एक दूसरे की बहन की चुदाई

सोच कर ही अजीब लगता है कि किस तरह से बाजी ने दो-दो अंग्रेजों का लिया होगा। देखने में तो एकदम भोली भाली और मासूम दिखती थी। अगर दो चोटी बांध दो तो किसी स्कूल की बच्ची लगती हैं। लेकिन सच यह था कि मेरी बाजी पूरी तरह से किसी रांड से कम न थी। रफ़ीक ने उसको कुतिया बनाया हुआ था और उसके पीछे से उसकी चूत को मार रहा था और ..बाजी आ आह्ह्ह …आह… ह… ह… कर रही थी।
“हाय चूस… ओह… आह्ह… मेरी जान… ले… मेरा… लण्ड ले ले .. मस्त चूसती है रे तू !”
रफ़ीक उसकी लण्ड चुसाई से मस्त हो रहा था। अपना मस्त लण्ड चुसा कर फिर उसने हमीदा बाजी को खड़ा कर के एक झटके में नंगी कर गोदी में उठा लिया। दस सेकण्ड बाद ही बाजी बिस्तर पर थी। उसने बाजी की टांगें चौड़ी कर दी और चूत को मस्ती से चाटने लगा।
अब बाजी अन्ट-सन्ट बकने लगी थी- ओह माई डियर… लूट ले मुझे… आह चूस ले साले… डाल दे अपना लौड़ा मेरी चूत में !
अब वो बाजी के ऊपर छा गया। उसने अपना सात इन्ची लण्ड मेरी बाजी की चूत से टकरा दिया। चूत को पूरी गीली हो कर लसलसी सी चिकनी हो गई थी।
समीर का शरीर सनसना उठा, फ़चाक से पूरा ही लण्ड मेरी बाजी की चूत में उतर गया।
“आह … स्स्स्सीऽऽऽ कैसे भाई हो… तुम मेरे रफ़ीक?” बाजी मस्ती में चहकी।
“चुप साली, मैं तेरा भाई नहीं हूँ।” रफ़ीक ने कहा।
“सगा ना सही, पर दूर के तो हो ना, कहीं का नहीं छोड़ा मुझे, आह्ह, चोद के ही छोड़ा ना मुझे !” हमीदा ने उसे उकसाया।
इधर वहीदा समीर लंड चूस रही थी और वो खिड़की से अन्दर का नज़ारा देख रहा था।
फिर रफ़ीक ने बाजी के होंठों पर अपने होंठ दबा दिये और उसे कचकचा कर चूसा और काट लिया।
चूत में मोटा लौड़ा लेकर अपने होंठ चुसवाने का मजा कुछ ओर ही होता है, यह तो वो ही जानती है जो इस तरह से कभी चुदी हो। आह्ह हमीदा की चूत भी तभी फ़चफ़चा कर झड़ गई। शायद इसी मजे के लिये पैसे वालों की लड़कियाँ भी रांड बन जाती हैं।
थोड़ी देर के बाद उसने अपना लण्ड निकाल लिया, समीर ने उसे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। उसने अपना लम्बा लण्ड बाजी की दोनों चूचियों के बीच में रख दिया…
बाजी भी अब बेड पर गिर पड़ी थी, दोनों पूरी तरह से एकदम प्राकृतिक अवस्था मैं नंगे थे। समीर ने वहीदा को अपने लण्ड से अलग किया और दबे पाँव उनके कमरे में गया।
बाजी समीर को देख कर एकदम घबरा गई, उसने अपना दुपट्टा खींचते हुए पूछा- समीर तुम यहाँ…??
“मैंने आप को सबकुछ करते हुए देखा है बाजी ! मैं तो आप को बहुत सीधी सादी समझता था। लेकिन आप तो एक नंबर की रांड निकली। अब छुपाने से क्या फ़ायदा ! आपकी यह मस्त लीला मैंने और वहीदा दोनों ने देखी है !” समीर बोला।
रफ़ीक- वहीदा…?? वह कहाँ थी..??
रफ़ीक वहीदा का नाम आते ही उछल पड़ा- वह यहाँ थी !
कहते हुए समीर ने वहीदा को अपने पीछे से आने को कहा। वहीदा उन दोनों के सामने थी, उसने छोटा सा फ्राक पहन रखा था जिसमें उसके चूतड़ और छोटी सी नर्म गुलाबी चूत साफ़ दिख रही थी।
वहीदा- भाई जान, मैंने सब देखा है, अम्मी को बोलूंगी, आपकी और हमीदा बाजी की शिकायत करूंगी।
रफ़ीक- नहीं मेरी प्यारी गुड़िया रानी, अम्मी को मत बोलना ! मैं तुझे आइसक्रीम लाकर दूंगा।
हमीदा- हाँ वहीदा, मैं तुझे चॉकलेट लाकर दूंगी..
समीर पूरी तरह से वहीदा को सिखा-पढ़ा कर लाया था कि क्या बोलना है।
वहीदा- मुझे नहीं चाहिए आइसक्रीम ! मुझे आप लोगों के साथ खेलना है !
वहीदा ने उंगली दिखाते हुए कहा।
“एकदम सही कह रही है वहीदा ! अब हम लोग भी साथ में खेलेंगे।” कहते हुए समीर ने वहीदा को अपनी गोद में उठा कर चूमते हुए उसको बिस्तर पर लिटा दिया।
“लेकिन वहीदा मेरी छोटी बहन है यार… मैं उसके साथ कैसे सेक्स कर सकता हूँ?” रफ़ीक ने किलसते हुए कहा।
“अच्छा तुम्हारी बहन – बहन है और मेरी बहन क्या रंडी है? तो क्या हुआ हमीदा बाजी भी तो मेरी बड़ी बहन है जिसको तुमने रंडी की तरह चोदा है?” समीर बोला।
रफ़ीक- यार तू समझा कर समीर ! चल ठीक है, तू अपनी बाजी हमीदा की मार ले लेकिन मैं वहीदा के साथ नहीं करूंगा, कुछ भी !
हमीदा- पागल हो गए हो क्या रफ़ीक !?! समीर मेरा सगा भाई है, मैं उसके साथ नहीं कर सकती !” हमीदा बाजी ने नाराज़ होते हुए कहा।
उनकी नज़र समीर की निक्कर पर थी जिसमें से उसका गीला लण्ड साफ़ चमक रहा था।
“समीर, प्लीज अम्मी को कहना नहीं।” बाजी ने समीर के चेहरे पर हाथ रख कर कहा।
“मैं भी कुछ नहीं बताऊँगी।” वहीदा भी रण्बीर से चिपक कर बैठ गई।
“वहीदा, तू तो मेरी बहन है ना, मुझे माफ़ कर दे, जाने ये सब कैसे हो गया।” रफ़ीक हकला कर बोला।
“नहीं बताएँगे कुछ भी अम्मी को ! हम लोग सब साथ में खेलेंगे !” समीर बाजी के घुटनों से चादर खींचते हुए कहा।
“समीर ! लेकिन यह गलत है।” कहते हुए बाजी ने अपनी टाँगें ढीली कर दी।
तभी समीर के दोनों हाथ हमीदा बाजी के सनसनाते हुए उरोजों के उभारों पर आ गये और फिर उन्हें दबा दिया। हमीदा सिसक उठी, उसकी काम ज्वाला भड़क सी उठी। समीर का लण्ड कठोर होकर जैसे हमीदा बाजी की कमर में ही घुसने लगा था।
“भाई जान, कुछ करने को मन कर रहा है।” उसकी कमर कुछ कुछ कुत्ते की तरह चलने लगी थी। वहीदा ने रफ़ीक की गोद में बैठते हुए कहा।
“भाई, नहीं कर, मैं तो तुम्हारी बहन हूँ ना, ऐसे मत सीना दबाओ।” इधर हमीदा समीर की हरकतों से पूरी तरह से जोश में आ गई थी।
वहीदा भी रफ़ीक की गोद में जोश में लहराने लग गई थी। उसका मन अब चुदने को होने लगा था। छोटे से मासूम तन में बिजली की चटखन होने लगी थी।
“बहुत अच्छा लग रहा है बहना !” रफ़ीक वासना में डूब कर डूबते उतराते हुये जैसे कसमसा रहा था।
“मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, पर तुम मेरे भाई हो ना आह रे, अब बस करो, ओह नहीं थोड़ा सा और करो !”
“आह्ह्ह, मेरी प्यारी बाजी, घर की बात है बस चुपके चुपके लण्ड ले लेना, बस एक बार अपनी चूत में मेरा लण्ड ले लो। मोहल्ले के हर लड़के का तो ले चुकी हो आप बाजी। अब अपने छोटे भाई जान का भी ले लो एक बार। समीर के हाथ हमीदा जिस्म पर कसने लगे। उसने हमीदा को कमर पकड़ कर उठा लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। हमीदा कामुक हो कर अपने भाई से चिपकती जा रही थी। अब वो समीर ऊपर चढ़ गई थी और बेतहाशा चूमने लगी थी, उसकी चूत गीली हो गई थी।

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