बेटे की बीमारी के बहाने मा चुदी उसके दोस्त से

आप सब ने पुरानी स्टोरी पढ़ी कैसे अशरफ और मेरी मा के बीच की नज़दीकिया बढ़ गयी थी, और हम अपना कॉलेज करने पुणे आ गये. पुणे आने के बाद अशरफ बहुत उदास और चिड़चिड़ा हो गया था. वो मा के लिए पागल हो रहा था, जो रोज़ रात को मेरी मा से वीडियो कॉल पर मूठ मारने से समझ आ रहा था.

2 महीने बीट गये. तभी मेरी तबीयत खराब हो गयी. अशरफ बहुत खुश था. वो मुझे बार-बार मा को बुलाने को कह रहा था. तभी ग़लती से मैने पापा को बता दिया की मैं बीमार था. अब पापा मा को लेकर पुणे मुझे देखने आने वाले थे. आख़िर पापा मा को लेकर आ ही गये.

मा को दरवाज़े पर देखते ही अशरफ के चेहरे पर खुशी आ गयी, और उसका लंड फंफनाने लगा. मा ऑरेंज कलर के लेगैंग्स और सूट में थी, जिसमे उसकी पतली कमर और बड़े चुचे और गांद किसी के भी लंड से पानी निकाल दे. उसके चेहरे में अलग ही चमक थी. हमने उन्हे अंदर वेलकम किया. मा ने अशरफ की तरफ देखा भी नही जैसे कुछ हो ही नही, और पापा के पीछे-पीछे चल दी.

पापा: क्या हुआ है?

कारण: फुड पाय्ज़निंग डॉक्टर बता रहे.

पापा: और खाओ बाहर का.

मा: तो क्या करे बेचारा, ना खाए खाना? कोई ऑप्षन भी तो नही है.

पापा: कल मैं चला जाता हू, मा को यही रख लो. जब तक ठीक नही हो जाते, यही बना कर खिलाएगी.

ये बात सुन कर अशरफ के चेहरे पर खुशी दिख रही थी,

मा: मैं चेंज करके आती हू.

फिर मा अंदर से येल्लो निघट्य में आई, जिसमे उसके बदन की चमक से मुझे भी कपड़े फाड़ने का मॅन हो रहा था. मैं अब अशरफ की हालत समझ रहा था.

पापा: मैं फ्रेश हो कर आता हू.

पापा के जाते ही अशरफ ने मा को दबोच लिया. मा उसके हाथो में क़ैद हो गयी थी, और उनकी आँखें बंद हो गयी. अशरफ के हाथ मा के चुचे को मसल रहे थे, और उसने झट से अपनी तरफ मोड़ा. मा की आँखें खुली.

अशरफ: मेरी जान, तुम मुझे भूल तो नही गयी?

मा: कैसे भूलूंगी?

ये सुनते ही वो मा से लिपट गया, और दोनो लीप-किस में मदहोश हो गये. अशरफ का हाथ मा की निघट्य को उठा कर उसकी गोल गांद दबोच रहा था. उसने मा की पनटी नीचे करी. फिर मा ने उसके शॉर्ट्स से उसका काला लंड अपने हाथ में पकड़ा. तभी फ्लश की आवाज़ आई, और धक्का देते हुए मा बोली-

मा: अभी नही.

ये कह कर मा ने अपनी पनटी उपर चढ़ा ली. अशरफ गुस्से में दूसरे कमरे में चला गया. अगले दिन पापा जाने लगे. मा तैयार हो कर ब्लू निघट्य में थी. उनके जाते ही अशरफ ने पीछे से मा को दबोच लिया. मा भी अब उसके उस काले महकते बदन से लिपट गयी. उसने एक झटके में उसकी निघट्य फाड़ दी, और उसे उठा कर रूम में ले आया.

अशरफ: कब से इंतेज़ार कर रहा हू इस पल का मेरी जान. तू कब आए और मेरे इस लंड को इसका प्यार मिले.

मा: अब तो मैं यही हू.

ये सुन अशरफ ने मा की पनटी की लाइन खिसका कर अपना लंड अंदर डाला. डालते ही मा की आँखें बंद और मूह का रंग बदल गया. वो हाथ की मुट्ठी से बिस्तर को पकड़ एक ज़ोर की चीख मारो. लंड अंदर गया, और तुरंत ही उसकी छूट ने पानी की पिचकारी छोढ़ दी.

फिर थापा-ठप की आवाज़ में देर तक चूड़ते हुए सिसकियों ने मेरे लंड का पानी निकाल दिया. तभी वो दोनो झाड़ गये, और एक-दूसरे से लिपट के सो गये. धीरे-धीरे रात हो गयी, और हर आधे घंटे पर मा की चीखें आती, और फिर शांति छा जाती. ऐसे ही रात भर उसकी चुदाई चली.

मैं: अशरफ को मॉर्निंग वॉक पर बुला लू?

रेहान: आज उसकी रॅंड है, आज उसकी अलग एक्सर्साइज़ चल रही है.

ये सुन मुझे अजीब लगा. पर यही सच था. शाम में वो दोनो बाहर आए. मा नंगी थी. उसका गोरा बदन और शेव्ड छूट चमक रहे थे.

अशरफ: आज तोड़ा शॉपिंग करते है.

मैं: क्या लेना है?

अशरफ: मेरी जान के लिए कपड़े.

मैने मा की तरफ देखा. उन्होने नज़र नीचा कर ली. फिर वो दोनो शॉपिंग गये, और फिर देर रात तक चीखें और सिसकियों का सिलसिला चलता रहा. अगले दिन हम मॉर्निंग वॉक के लिए तैयार हुए. अशरफ भी निकल कर आया.

रेहान: आज कैसे? कहा है तेरी जान और इसकी मा.

अशरफ: वो भी चलेगी.

ये सुन मैं शॉक्ड था. तभी मा लड़कियों वाली हॉट पंत और टॉप में आई, जिसमे उसकी गांद पूरी तरह से मटकते हुए विज़िबल थी, और चुचे कूद रहे थे. जिसे देख मेरे और रेहान की हालत खराब हो गयी. मैं समझ गया यही लेने गयी थी वो.

अगर कोई लड़की हॉट पंत पहने तो मूट निकल जाता है. ये तो कमसिन गड्राई माल थी. हम वॉकिंग पर जैसे ही उतरे, सब की नज़र मा पर ही थी. सब मूड-मूड कर उसे ही देख रहे थे. हम सब अब दौड़ते-दौड़ते पसीने से लत-पाठ हो गये थे. मा अभी भी नही ताकि थी. अशरफ मा के पीछे हो गया था.

तभी पसीने से मा के कपड़े उसके शरीर से चिपक कर उसे पूरी नंगी होने का एहसास दे रहे थे, और उसका चेहरा धूप में चमक रहा था. उसके कपड़े ऐसे लग रहे थे, की कोई भी फाड़ कर वही उसे छोड़ दे. ये देख अशरफ रुक नही पाया. उसने मा को कोने में खींचा. फिर अशरफ ने मा की हॉट पंत को जैसे ही नीचे किया, मा बिना पनटी के थी.

अशरफ: इसलिए इतनी मटक रही तेरी गांद.

मा: यहा नही प्लीज़.

अशरफ ने बिना सोचे उसकी हलफपंत को घुटने पर करके, अपने लंड से उसकी छूट के अंदर धक्का दे मारा. इस पर उसकी चीख निकल गयी. मैं और रेहान बस ये सब च्छूप के देख सकते थे. 8-10 झटके में ही मा फिर झाड़ गयी.

उसका शरीर अशरफ के लंड से काँपने लगा, और वो दर्द की सिसकियाँ भर रही थी. तभी अशरफ ने एक तंग से पनटी निकाल कर उसकी टाँग को कंधे पर रख लिया, और बिल्डिंग की दीवार पर लगा कर झटके देने लगा. मा की आँखें बंद थी-

मा: आह… बस… ये और अंदर जेया रहा है. अब नही, उहह.

तभी वाहा सफाई करने वाली आंटी आ गयी.

आंटी: अर्रे बाबा, ये क्या कर रहे तुम लोग?

तभी मा की एक चीख और निकली, और अशरफ के लंड ने पानी छ्चोढ़ दिया, जो मा की टाँगो के बीच टपकने लगा. मा ने जल्दी से पनटी उपर की.

आंटी: अर्रे तुम तो वही है ना, उस दिन इसके साथ रहने वाले की मा बन कर ऑफीस में रेजिस्ट्रेशन किया था. तुझे शरम नही आती साली बेटे के दोस्त से चुड रही है!

तभी वाहा रेहान आ गया.

रेहान: ज़्यादा मत बोल. 500 में तो तू छूट दे देती है साली रॅंड, जेया अपना काम कर.

मा अपनी पनटी को सेट कर वाहा से जल्दी से रूम पर आ गयी. वो बहुत नाराज़ थी, और जेया कर कमरे में बैठ गयी.

अशरफ: कही घूमने चलते है, आप नाराज़ मत हो मेरी जान.

कह कर उसने मा को गले से लगाया. मा की आँखों में आँसू थे.

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