बहन की गर्मी का इलाज

मेरा नाम अमर है और मेरी उमर 22 साल की है. मेरे परिवार में एक परंपरा है. हर लड़की के रिश्ते के लिए उसके मामा को पहले दी जाती है. अगर मामा ना हो या फिर शादी से ना कर दे तो किसी और के साथ लड़की की शादी की जाती है. मामा का अपनी भांजी से शादी करने का हक पहला माना जाता है. मेरे घर में मेरे माँ बाप के अलावा मेरी बड़ी बेहन मानसी है, जो मुझ से कोई 6 साल बड़ी है. मेरी बेहन बला की सुंदर है.

जब मानसी की उमर 18 साल की हुई तो उसकी शादी की बात उठी तो मेरी माँ, सुषमा ने कहा,” इस मे बात क्या करनी है, मेरा भाई विष्णु जो है, मानसी की शादी विष्णु से होगी” मैं तब बहुत छोटा था लेकिन मेरे पापा ने इसका विरोध किया,” विष्णु, नहीं सुषमा, हम को इस परंपरा को तोड़ना चाहिए. विष्णु मुझ से उमर में बड़ा है, वो क्या खुशी दे सकेगा हमारी मानसी को, साला बूढ़ा. हमारी बेटी जवान है, खूबसूरत है. अब ये मामा भांजी के रिश्ते को त्याग देने का वक्त आ चुका है. विष्णु मादर चोद अब 48 साल का और मानसी बस 18 साल की.” माँ भड़क उठी,” देखो जी, ये मत भूलना कि हमारे परिवार की परंपरा क्या है. विष्णु भैया कई बार मुझे पूछ चुके हैं. मामा भांजी की शादी व्यापार के लिए भी शुभ होती है. हमारी बेटी मेरे भैया के घर की शोभा बनेगी, मेरे भैया की दुल्हन बने गी.

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या मानसी हमारी माँ की भाबी बनेगी? क्या माँ बेटी का रिश्ता भाबी और ननद का होगा? खैर मानसी की शादी विष्णु मामा से हो गयी और मेरी बेहन मेरी मामी भी बन गयी और मेरी माँ अपने भाई की सास. कुच्छ देर तक तो ठीक चलता रहा. मैं जवानी में कदम रखता चला गया . मुझे औरत मर्द के रिश्ते का ज्ञान हुआ और मैं औरतों में दिलचस्पी लेने लगा. उधर मानसी का यौवन फूल की तरह खिलने लगा. मानसी का जिस्म भरने लगा, उसकी छोटी छोटी चुचि अब पूरा सेब बन चुकी थी और उसकी गान्ड में पूरा उभार आ चुका था. लगता था कि विष्णु मामा मेरी बेहन की चूत खूब अच्छी तरह चोद रहे थे लेकिन बाद में अपनी ग़लती का पता चला. शादी के कुच्छ दिन बाद मामा बात कर रहे थे और मुझे अपनी माँ के कमरे में हो रही बात सुनाई पड़ रही थी,” दीदी, मानसी बिल्कुल तेरे जैसी है, क्या मस्त माल है, मैं तो बस रोक नहीं पाता अपने आपको.” माँ हंस पड़ी,” देख विष्णु, मानसी जवान है और तेरी उमर काफ़ी हो चुकी है, उसको संभाल कर रखना, वरना तेरी बीवी को कोई और ले उड़े गा, मेरे भाई.”

विष्णु के साथ मेरी दीदी उसकी पत्नी बन के रहने लगी. अब मेरी दीदी मेरी मामी भी थी. लेकिन मुझे शुरू से लगा कि विष्णु मामा के लंड में कोई खास ताक़त नहीं थी. वो सारा दिन बिज़्नेस में ही बिज़ी रहता था. बात उन्दिनो की है जब मैं 16 साल का था और मानसी दीदी के घर 10थ के एग्ज़ॅम के बाद गया हुआ था. पहले ही दिन मुझे नयी बात का पता चला. मेरा कमरा दीदी के कमरे के साथ वाला था और दीवार में एक छेद था. रात को विष्णु मामा देर से आए और खाना खा कर सोने लगे. क्यो कि दीदी के कमरे से लाइट छेद में से मेरे कमरे में आ रही थी इस लिए मुझे नींद नहीं आ रही थी. तभी मुझे सिसकारी की आवाज़ सुनाई पड़ी”अहह…हाईईइ……तेज़ी से करूऊऊ….ज़ोर से…..ज़ोर से चोदो राजा….”

मैं चौंक पड़ा और छेद में आँख लगा कर दीदी के कमरे के अंदर झाँकने लगा. मानसी पलंग पर बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और उसने अपनी जांघों को फैला रखा था. क्मरे में दूधिया बल्ब जल रहा था. मेरे जिज़्जु भी नंगे थे और मेरी दीदी को चोद रहे थे. मेरी दीदी के पति थे इस लिए चोदना मुझे अजीब नहीं लगा. लेकिन मानसी के दूधिया जिस्म को देख कर एक बार तो भाई का लंड भी खड़ा हो गया . मैने उतेज़ित होते हुए अपने लंड को ज़ोर से भींच लिया. मानसी की चूत मेरी नज़र के सामने थी और उस पर एक भी बाल नहीं था. विष्णु का लंड मुरझाया हुआ था जिस को वो मेरी दीदी की बुर में घुसेड़ने की असफल कोशिश कर रहा था. लंड चूत से बार बार फिसल जाता क्योकि वो काफ़ी ढीला था. मानसी उतेज्ना से गरम हो चुकी थी. मेरी दीदी की चूत लंड के बिना तड़प रही थी,”

चोदो मुझे विष्णु, अगर चोद नहीं सकते थे तो मुझ से शादी क्यों की थी, डाल भी दो मेरी चूत में अपना लंड…..आआआआअ….मर रही हूँ मैं राजा पेलो मुझे…बुझा दो मेरी प्यास,”

इतनी देर में जिज़्जु के लंड से पानी की धारा बह निकली,” अर्रे मानसी रानी, मेरा लंड पानी छोड़ चुका है…मैं फिर झड गया हूँ, मुझे माफ़ कर दो…मैं तुझे आज भी अच्छी तरह नहीं चोद सका”

“मादरचोद माफी क्यो माँगते हो….जब अपनी बेटी की उमर की लड़की से शादी की थी तब क्यो नहीं सोचा…अपनी बेहन की लड़की की ज़िंदगी क्यो तबाह की जब उसको चोद नहीं सकते थे बेह्न्चोद…अब इस आग से दहक्ति चूत को कहाँ ले जाउ ठंडी करने के लिए….इसको कौन चोदे गा बेह्न्चोद की औलाद….तुम बस नाम के ही पति हो…आज शादी के तीन साल के बाद भी मुझे एक अच्छी चुदाई नहीं दे सके मादरचोद….अगर खुद नहीं चोद सकते तो मेरे लिए किसी बाहर के लंड का इंतज़ाम करो वरना मैं सारी दुनिया को बता दूँगी कि तुम नामर्द हो…मैं सालों से तड़प रही हूँ” मानसी अपनी चूत को अपने हाथों से रगड़ रही थी

.”रानी मैं अपना इलाज करवा रहा हूँ…कुच्छ दिनो में मेरा लंड तन जाए गा…मुझे कुच्छ वक्त चाहिए.”

मानसी जल गयी,” जब आदमी बूढ़ा हो जाए तो इलाज नहीं होता लंड का…जवान औरत को जवान मर्द ही छोड़ सकता है”

विष्णु मेरी बेहन को चोद तो नहीं सका लेकिन उसने पहले मानसी की चूत को अच्छी तरह चूमा और फिर उसकी जांघों को फैला कर अपनी दो उंगलियाँ मेरी बेहन की चूत में घुसेड दी. मानसी ने अपनी जांघे विष्णु के हाथ पर कस दी और अपने मस्त चूतर उठा उठा कर उंगली चोदन करवाने लगी. मानसी बड़बड़ाने लगी,” आआआआ…..पेलो मेरी चूत को….लंड तो तेरे पास नहीं है मामा…हाथ से ही चोद मुझे….हाईईईईई…ज़ोर से चोद अपनी भांजी की चूत…विष्णु मैं झाड़ रही हूँ ज़ोर से चोद मुझे.” मानसी उंगली से चुदाई करवाते हुए चीख रही थी और उसके चूतड़ पसीने से भीग रहे थे. मेरी बेहन अपनी चुचि को अपने हाथों में ले कर मसल रही थी. कुच्छ देर बाद मेरी बेहन शांत हो गयी. उधर मेरा लंड अपने बस में नहीं था और मैं ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ से लंड मुठिया रहा था. मैं बहुत उतेज़ित हो चुका था और मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ डाली.

दूसरे दिन जब मैं सुबह उठा तो विष्णु जा चुका था और मानसी रसोई में नाश्ता बना रही थी. मेरी तरफ मानसी की पीठ थी और उसके मस्त चूतर का उभार मुझे उसकी सलवार में से दिखाई पड़ रहा था. अपनी बेहन की नंगी गान्ड की याद आ गयी और मेरा लंड फिर से तन गया . मैं चुपके से मानसी के पीछे जा कर खड़ा हो गया और उसके कंधे पर हाथ रख दिया. उसका जिस्म अब भी दहक रहा था. मैं उसके साथ पीछे से चिपक गया और मेरा लंड कड़ा हो कर मानसी के चूतड़ की दरार में चुभने लगा.

मेरी बेहन एक दम से पलटी और उसने अपना मूह मेरी तरफ घुमा लिया,” कौन…ओह अमर ये क्या कर रहे हो….तुम कब उठे अमर….अरे मैं तो नाश्ता बना रही हूँ….अमर बस करो” जब मानसी मूडी तो उसकी बड़ी बड़ी चुचि पर मेरा हाथ पड़ गया और उसकी कोमल चुचि ने मुझे पागल बना दिया..

मैं घबरा गया और माफी माँगते हुए बोला” सॉरी दीदी, मेरा इरादा आपको स्पर्श करने का नहीं था. मैं तो आपके कंधे पर लगा पसीना हटा रहा था….मानसी दीदी…आपका जिस्म तो आग की भट्टी की तरह दहक रहा है. आप खाना मत बनाओ…मैं खुद बना लूँगा…आप रसोई से बाहर चले जाओ.”

मानसी मुझ से अलग हो रही थी और उसकी आँखें झुकी हुई थी, उसका ब्लाउस उसकी गोरी गोरी चुचि से हट गया और मेरी दीदी की मस्त चुचि के दर्शन मेरी कामुक आँखों को होने लगी. दीदी की गोरी चुचि पर पसीने की बूँद शबनम की बूँद बन कर चमक रही थी और . हम भाई बेहन कुच्छ देर यूं ही चिपक कर खड़े रहे. मेरी दीदी का गदराया यौवन मेरे सीने में आग भड़काने लगा.” अमर, मेरे भाई तुझे कौन कौन सी गर्मी के बारे में बताऊ. मेरा तो सारा जिस्म जल रहा है. इस गर्मी का इलाज तो किसी के पास भी नहीं है. मेरी किस्मत में ऐसे ही जलना लिखा है.” मानसी बोली और मैने उसको और भी अपने नज़दीक ला कर आलिंगन में लेते हुए कहा” दीदी मैं मामा से कहूँगा कि वो आपके लिए एसी लगवा दे. फिर गर्मी का इलाज हो जाए गा. देखो कितना पसीना आ रहा है आपको” मैने मानसी की मस्त चुचि को अपने हाथों में दबाते हुए और भींचते हुए कहा. मेरा लंड अब दीदी की नाभि में घुसने की कोशिश कर रहा था.

यह कहानी भी पड़े  पुराने प्यार के साथ सुहागरात

“विष्णु से कुच्छ ना होगा, मेरे भाई….मेरे जिस्म में जो गर्मी है वो एसी से ठंडी नहीं होगी….अमर, तेरे जीजा के पास मेरी जलती जवानी को शांत करने वाला एसी है ही नहीं…इस जवानी को गरम एसी ही ठंडा कर सकता है जो उस बेह्न्चोद विष्णु के पास नहीं है…भाई तुम अभी छोटे हो…तुम नहा कर आओ मैं तेरे लिए नाश्ता बना देती हूँ.” दीदी बोली.

मैं समझ गया कि दीदी किस एसी की बात कर रही है. उसका मतलब था कि गरम लंड उसकी गरम चूत को ठंडा कर सकता है. औरत का गरम एसी मर्द का लंड ही होता है.” दीदी ये गरम एसी कौन सा होता है?”

दीदी ने हाथ आगे बढ़ा कर मेरे लंड पर रखते हुए कहा,”अमर, मेरे भैया, मैं इस एसी की बात कर रही हूँ. तेरे जीजा का ये एसी काम का नहीं है. मुझे तेरे जैसा मज़बूत लंड चाहिए. मेरी ज़िंदगी विष्णु से शादी कर के बर्बाद हो चुकी है. मेरे साथ शादी कर के वो तो धन कमा लेता है लेकिन मैं बिना लंड के तड़पती रहती हू.” दीदी की बात से मुझे उम्मीद होने लगी.”

दीदी, मैने आपके कमरे में कर सब कुच्छ देख लिया था. तुम ने विष्णु से कहा था कि “मेरे लिए बाहर से लंड का इंतज़ाम कर दो” लेकिन दीदी तुझे बाहर देखने की ज़रूरत नहीं है. ये हटा कट्टा भाई किस दिन कम आए गा. तेरी गुलाबी चूत को चोदने के लिए तेरा भाई अभी ज़िंदा है. और बाहर के लंड से चुदने से बदनामी का भी तो डर है. आज से मैं तुझे पुरुष सुख दूँगा. विष्णु की जगह तेरा भाई ले लेगा. तेरे हाथ का स्पर्श पा कर मेरा लंड देखो कैसे फड़ फडा रहा है,”

मानसी का चेहरा मेरी बात सुन कर फूल की तरह खिल उठा. उसका हाथ प्यार से मेरे लंड के अप्पर नीचे चलने लगा. मेरे लंड से रस की एक बूँद निकल कर मानसी की उंगली पर लग गयी. मानसी के चुचक मेरे हाथ के स्पर्श से कड़े हो उठे.” तुम तो जवान हो गये हो भाई. मैं तो तुझे बच्चा ही समझ रही थी. लेकिन क्या तुम बेह्न्चोद बनना चाहोगे मेरे भाई? दुनिया इसको पाप कहेगी. तुम मेरे भाई हो…पति नहीं…ये धरम…ये समाज हम को कभी माफ़ नहीं करेगा…और अगर विष्णु को पता चल गया तो क्या होगा?”

मैने दीदी को बाहों में भरते हुए कहा”मेरी सुंदर बहना…अगर पाप इतना सुंदर होता है जितना मेरी प्यारी बहना, तो मुझे ये पाप मंज़ूर है…जो पति तेरे गदराए यौवन को सुख नहीं दे सकता, उसको पति कहलाने का कोई हक नहीं है…जो धरम तुझे पुरुष सुख से वंचित रखे उस धरम को मैं नहीं मानता. औरत का पति वो ही होता है जो उसको चोद चोद कर खुश कर दे, ना कि वो नामर्द जो उंगली से अपनी पत्नी को चोदे….वो भड़वा मेरा जीजा नहीं हो सकता जिसके पास धन तो हो पर लंड ना हो…मेरी बेहन की चूत की प्यास मैं उसका पति बन कर बुझाउन्गा …चाहे उसके लिए मुझे लोग बेह्न्चोद ही क्यों ना कहें….देखो दीदी ये मस्त लंड अपनी बेहन को पत्नी बनाने के लिए कैसे तड़प रहा है…..क्या मेरी बहना की चूत को अपने पति के लंड की इच्छा नहीं है…क्या मेरी बहना मेरा लंड नहीं लेना चाहती?

मानसी ने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली और मैने अपना चेहरा झुका कर उसके होंठ चूम लिए. मानसी ने अपनी जीभ मेरे मूह में डाल दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा. जब मेरा चुंबन ख़त्म हुआ तो वो बोल उठी” अमर, मैं मानती हूँ कि तू मेरा पति बनने के काबिल है, वो साला नमर्द विष्णु नहीं. मुझे अपनी पत्नी बना लो…..मुझे अपना लो…आअज मैं तुझे अपने पति का दर्जा देती हूँ…तुम नहा कर तैयार हो जाओ, तेरी पत्नी बन कर मैं तेरा इंतज़ार करती हूँ….आज तुझे मानसी अपना पति मानती है…इस जिस्म को तुझे सौंपती है…इसको चुमो, चाटो, चोदो जैसे तेरा दिल करता है…मेरे भाई को ये पत्नी कबुल है?”

मेरा मन खिल उठा. मैं मानसी को अपनी बाहों में उठा कर बाथरूम में ले गया और उसके कपड़े एक एक कर के उतारने शुरू कर दिए और खुद भी नंगा हो गया . मेरा 9 इंच का मस्त लोड्‍ा फूँकार मारने लगा जब मैने अपनी बेहन के नंगे जिस्म को इतने नज़दीक से देखा. दीदी ने शवर चला दिया और हम भाई बेहन अब पति पत्नी बन कर एक साथ नहाने लगे. मानसी मेरे बदन पर साबुन लगाने लगी और मैं दीदी के नंगे जिस्म को अपने हाथों से सहलाने लगा. मानसी का जिस्म बहुत ही सेक्सी था.

शवर का पानी हम पर गिरता रहा और मैं अपनी बेहन के नंगे जिस्म का लुत्फ़ उठाता रहा. ” दीदी, मैं आपकी चुचि से पानी की बूँदें चाटना चाहता हूँ. आपके सेक्सी जिस्म की कसम मेरा दिल आपके जिस्म की हर इंच को चूमना चाहता है. मुझे ना जाने कौन सा बुखार चढ़ा जा रहा है दीदी. जब से मैने विष्णु के साथ आपको देखा है, मुझे आप से प्यार हो गया है. शायद मैं दुनिया का एक ऐसा गिरा हुआ भाई हूँ जो अपनी बेहन के बारे में ऐसी इच्छा रखता है, लेकिन दीदी इस पर मेरा कोई वश नहीं है. कल रात से आपका बदन मेरी आँखों से हट ही नहीं रहा और मैं आपको अपनी पत्नी के रूप में देख रहा हूँ. सच दीदी, मुझे नहीं पता कि आप मेरे बारे में क्या सोचती हैं, पर मैने आपको अपनी पत्नी मान लिया है. दीदी क्या तुम मुझे अपना पति मानो गी?”

मानसी के हाथ अब मेरे लंड तक आ पहुँचे थे और वो मज़े से मेरे अंडकोषों और लोड्‍े पर साबुन मलने लगी. जब मानसी मेरे लंड को पीछे तक छेड़ती तो मेरा गुलाबी सुपाडा फूँकार उठता. मानसी झुकी और उसने अपने होंठ मेरे गुलाबी सुपाडे पर टिका दिए. मैने ऐसा मज़ा ज़िंदगी में कभी महसूस नहीं किया था. गरम ज़ुबान मेरे सुपाडे पर एक जादू की तरह चलने लगी और मैं मज़े से झूम उठा. दीदी के नरम हाथ मेरे अंडकोष सहलाने लगे और मैने उतेज़ित हो कर अपनी बेहन को बालों से खींच कर उसका मूह अपने लंड पर कस दिया. दीदी के मूह में मेरा लंड आधे से अधिक घुस चुका था और मैं और अंदर धकेलने की कोशिश कर रहा था.

मुझे ये गुमान नहीं था कि औरत कभी मर्द के लंड को ऐसे चूस सकती है और अगर चूस लेती है तो इतना मज़ा आता होगा,”आह…ओह्ह्ह….दीदी, तुम मुझे अजीब सुख प्रदान कर रही हो….मैने ऐसा कभी महसूस नहीं किया…..चुस्ती रहो दीदी….मेरी प्यारी दीदी….मेरी सेक्सी दीदी चूसो मेरे लंड को…..मुझे तेरे होंठों में जन्नत मिल गयी मेरी प्यारी दीदी….मेरे लंड से कुच्छ निकल रहा है….ओह दीदी, तेरी ज़ुबान मुझे गुदगुदी कर रही है…हाई दीदी, मेरा लंड कुच्छ छोड़ रहा है…” मुझे लगा कि मेरे अंडकोष से कुच्छ मेरे लंड की तरफ उठ रहा था और फिर एक दम मेरे लंड से एक फॉवरा फुट पड़ा. मेरे लंड से रस की बौछार हुई जो कि मेरी दीदी के मुख में गिरी. मानसी का मुख मेरे लंड को चाट रहा था और उपर नीचे हो रहा था और मैं जल्दी से उसका मुख चोदन कर रहा था. कोई एक मिनिट के बाद मेरा सारा रस मानसी के मूह में चला गया और जब उसने सिर उपर उठाया तो उसके होंठों से कुच्छ बूँदें उसकी ठुड्डि पर जा गिरी, जिसको मेरी बेहन ने जीभ निकाल कर चाट लिया और मुझे देख कर प्यार से मुस्कुरा पड़ी.

मानसी की आँखों में सेक्स दिखाई दे रहा था. वो पूरी तरह बेशरम हो कर बोली,”अमर, ये बेहन से पत्नी बनने का पहला कदम था. मैने तेरा लंड चूस कर साबित कर दिया है कि अब तू मेरा पति है. तेरे लंड के रस को पी कर मैने बता दिया है कि अब सारी ज़िंदगी के लिए मैं तेरी हूँ, तेरी रंडी हूँ, गुलाम हूँ, और तू मेरा स्वामी है. मेरे आज से दो घरवाले हैं, एक विष्णु, जो बाहर की दुनिया के लिए मेरा घरवाला होगा और एक मेरा भाई, अमर, जो घर के अंदर मेरा घरवाला होगा. विष्णु दुनिया को दिखाने के लिए और मेरा भाई मेरा असली पति होगा. तुम अंदरवाले और विष्णु बाहरवाला. बोल भाई मंज़ूर है?”

मैने महसूस किया कि मेरी तो लॉटरी निकल आई. मैने मानसी को अपने जिस्म से सटा लिया और उसकी फूली हुई चूत को स्पर्श करते हुए कहा” दीदी, तुम मुझे दुनिया का सब से कीमती मज़ा दे चुकी हो. मुझे कसम है कि मैं सारी उमर तुझे अपनी पत्नी मानूँगा. तुझे मेरे लंड का पूरा अधिकार होगा मेरी बहना.”

यह कहानी भी पड़े  बेटे के सामने चूत चाट कर मुझे चोदा ननदोई ने

हम दोनो नहाते रहे और मैं मानसी के जिस्म से खेलता रहा. मानसी कुच्छ देर के बाद बोली,” भाई, तेरा लंड एक बार पानी छोड़ चुका है, मैं नहा चुकी हूँ. तुम नहा कर बाहर आओ और हम अपने नये रिश्ते की शुरुआत करते हैं. मैं तुझे पत्नी सुख का पहला अनुभव करवाती हूँ और खुद भी पहली चुदाई का आनंद लेती हूँ. जब तुम बाहर आओगे तो अपनी पत्नी को नगन पाओगे. हमारी पहली चुदाई विष्णु के बिस्तर पर होगी जहाँ मेरी नकली सुहागरात हुई थी. मैं अपने राजा के लिए सज संवार कर तैयार होती हूँ. फिर हम असली सुहागरात का मज़ा लेंगे, मेरे दूल्हे राजा, अब अपनी पत्नी को जाने दो.”

मानसी गान्ड मटकाती हुई बाथरूम से बाहर निकली और मैं फिर से नहाने लगा. बाथरूम में विष्णु का शेविंग रेज़र पड़ा था. मुझे ना जाने क्या सूझी कि मैने अपने लंड के आस पास क्रीम लगा कर सारी जगह पर शेव करनी शुरू कर दी. मैं अपनी पत्नी को चिकने लंड का मज़ा देना चाहता था. चिकने लंड और चिकनी चूत के मिलन की उम्मीद से मेरा लंड खड़ा हो चुका था. जब मैं नहा कर बाहर निकला तो गर्मी बहुत थी. मेरी बेहन मेरी पत्नी के रूप में मेरा इंतज़ार कर रही थी.

मानसी सुर्ख जोड़े में थी. लाल रंग के कपड़े में उसका गोरा बदन कयामत ढा रहा था. मेरा लंड पाजामे के अंदर सलामी देने लगा. मैने अपनी बहना की माँग में चुटकी भर सिंदूर भर दिया और उसको अपने सीने से चिपका कर प्यार करना शुरू कर दिया. मानसी ने कमरे में सारी विंडो बंद कर के एसी ऑन कर दिया था. कमरे के अंदर का अंधेरा वातावरण को और भी रोमांचित बना रहा था

.” मेरे दूल्हे राजा, तेरी दुल्हन तेरा इंतज़ार कर रही है, मुझे अपना कर अपना बना लो, मेरे स्वामी,” मानसी बोली और मैने उसके चेहरे को उपर उठा कर किस कर लिया और उसको उठा कर बिस्तर पर ले गया .

“मानसी, मुझे नहीं पता कि ये बात हम कितनी देर तक छुपा सकते हैं, पर मैं तेरे बिना ज़िंदा नहीं रह सकता, मेरी दुल्हनिया. हमारी सुहागरात दिन में ही मनाई जाएगी. अपने भाई के लंड की बेचैनी देख लो. अब मुझ से नहीं रहा जाता, मेरी रानी.”

मानसी मुस्कुराते हुए मेरा पाजामा खोलने लगी और मैं उसकी साड़ी उतारने लगा. दो मिनिट में हमारे नंगे जिस्म पलंग पर मचल रहे थे. मैं अपनी बेहन को अपनी दुल्हन के रूप में देख रहा था. उसकी चूत उतेज्ना से फूल चुकी थी और जब उसने मेरे शेव किए हुए लंड को देखा तो मुस्कुरा पड़ी.” मेरा दूल्हा मेरी पसंद का कितना ख्याल रखता है. अमर, मुझे तेरा बालों के बिना लंड बहुत पसंद है. ये लंड मेरी ज़िंदगी का एक तोहफा है, जिसको मैं अपनी चूत में लेकर सुहागिन की ज़िंदगी जी सकती हूँ. मेरे राजा भैया, अब देर मत करो, मुझे अपने लंड का स्वाद चखाओ” मैने अपनी मानसी की जांघों को पूरी तरह फैला दिया. मानसी पीठ के बल लेटी हुई थी. उसकी मस्त चूत उम्मीद से मुस्कुरा रही थी. मैने मदहोश हो कर अपने मूह को उसकी चूत पर टिका दिया. मैने चूत की फांकों को फैला कर जब गुलाबी चूत को चाटा तो उसके नमकीन रस के स्वाद ने मुझे दीवाना बना दिया. मानसी की टाँगें मेरे सिर पर कस गयी और मुझे चूत चूसने का असली आनंद मिलने लगा. मेरे हाथ अपनी बेहन के गुदाज़ चुतडो पर फिसलने लगे. मानसी घूम गयी और उसने मेरे शेव किए हुए लंड को मूह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. कमरे से पच पच की आवाज़ आने लगी. ऐसा मज़ा हम दोनो ने पहले कभी नहीं लिया था.

“भैया, अब चोद भी लो मुझे. इतना उतेज़ित मैं कभी नही हुई हूँ. तुम अपने जीजा के बिस्तर पर उसकी बीवी को अपने लंड से चोद कर उस नमर्द से चुरा लो, मुझे उस नमर्द से छीन लो. मैं तेरे लंड की प्यासी हूँ. मेरी प्यासी चूत को अपने लंड से भर दो मेरे अमर.”

मैं अपनी बेहन की सिसकारी सुन कर और भी जोश में भर गया और मैने उसको चित लिटा कर उसकी जांघों को अपने कंधे पर रख लिया. उसका क्लिट सख़्त हो चुका था और मैने अपना गुलाबी सुपाडा मानसी की चूत के मुहाने पर रख दिया. मेरी बेहन की चूत आग की तरह दहक रही थी. मैने अपना लंड आगे धकेल दिया. मानसी की चूत के रस और मेरी थूक से चूत काफ़ी चिकनी हो चुकी थी, इस लिए लंड आराम से प्रवेश कर गया . मेरा लंड मेरी बहन की चूत में फसा हुआ था और मैं उसको धीरे से आगे बढ़ने लगा.” मेरी रानी बहना, तुझे दर्द तो नहीं हो रहा. तेरी चूत काफ़ी टाइट है और मेरा लंड काफ़ी मोटा है. रानी, तुम इसको संभाल लोगि ना?”

“आआआआअ…..अमर….धकेलो अंदर ज़ोर से…..मैं इस मोटे लंड के लिए बहुत तडपी हूँ….मेरी तड़प मिटा दो……चोद डालो मुझे बेरेहमी के साथ…मेरे दर्द की चिंता मत करो…अपने पति के लंड के हर दर्द को सह लूँगी मेरे राजा…..मेरी चूत तेरी है, चोद लो जैसे चाहो…..मेरी चूत को कुचल डालो मेरे राजा…..मुझे तुम जीवन दे रहे हो अपने लोड्‍े से….चोदो राजा”

मैं पागलों की तरह लंड मानसी की चूत में पेलने लगा. मेरे चुतड मशीन की तरह आगे पीछे होने लगे. मेरा लंड जड़ तक मेरी बेहन की चूत में घुस चुका था. लंड एक पिस्टन बन चुका था.” शाबाश मेरे राजा भाई…..ज़ोर से चोदो…हाई मैं मर गयी……चोद मुझे…मैं धन्य हो गयी तेरे लंड को पा कर….मुझे जन्नत मिल गई मेरे राजा”

मैं अब मानसी के चुचक को मूह में ले कर चूसने लगा. उसके चुचक बहुत कड़े थे. मेरी बेहन का चेहरा उतेज्ना से लाल हो चुका था और बेशक एसी चल रहा था हम भाई बेहन पसीने से भीग रहे थे. मेरी रानी बेहन ने मेरे चुतड को कस के जाकड़ लिया लेकिन पसीने की वजह से उसके हाथ मेरे चूतड़ पर फिसल जाते थे.” वाआहह…..दीदी बहुत मज़ा है तेरी चुदाई में….. विष्णु बेह्न्चोद को नहीं पता कि उसको कौन सी खुशी नहीं मिली है…उसको पैसे के पीछे भागने दो और मुझे अपनी बहन को पत्नी की तरह चोद कर स्वर्ग का सुख लेने दो….दीदी तेरा दूध बहुत मज़ेदार है…तेरी चूत दमदार है…काश तेरी शादी विष्णु से ना हुई होती.” मानसी भी उतेज्ना से पागल हो कर चुदवा रही थी. वो अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा लंड अपनी चूत की जड़ तक लेने लगी. मेरा चिकना लंड रस छोड़ने के नज़दीक था. मानसी की चूत का रस उसकी चूत को और भी चिकना बना रहा था. फ़चा फ़च की आवाज़ें गूँज रही थी. “दीदी..मैं झड रहा हूँ…मेरा लंड अपना पानी तेरी चूत में गिरा रहा है…ऊऊऊओ…दीदी मेरा रस तेरी बच्चेदानी में गिर रहा है….” मानसी भी झड रही थी.

मेरी बहन बोल उठी,” भैया…छोड़ दो अपना रस मेरी चूत में…मेरी चूत भी तेरे लंड पर छूट रही है…आआआअ बस भैया….मैं गइई….हाई”

मैं झड कर औंधे मूह अपनी दीदी के नंगे जिस्म पर ढेर हो गया. हम दोनो आँख बंद कर के लेट गये.” शाबाश मेरे साले साहिब, मैं खुश हुआ कि तुमने मेरी पत्नी को लंड का असली मज़ा दिया है आज तक जो मैं भी नहीं दे सका. तुम भाई बेहन की चुदाई देख कर मेरा लंड भी जोश पकड़ने लगा है.” मैने जब देखा तो विष्णु जीजा जी दरवाज़े पर खड़े थे. मैं घबरा गया . हमारी चोरी पकड़ी जा चुकी थी. मेरी घबराहट को देख कर विष्णु हंस पड़ा.” घबराने की ज़रूरत नहीं है मानसी तुझे या अमर को. जब घर में ही लंड मौजूद हो तो बाहर तलाश क्यों करनी. मानसी, मैं तेरे कहने के अनुसार किसी लंड की तलाश करने ही जा रहा था कि मैने तुम दोनो को चुदाई करते देख लिया. मेरा साला ही अगर मेरी पत्नी अपनी पत्नी बना कर खुश कर दे तो मुझे और क्या चाहिए? घर की चूत घर का लंड, सब ही खुश…अब तो मुझ से कोई शिकायत नहीं है मेरी बीवी और साले को. मैं अमर को अपने बिज़्नेस में हिस्सेदार बना लूगा और यहीं रख लूँगा. तुम दोनो घर में चुदाई करना और बाहर मानसी मेरी पत्नी बन कर रहे गी. और मैं चाहता हूँ कि जल्द से कोई बच्चा भी पैदा हो जाए. मैं बाहर वालों के लिए मानसी का घरवाला और अमर घर में घरवाला.” विष्णु ने कहा और मानसी उठ कर विष्णु से लिपट गयी,” तुम कितने अच्छे हो विष्णु. और दोस्तो इस तरह मैं अपनी बहन का दूसरा पति बन कर उसके साथ ही रहता हूँ अब मानसी मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है और हम तीनो बहुत खुश हैं

समाप्त

error: Content is protected !!