हेलो दोस्तों, मेरा नामे हिमांशी है. मैं पुंजब के शहर फ़िरोज़पुर से हू. मेरा रंग बिल्कुल फेर है, आंड मेरा फिगर 34-32-36 है, जिसे देख कर आचे-आचे लोगों के लंड टाइट हो जाते है. मुझे चुदाई करवानी बहुत अची लगती है. इसीलिए मैने कॉलेज टाइम में ही सीनियर लड़कों के साथ चुदाई का सुख ले लिया था. खैर वो फिर कभी बतौँगी. अभी आती हू स्टोरी पर.
तो दोस्तों मेरे घर में मों, दाद और मेरा छ्होटा भाई है. हमारा घर डबल स्टोरी है, जिसके ग्राउंड फ्लोर पर मेरे छ्होटे भाई युवी का रूम है, आंड मों-दाद भी ग्राउंड फ्लोर पर रहते है. साथ में एक किचन और एक बड़ा सा हॉल है, और मैं फर्स्ट फ्लोर पर रहती हू.
यहाँ एक रूम मेरा, और एक गेस्ट रूम है, और बाल्कनी है. पापा का कपड़ों का बिज़्नेस है, जिसमे मम्मी कभी-कभी हेल्प करवाने साथ चली जाती है.
दोस्तों ये कहानी है आज से 1 साल पुरानी, जब मैं कॉलेज में नर्सिंग कर रही थी, और मेरा भाई भी कॉलेज में था. हमारे मों दाद मॉडर्न टाइप के है, जिस कारण उन्होने मुझे कभी शॉर्ट ड्रेस पहनने से रोका-टोका नही. क्यूंकी मों भी कभी-कभी जीन्स-टॉप पहन कर घूमने जाती थी पापा के साथ.
युवी के रूम में प्स5 ग़मे थी, जिसे खेलने उसके कॉलेज के दोस्त भी कभी-कभी घर आ जाते थे. मैं तभी घर पर अपने रूम पर होती, या कॉलेज में.
एक दिन सनडे को मों-दाद कहीं काम से बाहर गये हुए थे, और युवी और उसके दोस्त ग़मे खेल रहे थे. रूम में मैने उस दिन एक वाइट डीप नेक टॉप, और एक शॉर्ट्स पहन रखी थी, जिसके अंदर मैने ब्रा पनटी नही पहनी थी.
मैं नीचे हॉल में पानी लेने आई थी. तभी युवी का दोस्त सनवीर भी किचन में आ जाता है. वो मुझे देख कर शॉक हो जाता है, जैसे कभी लड़की ना देखी हो. फिर वो मुझे ‘ही’ बोल कर हाथ आयेज बदाता है, और हम हॅंडशेक करते है, और थोड़ी बहुत बात होती है.
मैं नोटीस कर रही थी सनवीर की नज़र बार-बार मेरे बूब्स पर जेया रही थी. बुत मैने कोई रिक्षन नही दिया, और अपने रूम में आ गयी.
ऐसे ही 1-2 दिन वो मेरी वेट करता रहता, की कब मैं किचन में कुछ लेने अओ, और तभी वो भी आ जाता था.
फिर एक दिन मैने सनवीर को टीज़ करने का सोचा. बिकॉज़ मुझे भी उसका तर्की-पन्न अछा लगने लगा था, और बहुत दीनो से मैने लंड भी नही लिया था. मैने फिर पतली सी लाइट पिंक फ्रॉक पहन रखी थी, बिना ब्रा पनटी के. नज़र डालने पर अंदर का नज़ारा दिख सकता था.
मैं किचन में गयी. तभी सनवीर आ धमका. उसका मूह खुला का खुला रह गया मुझे देख कर, और बोला-
सनवीर: आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो.
मैं भी बोली: सिर्फ़ आज?
वो बोला: मेरा मतलब आज कुछ ज़्यादा ही कहर ढा रही हो.
मैं बोली: अछा आज ऐसा क्या है?
ऐसे बोलते ही उसने एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और बोला: आज तुम्हारे कबूतर हवा में उडद रहे है.
मैं शरम से लाल हो गयी, और गर्दन नीचे कर ली. सनवीर ने मुझे पकड़ा, और किस्सिंग करने लगा. मैं भी उसका दत देने लगी. किस करते-करते वो मेरे बूब्स दबा रहा था, और मैं पाजामे के उपर से उसका लंड.
तभी मैने उसे धक्का दिया, और जाने को बोला, बिकॉज़ भाई के रूम से कुछ आवाज़ आई थी. मैं अपने रूम में चली गयी, और वो भाई के रूम में. ऐसे ही हमारा रोज़ का चलने लगा, कभी किस, कभी स्मूच. फिर एक दिन उसने मुझे छोड़ने की पर्मिशन माँगी.
मैं बोली: दिल तो मेरा भी बहुत करता है. बुत भाई घर होता है कैसे करेंगे?
वो बोला: वो तुम मेरे पे छ्चोढ़ दो.
फिर वो मुझे एक लोंग किस देकर चला गया. फिर नेक्स्ट वीक युवी का बर्तडे था. हाउस पार्टी थी, जिसमे युवी के 4-5 दोस्त और हमारे नेबर आए हुए थे. तोड़ा बहुत नाच-गाना हुआ, और सब अपने-अपने घर चले गये. मों-दाद भी अपने रूम में चले गये.
युवी के 3 दोस्त सनवीर, नीरज और गुरप्रीत घर पर रुक गये. क्यूंकी वो डोर से आए थे, और रात हो गयी थी. मैने भाई अपने रूम में आ कर कपड़े चेंज कर लिए, और नाइट फ्रॉक पहन लिया. थोड़ी देर बाद सनवीर का मेसेज आया-
सनवीर: आज मौका है. मैने युवी को बियर पीला कर तुंन कर दिया है. वो सो रहा है.
मैं बोली: और बाकी के 2 दोस्त, उनका क्या?
वो बोला: बेबी वो हमे सेक्स करते हुए देखना चाहते है.
मैं बोली: पागल हो क्या? ऐसा नही होगा.
वो मुझे मनाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं बोली: ठीक है. बुत मैं उनके साथ सेक्स नही करूँगी.
उसने ओक बोला और मैने कहा: जब मैं कहूँ, तभी आना.
फिर मैं नीचे गयी, चुपके से मों-दाद को देखने. वो घोड़े बेच कर सो रहे थे, बिकॉज़ मों दाद ने भी ड्रिंक करी हुई थी. उसके बाद मैं रूम में गयी, और नेट वाली ब्रा पनटी पहन ली, जो मेरे एक्स ने गिफ्ट करी थी.
फिर मैने मेसेज करा: आ जाओ.
थोड़ी देर में डोर ओपन हुआ. सनवीर और बाकी के दोस्त रूम में आ गये. वो तीनो नंगे ही खड़े थे.
मैने बोला: डोर लॉक कर दो, और सामने सोफा पर बैठ जाओ.
बाकी दोनो सोफा पर बैठ गये, और सनवीर मेरे पास आ गया. उसने झटके में मेरी ब्रा पनटी उतार दी, और हम 69 पोज़िशन में आ गये. सनवीर के लंड का साइज़ 5.5 इंच था. मैं उसका लोड्ा चूसने लगी, और वो मेरी छूट.
मैं 5 मिनिट में झाड़ गयी. फिर उसने मुझे घोड़ी बना दिया, और पीछे से छोड़ने लगा. मैं अहहा आ आ अया अयाया अया जैसी आवाज़े निकालने लगी. रूम में ठप ठप ठप की आवाज़े आ रही थी. थोड़ी देर में बाकी दोनो मेरे बेड पर आ गये, और मेरी चुदाई देख कर मूठ मार रहे थे.
उनके लंड भी 5 से 6 इंच के बीच में थे. मुझे सेक्स चढ़ा हुआ था. मैने इशारे से दोनो को पास बुलाया और दोनो के लंड बारी-बारी चूसने लगी, और आ आह आ आ कर रही थी. फिर सनवीर हटा, और नीरज ने लोड्ा छूट पर सेट किया, और पेलने लगा.
मैं बोली: मदारचोड़ो अगर किसी और को बताया, तो सब की मा छोड़ दूँगी. मज़ा मिलता रहेगा, बस बात बाहर नही जानी चाहिए.
वो बोले: साली हम पागल नही है. इतना अछा माल हाथ आया है, कोई किसी को कुछ नही बताएगा.
फिर मेरी चुदाई चालू हो गयी. फिर गुरप्रीत ने भी मुझे घोड़ी बना कर छोड़ा. उसके बाद तीनो बेड पर लाइन में लेट गये, और मैं एक-एक के लोड पर उछाल-उछाल कर छुड़वाने लगी. पहले सनवीर के लोड पर, फिर गुरप्रीत के लोड पर, और फिर नीरज के लोड पर.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर वो मुझे गोद में उठा कर छोड़ने लगे. मैं कभी सनवीर की गोद में होती, कभी गुरप्रीत की, और कभी नीरज की. उन्होने उस रात मुझे चुदाई का हर सुख दिया. मैं भी पूरी तरह से त्रिपत हू चुकी थी, और मैने उनका सारा माल लोड चूस-चूस कर पी लिया.
उस रात तीनो ने मुझे 4 बार छोड़ा, और युवी के रूम में वापस चले गये. मैं अपने रूम में नंगी ही लेती रही. सुबह उठ कर देखा तो मेरी छूट लाल हो रखी थी, और फूली-फूली सी लग रही थी. मैने शवर लिया, और खाना खा कर फिर सोने चली गयी
तो दोस्तों ये थी मेरी ग्रूप चुदाई की कहानी. होप आप सब को पसंद आए. फिर अवँगी नयी कहानी के साथ.