भाई-बहन में शुरू हुए रोमॅन्स की

मेरी आगे 19 साल है. मैं दिखने में क्यूट हू (ऐसा मेरी बहने कहती है), रंग गोरा, और लंड 7 इंच का है. मेरे घर में मैं, मेरी मा, पापा, और साथ में मेरी दो बहने रहती है राशि और आरोही दी. मैं मेरे घर पे सबसे छ्होटा हू. हम भाई बेहन हमेशा साथ ही सोते है. अब मैं बिना कोई टाइम बर्बाद किए सीधे अपनी कहानी पे आता हू.

ये बात कुछ मंत्स पहले की है, जब मेरे और राशि दी में नहाने को लेकर थोड़ी लड़ाई चल रही थी.

मे: दी मुझे पहले नहाने दो मेरा कॉलेज है.

दी: मुझे भी कॉलेज जाना है, तो तू बाद में नहाना.

मे: नही पहले मैं नाहोँगा.

दी: मम्मी से पूच ले जेया. पहले मैं ही नाहोँगी. इतना बोल कर दी बातरूम में चली गयी, और गाते बंद कर लिया. बुत वो बातरूम की कुण्डी लगाना भूल गयी थी.

मे: ये ग़लत है दी, मुझे भी लाते हो रहा है, तो मैं क्या करू?

दी: मेरा 10 मिनिट में हो जाएगा बस.

मे (गुस्से में): ठीक है, बुत ओन्ली 10 मिनिट. उसके बाद आप देख लेना, मैं नही जानता कुछ.

दी: हा-हा चल जेया अब, ज़्यादा अकड़ मत दिखा.

मैने 10 मिनिट अपने रूम में वेट किया. फिर बिना कुछ सोचे सीधा बातरूम की तरफ चला गया. कुण्डी नही लगी थी, इसलिए बातरूम का दरवाज़ा तोड़ा खुला था. तो मुझे लगा राशि दी ने नहा लिया होगा. फिर मैं बातरूम का डोर खोल कर अंदर चला गया, और अंदर जाते ही मैने जो नज़ारा देखा, उसके बाद मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी.

मेरे सामने मेरी बड़ी बेहन नंगी हो कर शवर ले रही थी. उनके गोरे-गोरे बदन को पानी की बूंदे और भी सेक्सी बना कर मेरे सामने प्रस्तुत कर रही थी. उनको ऐसी हालत में देख कर मैं बाहर जाने के बजे वही जाम सा गया. उस दिन पहली बार मेरे मॅन में मेरी बेहन के लिए ऐसे सेक्सी ख़याल आए थे. मेरा लंड आज मेरी इजाज़त के बिना ही अपनी चरम-सीमा पर आ कर खड़ा हो गया था.

मैं पहले आपको मेरी राशि दी के बारे में तोड़ा बता देता हू. दीदी की आगे 23 है, और रंग फेर है. उनका फिगर बहुत ही सेक्सी है. बड़े-बड़े बूब्स है उनके, सुडौल बॉडी है, और मोटी गांद है, जो मेरे सामने थी.

पानी की बूंदे उनके कंधे पर गिरती, और वाहा से उनकी पूरी नंगी पीठ का सफ़र टाई करते हुए उनकी गांद के बीच रास्ता बना कर गायब हो जाती. दोस्तों ऐसा सीन देख कर दिल कर रहा था की मैं उनकी गांद के चियर को मूह लगा लू, और बहते हुए पानी को पीने लग जौ.

तभी अचानक दी शवर लेते हुए मेरी तरफ मूडी. अफ दोस्तों, ये नज़ारा तो उससे भी ज़्यादा खूबसूरत था. इस बार बूंदे उनके सर पर गिर रही थी, और वाहा से उनके मुलायम होंठो को छूटी हुई, उनकी पतली नेक से हो कर, उनके बूब्स को च्छेद कर, उनकी नाभि में गोते लगती, उनकी पिंक पुसी में समति गयी. दिल कर रहा था की उनकी पुसी पर भी मूह लगा कर पानी पीना शुरू कर डू.

मैं बस वैसे ही खड़ा ये नज़ारा देख रहा था. तभी अचानक से दी की आँख खुली, और उनकी नज़र सीधे मेरे रोड बन चुके लंड पे पड़ी. तभी उन्होने अपने शरीर को च्छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए मुझे ज़ोर से डांटना शुरू कर दिया.

राशि दी (गुस्से में): तू यहा क्या कर रहा है? बाहर निकल यहा से.

मे: अर्रे मैं, वो, मुझे लगा की… सॉरी.

ऐसा बोलते हुए मैं बाहर आ गया, और सोचने लगा की ये मैने क्या कर दिया. मैं सोचने लगा की ये होने के बाद मैं अब उनको फेस कैसे करूँगा?

सभी लोग फ्रेश होके नास्ते के लिए बैठ गये थे. मुझे दर्र लग रहा था, की दी कही मा से मेरी शिकायत ना कर दे. बुत ऐसा कुछ नही हुआ. इस बात ने मुझे और भी सोच में डाल दिया. फिर पुर दिन राशि दी ने मुझसे बात नही की, और ये बात मुझे बहुत बुरी लग रही थी.

हमेशा की तरह हम रात में साथ सोने चले गये. सबसे आयेज आरोही दी सो रही थी, और राशि दी हम दोनो के बीच में सो रही थी. आरोही दी हमसे पहले सो जाती थी. मैं राशि दी को मानने के बारे में सोच रहा था, और बहुत हिम्मत करके मैने दी को बोला-

मे: राशि दी (डरते हुए धीमी आवाज़ में).

दी: ह्म बोल (मेरी तरफ मूड कर)?

मे: ई आम सॉरी दी. वो पता नही कैसे हो गया.

दी: ह्म.

मे: सॉरी दी (और मैं रोने लगा).

दी ने मुझे रोता देख मुझे हग किया और बोली: इट’स ओक, कोई बात नही. तेरी ग़लती नही थी, रो मत.

और ये बोल कर उन्होने मुझे हग कर लिया. उनका हग करना कुछ अलग सा लग रहा था मुझे. और शायद इसलिए मेरे लंड ने अपनी औकात दिखा दी, और वो खड़ा होने लगा.

इस हरकत को दी ने भी फील किया. बुत उन्होने कोई रिक्षन नही दिया. इस बात ने मेरी हिम्मत और बढ़ा दी, और मैने उनको ज़ोर से हग किया, जिससे मेरा लंड उनकी छूट पे टकरा गया (क्यूंकी हम लेते थे), और उनके बूब्स मेरी छाती से बिल्कुल डब गये.

मेरी सोच के बिल्कुल विपरीत जाते हुए दी ने मुझे और भी टाइट से पकड़ लिया, और अपनी छूट मेरे लंड पर रगड़ने लगी. ऐसा लग रहा था की हम कपड़े पहन कर सेक्स कर रहे थे.

इस घटना ने मुझे अलग ही एनर्जी दे दी, और मैने अपने लिप्स को दी तरफ बढ़ा दिया, जिसे दी ने कबूल करते हुए अपने लिप्स में समा लिया. फिर हम स्मूच करने लगे. राशि दी के पिंक और रसीले लिप्स को मैं आशिक़ों की तरह आराम और प्यार से चूसने लगा. साथ ही एक हाथ से उनके बूब्स भी दबाने लगा.

वो भी बड़े प्यार से मेरा साथ दे रही थी, और मेरे लंड को उपर से ही सहला रही थी. ये सब हम आरोही दी के बगल में लेते-लेते कर रहे थे, और उन्हे इस बात की खबर भी नही थी.

अगले भाग में जानिए कैसे मैने राशि दी को उस दिन पूरी तरह अपना बना लिया, और उनकी चुदाई की. अगर आपको कहानी अची लग रही है, तो प्लीज़ कॉमेंट में मुझे बताए. मैं जल्द ही अगला भाग लेकर अवँगा. आप मुझे मैल भी कर सकते है. (आर्यन्मे987@गमाल.कॉम)

मिलते है अगले भाग में.

यह कहानी भी पड़े  भाई की ख़ुशी के लिए बहिन ने दी अपनी चूत


error: Content is protected !!