हेलो दोस्तों, ये है मेरी मों-सोन सेक्स स्टोरी का अगला पार्ट. पिछले पार्ट में आप लोगों ने पढ़ा की कैसे मैं अंशु को अपने रूम में बुला के उससे अपनी ब्रा निकळवती हू, और उसके हाथो को चूचियों पे रख देती हू. फिर भी वो मान नही रहा था. अब आयेज-
मैं समझ गयी थी की ये मुझसे शर्मा रहा था. उसके अंदर एक झिझक थी, दर्र था. लेकिन करना तो वो भी चाह रहा था, क्यूंकी उसके हाथ हटाने के बाद भी वो वहीं नज़रें झुका के खड़ा रहा चुप-छाप.
फिर मैं भी एक-दूं निडर हो गयी, और उसको गरम करने लगी. उसका लंड लोवर के उपर से ही पकड़ के सहलाते हुए उससे बोली-
मैं: अब बस भी कर. मत शर्मा बेटा. मैं तुझे देखी हू तू किस तरह रूम में पॉर्न देखते हुए मास्टरबेट करता है.
वो अब भी बिल्कुल चुप-छाप खड़ा था. कुछ बोल नही रहा था. लेकिन उसके रिक्षन्स से पता चल रहा था की अब वो मेरे साथ फ्री हो रहा था. उसका लंड भी लोवर में तंबू की तरह खड़ा हो गया था. मेरे हाथो के पकड़ में नही आ रहा था, लोवर में होने की वजह से, और बड़े होने की वजह से भी. अब मैं उसको पकड़ के बेड पे लेके लेट गयी अपने उपर. वो फिर भी शांत था.
मैं उससे बोली: तुझे मम्मी के बूब्स आचे नही लग रहे क्या? बेटा देख ये हम दोनो की ज़रूरत है, और तेरे पापा भी तो यहा जल्दी नही आते. ये सब बातें हमारे ही बीच रहेंगी.
मैने उसको बोला: मेरे बूब्स चूस. बचपन में बहुत पिलाए है मैने तुझे.
वो हस्स पड़ा. फिर अपने दोनो हाथो से मेरी चूचियों को मसालने लगा. मेरे गुलाबी निपल्स को किसी छ्होटे बच्चे की तरह चूस-चूस कर पीने लगा.
अब जाके मेरी जान में जान आई की ये मान गया.
फिर उसने मुझसे बोला: मम्मी आपके बूब्स कितने बड़े-बड़े है, एक-दूं सॉफ्ट.
मैं बोली: हा बेटा पी जेया. निचोढ़ दे इसको आज.
मैं उसको किस करने लगी. अब वो भी मेरा साथ दे रहा था. हम दोनो ने एक-दूसरे के सिर को पकड़ लिया, और लीप तो लीप किस करने लगे. अंशु मेरे लिप्स अपने मूह में ले लेकर आचे से चूसने लगा. 4-5 मिनिट तक हम ऐसे ही एक-दूसरे को लिपट कर करते रहे.
अब अंशु खुद उठ कर मेरे साए का नाडा खोलने लगा. मैं समझ गयी की अब इसके लंड में आग लग चुकी थी, क्यूंकी जब लंड में आग लगती है, तो इंसान को सिर्फ़ जिस्म से मतलब होता है. उसे मा बेहन कुछ नही समझ आता.
उसने मेरा साया निकाल दिया, और मैं अब पनटी में थी सिर्फ़. मैं भी उसे मदहोश आवाज़ो में बोली-
मैं: बेटा अपने कपड़े भी उतार दे.
उसने तुरंत अपना लोवर और त-शर्ट उतार दिए, और अंडरवेर में आ गया. मैने उसका लंड देखा, काफ़ी बड़ा और मोटा था. पर उसने शेव नही कर रखी थी. उसके नीचे के बाल बड़े थे.
मैं उसको बोली: इसको बनता नही क्या, इतने बड़े हो गये है?
वो शर्मा कर बोला: बना लूँगा.
उसका लंड गीला हो गया था. मैं हल्के से उसके लंड को हिलाई, फिर मूह में ले ली, और स्लोली-स्लोली बिल्कुल किसी लॉलिपोप की तरह उसे चूसने लगी. अंशु की आवाज़े निकालने लगी आ आ मम्मी आ. उसकी आँखें बंद होने लगी थी. मैं ये सब सुन के और देख के पुर जोश में आ गयी. फिर कुछ देर मूह में लेने के बाद मैं बेड पे लेट गयी.
फिर अंशु उठ के मुझे चूमते हुए, मेरी चूचियों को किस करते हुए, और जीभ से चाट-ते हुए पनटी तक पहुँच गया. अब मैने अपनी गांद उठा ली. उसने मेरी पनटी निकली, जो पहले ही थोड़ी गीली हो गयी थी. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे.
मैने अंशु को बोला: बेटा चाट. चूस मेरी छूट को.
वो पहले तो अपनी उंगलियों से मेरी गीली छूट को सहलाने लगा. फिर वो मेरी छूट के च्छेद को ध्यान से देखने लगा.
वो बोला: मम्मी आज पहली बार देख रहा हू. आप नंगी होके एक-दूं मिलफ लग रही हो.
फिर वो मेरी छूट में अपनी जीभ डाल के सहलाने लगता है. मेरी हाए निकल गयी. वो मेरी छूट को आइस्क्रीम की तरह चाट रहा था. ना चाहते हुए भी मेरे मूह से आ उम्म आहह बेटा आ की आवाज़ निकल रही थी. इससे पहले ऐसा एक्सपीरियेन्स मैं कभी नही की थी. 8-10 मिनिट चुसवाने के बाद मैं बोली-
मैं: बेटा बस कर, आ. अब मुझसे नही रहा जेया रहा, डाल दे अब.
मैने अंशु को अपने उपर लिया, और उसके लंड को अपनी छूट पे सेट की.
फिर बोली: अंदर डाल बेटा.
हम दोनो बिल्कुल जोश में थे. आपको बता डू जो लोग अपनी स्टोरीस में लिखते है की मेरा लंड जेया नही रहा था, वो चिल्लाने लगी, ऐसा कुछ भी नही होता. किसी भी शादी-शुदा औरत की छूट में लंड आसानी से चला जाता है, और वो तब चिल्लती है, जब कोई बड़े और मोटे लंड वाला उसे तेज़ रफ़्तार से छोड़े, और उसे संतुष्ट कर दे. अंशु मुझे छोड़ रहा था आराम-आराम से चूचियों को दबाते हुए.
फिर उसने मुझसे बोला: मम्मी अगर मेरा अंदर गिर गया तो?
फिर मैं उसको समझाई बच्चे-दानी और ऑपरेशन के बारे में.
वो बोला: मतलब छ्छूट गया तो कोई दिक्कत नही?
मैं बोली: हा.
अंशु अभी बहुत नादान था.
मैने अंशु को बोला: बेटा और तेज़ छोड़.
उसकी कमर को मैं छूट की तरफ धक्का देने लगी, और बोली: आ बेटा, और तेज़, और तेज़ आ. उम्म्म.
फिर मैं अंशु को नीचे लिटा के उसके उपर आ गयी. फिर लंड को अपनी छूट में सेट करके मैं कूदने लगी उसके उपर. अब हम दोनो की आवाज़े निकल रही थी “आ आ बेटा उम्म. मम्मी आहह”. 3-4 मिनिट बाद ही अंशु की आवाज़े और तेज़ निकालने लगी.
उसने अपनी दोनो हाथो को मेरी गांद पे रख दिया, और दबाते हुए मुझे और तेज़ी से उछालने लगा अपने लंड पे.
अंशु: मम्मी आहह आ और तेज़ आ. मेरा निकालने वाला है आ. फिर थोड़ी देर में उसका मेरे अंदर ही निकल गया.
मैं उसको बोली: हो गया तेरा?
वो बोला: हा मम्मी. हिलाते वक़्त तो मेरा इतनी जल्दी नही होता. कम से कम आधा घंटा लगता है मुझे. पर छूट में लंड जाते ही इतना जल्दी हो गया, और मज़ा भी बहुत आया.
मैं उसे किस करते हुए बोली: कोई नही बेटा, होता है. ये तेरा फर्स्ट टाइम था ना इसीलिए.
बाकी कहानी नेक्स्ट पार्ट में. आयेज की स्टोरीस थोड़ी शॉकिंग है.