भाभी सेक्स कहानी का अगला पार्ट-
रोहिणी: वैसे सिद्धि ने तुम्हे क्या बोला था?
विवेक: यहीं की बहुत दीनो से प्यासी है उसकी छूट. तू अपना लंड खिला दे ना उसे. उसकी छूट को रस्स पीला दे, उसकी प्यास बुझ जाएगी.
रोहिणी: हाए! ऐसा बोला उन्होने? यार मैने ऐसा कुछ नही बोला था. मैने तो बस बोला था की लड़का अछा लगता है सीधा-सिंपल सा. पर मुझे क्या पता था की सीधा दिखने वाला इतना हरामी है, की ऐसे फ्लॅट में घुसेगा की छूट तक में घुसना पड़ेगा.
हम दोनो हासणे लगे, और फिर चुप हो कर एक-दूसरे की आँखो में देखने लगे. फिर दोनो तोड़ा-तोड़ा पास आए, और एक-दूसरे के होंठो को बहुत आराम से चूसने लगे. बहुत डीप और इनटेन्स किस्सिंग, पर बहुत आराम-आराम से.
मैने दोनो बूब्स पाक्दे, और धीरे-धीरे दबाने लगा. हल्के-हल्के निपल्स पिंच करने लगा. उसको दर्द होता तो स्माइल करके मेरे गाल पर हल्के से मार देती. तो कभी-कभी आँखें दिखा देती.
10 मिनिट ऐसे ही किस करने के बाद उसे बाहों में उठाया, तो अपने हाथ मेरे कंधो पर रख कर मुझे हग कर लिया.
विवेक: बेडरूम किधर है?
रोहिणी: जहाँ तुम छोड़ना चाहो वहीं.
फिर मैं उसे बेडरूम में ले गया, और बेड के पास खड़ा किया. मैने उसका पल्लू पकड़ कर सारी खोली, और नीचे से पेटिकोट खोला. अब वो सिर्फ़ अंडरवेर में थी, और क्या कातिल लग रही थी यार कसम से. इतनी गोरी चाँदी, की उसे छ्छूते ही स्किन रेड हो जाती थी.
विवेक: भाभी तुझे छोड़ने में बहुत मज़ा आएगा यार. तू इतनी कातिल माल है कसम से.
रोहिणी: तो फिर किस बात का इंतेज़ार कर रहे हो विवेक? जब भूख प्यास मिटाने ही आए हो, तो शुरू करो ना. मेरी छूट में आग भड़का कर अब क्यूँ तडपा रहे हो?
विवेक: इतनी भी क्या जल्दी है मेरी जान? अभी तो तुझे और तड़पौँगा. तभी तो छूट लेने में मज़ा आएगा.
रोहिणी: अब और कितना तड़पावगे? प्लीज़ छोड़ो मुझे. फक मे विवेक प्लीज़. यार ना जाने कब से खीरा, मूली, गाजर, और डिल्डो से शांत कर रही हू खुद को. आज असली लंड लेने को मिलेगा. मुझसे कंट्रोल नही हो रहा है, बस पेल दो यार.
मैं उसकी तड़प के आयेज हार गया भाइयों, और उसने मेरा पंत और अंडरवेर खींच कर नीचे कर दिया.
रोहिणी: उफ़फ्फ़ मा, वाह, मज़ा आ जाएगा विवेक इससे तो आज. अब और ना टाइम वेस्ट करो, बस ले लो मेरी प्लीज़.
रोहिणी भाभी की छूट देखी यार, फूली-फूली छूट, काले घने बालों से ढाकी हुई थी.
विवेक: अर्रे यार ये क्या जंगल उगा रखा है तूने साली.
रोहिणी: हाए, ऐसी लॅंग्वेज उसे मत करो प्लीज़. मुझे शरम आती हज विवेक. तुम बहुत छ्होटे हो मुझसे.
विवेक: साली छूट खोले खड़ी है मेरे सामने चूड़ने को, और शरम का बोल रही है. अभी देखना ये छ्होटा कैसे तेरी बड़ी छूट की मा छोड़ता है.
मैने रोहिणी भाभी को आँख मारी, तो वो स्माइल करने लगी.
रोहिणी: हाए मेरी मा, क्यूँ तडपा रहे हो मुझे विवेक. बस डाल दो ना प्लीज़, ललचाओ मत मुझे.
विवेक: पर करना क्या है मुझे भाभी जी, वो तो बताया ही नही आपने अभी तक.
रोहिणी भाभी स्माइल करके मुझे देखने लगी, और मूह बनाने लगी, जैसे बोल रही की प्लीज़ अब ऐसे बुलवाओ मत मुझसे, और कर दो जो करना है. और मैं तो हू ही हरामी, जब तक बोलेगी नही लंड छूट में नही जाएगा.
विवेक: बताओ ना जल्दी भाभी क्या करना है?
रोहिणी: प्लीज़ यार ऐसे मत करो. कुछ तो शरम रखो यार, आगे में बड़ी हू तुमसे. ऐसे बोलने में बहुत शरम आ रही है मुझे.
मैने उसके बाल पकड़े पीछे से, और अपना लंड उसकी छूट पर रगड़ने लगा, और उसे उकसाने लगा.
विवेक: बोलना तो तुझे पड़ेगा साली, अगर मेरा लंड लेना है, मेरी रॅंड बनना है, तो ये शरम छ्चोढनी होगी तुझे.
रोहिणी: आहह विवेक, प्लीज़ बाल छ्चोढो, और प्लीज़ तड़पाव मत ना. डाल तो प्लीज़.
विवेक: क्या डाल डू रॅंड साली? क्या चाहिए तुझे बोल?
रोहिणी: मुझे तुम, प्लीज़ नही करो ना विवेक (मैने बालों को तोड़ा और टाइट कर खींचा). मुझे तुम्हारा लंड डेडॉ विवेक, प्लीज़ डाल दो अपना लंड मेरी छूट में. छोड़ डालो मुझे प्लीज़.
उसने इतना बोला. फिर मैने अपना लंड पकड़ कर छूट के च्छेद पर रखा. फिर लंड हाथ से पकड़े हुए ही छूट की दीवारों को अलग किया लंड से, और फिर ज़ोर से रगड़ने लगा.
रोहिणी: अब क्यूँ तडपा रहे हो विवेक. अब तो बोल दिया ना, जैसे तुम चाहते थे. अब डालो ना यार.
मैने उसको बेड पर धक्का दिया, और दोनो टाँगें खोल कर फैला दी. उसकी छूट भी पानी-पानी हो रखी थी, तो लंड रगड़ने की वजह से गीला हो गया था. मैने पूरा पकड़ा, और एक ज़ोर का झटका मारा, तो लंड चूड़ी-चुदाई छूट को चीरता हुआ अंदर धस्ता गया. और सच में ऐसे ही लग रहा था भाइयों की जैसे किसी गरम दलदल को चियर रहा हो लंड.
रोहिणी: ऊहह मा, हाए रे, मॅर गयी, उफफफ्फ़ कितना बड़ा और मोटा है ये विवेक. आहह मा फटत गयी रे फटत गयी मेरी छूट.
मैने लंड बाहर निकाला, और फिरसे दे मारा.
रोहिणी: आहह मा विवेक, प्लीज़ रुक जाओ तोड़ा. एम्म्म बहुत दीनो बाद कोई अछा असली लंड गया है छूट में. अड्जस्ट होने दो प्लीज़.
विवेक: चुप साली, अभी तो बोल रही थी के डिल्डो और गाजर मूली लेती रहती है.
रोहिणी: हा तो वो मैं अपने अकॉरडिंग तेज़ स्लो लेती हू ना. तुम तो जानवर बन रहे हो. बच्चेड़नी तक पेल रहे हो मुझे.
उसकी बातों से जोश आया मुझे, और मैने उसकी टाँगें क्रॉस करके कंधे पर रखी. फिर अपने पैर फैला कर सारा वेट उसकी कमर पर रखा और उसकी छूट लेना शुरू किया. पच-पच ठप-ठप से सारा कमरा गूँज रहा था.
रोहिणी: आहह मा, फक. बहुत बड़ा है यार तुम्हारा.
विवेक: भाभी खुल कर मज़े लो, ऐसे शरम करोगी तो मुझे जोश नही आएगा, और पूरा मज़ा नही दे पौँगा.
रोहिणी: मुझे आअहह एम्म्म मा मुझे आदत नही हह एमेम इसकी. मेरे हज़्बेंड तो चुप-छाप छोड़ कर सो जाते थे. ना खुद कुछ बोलते थे, और मुझे कुछ बोलने को कहते थे. बस काम निपटाया और सो गये.
विवेक: तभी मैं सोचु ये चूड़ी-चुदाई छूट भी इतनी टाइट क्यूँ है.
रोहिणी: धात्ट, कितनी गंदी तरह बात करते हो तुम यार.
विवेक: अछा जी, तू रुक तेरी शरम खोलता हू अभी.
मैने उसकी टाँगें अपनी कमर पर लपेटी, और कमर को कस्स कर पकड़ा, और लंड पेल दिया एक शॉट में. फिर लंड अंदर तक घुसा कर रखा, और और अंदर प्रेशर करता रहा. फिर निकाला, और वापस से पेल दिया.
रोहिणी: आ आ मा मेरी रे. विवेक नो, मैं हॅंडल नही कर पा रही हू इतने तगड़े झटके. रुक जाओ ना.
फिर मैने थोड़ी स्पीड बधाई, और लंड को आधा निकाल कर फिरसे स्पीड में पेल देता. वो हर झटके पर आहह करती, और बेडशीट को जाकड़ लेती.
विवेक: लगता है भैसाहब ने आचे से ली नही कभी तेरी भाभी. वरना इतना ग़ज़ब माल मेरे पास होता तो मा चुड गयी होती उसकी छूट की अब तक.
रोहिणी: तुम बहुत गंदे हो विवेक. मेरे हज़्बेंड का इतना बड़ा नही था, जितना तुम्हारा है.
विवेक: क्या बड़ा नही था?
वो कुछ नही बोली तो मैने उसे अपने और पास खींचा, और गाल पर एक थप्पड़ मारा, पर तोड़ा हल्के से जिससे वो होश में आए चुदाई की मदहोशी से. फिर जैसे ही उसने आँखें खोल कर मुझे देखा, तो मैने लंड पूरा अंदर तक पेल दिया.
मैने ऐसे ही उसे आधा लंड बाहर निकाल-निकाल कर छोड़ा, और उसे भी मज़ा आने लगा. लंड भी अब छूट में आराम से आ जेया रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें पकड़ी, और एक साइड कर दी, जिससे वो थोड़ी पलट गयी एक साइड, और अब छूट थोड़ी और टाइट लगने लगी.
उसकी छूट की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी अपने लंड के टोपे पर. फिर मैने उसे दोबारा छोड़ना शुरू किया.
रोहिणी: आअहह एस विवेक, करो, और तेज़ करो एम्म. मेरी छूट की प्यास मिटा दो प्लीज़.
मैने मॅन ही मॅन खुश हो रहा था, और बहुत तेज़-तेज़ छोड़ रहा था उसकी छूट को.
रोहिणी: श विवेक, छोड़ते रहो मुझे. हाए मेरी छूट फटने को है विवेक, छोड़ो मुझे. निकालो मेरा पानी आअहह आहह एस, फक फक.
और उसकी छूट बहने लगी. मैने लंड बाहर निकाला, और मूह से छूट भर ली उसकी. म्म्म्मम क्या रसीली छूट थी यार, दोनो हाथो से उसकी छूट की दीवारें अलग करके, छूट चाट-चाट कर सारा राअ पिया.
रोहिणी: चूस सेयेल अपनी रॅंड की छूट आचे से.
और वो मेरा सिर अपनी छूट में दबाने लगी.
रोहिणी: मा रे, विवेक पता है मेरे हज़्बेंड ने आज तक मेरी छूट नही चूसी? मुझे सेक्स इतना पसंद था, जब भी स्टोरीस या वीडियोस देखती थी तो सोचती थी हज़्बेंड जब छोड़ा करेगा, तो मैं भी ऐसे ही चिल्लाया करूँगी. सेयेल ने कुछ ढंग का किया ही नही.
विवेक: कोई बात नही भाभी, अब मैं आ गया हू ना आपका नया हज़्बेंड. छूट की तेरी मा ना छोड़ी, तो विवेक नाम नही मेरा.
रोहिणी: एस जानती हू मैं. शिखा की चीखें सुनी है मैने. तभी तो तुमसे चूड़ने की प्लाननिग की थी. शिखा का नाम सुनते ही मेरी गांद फटत गयी.