बेटी के अपने बीमार बाप से चूड़ने की कहानी

ही दोस्तों, मेरा नाम सुमन है. मेरी उमर 27 साल है, और मैं एक शादी-शुदा लड़की हू. मेरी शादी 2 साल पहले हुई थी. दिखने में मैं अची ख़ासी हू.

शादी से पहले मैं थोड़ी पतली थी, लेकिन मेरे पति ने मुझे छोड़-छोड़ कर मेरे अंगो को मोटा कर दिया. अब मेरी गांद 38″ की, बूब्स 36″ के, और कमर 30″ की है. रंग मेरा गोरा है, और मेरे पति के सारे दोस्त मुझे हवस भारी नज़रों से देखते है.

शादी से पहले मैं अपने पापा के साथ रहती थी. मम्मी की डेत 20 साल पहले ही हो चुकी थी. पापा ने प्राइवेट जॉब करके मुझे पढ़ाया-लिखाया और काबिल बनाया. लेकिन मेरी शादी के बाद पापा जैसे अकेले हो गये. ये कहानी मेरी और मेरे पापा की है. तो चलिए शुरू करते है.

2 महीने पहले पापा की तबीयत थोड़ी खराब हो गयी, तो मैं उनके पास उनका ध्यान रखने गयी. डॉक्टर ने पापा को बेड रेस्ट करने को बोला. जब मैने पापा को देखा, तो मुझे उन पर तरस आने लगा. उनकी जीने की इक्चा ख़तम हो चुकी थी. लेकिन मैं उनको खुश देखना चाहती थी.

फिर एक रात मैने उनको दवाई दी और सुला दिया. उसके बाद मैं अपने कमरे में जाके सो गयी. कुछ घंटो बाद मेरी नींद खुली. मैं उठी, और चेक करने गयी की पापा ठीक थे या नही.

जैसे ही मैं उनके रूम के पास पहुँची, तो मुझे उनकी आहह आ की आवाज़ सुनाई देने लगी. मुझे लगा उनकी तबीयत खराब हो गयी, तो मैं जल्दी से अंदर जाने लगी.

फिर जैसे ही मैने दरवाज़ा खोला, तो देखा पापा मूठ मार रहे थे. पापा का मूह दूसरी तरफ था, और दरवाज़े की आवाज़ ना होने की वजह से उनको मेरे रूम में आने का पता नही चला.

पापा का लंड कम से कम 7 इंच का था, और वो अपनी आँखें बंद करके उसको हिला रहे थे. फिर अचानक से उन्होने मेरा नाम लेना शुरू कर दिया, और उनके मूठ मारने की स्पीड तेज़ हो गयी.

मैं पापा के मूह से मेरा नाम सुन कर हैरान हो गयी. फिर मैं जल्दी से दबे पावं उनके रूम से बाहर आ गयी. अब मैं अपने रूम में थी. मैने सोचा, की मेरे पापा कितने अकेले थे, तो मैं अगर उनका अकेलापन डोर करने के लिए उनके किसी काम आ जौ, तो इसमे दिक्कत भी क्या थी.

ये सोच के मैने डिसाइड किया, की मैं अपने पापा की प्यास बूझौँगी. मैने अपने कपड़े उतारे, और ब्रा पनटी में आ गयी. मैने वाइट ब्रा और ब्लू पनटी पहन रखी थी. फिर मैं दोबारा से पापा के रूम में गयी.

पापा अभी भी अपना लंड हिला रहे थे. तभी मैं पापा के पास गयी, और उनको आवाज़ लगाई.

मैं: पापा.

मेरी आवाज़ सुन कर पापा घबरा गये, और हड़बड़ी में अपना लंड च्छुपाने लगे. उन्होने कैसे भी करके लंड को अपने पाजामे में डाला. फिर वो सीधे होके बैठे और बोले-

पापा: बेटी वो…

तभी उन्होने देखा की मैं ब्रा पनटी में थी. वो मुझे हैरान होके देखने लगे, और बोले-

पापा: ये क्या बेटी, तुम ये बिना कपड़ो के. कैसे?

मैं आयेज बढ़ी, और पापा के सामने घुटनो के बाल बैठ गयी. फिर मैने पाजामे के उपर से पापा के लंड पर हाथ डाला, और बोली-

मैं: पापा मैं जानती हू, की मेरे जाने के बाद आप अकेले हो गये है. आज मैं आपका अकेलापन डोर करूँगी.

ये बोल कर मैने पापा के लंड को मसलना शुरू कर दिया. तभी पापा बोले-

पापा: तुम्हे ये सब करने की ज़रूरत नही है. तुम मेरी बेटी हो.

मैं: मैं जानती हू पापा मैं आपकी बेटी हू. लेकिन मैं एक औरत और आप एक मर्द भी हो. अभी आप मेरा नाम लेके मूठ मार रहे थे. मैं जानती हू आप मुझे पसंद करते है. आज हमारा रिश्ता भूल कर मैं आपके पास आई हू. आप भी भूल जाओ, और अपनी इक्चा पूरी करो.

बस मेरे ये कहने की देर थी. तभी पापा ने अपना लंड पाजामे से बाहर निकाला, और बोले-

पापा: चल चूस मेरी बेटी अपने पापा का लंड.

मैं पापा को देख कर मुस्कुराइ, और उनका लंड अपने मूह में डाल लिया. फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से उनका लंड चूसने लग गयी. पापा ने मेरे बालों में हाथ डाला, और मेरे मूह में धक्के देने लगे. वो आहह आ कर रहे थे, और बेटी-बेटी बोल रहे थे.

लंड चुस्वते हुए वो अपना हाथ मेरी पीठ पर लेके गये, और मेरी ब्रा खोल दी. फिर वो हाथ नीचे लेके गये, और मेरे चूचे दबाने लग गये. इससे मैं और गरम होने लगी.

फिर मैने जब लंड मूह से बाहर निकाला, तो पापा ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे अपने मूह के पास किया, और मेरे होंठ चूसने लग गये. वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रहे थे.

फिर वो मूह से नीचे आए, और मेरे चूचों पर टूट पड़े. उन्होने मुझे अपनी गोद में बिता लिया, और मेरे चूचों को चूसने लग गये. साथ में वो मेरी छूट को पनटी के उपर से सहलाने लग गये. मैं पापा के सर को अपने चूचों में दबा रही थी.

फिर पापा ने मुझे बेड पर लिटाया, और अपने सारे कपड़े उतार दिए. उन्होने मेरी पनटी उतरी, और मेरी छूट चाटने लगे. मेरी छूट पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, और वो जीभ मेरी छूट में अंदर-बाहर करने लग गये.

अब मैं चूड़ने के लिए तड़प रही थी. पापा भी ये समझ गये, और लंड मेरी छूट पर रगड़ने लग गये. फिर उन्होने एक ही झटके में पूरा लंड छूट में उतार दिया. मेरी कामुक आहें निकालने लग गयी.

पापा अपने लंड को अंदर-बाहर करके मुझे छोड़ने लग गये. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. अपने ही बाप से चूड़ने का एक अलग ही मज़ा होता है. पापा को भी अपनी सेक्सी बेटी को छोड़ कर मज़ा आ रहा था.

उन्होने मेरी टांगे मोड़ ली, और ज़ोर के धक्के मारने लगे. फिर वो बोलने लगे-

पापा: आ आ बहुत मज़ा आ रहा है बेटी. क्या मस्त छूट है तेरी. इतने सालों ते तुझे सोच-सोच कर माल निकाल रहा हू. आज बड़ा मज़ा आ रहा है.

और ये बोल कर पापा ने स्पीड और बढ़ा दी. 20 मिनिट लगातार छोड़ने के बाद पापा ने अपना लंड छूट से बाहर निकाला, और मेरी नाभि पर अपना माल निकाल दिया.

उसके बाद मैं जीतने दिन उनके पास रही, रोज़ उनसे चुड्ती रही. वो मुझे दिन में 3-4 बार छोड़ रहे थे, और बिल्कुल ठीक भी हो गये थे. शायद मेरे प्यार ने उनको ठीक कर दिया था.

अब मैं थोड़े दिन बाद पापा को मिलने जाती हू, और वाहा जाके पापा की रंडी बन जाती हू.

थे एंड.





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