॉब्लम हो रही थी। वे दोनों सही से किस भी नहीं कर पा रहे थे। फैज़ल दी को मेरे पास लाया और बोला: रुको अभी आता हू़ं।
मैं: क्या हुआ दी, वो क्यूं चला गया?
प्रिया दी: भाई वो कही गया नहीं है। तेरी बहन को बज़ाने के लिए रूम का इंतज़ाम करने गया है।
मैं: वॉव दी, आपके तो मज़े ही मज़े। पसंद है आपको?
प्रिया दी: फैज़ल की बॉडी बहुत मस्त है यॉर। ये जिम में ट्रेनर है। वो मुझे बाहों में जकड़ लिया था किस करते टाइम बहुत सॉलिड बॉडी है। इसके साथ तो मज़ा ही आ जायेगा।
तभी कुछ देर बाद ही फैज़ल आ जाता है: यॉर रूम तो मिल ही नहीं रहा है। कोई रूम साला खाली ही नहीं है यहां तो।
प्रिया दी निराश हो जाती है। मैं दी की तरफ देखता हूं। धीरे से दी के पास जा कर बोलता हूं-
मैं: क्यूं ना दी फैज़ल को अपने घर ले चले?
प्रिया दी(एक प्यारी सी स्माइल के साथ): थैंक यू सो मच भाई, लव यू।
मैं: लव यू टू दी।
प्रिया दी: फैज़ल तुम आज हमारे घर पर चलो। आज रात वहां कोई नहीं है।
फैज़ल (ख़ुश हो जाता है): ओके डार्लिंग, आज तेरी चुदाई तेरे ही घर करूंगा।
तुम अपनी फ्रेंड आस्था से मिल कर आओ। मैं अपने फ्रेंड से मिल कर आता हूं। वो दोनों एक-दूसरे के फ्रेंड से मिलने चले गए। तब तक मैं गाड़ी पार्क से बाहर निकाल लिया। थोड़ी ही देर में वो दोनों आ जाते है। फैज़ल दी को लेकर पीछे वाली सीट पर बैठ जाता है। मैं भी तुरंत गाड़ी वहां से निकाल देता हूं। प्रिया दी और फैज़ल दोनों किस करते है। फैज़ल मेरी बहन की गांड पर थप्पड़ मारता है।
प्रिया दी: आह्ह फैज़ल, थोड़ा आराम से ही मारो। तुम्हारे हाथ भी तो लोहे जैसे है।
फैज़ल: साली तेरी गांड भी तो पूरी मटकदार वाली है। ऊपर से इतनी बड़ी गांड है तो कैसे कंट्रोल करूं?
प्रिया दी: मुझे पता था कि तुम मेरी गांड को ही तब से घूर रहे हो।
फैज़ल: प्रिया मैं तो तेरी गांड, बूब्स, तेरी नंगी मुलायम पीठ, पूरा ऊपर से नीचे तक घूर रहा था साली।
फिर फैज़ल दी को अपनी गोद में बिठा कर दी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही चूचियां दबाने लगता है, और नंगी पीठ पर किस करने लगा। फैज़ल दी के बूब्स इतना जोर-जोर मसलने लगा। प्रिया दी कराह रही थी। उनकी प्यारी आवाज़ सुन कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं गाड़ी के मिरर से सब पीछे देख कर मज़े कर रहा था।
प्रिया दी: भाई गाड़ी थोड़ी फ़ास्ट चलाओ ना।
फैज़ल: देख रहा है ना, तेरी बहन को अब कंट्रोल नहीं हो रहा है। चल अब गाड़ी फ़ास्ट चला।
मैं: ओके फैज़ल।
मैं गाड़ी फ़ास्ट चलाया, और 11 बजे रात को घर पर पहुंच गए। फिर मैं गाड़ी साइड लगा दिया। फिर मैं घर का गेट खोला।
मैं: दी आ जाओ चलो घर में।
फैज़ल दी को खिलौने की तरह गोद में उठा लिया। वो इतना लम्बा, इतनी मस्त सॉलिड बॉडी वाला, प्रिया दी उसकी गोद में एक छोटी से बच्ची की तरह लग रही थी। फैज़ल दी को चारों तरफ घुमा-घुमा कर चूम रहा था। दी भी उसके साथ मज़े कर रही थी। मैं अंदर गेट खोला। फैज़ल दी को हाल में ही सोफे पर लिटा कर उनकी पीठ चाटने लगा। प्रिया दी भी आंखे बंद करके मज़े कर रही थी।
मैं बस दी के रूम की तरफ इशारे में फैज़ल से बोला: रूम यही है।
फैज़ल दी को अपने कंधे पर एक ही हाथ से उठा लिया। फिर दी को बेड पर पटक दिया। फिर शैतान की तरह दी को नोचने लगा। फैज़ल दी की चिकनी बगलों को चाटने लगा। दी तो मदहोश होने लगी। फिर मेरी बहन की साड़ी निकाल दी। ब्लाउज़ तो एक ही हाथ से एक ही झटके में फाड़ कर ऊपर फैन पर लटका दिया।
फिर क्या, असली नज़ारा फैज़ल के सामने था। मेरी बहन प्रिया दी की बड़ी-बड़ी चूचियां हवा में उछल रही थी। फैज़ल तो पहले दो मिनट आंखे फाड़-फाड़ के देखता ही रह गया।
प्रिया दी: क्या हुआ, देखते ही रह जाओगे या इन्हे प्यार भी करोगे?
फैज़ल: साली रंडी, आज तो तेरी दोनों चूचियों को नोच-नोच कर खा जाऊंगा। ये दोनों साली बहुत उछल रही है।
फैज़ल भी दी की चूचियों पर टूट पड़ा। उसके दोनों मज़बूत हाथ मेरी बहन की चूचियां पूरी ताकत से मसलने लगे। मेरी बहन की तो आंखे भर आयी
प्रिया दी: प्लीज फैज़ल अह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह आराम से प्लीज आराम से दबाओ न।।
थोड़ी ही देर में दी की दोनों चूचियां गर्म होकर लाल-लाल हो गयी। फिर एक लेफ्ट वाली चूची को फैज़ल अपने मुंह में भर कर पूरी ताकत से चूसने लगा, और एक हाथ से राइट वाली चूची दबाने लगा।
फैज़ल को देखने से ऐसा लगा जिस प्रकार वो मेरी बहन की चूचियां चूस-चूस कर दबा रहा था, मानों दी की चूचियों से वो अभी दूध निकाल देगा।
दोनों चूचियां दी की लाल हो गयी थी। फिर फैज़ल दी की राइट वाली चूची को अपने मुंह में ले लिया, और लेफ्ट वाली चूची को दबाने लगा।
कुछ देर चूसने के बाद फैज़ल दी की चूचियों के निप्पल के साथ खेलने लगा। वो दी के निप्पल को हल्का-हल्का अपने दांतो से काटने लगा। प्रिया दी भी हल्की-हल्की सिसकियां लेकर खूब मज़े कर रही थी
फैज़ल:………..
अब नेक्स्ट पार्ट में
आप लोगों को मेरी ये स्टोरी कैसी लगी जरूर बताना पर मेल करके। नेक्सट पार्ट जल्द ही आएगा।