बहन को पैसे देके उसकी चुदाई की

तो पिछले पार्ट में आप सभी ने पढ़ा, की कैसे मैने शिखा को किचन में बिल्कुल जनवरो की तरह अपनी पसंद से फुल स्पीड में शॉर्ट्स मारते हुए छोड़ा.

शिखा दूसरे रौंद की चुदाई के बाद बिल्कुल ही एनर्जी-लेस हो गयी थी. वो अपने घुटनो और अपने हाथो के बाल बैठी हाँफ रही थी, और साँसे नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी.

मैं तोड़ा घबराया हुआ था. दोस्तों मुझे लग रहा था अब गालियाँ पड़ेंगी की ऐसे कोई जनवरो की तरह छूट और मूह छोड़ता है क्या. मैं अपने घुटनो के बाल बैठा और शिखा के पीठ पर हाथ घुमाया. तो उसने अपना मूह उपर किया, और उपर करते ही उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ीं

शिखा (स्माइल करते हुए): बताओ बहनचोड़, यहा मेरी छूट की मा चुड गयी. पर ये साला लंड अभी भी खड़ा है. क्या करू मैं इसका?

इतना कहा और उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया, और धीरे से उपर-नीचे किया, और तोड़ा पास आ कर उसे मूह में भर लिया. वियाग्रा का असर था तो लंड में थोड़ी हार्डनेस थी अभी भी. उसने 3-4 बार लंड अंदर-बाहर किया और आचे से सॉफ कर दिया.

शिखा: भैया यार, अब बिल्कुल ताक़त नही बची है मुझमे.

अब आप ही फ्राइ करो ये सब, और लेकर आओ. उससे पहले मुझे बेड पर पटक दो प्लीज़.

विवेक: सिर्फ़ पटक डू या पटक कर पेल डू मेरी रंडी को?

शिखा: नही, अब नही. जब तक कुछ खिला ना दो, तब तक सोचना भी मत अब लंड मेरी बॉडी को टच करने का.

मैने उसे गोदी में उठाया, और बेड पर लिटा दिया. फिर वापस किचन में आ कर चावल फ्राइ किए आंड रायता बनाया. फिर आचे से प्लेट्स लगा कर शिखा के पास ले गया. वो सो गयी थी इतनी देर में. मैने उसे उठाया, और उसके लिप्स पर किस किया.

विवेक: शिखा जान उठो, कुछ खा लो वरना फिर अभी बोलॉगी की भैया एनर्जी नही है.

शिखा उठी और फिर हमने फ्राइड राइस खाया आंड खा कर वो फिरसे वही बेड पर पद गयी.

मैने सारे बर्तन उठा कर धोए आंड देन बातरूम गया. वाहा खुद को आचे से धोया शवर में. वापस आया और शिखा को उठाया. वो भी बातरूम गयी, और आचे से सॉफ हो कर आई. फिर हम बैठे, और बातें करने लगे.

एसी ओं था, और ह्म दोनो नंगे थे और भीगे भी, तो सर्दी लगने लगी. हम कंबल के अंदर हुए, और शिखा मुझे हग करके मेरे कंधे पर सिर रख कर सोने लगी. हम दोनो ही थके थे. मुझे भी रिकवर होने के लिए टाइम चाहिए था, सो मैने 2 घंटे बाद 4 बजे का अलार्म लगाया. क्यूंकी मुझे शिखा को एक बारी और छोड़ना था. फिर उसके मम्मी-पापा आ जाते है 6 बजे तक. हम दोनो सो गये एक-दूसरे को कड्ड्ल किए हुए.

जब अलार्म बजा, तो हम दोनो ही उठे घबरा कर, की कोई आ तो नही गया. थकान की वजह से हम दोनो ही बेहोश सो गये थे. उठ कर मैने अलार्म ऑफ किया.

विवेक: शिखा अब कैसा महसूस हो रहा है?

शिखा: हा अब ठीक लग रहा है भैया. ये नींद से एनर्जी रिकवर हुई है थोड़ी. वरना आपने तो आज मा छोड़ दी थी 2न्ड रौंद में. छूट में अभी भी आप के लंड के झटके महसूस हो रहे है.

विवेक: अर्रे तो इमॅजिन क्यूँ करना? मैं झटके मार ही देता हू ना. और वैसे भी मा-पापा आने वाले होंगे. टाइम नही है वेस्ट करने को अपने पास.

शिखा: अर्रे-अर्रे रूको तो यार. आप तो सच में हड्द किए हो.

अभी दो रौंद पेला जनवरो की तरह, और अभी सो कर उठे हो फिरसे पेलने के लिए. पागल हो गये हो क्या भैया?

विवेक: हन शिखा, पागल ही कर दिया है यार तेरी छूट ने मुझे. अब इससे दूरी बर्दाश्त नही होती है. बस इसी में लंड घुसाए रहना चाहता हू. टाइम मत वेस्ट कर यार, और वैसे भी रंडी का काम ही होता है चूड़ना. तो बस वही कर चुप-छाप

शिखा: अछा जी रंडी, तो फिर अब तो मेरा हिसाब करो. फिर ही मिलेगी मेरी छूट छोड़ने को. पिछले 2 राउंड्स के, और अभी अगले रौंद के.

विवेक: बोला तो यार ले लेना, कही भागा थोड़ी जेया रहा हू. अभी है नही मेरे पास, लाया नही हू.

शिखा: ना-ना भाई, रंडी छोड़ने जाए कोई और पैसे ना ले जाए, हो ही नही सकता. बिना पैसे के तो नही मिल रही अब.

इतना बोल कर वो उठी और मेरी जीन्स उठा कर उसकी पॉकेट्स चेक की. उसमे पैसे पड़े थे.

शिखा: अछा बच्चू, झूठ बोल रहे थे.

जीन्स में 7 हज़ार रुपय थे. साली ने सारे निकाल कर अपनी गुल्लक में डाल दिए.

शिखा: हिसाब पूरा हुआ भैया.

मैने उसे पकड़ा और बेड पर पटक दिया.

विवेक: अभी हिसाब कहा पूरा हुआ है रंडी साली. पैसे 3 राउंड्स के लिए है, और चूड़ी सिर्फ़ 2 राउंड्स है. अब तूने जब पैसे ले ही लिए है, तो कंप्लीट रंडी बनता हू आज.

मैं फिर किचन से आयिल लेकर आया, और उसकी छूट पर डाला, और आचे से माल दिया. फिर उसको बेड के कॉर्नर पर खींचा, और उसकी दोनो टाँगो को अपने कंधे पर रखा. फिर एक झटके में लंड डाल दिया उसकी छूट में. आयिल की वजह से लंड मस्त फिसलता हुआ अंदर पहुँच गया.

अब मैने उसे टाँगो से पकड़ कर तोड़ा उठाया, जिससे उसकी कमर हवा में थी, और आचे से कमर पकड़ कर छोड़ने लगा फुल स्पीड में. फॅट फॅट पच पच और शिखा की आअहह आहह उम्म्म्म भैया से पूरा रूम गूँज रहा था.

वो इधर-उधर घूम कर खुद को च्चूधने की कोशिश कर रही थी. पर मैने बहुत अची पकड़ बना रखी थी. कम से कम 10 मिनिट उसकी ऐसे तबाद-तोड़ चुदाई की, और फिर उसे पटक दिया बेड पर.

शिखा: उफ़फ्फ़ मा, मार दिया भैया आज तो. फक! पसीने च्चूधा दिए आपने तो एम्म्म.

विवेक: अभी रुक जेया रंडी, अभी तो बस शुरू हुआ हू मैं.

शिखे: हाए बहनचोड़, मुझे लगा निकल गया आपका. बस-बस भैया, अब नही यार. छूट की बंद बाज गयी है.

विवेक: चुप साली रंडी, पैसे दिए है ना पुर, तो मज़े भी लूँगा पुर.

ये कह कर मैने घुटनो के बाल बैठ कर लंड उसकी छूट में सेट किया, और कमर पकड़ कर छूट में उतार दिया.

शिखा: आह भैया, यार आपका लंड ऑश मा मज़ा ही दे देता है. अंदर जाता है तो जान निकाल देता है साला. यॅ फक मे भैया, मेक मे कम भैया, प्लीज़ मेक मे कम.

रूम में फिरसे पाट पाट पाट पाट की आवाज़ होने लगी, और मैं उसकी कमर पकड़ कर मस्त उसकी छूट पेले जेया रहा था.

विवेक: शिखा मेरी जान, तेरी छूट पागल कर देगी मुझे. इतनी अची ग्रिप मेरे लंड पर पहले किसी छूट ने नही बनाई मेरी रंडी बेहन.

शिखा: श भैया, छोड़ो-छोड़ो प्लीज़, और अंदर तक पेलो. अपनी रंडी को यार और मज़े दो. उफ़फ्फ़ मा, देखो क्या मस्त छोड़ रहा है भैया अपनी बेहन अपनी बीवी को मा. आप भी छुड़वा कर देखना, आपको भी पागल कर देगा भाई का लंड.

शिखा की बातें सुन कर मुझे और जोश आ रहा था, और उसके एक्सप्रेशन्स देख कर तो उसे खा जाने को जी कर रहा था. मैने झुक कर उसके चेहरे को किस किया, फिर गालों को चूसने लगा और बीते करने लगा. फिर स्पीड धीरे करके लंबे-लंबे शॉट्स देने लगा, जिससे हर झटके पर उसकी अया निकल जाती.

मैने उसके होंठो को किस करके उन्हे चूसना शुरू किया, और झटको पर आअहह निकालने पर उसकी आहह मेरे मूह में ही रह जाती. फिर मैने उसे अपने से चिपका लिया, और पेलने लगा ज़ोर-ज़ोर से. मेरा होने वाला था, और शिखा का भी. लगभग 3 मिनिट की ज़ोरदार ठुकाई और हुई, और हम दोनो ही एक साथ झड़ने लगे.

मैं झाड़ते-झाड़ते भी धक्के पेल रहा था उसकी चूत में. तो शिखा ने अपने हाथो से मेरी कमर पकड़ी, और धक्के बंद करवाए. 5-7 मिनिट हम ऐसे ही हाँफ रहे थे एक-दूसरे के उपर. फिर साइड में लेट कर थोड़ी ठंडी हवा ली हम दोनो ने.

शिखा: मा कसम भैया, मज़ा आ गया. थॅंक्स भाई आपने बहुत अछा किया मुझे अपनी बीवी बना कर. वरना इस सुख से ना जाने कितने दिन डोर रहती मैं.

और थॅंक योउ मुझे इतनी अची तरह छोड़ने के लिए भाई. ये कह के उसने लिप्स पर किस दिया. मैने उसे पकड़ कर अपने उपर खींच लिया.

शिखा: अर्रे बस-बस, अब नही बाबा. मम्मी-पापा आने वाले होंगे यार. अब आप निकलो जल्दी से, मुझे रूम भी सॉफ करना है.

और अब जब भी आना, तो रंडी की कीमत लेकर ही आना. वरना कोई चुदाई नही.

विवेक: ओक मेरी रंडी.

फिर मैने कपड़े पहने और वाहा से निकल कर अपने फ्लॅट पर आ कर सो गया.

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