नादान बेटे के साथ अपनी कामुकता शांत की

bete ke sath kamukta shant ki”तुम ऐसा कुच्छ नही करोगे सिद्धू” आशा फोन पर चिल्लाई

“मैं ऐसा ही करूँगा मोम” दूसरी तरफ से सिद्धू की बेचैन आवाज़ आई “अगर मैं आपके साथ नही जी सकता तो फिर जीने का कोई मतलब ही नही बनता”

“तुम मेरे साथ ही तो जी रहे हो मेरे बच्चे” आशा का जैसे रोना छूट पड़ा “मैं माँ हूँ तेरी, हमेशा तेरे साथ हूँ, ज़िंदगी भर”

“नही मोम” सिद्धू ज़िद पर अड़ा हुआ था “आप जानती हैं मैं क्या कह रहा हूँ. माँ बेटे का रिश्ता तो हमने उसी रात ख़तम कर दिया था जब पहली बार मैं और आप एक मर्द और औरत की तरह साथ थे”

“चुप हो जा सिद्धू. प्लीज़ …. मैं हाथ जोड़ती हूँ तेरे” आशा ने पानी से भरी आँखें बंद करते हुए कहा

“नही माँ. अब चुप नही हो सकता मैं. 1 महीने से घुट घुट कर जी रहा हूँ पर अब और नही. अब नही जी पाऊँगा मैं”

और तब पहली बार आशा को एहसास हुआ के वो लड़का कितना सीरीयस था. वो एमोशनल होकर यूँ ही बकवास नही कर रहा था. उसकी आवाज़ में शामिल संजीदगी पहली बार आशा पर ज़ाहिर हुई.

“नही सिद्धू. तुझे मेरी कसम है. कुच्छ उल्टा सीधा मत करना” आशा ने कहा

“बहुत देर हो चुकी माँ. बहुत देर हो चुकी”

“कोई देर नही हुई सिद्धू. मेरी बात सुन ….” आशा ने समझाने की कोशिश की

“आप मेरी बात सुनो माँ” सिद्धू ने बात बीच में ही काट दी “क्या चाहती हो आप? मैं तो दोनो तरफ से पिस रहा हूँ ना. अगर मैं सब भूल कर फिर आपके साथ माँ बेटे का रिश्ता बना लूँ तो सारी ज़िंदगी अपने आप से आँख नही मिला पाऊँगा के मैने अपनी माँ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया था. दूसरी तरफ से मैं अगर ये सोचूँ के मैं कितना चाहता हूँ आपको, कितना तरसता हूँ आपके लिए, एक बेटे की तरह नही पर एक मर्द की तरह तो भी नुकसान मेरा ही है क्यूंकी आपका कहना है के हम एक नही हो सकते”

“तूँ अच्छी तरह जानता है के हम क्यूँ एक नही हो सकते. समझाया था मैने तुझे उस दिन” आशा लगभग चिल्लाति हुई बोली

“क्या सिर्फ़ वही एक वजह है?” सिद्धू ने पुछा

“तू मेरा बेटा है और मैं तेरी माँ. इससे बड़ी वजह और क्या हो सकती है?” आशा इस बार चिल्ला ही पड़ी “पाप है ये. घोर पाप”

“तो ठीक है माँ. फिर एक पाप और कर लेने दो मुझे. इस तरह से ज़िंदा नही रह सकता मैं. बस अब बर्दाश्त नही होता”

“सिद्धू सुन. कुच्छ उल्टा सीधा नही करना. मेरी कसम है तुझे. अपने साथ तूने कुच्छ भी किया तो …..” इससे पहले के आशा बात पूरी करती, सिद्धू फोन काट चुका था.

आशा ने फ़ौरन दोबारा फोन मिलाया, सिद्धार्थ का सेल पर वो स्विच्ड ऑफ था.

उसने फ़ौरन अपने घर का लॅंडलाइन नंबर मिलाया, पर बिज़ी टोन आती रही. यानी किसी ने रिसीवर को उठाकर एक तरफ रखा हुआ था.

वो बेचैन हो उठी. समझ नही आया के क्या करे.

एक बार को उसने किसी और को फोन करने की सोची पर फिर ये ख्याल आते ही रुक गयी के क्या कहेगी? के उसका बेटा स्यूयिसाइड कर रहा है, जाके रोको उसको? क्यूँ करना चाहता है स्यूयिसाइड?

झल्लाकर वो जल्दी से उठी और अपना बेग उठाकर होटेल रूम से बाहर निकली. सामान पॅक करने का टाइम था नही इसलिए रूम से चेक आउट नही किया. लॉबी मे आकर उसने अपनी गाड़ी निकाली और तेज़ी से अपने घर की तरफ भगा दी.

“हे भगवान !!!! प्लीज़ सिद्धू. कुच्छ करना मत बेटा” दिल ही दिल में वो सोचती जा रही थी.

वो उस रात एक किटी पार्टी में थी जब पहली बार उसका और उसके बेटे सिद्धार्थ का रिश्ता बदल गया था.

हर महीने वो और उसकी कुच्छ दोस्त मिलकर एक किटी पार्टी रखते थे जहाँ पर सिर्फ़ औरतें होती है, और वो सब आशा की अच्छी दोस्त थी.

पार्टी के दौरान शराब बहुत ही आम बात थी. पार्टी में मौजूद सारी औरतें पीती थी और उसके बाद पॉर्न मूवीस और गंदी बातों का का सिलसिला चलता. जब वहाँ मौजूद औरतें अपना मुँह खोलती, तो शरम
के सारे पर्दे हटाकर बात करती.

अपने ग्रूप में एक आशा को छ्चोड़कर सब औरतों के बाय्फरेंड्स थे, ज़्यादातर जवान लड़के और वहाँ सब अपने एक्सपीरियेन्सस शेर करती. कौन किस पोज़ में किससे चुदी, कब चुदी, कितनी देर चुदी, कैसे चुदी, सब खुलकर बताया जाता. पार्टी में चॅलेंज था के कौन सी औरत एक साथ कितने मर्दों को झेल सकती है और उसका रेकॉर्ड फिलहाल मिसेज़. कुलकर्णी के नाम था जिन्होने एक साथ एक ही बिस्तर पर चार मर्दों से चुदवाया था. प्रूफ के तौर पर उन्होने अपनी खुद की बनाई हुई एक फिल्म लाकर दिखाई थी जिसमें वो अपने बेडरूम में चार चार के साथ अकेली भिड़ी पड़ी थी.

उस रात भी यही हाल था. शराब और वासना हवा में थी और बेशर्मी हर औरत की ज़ुबान पर. पर हद तब हो गयी जब मिसेज़. शर्मा ने अपने पर्स से नशे की सिगरेट्स निकाली.

आशा स्मोक तो करती थी पर ड्रग्स उसने पहली बार उस पार्टी में ली थी. पूरी सिगरेट ख़तम होने के बाद उसे अपना कोई होश नही था पर साथ ही साथ वो ये जानती थी के वो क्या कर रही है. सिगरेट में मौजूद ड्रग्स ने उसकी हालत अजीब कर दी थी. वो अपने होश में थी भी और नही भी.

“निकल रही हो?” रात के 1 बजे जब आशा ने अपना समान पॅक करना शुरू किया तो पास ही खड़ी मिसेज़. भट्टी ने पुछा

“हां” आशा ने जवाब दिया

“कौन पिक कर रहा है?”

“मेरा बेटा सिद्धार्थ” आशा बोली

उसकी बात सुनकर मिसेज़. भट्टी थोड़ा नज़दीक होकर बैठ गयी.

“हाउ ओल्ड ईज़ युवर सन? 20?”

“22 आक्च्युयली” आशा ने मुस्कुराते हुए कहा

“कुच्छ सिखाया के नही उसको अब तक?” आशा चौंक पड़ी

“ओह कम ऑन” उसके चेहरे को देख मिसेज़. भट्टी ने कहा “सारी ज़िंदगी एक ही लंड लेकर गुजारेगी क्या? अगर बाहर का नही मंज़ूर तो अपने बेटे का ट्राइ कर ले”

“यू आर जोकिंग, राइट?” नशे में होने के बाद भी आशा का दिमाग़ ये बात सुनके घूमने लगा था

“वाइ? इट्स नोट लाइक ही ईज़ एनी डिफरेंट. दे आर ऑल गाइस. थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर एक मर्द समझ ले और फिर बिस्तर से उठके माँ बन जा. हाउ टफ ईज़ दट? टेल मी, हॅव यू नेवेर कॉट युवर सन टेकिंग आ
पीक अट युवर ब्रेस्ट्स ओर अट युवर आस?”

मिसेज़. भट्टी ने पुछा तो आशा का दिमाग़ सोच में पड़ गया. उसको कई बार ये महसूस हुआ था के सिद्धार्थ उसके जिस्म को घूरता है पर फिर अपना वहाँ समझ कर उसने बात भुला दी.

“लेट मी टेल यू सम्तिंग ….” कहते हुए मिसेज़. भट्टी ने बोलना शुरू किया और फिर अगले आधे घंटे तक, जब तक कि सिद्धार्थ आ नही गया, वो आशा के दिमाग़ में यही गोबर भरती रही के उसका अपने बेटे से जिस्मानी रिश्ता बनाना कोई ग़लत बात नही थी. के अगर आशा को घर के बाहर किसी से अफेर में बदनामी का डर है तो घर में मौजूद अपने बेटे से बना ले. घर की बात घर में ही रहेगी.

शराब और ड्रग्स दोनो का नशा आशा के दिमाग़ पर सवार था. जिस बात पर वो शायद और किसी दिन मिसेज़. भट्टी को थप्पड़ मार देती, उस बात पर वो उस रात सीरियस्ली सोच रही थी.

“एक काम कर” मिसेज़ भट्टी ने आगे बढ़कर आशा के ब्लाउस के बटन खोलते हुए कहा था “इनको थोड़ा दिखा. अगर तेरा बेटा बार बार यहीं देख रहा है, तो समझ जा के वो भी यही चाहता है”

जब वो रात के 2 बजे पार्टी से कार में सिद्धार्थ के साथ निकली तो उसके दिमाग़ में तब भी मिसेज़. भट्टी की बातें चल रही थी. उसने एक नज़र अपने गिरेबान की तरफ डाली तो मुस्कुरा उठी. ब्लाउस के सारे बटन्स खुले हुए थे, सिर्फ़ एक नीचे का बटन बंद था. उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियाँ 70% दिखाई दे रही थी. साइज़ छ्होटा होने की वजह से वो अक्सर ब्रा नही पेहेन्ति थी और आज रात भी नही पहेन रखा था.

“इफ़ ही ईज़ लुकिंग अट युवर ब्रेस्ट्स स्वीटी, तो समझ जा के तेरे बेटा भी वही चाहता है जो तू चाहती है” मिसेज़. भट्टी की आवाज़ अब भी उसके कानो में गूँज रही थी.

आशा ने मुस्कुराते हुए एक नज़र सिद्धार्थ पर डाली जो उसके दिमाग़ में चल रही बातों से बेख़बर कार चला रहा था. उसको देख अचानक आशा के दिमाग़ में एक आइडिया आया.
अपनी सारी के पल्लू के नीचे हाथ डालकर उसने अपने ब्लाउस का आखरी बटन भी खोल दिया. अब पल्लू के नीचे उसकी चूचियाँ पूरी तरह नंगी थी.
उसने ऐसा दिखाया जैसे के वो बहुत नशे में है और बेख़बर सो रही है. कार की खिड़की का शीशा नीचे था और बाहर ठंडी हवा चल रही थी.
आशा ने अपने हाथ थोड़े से फेला कर साइड में गिरा दिए जिससे पल्लू को कोई सहारा ना मिले. जो उसने सोचा था वही हुआ. खिड़की से आती हवा से पल्लू फ़ौरन सरक कर नीचे जा गिरा.

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“ह्म्‍म्म्ममम” ठीक उसी वक़्त उसने मुँह से ऐसी आवाज़ निकली जैसे नींद में बड़बड़ा रही हो.

उसकी आवाज़ सुन सिद्धार्थ ने सड़क से नज़र हटाकर अपनी माँ की तरफ देखा और फिर देखता रह गया. आशा पिछे को सर टिकाए सोने का नाटक कर रही थी. पल्लू सरक कर नीचे गिरा पड़ा था और ब्लाउस पूरी तरह खुला हुआ.

उसकी दोनो चूचियाँ खुली हुई सिद्धार्थ के सामने थी.उसने फ़ौरन गाड़ी को ब्रेक लगाए और किनारे लेकर रोकी. जिस जगह वो दोनो उस वक़्त थे वो इलाक़ा रात को सुनसान ही रहता था. रात को ट्रक्स के सिवा वहाँ से कोई नही गुज़रता था.

आँखें बंद किए हुए भी आशा को एहसास हो गया था के गाड़ी रुकी है और सिद्धार्थ सरक कर उसके नज़दीक आया है.

“मोम” आवाज़ आशा के कानो में पड़ी तो उसने जवाब नही दिया. अपनी आँखें बंद ही रखी.

सिद्धार्थ ने उसके बाद 2-3 बार उसको पुकारा पर आशा ने जवाब नही दिया. सारी का पल्लू अभी भी सरका हुआ था और हिसाब से सिद्धार्थ को सबसे पहले वो उठाकर सही करना था पर ऐसा हुआ नही. उसने आशा का कंधा हिला कर उसको जगाने की कोशिश की पर जब वो उठी नही तो उसने भी अपना हाथ पिछे खींच लिया.

आशा के कानो में गाड़ी के शीशे उपेर होने की आवाज़ आई और फिर सब शांत हो गया.

कोई 2-3 मिनिट तक वो यूँ ही आँखें बंद किए पड़ी रही पर कुच्छ भी हुआ नही. ना तो गाड़ी आगे बढ़ी, ना सिद्धार्थ ने उसको जगाने की कोशिश की और ना ही उसके कपड़े ठीक किए. आशा ने धीरे से अपनी आँखें हल्की सी खोलकर सिद्धार्थ की तरफ देखा और जो नज़र आया, वो देख कर उसका पूरा शरीर काँप उठा.

सिद्धार्थ नज़र जमाए अपनी माँ के खुले पड़े जिस्म को घूर रहा था. उसका एक हाथ तेज़ी के साथ उपेर नीचे हो रहा था. गाड़ी में अंधेरा होने के कारण आशा को कुच्छ नज़र तो नही आया पर वो जानती थी के वो क्या कर रहा है. कार के काले शीशे उपेर हो चुके थे, पर आशा की तरफ की खिड़की का शीशा हल्का सा नीचा था जिससे आती रोशनी उसके नंगे जिस्म पर पड़ रही थी.

वो उसकी चूचियाँ देखते हुए अपना लंड हिलाने में इतना मगन था के उसे एहसास तक नही हुआ जब आशा ने अपनी पूरी आँखें खोल दी और गर्दन घुमा कर उसकी तरफ देखने लगी.

“लाइक वॉट यू सी?”

वो अचानक बोल पड़ी तो सिद्धार्थ इस तरह उच्छला जैसे हार्ट अटॅक आ गया हो.

“यू नीड आ हॅंड विथ दट?” आशा ने मुस्कुराते हुए पुछा. कहीं दिमाग़ के एक कोने के में बार बार ये आवाज़ गूँज रही थी के रुक जा, क्या कर रही है, पर उस वक़्त उस आवाज़ से कहीं ज़्यादा असर दार उसके दिमाग़ पर सवार नशा था.

“सॉरी मोम !!!” कहता हुआ सिद्धार्थ अपना लंड फिर पेंट के अंदर करने लगा.

“वाइ? व्हाट आर यू सॉरी फॉर? इट्स ओके. लेट मोम्मी हेल्प यू”

कहते हुए आशा आगे को सर्की और फ़ौरन सिद्धार्थ का लंड पकड़ लिया. रात का वक़्त और कार में काले शीशे होने की वजह से कुच्छ दिखाई तो नही दे रहा था पर वो जानती थी के उसके हाथ में क्या था और उसको क्या करना था.

“पागल हो गयी है क्या? रुक जा.” दिमाग़ में फिर आवाज़ गूँजी पर नशे में कहीं दब कर रह गयी.

“मोम !!!” सिद्धार्थ की फिर आवाज़ आई

“सःःःःःः” आशा ने इशारा किया और उसके लंड को धीरे से सहलाया. 22 साल के उस लड़के पर क्या गुज़र रही होगी जो अपनी माँ को देख कर हिलाते हुए पकड़ा गया हो, ये वो अच्छी तरह जानती थी.

“रिलॅक्स !!!!” आशा ने कहा पर सिद्धार्थ अब भी सॉफ तौर पर शॉक में था.

लंड को थोड़ा सहलाया तो वो पूरे ज़ोर पर आ गया और आशा के हाथ में फूलने लगा.

“कभी पति के सिवा कोई और लंड भी चख के देख” उसको पार्टी में मौजूद दूसरी औरतों की बातें याद आई. वो अक्सर यही कह कर उसका मज़ाक उड़ाया करती थी.

“तू तो कुच्छ बोल मत. सारी ज़िंदगी एक ही बल्ला पकड़ा है और बड़ी खिलाड़ी समझती है अपने आपको” एक दूसरी औरत का ताना उसको याद आया.

एक पल के लिए वो रुकी और फिर नीचे झुक कर लंड अपने मुँह में भर लिया.

“माआंन्‍ननणणन्” सिद्धार्थ की आवाज़ आई.

एक तरफ तो आशा के दिल में एक गर्व जैसा एहसास उठा के आज उसने भी एक और लंड चख ही लिया पर दूसरी ही तरह फिर कहीं से आवाज़ उठी के ये पाप है. एक बार फिर वो आवाज़ नशे में दब गयी.

आशा का एक्सपर्ट मुँह अपने बेटे के लंड पर उपेर नीचे होने लगा. वो दोनो अब भी फ्रंट सीट्स पर बैठे थे. सिद्धार्थ कमर टिकाए बैठा था और दोनो हाथों से अपनी माँ कर सर पकड़ रखा था. आशा पेस्सेंजर सीट पर बैठी सरक कर अपने बेटे के नज़दीक हो गयी थी और आधी उसकी गोद में झुकी हुई थी.

“अपनी चूत के साथ तू ऐसा कैसे कर सकती है? सारी ज़िंदगी सिर्फ़ एक लंड? कम ऑन !!!! युवर कंट डिज़र्व्स बेटर दॅन दट”

एक एक करके उसको पार्टी की औरतों की बातें याद आ रही थी और उकसा रही थी.

“तू तो रहने ही दे. सारी ज़िंदगी एक लंड से चुदी है, तुझे क्या पता के लंबा लंड कैसा होता है, मोटा कैसा होता है, छ्होटा लंड किसे कहते हैं. व्हाट डू यू नो अबौट साइज़स?

“जिस दिन तेरी चूत एक लंड भी और नाप ले ना, तब आके बात करियो”

आशा लंड चूस रही थी और दिमाग़ में सारी बातें एक एक करके आ रही थी. मुँह में लंड उसके अपने बेटे का था, ये तो वो कबकि भूल चुकी थी.

जो एक आवाज़ दिमाग़ में उठ रही थी, उसको ऐसा करने से रोक रही थी, वो भी अब बंद ही चुकी थी.

“ओह्ह्ह्ह मोम” अचानक सिद्धार्थ ने उसका सर कस्के पकड़ लिया और अपनी गांद हिलाने लगा. आशा एक्सपीरियेन्स्ड थी, जानती थी के क्या होने वाला है.

“ष्ह्ह्ह्ह … रिलॅक्स” उसने लंड फ़ौरन अपने मुँह से निकाल दिया और सीधी होकर बैठ गयी. अंधेरे में दोनो के चेहरे एक दूसरे को नज़र नही आ रहे थे इसलिए कह पाना मुश्किल था के सिद्धार्थ के चहेरे पर क्या एक्सप्रेशन्स थे.

और आशा को इस वक़्त एक्सप्रेशन्स से कोई लेना देना था भी नही. उसको एक लंड और नापना था ताकि पार्टी में औरतों के साथ वो भी बराबर की बहस कर सके.

वो अपनी सीट पर एक पल के लिए आराम से बैठी, हाथ नीचे ले जाकर अपनी सारी उपेर उठाई, पॅंटी पकड़ कर नीचे खींची और उतार कर सामने डॅश बोर्ड पर रख दी.

अगले ही पल वो फिर सिद्धार्थ की तरफ झुकी और सीट के साइड में लगे लीवर को खींच कर ड्राइवर सीट को पूरा पिछे तक खींच दिया. अब वो तकरीबन आधा लेटा हुआ था और आशा के लिए काफ़ी जगह बन चुकी थी. उसने अपनी सारी फिर उपेर को उठाई और सरक कर सिद्धार्थ के उपेर चढ़ कर बैठ गयी. वो दोनो एक ही सीट पर थे इसलिए जगह कम थी जिसकी वजह से वो तकरीबन उसके उपेर लेटी ही हुई थी. दोनो टांगे उसने सिद्धार्थ की कमर के दोनो तरफ कर रही थी और एक घुटने में कुच्छ चुभ रहा था उस चीज़ की
परवाह आशा को उस वक़्त बिल्कुल नही थी.

उसने अपनी गांद थोड़ी सी उपेर उठाई. बीच से एक हाथ में सिद्धार्थ का लंड पकड़ा, अपनी चूत पर लगाया और हल्के हल्के नीचे हो गयी.

“ओह मोम” सिद्धार्थ लगभग चिल्ला पड़ा.

आशा के पूरे जिस्म में जैसे संतुष्टि की लहर सी दौड़ पड़ी. ये लहर इस बात की थी के वो चुद रही थी या इस बात की कि उसके पास भी बाकी औरतों के साथ शेर करने को कुच्छ था, ये कह पाना खुद उसके लिए भी मुश्किल था.

“घोर पाप” फिर उसके दिमाग़ में कहीं एक आवाज़ उठी और एक बार फिर गूँज कर कहीं खो गयी.

लंड जब जड़ तक चूत के अंदर धस गया तो आशा नीचे को झुकी और अपनी एक चूची सिद्धार्थ के मुँह में घुसा दी.

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“सक इट” उसने कहा और अपनी गांद उपेर उठाकर लंड को चूत से हल्का सा बाहर निकाला और फिर अंदर ले लिया.
सिद्धार्थ नया लौंडा था, पहली बार किसी औरत के साथ था, इतनी देर से अपने आपको रोक रखा था, पहले खुद लंड हिलाया, फिर आशा ने हिलाया, फिर चूसा, ये सब उसके लिए पहली बार में बहुत ज़्यादा था.

आशा के पहले ही धक्के ने काम कर दिया और उसका वीर्य अपनी मा आशा की चूत को भरने लगा.

वो नीचे लेटा लंबी और गहरी साँस भरने लगा. आशा को एक पल के लिए इतना गुस्सा आया के उसके बाल नोच ले और थप्पड़ मार दे पर फिर उसको याद आया के ये उसका बेटा था, पहली बार था.

“कुच्छ सिखाया के नही अपने बेटे को?” मिसेज़. भट्टी की आवाज़ उसके दिमाग़ में गूँजी.

“कोई बात नही” वो धीरे से सिद्धार्थ के कान में बोली “मैं सिखा दूँगी”

उसके बाद घर पहुँचने तक उन दोनो ने आपस में कोई बात नही की. जब घर खोल कर वो अंदर आए और सिद्धार्थ सर झुकाए अपने कमरे में जाने लगा तो आशा ने पिछे से उसे आवाज़ दी.

“यू वाना डू इट अगेन?”

सिद्धार्थ ने पलट कर उसकी तरफ देखा. मुँह से वो कुच्छ बोला नही पर उसकी आँखों में हां आशा को साफ दिखाई दे रही थी.

उस रात नशे की हालत में वो अपने ही बेटे के साथ उसी के बिस्तर पर रात भर चुदती रही. कितनी बार, ये उसको याद नही था.

सुबह 6 बजे जब सिद्धार्थ थक कर सो गया तो वो भी उठ कर अपने बेडरूम में पहुँच गयी. दिल दो हिस्सो में बटा हुआ था. एक हिस्सा खुश था के उसने भी आज अपनी बाकी सारी दोस्तों की तरह एक लंड और चख लिया था और दूसरा हिस्सा उसे कोस रहा था के उसने अपने बेटे के साथ ही ……..

अगले दिन सनडे था और वो देर तक पड़ी सोती रही. जब दोपहर को उसकी आँख खुली तो नशा उतर चुका था और ज़मीर फिर जाग उठा था. एक एक करके याद आ रहा था के पिच्छली रात क्या हुआ था.

वो शाम तक अपने कमरे में ही घुसी रही और रोती रही. बाहर किस मुँह से निकले और कैसे अपने बेटे का सामना करे, ये समझ नही आ रहा था.

जब शाम हो गयी तो मजबूरन उसे बाहर आना पड़ा.अगले कुच्छ दिन तक वो और सिद्धार्थ दोनो एक दूसरे से नज़र चुराते रहे. उसने कई बार सोचा के अपने बेटे से बात कर पर शरमिंदगी के एहसास ने ऐसा करने नही दिया.

बस दिल ही दिल में भगवान से ये दुआ करती रही के कुच्छ दिन ऐसी ही गुज़र जाएँ और सिद्धार्थ भी इस बात को भूल जाए. भूल जाए के उस रात उन दोनो ने क्या पाप किया था और फिर एक बार आशा का घर वैसा ही हो जाए जैसा कि पहले था.

पर उसकी हर दुआ उस दिन ग़लत हो गयी जब सिद्धार्थ उसको अकेला पाकर उसके कमरे में आया और बोला

“मोम, कॅन वी डू इट अगेन?”

आशा ने अपनी तरफ से हर कोशिश की सिद्धार्थ को समझाने की पर वो अपनी ज़िद पर अड़ा रहा. बार बार यही कहता रहा के वो आशा से प्यार करता है, और उस एक रात ने उन दोनो के बीच सब बदल दिया था.

हफ़्तो तक जब भी वो अकेली होती, सिद्धार्थ आ जाता और उसे कन्विन्स करने की कोशिश करने लगता और वो पलटकर उसको समझाने की कोशिश करने लगती के ये ग़लत था.

“इट वेस्न्ट रॉंग दट नाइट. इट वेस्न्ट रॉंग व्हेन यू युवरसेल्फ डिड इट दट नाइट देन वाइ ईज़ इट सो रॉंग नाउ? ऑल ऑफ आ सडन?”

वो उसे समझाती रही के उस रात वो नशे में थी पर वो माना नही. ज़िंदगी फिर एक बार आगे चलने लगी पर सिद्धार्थ का पागलपन कम होने के बजाय बढ़ता ही रहा.

“मोम मैं पागल हो जाउन्गा. अजीब अजीब ख्याल आते हैं मुझे. हर वक़्त आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ”

“आइ कॅंट ईवन लुक अट यू नाउ मोम. जब भी आपको देखता हूँ, आपको नंगी ही इमॅजिन करता हूँ”

“आइ कीप गेटिंग आ हार्ड ऑन जस्ट बाइ थिंकिंग ऑन ऑफ यू”

“मोम प्लीज़. अच्छा बस एक बार और करने दो”

“मेरा दिमाग़ खराब हो रहा है. दिल करता है के मर जाऊं”

“अगर मैं आपको हासिल नही कर सका तो ज़िंदा नही रह पाऊँगा. आइ कॅंट लिव विदाउट यू आस माइ लवर नाउ”

“मैं हमेशा आपके बारे में सोचता था और उस रात आपने भी साबित कर दिया था के यू लव मी मोर दॅन आ सन”

ऐसी कई बातें उनके बीच अक्सर होती रहती. दोनो जब भी बात करते, सिर्फ़ इस बारे में ही करते. जब और किसी बात ने काम नही किया तो आशा ने एक बार फिर बेशरम बनकर सिद्धार्थ को यहाँ तक कह दिया था के वो खुद उसके लिए एक लड़की ढूँढ देगी या अपनी किसी दोस्त से चक्कर चलवा देगी जो सिर्फ़ नये नये लड़को के साथ सोना चाहती हैं. वो उनमें से जिसे भी चाहे, आशा उसकी बात उस औरत से खुद करा देगी.

पर सिद्धार्थ नही माना.

“इफ़ इट हॅज़ टू बी सम्वन, इट हॅज़ टू बी यू मोम. आइ लव यू. आइ कॅंट इमॅजिन माइसेल्फ फक्किंग सम्वन एल्स”

और एक दिन आशा ने परेशान होकर सिद्धार्थ को थप्पड़ तक मार दिया और घर से निकल गयी. वो इन बातों से परेशान आ चुकी थी इसलिए कुच्छ दिन के लिए इन सबसे दूर होने का सोचकर इस होटेल में आ रुकी थी. कहकर आई थी के ऑफीस के काम से शहर के बाहर जा रही है पर वो उसी शहर में इस होटेल में कमरा लेकर कुच्छ दिन के लिए आ ठहरी थी.

और फिर उसने शाम को सिद्धार्थ को फोन किया समझाने के लिए तो उसने फिर वही बात उठा दी. आशा ने सोचा था के कुच्छ दिन वो दूर रहेगी तो शायद सिद्धार्थ को अकेले सोचने का वक़्त मिले और वो अपना ख्याल
बदल दे पर हुआ इसका बिल्कुल उलटा.

उसका पागलपन और बढ़ गया था, इस हद तक के वो स्यूयिसाइड करने पर उतर आया था.

रात में गाड़ी तेज़ी से भगाती वो अपने घर तक पहुँची. लाइट्स ऑफ थी और घर अंधेरे में डूबा हुआ था. उसने दिल ही दिल में भगवान का नाम लेते हुए गाड़ी पार्क की, बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई दरवाज़ा खोल कर घर में दाखिल हुई.

“सिद्धार्थ” उसने आवाज़ लगाई और उसके कमरे की तरफ बढ़ी.

जवाब में कुच्छ नही हुआ. ना ही सिद्धार्थ आया, ना उसके पति और ना ही कोई आहट हुई. दिल ही दिल में अपने आपको कोस्ती के ये उसी की करनी का नतीजा है, वो सिद्धार्थ के कमरे तक पहुँची.

तभी उसके पिछे से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. आशा ने पलटकर देखा. उसके अपने कमरे का दरवाज़ा खुला और अंधेरे में कोई बाहर निकला. उसके बेडरूम में भी अंधेरा था इसलिए बाहर आने वाले की शकल दिखाई नही दे रही थी.

“किशोर, ईज़ दट यू?” उसने अपने पति का नाम लेकर पुकारा.

पर वो ग़लत थी. वो साया 2 कदम और आगे बढ़ा और उसका चेहरा थोड़ा सा दिखाई दिया. कमरे से बाहर आने वाला खुद सिद्धार्थ था. आशा की जान में जान आई.

“ओह बेटा !!! थॅंक गॉड यू आर ओके” कहती हुई वो उसकी तरफ बढ़ी पर फिर एकदम रुक गयी.

उसके हाथ में एक बड़ा सा चाकू था और वो पूरा का पूरा खून में सना हुआ था.

“आइ टुक केर ऑफ इट मोम” वो मुस्कुराते हुए बोला “मेरे और आपके बीच जो प्राब्लम थी वो मैने हटा दी. अब कोई नही आ सकता हमारे बीच. अब आपको किसी चीज़ की फिकर करने की ज़रूरत नही”

और तब पहली बार आशा को सूझा के सिद्धार्थ क्या कहना चाह रहा था जब उसने ये कहा था के वो कुच्छ कर बैठेगा.

धड़कते दिल के साथ वो अपने कमरे में दाखिल हुई और लाइट ऑन की.

बेड पर उसके पति किशोर की लाश पड़ी थी, खून में सनी हुई.

“अब कोई नही है हमारे बीच माँ” पीछे से सिद्धार्थ की आवाज़ आई “आइ टुक केर ऑफ इट. इट्स जस्ट यू आंड मी नाउ”
दोस्तो आशा ने अपने पति के ताबूत में कील तो तभी ठोंक दी थी जब उसने नशे की हालत मे अपनी सहेलियो के कहने पर अपने नादान बेटे के साथ अपना मुँह काला किया था अब पछिताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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