विजय से घामाशाण चुदाई के बाद मैं जैसे-तैसे बातरूम में फ्रेश होने चली गयी. मेरी छूट और गांद में बहुत दर्द हो रहा था. मेरे से ठीक से चला भी नही जेया रहा था. मैने अपने आप को देखा तो मैं एक सस्ती रंडी की तरह लग रही थी.
मुझे अपने आप पर गिल्ट होने लगा. मेरे अंदर तोड़ा दर्र भी रहा की विजय मुझे अब कैसी समझ रहा था. मैं अपने सगे भाई की नज़रों में गिर गयी थी. मोहित से चुड चुकी थी तो विजय को अब मेरे पर से भरोसा उठ गया था. मैने अपने आप को फ्रेश करने के लिए शवर लिया.
मैं टवल लपेट कर बाहर आई तो विजय बेड पर नंगा सो रहा था, और फोन पर किसी से बात कर रहा था. उसने फोन रखा पर मैं उससे कुछ बात नही कर रही थी. मैं चुप-छाप मेकप करने लगी.
विजय: दीदी क्या हुआ, आप कुछ बोल क्यूँ नही रहे ( वो मुझे बुलाता रहा पर मैं कुछ जवाब नही दे रही थी. उसके बहुत बार पूछने पर मैं कुछ नही बोली)?
मैं: ई आम सॉरी ब्रो. पर अब मुझसे ये सब नही होगा. किसी और के साथ मैं कैसे चुड गयी? मुझे बहुत गिल्ट फील हो रहा है. और तुम मुझे कैसी समझ रहे होगे. ब्रो बिलीव मे, तेरे जीजा जी ने मेरी सील तोड़ी थी, और उसके बाद सीधा तुम और मोहित. और किसी के साथ मेरा ऐसा रिश्ता नही बना है.
विजय: सॉरी दीदी मुझे आपके साथ ऐसा बिहेवियर नही रखना चाहिए था. आंड डॉन’त बे फील गिल्टी. आपने मुझे रूपाली और शालिनी के साथ सेक्स करने का मौका दिया है. मोहित अपना भाई है. घर की बात घर में रहेगी. वैसे भी मैं चला गया तो उसके बाद कोई अपना तो होना चाहिए ना जो मेरी प्यारी बेहन का ख़याल रखे.
शीला: मुझे तो लगा ब्रो तुम मुझसे नाराज़ हो गये हो. पर तुम तो कैसी बातें कर रहे हो. तुम्हे अछा लगता है कोई तेरी बेहन को छोड़ेगा तो?
विजय: सच काहु दीदी. मुझे अंदर से एक फीलिंग आ रही है. कोई मेरी दीदी को मेरे सामने छोड़े. कोई बाहर का हो तो बदनामी का दर्र और अननोन के साथ रिस्क भी है. आपको अछा नही लगा जब मैने आपके सामने रूपाली को छोड़ा था. आप तो कितने हॉर्नी हो गये थे.
शीला: बात तो सही है ब्रो. कल तुम शालिनी को किस कर रहे तो वो देख कर मैं हॉर्नी हो गयी, और मोहित से छूट मरवा बैठी.
विजय: बस दीदी मुझे भी एक बार ये देखना है. प्लीज़ मान जाओ ना.
शीला: ठीक है. मोहित घर का है तो मैं रेडी हू. बस तुम उसको कन्विन्स कर लेना. आज रात हम सब मिल कर मज़ा करेंगे.
विजय: तट’स मी स्वीट सिस्टर.
फिर मैने अपनी देवरानी रूपाली को कॉल किया, और उसके साथ बातें करने लगी. मेरा कॉल कुछ 30 मिनिट तक चला. उसने बताया की वो विजय और मुझे बहुत मिस कर रही थी. वो घर पर उसके बेडरूम में अकेली थी, तो विजय और मैने उसको वीडियो कॉल पर सिड्यूस किया. रूपाली पूरी नंगी हो कर छूट में उंगली कर रही थी. वो देख कर विजय का लंड भी टाइट हो गया. रूपाली को और तड़पने के लिए मैं विजय का लंड उसको दिखाने लगी.
रूपाली (ओं कॉल): भाभी प्लीज़ उसको आचे से खड़ा करो ना, उम्मह. मुझे देखना है इस शैतान को.
मैने उसके लंड के उपर किस किया, और रूपाली से कहा: रूपाली मेरी डार्लिंग देख ये तेरी याद में तड़प रहा है. लेकिन मैं तेरी कमी उसको पड़ने नही दे रही हू.
ऐसा बोल कर मैं हेस्ट हुए विजय का लंड जीभ निकल कर चाटने लगी. विजय भी अब मूड में आ गया था. मैं मोबाइल की स्क्रीन की और देख कर विजय का टोपा चाट रही थी.
रूपाली (ओं कॉल): यार दीदी आप तो मुझे और तडपा रही हो. मुझे भी विजय भैया का लंड चूसने का मॅन कर रहा है.
शीला: ठीक है तो तू भी चली आ आमेडबॅड कोई बहाना बना कर.
रूपाली: आने का तो बहुत मॅन कर रहा है. पर आपके देवर जी अब मुझे छ्चोढ़ नही रहे है. रोज़ रात को मैं उनसे विजय भैया समझ कर चुड़वति हू.
विजय: ओह तो मेरे जैसा मज़ा मिलता है क्या रूपाली?
रूपाली: नही मेरे राजा. आप जैसा मज़ा तो कोई नही दे सकता.
विजय: अब हमने एक और ढूँढ लिया है.
मैने विजय को इशारा किया की तुम अपनी इस चुदाई के बारे में उसको ना बताए.
रूपाली: और कों दीदी?
शीला: अर्रे कुछ नही, ये बोल रहा है ये लंडन जाने से पहले एक और मौका ढूँढ रहा है तुमसे मिलने का.
रूपाली: हा दीदी मॅन तो मेरा भी कर रहा है लास्ट एक बार विजय भाई से सेक्स करू.
रूपाली अब उसकी छूट खोल कर उंगली करने लगी. वीडियो कॉल पर हमे उसकी सेडक्टिव वाय्स सुनाई दे रही थी. विजय भी गरम हो गया था. अब उनसे मोबाइल सेट किया जिससे रूपाली हमे देख सके. विजय ने मुझे खीच कर गोदी में बिता दिया और लिप्स किस करने लगा. मैं भी ऐसी हरकत से गरम हो गयी. विजय ने मेरा टवल निकाल कर फेंक दिया. मैं पूरी नंगी हो गयी.
रूपाली: दीदी आपके मज़े है. मुझे यहा उंगली से काम चलना पद रहा है. विजय भैया ने अपने लंड का मुझे चस्का लगा दिया है. अब तो आपके देवर जी को भी मज़ा देने लगी हू. वो भी मुझे अब आचे से रख रहे है.
मुझे लग रहा था विजय रूपाली की बातों से एग्ज़ाइट हो रहा था. शायद वो भी मेरी हॉट सेक्सी देवरानी को मिस कर रहा था. मैं भी रूपाली की बातें सुन कर हॉर्नी हो गयी थी. मेरी छूट से पानी निकल रहा था, वो विजय को उसके पेट पर फील हुआ.
विजय ने मेरी आँखों में देखा. मैं भी चूड़ने के लिए तड़प रही थी. अब उससे रहा नही गया, और उसने मेरी गांद को उपर किया, और छूट में लोड्ा घुसा दिया. मेरी आँखें उपर चढ़ गयी, और मैं भी मदहोश हो कर उसके लंड के उपर उछाल रही थी.
वो भी मेरे बूब्स पकड़ कर चूसने लगा. मुझे लग रहा था मैं अपनी लाइफ आचे से एंजाय कर रही थी. वीडियो कॉल पर ऐसी हरकत मुझे और हॉर्नी कर रही थी. मेरे माइंड में बहुत से थॉट्स चलने लगे. जैसे की मैं अब विजय से ऐसे ही वीडियो कॉल पर मज़ा कर सकती हू. मैं ये सब सोच-सोच कर झाड़ गयी. अब विजय ने मुझे लिटाया, और मेरे पैर खोल दिए. उसने मोबाइल लिया और रूपाली को मेरी छूट दिखाई.
विजय: देख जान मैने अपनी बेहन की छूट का क्या हाल कर दिया है. तुम यहा होती तो तुम्हे भी ऐसे ही पेलता.
रूपाली: मैने कहा माना किया है? मैं तो रेडी हू रोज़ आपके नीचे आने के लिए (वो फोन छूट के पास रख कर दिखाने लगी). देखिए ना मेरी छूट को आपके लंड को पाने के लिए रो रही है.
रूपाली की सेडक्टिव वाय्स सुन कर तो मुझे भी उसके साथ रोमॅन्स करने का मॅन करने लगा. सोच रही थी घर जेया कर उसके साथ सेक्स करूँगी. उसकी गुलाबी छूट को आचे से खा जौंगी. अब विजय ने मुझे घोड़ी बनाया, और मेरे बाल खींच कर लंड छूट में घुसा दिया और दूसरे हाथ में मोबाइल रख कर रूपाली को अंदर बाहर होता उसका लंड दिखा रहा था.
विजय: देख कैसे मेरी बेहन अपने भैया से छुड़वा रही है. मेरी बेहन में कितनी हवस भारी है, साली अपने ही भाई से छुड़वा रही है. मुझे तो पता ही नही था मेरी बेहन इतनी बड़ी रंडी है. अब तो उसको बड़े लंड चाहिए.
रूपाली: आपके जैसा भैया तो किस्मत वालो को मिलता है उम्म यॅ. और ज़ोर से छोड़ो अपनी रंडी बेहन को. और मुझे भी अपनी रंडी बना लो. मैं भी आपकी कुटिया बन कर आपका ऐसे ही लंड लेती रहूंगी.
विजय और रूपाली दोनो मुझे गाली दे रहे थे.
रूपाली: छोड़ो साली छिनाल को. खुद तो छुड़वा रही है, और मुझे यहा अकेले छ्चोढ़ कर चली गयी. पहले अपने भाई से चुडवाया और मुझे भी बड़े लंड का चस्का लगा दिया. यहा मैं उंगली से काम चला रही हू, और वाहा ये रंडी बड़े मज़े से छुड़वा रही है.
शीला: मैं रंडी हू तो तू भी कुछ कम नही है. देख ना मेरे भाई के लंड पे मर्री जेया रही है. अब तो विजय सिर्फ़ मुझे छोड़ेगा. तुम अपना पर्सनल लंड ढूँढ लो.
रूपाली (हेस्ट हुए): दीदी मैने नया लंड ढूँढ भी लिया है, और 2 बार छुड़वा भी लिया है.
मैं झट से खड़ी हुई, और विजय के हाथ से मोबाइल चीन कर उससे बात करने लगी.
शीला: रूपाली क्या बात कर रही हो? कों है वो?
रूपाली: आप यहा आएँगी तब बतौँगी. वो तो आपके भी दीवाने है.
विजय और मैं सर्प्राइज़्ड हो कर एक-दूसरे की और देख रहे थे. विजय ने मेरी टांगे कंधे पर लेकर मेरी चुदाई शुरू कर दी.
मैं (ओं कॉल): रूपाली ये तो बता कों है वो? यॅ अया श तुम चुदाई की आग में कुछ ऐसा ना करो की हम सब को भुगतना पड़े.
रूपाली: अर्रे उम्म.. दी..दी… आप क्यूँ इतनी टेन्षन ले रही… हो? आप समझ लो की बहुत सेक्यूर बंदा मिला है. ट्रस्ट मे, किसी को पता नही चलेगा.
विजय: रूपाली तुम बड़ी नॉटी हो गयी हो?
रूपाली: विजय भैया थॅंक्स तो योउ. आप नही होते तो मेरी लाइफ खराब हो गयी थी. और दीदी आप को बस इतना कहना चाहती हू की हमारी ये चुदाई घर की बात घर में रही. वैसे ही मेरी भी घर की बात घर में ही रही है. मैं जानती हू की बाहर सेक्स करना रिस्की है. घर की इज़्ज़त दाव पर लग सकती है.
रूपाली की बात से अब मुझे और उस बंदे के बारे में जानने की तड़प लगने लगी. और उसकी बात से मुझे और थ्रिलिंग फील होने लगा. मेरी धड़कने तेज़ हो गयी. मेरी धड़कने विजय को भी फील हो रही थी. हम दोनो थ्रिल और एग्ज़ाइट्मेंट में झाड़ गये. विजय भी मेरी छूट में झाड़ गया, उसको पता ही नही चला. रूपाली का भी हो गया. फिर उसने बाइ कहा, और फोन रख दिया.
विजय: दीदी कों हो सकता है जिसके साथ रूपाली सेक्स कर सकती है?
मैं: मेरे भाई मुझे खुद नही पता. उसकी बात से तो मुझे भी अब दर्र लग रहा है कही उसने कोई गड़बड़ ना की हो.
विजय: पर वो बोल रही थी घर की बात घर में रहेगी, और वो आपका भी दीवाना है. कों हो सकता है?
मैं: ब्रो मुझे भी ये सब सोच कर समझ नही आ रहा. वाहा घर का कों हो सकता है. लेकिन घर की बात है तो सेफ ही होगा.
उसके बाद मैं और विजय फ्रेश हो कर कपड़े पहन कर शालिनी और मोहित के पास चले गये. उसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. स्टोरी अची लगे तो प्लीज़ कॉमेंट करे और अपने भाई बेहन से शेर करे. जिससे आप भी मेरी तरह अपने भाई का लंड छूट में उतार सको.