सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, कैसे ड्राइविंग सीखते हुए मैं और सोनल किस करने लगे. अब आयेज-
मैं फिर धीरे से उसके ब्रेस्ट पर उंगलिया घूमने लगा, और उसको च्चेड़ने लगा. फिर जब वो और ज़्यादा जोश में आई, तो मैं उसके बूब्स को दबाने लगा. वो अपनी गांद मेरे लंड पे घिस रही थी, और आआहह उम्म्मह उम्म्म्म उम्म्म्म की आवाज़े निकाल रही थी. मैं कपड़ों के अंदर से उसकी ब्रा तक पहुँचा, और बूब्स दबाने लगा. वो जोश में थी.
तभी वो अचानक से पीछे हटी, और अपने आप को संभाला, और बिना कुछ बोले बस इतना बोल के साइड हो गयी-
सोनल: चल घर चलते है.
मैं भी बिना कुछ बात किए घर की तरफ गाड़ी ले लिया. रास्ते में हम दोनो ने कोई बात नही की, और ना एक-दूसरे से नज़र मिलाई. जैसे ही हम दोनो घर पहुँचे, वो सीधे बातरूम में चली गयी. मैं हॉल में चुप-छाप बैठ गया. बातरूम से निकल कर वो रूम में चली गयी, और रूम लॉक कर दिया ऐसे ही दोपहर हो गयी. मैने सोचा कुछ बना लेता हू खाने के लिए, तो मैने खाना बनाया.
फिर सोनल के रूम का डोर नॉक किया. अंदर से कोई आवाज़ नही आई. मैने फिर से नॉक किया, और थोड़ी देर बाद सोनल ने कहा-
सोनल: हा आ रही हू.
फिर वो बाहर आई. उसकी आँखें सूजी थी, जैसे वो रोई हो. मैं ये समझ गया. वो आके चुप-छाप खाने के लिए बैठ गयी. मैं उसके पास गया, और उसको बोला-
मैं: तुम क्यूँ रोई? क्या बात है?
उसने कुछ नही बोला. फिर मैने उसका हाथ अपने हाथ में लिया, और कहा-
मैं: बता ना सोनल, क्यूँ रोई? तू जानती है मैं नही देख सकता तुझे रोते हुए.
उसकी आँखों से फिर आँसू आए. मैने उसको हग किया, और बोला-
मैं: बता ना क्या बात है?
तो वो बोली-
सोनल: साहिल तू मेरा बहुत अछा दोस्त है. आज तक तेरे जैसा दोस्त मुझे नही मिला. पर आज जो हुआ वो सही नही हुआ. मैं तुझे खोना नही चाहती, पर ये जो हुआ, है उससे मैं खुद से नज़रें नही मिला पा रही तू. जानता है मैं ये सब के चक्कर में नही पड़ना चाहती. पर पता नही कैसे हुआ. मैने आज तक इसीलिए कोई रिलेशन्षिप नही किया, ताकि मुझे किसी से अटॅच्ड नही होना पड़े. पर अब लगता है तुझसे हो जौंगी.
और ये बोल के वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. मैने उसको संभालते हुए बोला-
मैं: तू जानती है ना मैं तुझसे कितना प्यार करता हू? तुझे नही देख सकता रोते हुए. मैं नही जानता ये सब कैसे हुआ, बस हादसा था. और हम दोनो ने एक-दूसरे को संभाल भी लिया है. मैं तेरे मर्ज़ी के बिना क्यूँ ऐसे करूगा. तू अपने आप को दोष मत दे, प्लीज़. मैं अब तुझसे डोर रहूँगा. मैं नही चाहता मेरी वजह से तुझे प्राब्लम हो.
ये बोल के मैं बाहर चला गया. मैं शाम को जब वापस आया, तो सोनल अपने रूम में थी. मैं हॉल में बैठ गया और अपनी आँखें बंद करके बैठा रहा. अचानक मेरी आँख लग गयी. जब आँख खुली तो सोनल मुझे उठा रही थी.
सोनल: उठ जेया साहिल, खाना खा ले. तूने सुबा भी नही खाया.
मैं बोला: नही मुझे भूख नही है.
और मैं उठ के बातरूम में चला गया. वापस आके मैं सोफे पे लेट गया, और फिर से सो गया. मेरी नींद खुली, तो सुबा के 5 बाज रहे थे. सोनल सोई हुई थी. मैं बिना कुछ आवाज़ किए फ्रेश होके बाहर चला गया. बाहर से मैं 8 बजे वापस आया, तो सोनल रेडी हो चुकी थी और बोली-
सोनल: कहाँ गया था? ऑफीस नही जाना क्या?
मैं बोला: हा.
फिर मैं 5 मिनिट में रेडी हुआ, और हम उसी कार से ऑफीस गये. वहाँ मेरा फर्स्ट दे था. सब लोगों से ह्र ने मुझे इंट्रोड्यूस करवाया, और मैं अपने डेस्क पर बैठ गया. मेरे पास 2 लड़कियाँ आई जिनका नाम श्रीजीता और जनवी था. वो मुझे ग्रीटिंग्स देके, बातें करके चली गयी. मैने जब सोनल को देखा, तो उसके फेस से लग रहा था वो जल रही थी. लंच टाइम में मैं और सोनल साथ में थे.
तब उसने कहा: बड़ी ही-हेलो हो रही थी वहाँ पे.
मैं हस्स दिया और बोला: आबे यार, वो विश करके चली गयी मुझे एक ही ऑफीस में है तो.
तब वो बोली: हा वो दोनो को नया लूँ…
ये बोल के वो रुक गयी, और खाना खाने लगी. मैं भी कुछ नही बोला, और शाम तक काम करके हम दोनो घर की तरफ निकल गये.
तब उसने बोला: कैसा रहा पहला दिन?
मैं बोला: तेरे साथ हर दिन अछा ही जाता है मेरा.
वो बोली: बटरिंग मत कर.
मैं बोला: अर्रे यार, तू भी ना.
हम रूम पे पहुँच के फ्रेश हुए, और खाना वग़ैरा खा के कॉफी पीते हुए बाल्कनी में खड़े हो गये. वो भी मेरे आठ खड़ी थी. अब फिर से वैसे ही सीन हो गया. वो आयेज आई, और मैं पीछे. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, पर इस बार जैसे ही उसको फील हुआ, मैं पीछे हट गया.
उसको शायद मेरा पीछे हटना अछा नही लगा. वो पीछे पलटी और मुझे घूर्ने लगी. मैने ध्यान नही दिया, तो वो बाल्कनी में स्टार्स दिखाने लगी. अब मैं भी देखने लगा. फिर से लंड उसकी गांद पे टच हो रहा था. मैने सोचा अब क्या करू? मैं थोड़ी देर खड़ा रहा, फिर वहाँ से हट के हॉल में आ गया. मेरे पीछे वो भी आई और मुझे बोलने लगी-
सोनल: तुझे क्या हुआ है? तू डोर-डोर कब से भागने लगा मुझसे?
पहले तो मैने बात टालने की कोशिश की, पर जब वो ज़ोर देके पूछने लगी, तो मैने बता दिया.
मैं: तू उस दिन रोई ये मुझे सही नही लगा. अगर मेरे टच करने से प्राब्लम होती है, तो हमारा डोर ही रहना सही है, और वैसे भी तू भी जवान है, मैं भी. हम फिसल ही जाएँगे, कुछ कर लेंगे, फिर तुझे रिग्रेट होगा. इसलिए मैं डोर रह रहा हू.
मैने एक साँस में सब बोल दिया. वो बिना कुछ बोले नीचे सिर करके अपने रूम में चली गयी. मैं चुप-छाप बैठ के ये सोच रहा था, क्यूँ मैने उसको बताया. तब वो रूम से वापस आई. उसकी आँखों में आँसू थे. वो आई और मुझे आवाज़ दी. जैसे ही मैं पलटा, वो सीधे मुझसे लिपट गयी. फिर मुझे गले से लगा के रोते हुए उसने कहा-
सोनल: मैं कब से तुझे ये बताना चाहती थी, पर तू कभी समझ नही पाया कुत्ते. कॉलेज में हर टाइम तेरे साथ रहती थी, जब लोग चिढ़ते थे अर्रे तुम तो कपल्स लगते हो, तो अंदर ही अंदर खुश होती थी. तू मेरा ख़याल रखता था. मैं तेरे पास कोई बंदी इसीलिए नही भटकने देती थी, क्यूंकी जलन होती थी मुझे.
सोनल: मैं तुझे अपना ही मान बैठी थी पूरी तरह से. जब तू पुणे आया, और फर्स्ट टाइम हमने हग की, ऐसे लग रहा था जैसे मैं जन्नत में आ गयी थी. मेरी हर इक्चा पूरी हो गयी थी जैसे. इतना सुकून कभी महसूस नही किया था मैने. मैं हर पल तेरे साथ रहना चाहती हू. मुझे तुझसे डोर होने में बेचैनी होती है. तू साथ होता है तो खुश रहती हू.
सोनल: मेरी हर छ्होटी से छ्होटी चीज़ का ख़याल रखता है तू. मैं तुझे हमेशा खुश देखना चाहती हू. उस दिन कार में जो हुआ, उसमे मेरी मर्ज़ी भी शामिल थी. मैं अपने आप को पूरी तरह से तुझे सौंप देना चाहती हू. मुझसे डोर मत जेया, मैं से नही पा रही ये दूरी. मेरे करीब रह, मुझे प्यार कर साहिल.
मैं चुप-छाप बट बन के उसकी बातों को सुन रहा था, और उसने मुझे गले से लगाए हुए ये सब बोल दिया था. वो मेरी नेक पे गरम साँसे छ्चोढ़ रही थी अपनी. तभी मुझे होश आया, और मैने उसको कहा टाइट्ली हग करके-
मैं: मद तॉंदी (पागल लड़की), इतना सब मॅन में दबा के बैठी थी. मुझे बता नही सकती थी? अब रोना बंद कर, और शांत रह ऐसे ही हग किए हुए, मुझे सुकून लगता है ऐसे.
उसने कहा: मुझसे डोर नही जाएगा तू साहिल, मैं मॅर जौंगी तेरे बगैर.
बस उसका ये बोलना था, और मैने उसके गुलाबी होंठो पर अपने होंठ रख दिए. मुझे ऐसे फील हुआ जैसे मैं मक्खन अपने होंठो पर लगाया हू. उसके गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ, में जो मिठास थी, वो मैं आज तक नही भूल पाया.
जैसे ही मैने होंठो से उसको किस की, उसने अपनी आँखें बंद कर ली, और मेरा साथ देने लगी. हम दोनो एक-दूसरे की आघोष में थे, और होंठो से एक-दूसरे को चूस रहे थे. कहते है ना की किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो सारी कैनात उसे तुमसे मिलने में लग जाती है.
सोनल के साथ भी यही हुआ. उसके इतने प्यार ने आख़िर-कार मुझे उसके करीब कर ही दिया. अब मेरे भी मान में उसके लिए हवस से आयेज का प्यार आने लगा था. जैसे मोहोब्बत और इश्क़ वाला प्यार, जो दो जिस्मों को एक जान बनता है.
हम दोनो करीब थे, और किस कर रहे थे. हम लगभग 15 से 20 मिनिट बिना कुछ सोचे एक-दूसरे को बस किस ही करते रहे. फिर मैने उसको अलग कर उसके फोर्हेड पर किस किया. फिर उसको गाल पे किस किया. वो शर्मा रही थी.
मैं जैसे ही उससे डोर होने के लिए हुआ, उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया, और फिर से चूमने लगी. इस बार मेरे सारे फेस पे, लिप्स पे, गाल पे, फोर्हेड पे, सब जगह किस करने लगी.
वो कहने लगी: बोला था ना डोर मत होना.
उसने मेरी आँखो में देखते हुए कहा: साहिल मुझे प्यार कर. मुझे आज अपनी बना ले. मेरे जिस्म के हर अंग को चूम ले. आज मुझ पर सिर्फ़ तेरा हक़ है. मुझे अपनी बना ले. साहिल आज मैं प्यार करना चाहती हू. दिल खोल के प्यार कर मुझे. अपने अंदर की गर्मी मुझे भी महसूस करवा दे.
और ये बोलते हुए मुझे किस करने लगी, मेरी बॉडी सहलाने लगी, मुझे अपने और ज़्यादा करीब करने लगी, टाइट्ली हग करके मुझे अपने बूब्स को फील करवाने लगी. अब मैं तो ठहरा मर्द, अब मुझसे संभला नही गया. मैं भी उसको वाइल्ड्ली किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी.
मैं अपनी उंगलियों को उसकी नेक पर, उसके शोल्डर पर, उसके बूब्स पर घूमने लगा. वो और ज़्यादा गरम होने लगी. उसकी तड़प बढ़ने लगी.
अगर किसी फीमेल को मुझसे सेक्स करना हो, तो वो मुझे मैल कर सकती है