बेटे के मा को डॉमिनेट करने की सेक्सी स्टोरी

पिछले पार्ट में बताया की कैसे हमारा प्यार आयेज बढ़ा. कैसे फेस तो फेस भी हमने आक्सेप्ट करना शुरू कर दिया ये रिश्ता. अब दर्र ख़तम सा ही हो चुका था. मैं वापस पुणे आ चुका था. मगर दिल तो घर ही रहता था. मम्मी को किस करने का मॅन करता था. उनकी गांद को टच करने का मॅन करता था.

हम हर दिन रात को सेक्स की बातें करते तो थे, फिर भी अब फिज़िकल मज़ा जो इस बार आया था, वैसा मज़ा चाहिए था. वैसे रात को बातें वैसे ही होती थी. इस बार बस इस वाले इन्सिडेंट की बातें ज़्यादा करते थे. जैसे-

मम्मी: इस बार तो आपका दर्र खुल गया. हिम्मत दिखा ही दी.

मैं: हिम्मत तो तेरे बंदे में बहुत है. बस इस बार ज़्यादा थी.

मम्मी: वो तो दिख ही रही थी. कैसे ज़ोर-ज़ोर से गांद मसल रहे थे मेरी.

मैं: इसको तो खा ही जौंगा एक दिन. लिप्स तो और मस्त है तुम्हारे. मेरी तो पहली किस थी.

मम्मी: अछा, मेरी भी पहली ही समझो. ऐसी किस आपके पापा ने कभी नही की.

मैं: अछा, मेरा तो मॅन हो रहा है आज ही वापस आ जौ, और तुझे जी भर कर किस करू.

मम्मी: आ जाओ ना प्लीज़. मेरा तो फुल मॅन करता है आपके पास ही राहु.

मैं: कैसे अओ, जॉब भी तो करनी है.

मगर इस बात के बाद मेरे मॅन में ये आने लगा मेरी जॉब देल्ही न्क्र में हो जाए, तो घर हर वीकेंड जेया पौँगा अपनी सुषमा के पास. लेकिन अभी साल भी नही हुआ था जॉब को स्टार्ट हुए, तो जाना सही नही रहेगा. मगर मे मिड में भाई का फोन आया. उन्होने बताया की उन्होने जॉब स्विच कर ली थी.

वो हयदेराबाद जेया रहे थे जून में. उसके बाद तो मेरा मॅन इतना हो गया की आज ही जॉब ले लू देल्ही न्क्र में, चाहे कैसी भी हो. और भाई भी घर नही आ पाएगा. फिर और मज़े. मैने उस दिन से दूसरी जॉब ढूढ़नी स्टार्ट कर दी. मैने मम्मी को बताया नही इस बारे में, क्यूंकी फिर वो हर दिन तंग करती पूच-पूच के की जॉब मिली की नही.

अब हम दोनो फुल प्यार करने लग गये थे एक-दूसरे से. मैं तो उन पर गुस्सा भी हो जाता था, जब वो मेरी बात नही मानती थी. मैं उन पर हड्द से ज़्यादा हक़ जमाने लग गया था. अब मा वाली रेस्पेक्ट तो चली ही गयी थी. ये स्टार्ट हो चुका था मेरा जुनून, की मेरे बिना वो कुछ नही कर सकती, और मैं जो बोलू वो करेगी.

एक बात बताता हू. जून में मेरे कज़िन की शादी थी. मेरी उससे बनती नही थी. मम्मी को डॅन्स का शौंक है. मैने मम्मी को बोला-

मैं: सुषमा तुम शादी में डॅन्स नही करोगी.

मम्मी: क्यूँ?

मैं: तुझे बोल दिया ना तू नही करेगी. मुझे वो पसंद नही.

मम्मी: ठीक है नही करूँगी. गुस्सा क्यूँ होते हो मेरे पर उसकी वजह से?

मैं: गुस्सा नही, बता रहा हू तेरे को, की कुछ नही करना.

मगर मम्मी ने डॅन्स कर दिया. मुझे पता था उन्होने म्ना बहुत किया, और लोगों के कहने पर डॅन्स कर ही दिया. आज सोचता हू छ्होटी-छ्होटी बातों पर कैसे डाँटने लग जाता था उनको.

मैं ( पुर गुस्से में): तुझे बोला था ना तुझे डॅन्स नही करना. फिर भी तुन्हे किया.

मम्मी: मेरी बात तो सुनो. मैने बहुत माना किया. फिर सभी ज़िद करने लग गये, तो कैसे माना करती?

मैं: मैं कुछ नही जानता. मुझे लगता है तुझे मेरे साथ नही रहना.

मम्मी: प्लीज़ माफ़ कर दो. आयेज से नही होगा. मगर तोड़ा सा कर भी लिया तो क्या ही हुआ?

जैसे ही उन्होने बोला की क्या ही हुआ, मेरा दिमाग़ फुल गरम हो गया. समझ नही आया क्या बोलू.

मैं: क्या हुआ, बहनचोड़ तुझे नही रहना मेरे साथ तो बोल दे. अब से कॉल ना करियो.

मैने पहली बार उनको गाली दी. लगता था आज जैसे शुशMआ से सच में मा हटा दिया था मैने. मैने कॉल कट कर दी. मुझे पता नही मम्मी को उस वक़्त क्या लगा होगा ये गाली सुन कर. 2 घंटे बाद फिर उनका कॉल आया. मैने कट कर दिया. फिर मेसेज आया माफ़ कर दो.

मैने जवाब नही दिया. पूरा दिन वो कॉल और मेसेज करती रही. मैने कोई जवाब नही दिया. मैने नेक्स्ट दे खुद कॉल किया.

मैं: ठीक है सुषमा, आयेज से ऐसे ना करना.

मेरे अंदर तोड़ा सा भी गिल्ट नही था. उन्होने भी कुछ नही बोला उस गाली के बारे में. अब मेरी हिम्मत और बढ़ गयी थी. फिर जब भी लड़ाई होती गाली दे ही देता उनको. मैं उनसे फालतू की लड़ाई करता रहता, और उनका व्यू समझने की कोशिश नही करता.

एक बार जून में पापा को मलेरिया हो गया. तो मा 2 दिन तक वो अलग रूम में नही सोई, और उनके पास ही रही. मैं 2 रात को उनसे बात नही कर पाया. फिर मैं उनसे गुस्सा हो गया

मैं: लगता है अब तेरा मॅन ख़तम हो गया है मेरे से

मम्मी: ऐसा क्यूँ बोल रहे हो आप?

मैं: इस मंत में दूसरी बार मेरी बात नही मान रही हो. 2 दिन से बात नही की.

मम्मी: आपके पापा की तबीयत खराब हुई पड़ी है. इसलिए नही कर पा रही हू.

मैं: मुझे नही पता, रात को उनके सोने के बाद आ जाती दूसरे रूम में.

मम्मी: आप समझते क्यूँ नही हो? अभी तक मैं झूठ बोल के दूसरे रूम में सो रही थी, की उनके खर्रातो से नींद नही आती. अब क्या झूठ बोलू? दो दिन भी सहन नही कर सकती उनके खर्राटे? उनको कुछ शक़ या गुस्सा हो गये, तो कर लेना मेरे से बात रात को.

मगर मुझे अपनी बात उपर रखनी थी, तो गुस्सा होके मैने फोन काट दिया. वो पूरा दिन मानती रही मुझे. मैं ये सब इसलिए बता रहा हू, क्यूंकी ये भी एक फेज़ होता है इन्सेस्ट रीलेशन में. हम रेस्पेक्ट खो देते है.

मगर साथ में एक खुश खबरी भी थी हमारे रीलेशन में. भाई हयदेराबाद शिफ्ट हो चुका था. मैं देल्ही न्क्र में जॉब ढूँढ रहा था, और मिल भी गयी.

ये जुलाइ मिड में मिली थी जॉब. अभी 1 मंत का नोटीस पीरियड था. मगर मम्मी से मिलने का मॅन था. उनको मैने ये न्यूज़ नही दी थी अभी तक. सोचा घर जाके ही देता हू उनको सर्प्राइज़. 14 जुलाइ को घर पहुचा मैं. जैसे ही मम्मी ने दरवाज़ा खोला, तो चौंक ही गयी मुझे देख के.

मम्मी: क्या, आपने बताया भी नही आ रहे हो?

मैं: सोचा जान को सर्प्राइज़ दे डू.

मम्मी: मज़ा आ गया.

मैं अंदर आया, दरवाज़ा बंद किया, और बंद करते ही किस करना स्टार्ट हो गया. वो भी पागल होके किस कर रही थी. हम अलग हुए, एक-दूसरे को देखा, फिर हग करके किस स्टार्ट कर दी.

मम्मी: इस बार बहुत तडपया है आपने. 4 महीनो बाद आए हो.

मैं: कोई नही, जो इस बार गिफ्ट दूँगा 4 महीने का दर्द भूल जाओगी.

मम्मी: क्या गिफ्ट?

मैं: मैने गुरगाओं में जॉब लेली है.

उनका खुशी का ठिकाना नही था.

मैं: फिर हर वीक छोड़ने आया करूँगा तुझे.

मम्मी स्माइल करने लग गयी थी. फिर हम बातें करने लग गये थे. उसके बाद वो खाना बनाने लग गयी. मैने तैयार होके उनके साथ खाना खाया. फिर मैने उनका हाथ पकड़ा, उनको रूम में ले गया, और किस करने लगा. मैने उनको बेड पर लिटाया, और उनके उपर लेट गया. फिर आयेज-पीछे होने लगा. उनकी सारी के अंदर हाथ डाला, पेटिकोट को लूस किया, गांद को पकड़ा, उसकी सॉफ्ट गांद को महसूस करने लगा, और किस करता रहा.

फिर मास्टरबेशन होने के बाद हम अलग हुए. अभी बात आयेज नही बढ़ी. सोचा अब तो टाइम ही टाइम था, तो कभी भी कर सकता था. उस दिन 2 बार किया ऐसा किस.

नेक्स्ट दे मैने बोला: चलो सेलेब्रेट करते है इस खुशी को. मोविए देख के आते है. लंच करके आते है बाहर ही.

थियेटर पहुचे तभी कॉकटेल मोविए रिलीस हुई थी. हमने पीछे कॉर्नर की सीट्स ली. थियेटर हाफ भी नही था. वो हमारे लिए अछा था. हमने सीट्स ली. फिर हमने किस करनी स्टार्ट कर दी. कुछ लोग देख रहे थे शायद. मगर कोई जानने वाला नही था. मम्मी ने सूट डाला हुआ था. मैने कुछ हिम्मत दिखाई, और आयेज से उनकी पनटी में हाथ डाला. फिर छूट को टच किया.

उन्होने हाथ पर मारा और बोली: यहा नही, घर पर कर लेना. मैने सुना नही, और उनकी छूट को टच किया. मज़ा आ गया था. वो स्माइल कर रही थी. फिर एक उंगली उनकी छूट में डाली, और हिलने लगा, घूमने लगा, और उन्होने आँखें बंद कर ली. मैने कोई मोविए नही देखी, या तो किस की उनको, या छूट में उंगली डाल कर रखी.

फिर हम लंच करके घर वापस आ गये. फिर उनको उनके बेडरूम में ले गया, और किस करते हुए उनके उपर लेट गया. उसके बाद उनकी छूट को टच किया, और उंगली की. उनका हाथ लिया, और फिर पंत के अंदर किया मेरी. एक-दूं से उसने लंड को पकड़ा. किस और इनटेन्स हो गयी हमारी. थोड़ी देर बाद मास्टरबेट कर दिया. पहली बार स्पर्म मेरा उनके हाथ में था.

हम अलग हुए. फिर सॉफ करने चले गये अपने आप को. पूरा दिन बात की, की कब शिफ्ट हो रहा था मैं, और कैसे रहेगा. मैने बताया अब वापस जाके रेसिग्नेशन दूँगा, और एक मंत के नोटीस पीरियड के बाद जाय्न करूँगा. कब जाय्न करना है कंपनी डटे देगी.

ट्रिप ज़्यादा बड़ा नही था. नेक्स्ट 2 दिन और रहा, और 17 को निकल गया. मगर इस बार मैने सुषमा को अपना बना लिया, और सभी पार्ट्स को टच करने लग गया था उसके. वो भी खुश थी. मुझे पता था वो रियल प्यार करती थी मुझसे.

मुझे उस वक़्त अपना नही पता था. मैं प्यार करता था, या फिर सेक्स के लिए कर रहा था. मगर अब हम एक-दूसरे के बिना जीने की सोच नही सकते थे. कैसे मैं गुस्सा होता नेक्स्ट दिन बातें करने लग जाता. झगड़ा, गुस्सा, टेस्ट भी होता लोवे का, सामने वाला कितना प्यार करता है. सुषमा तो पास थी, मगर मेरा . बाकी था. मगर वो . होती ही नही थी मेरे से. बहुत प्यार करती थी उस वक़्त मुझे.

आयेज की कहानी नेक्स्ट पार्ट में. कॉमेंट में ज़रूर बताना कैसी है हमारी प्रेम कहानी. कुछ लोग कहते है ये डालो वो डालो. बता डू कुछ आड नही हो सकता स्टोरी में. जो हो चुका है वो बता रहा हू.

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