बहन को नंगा देख कर लाइफ बदली

हेलो दोस्तों, मेरा नाम राहुल है, और मैं देल्ही न्क्र का रहने वाला हू. मैं देसीकाहानी को 4-5 साल से फॉलो कर रहा हू. आज मैं मेरी स्टोरी आप लोगों को बताने आया हू. दोस्तों ये मेरी पहली स्टोरी है. उमीद है आपको पसंद आएगी. ये कहानी लंबी होने वाली है. इसके अलग-अलग पार्ट्स आपको टाइम से मिलते रहेंगे.

जैसे की मैने आपको बताया की ये मेरी पहली कहानी है. तो कहानी शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को अपने और अपनी फॅमिली के बारे में बता देता हू. मेरी उमर 22 साल है, और मैने इसी साल ग्रॅजुयेशन की है. ग्रॅजुयेशन होते ही मैं गूव्ट जॉब की तैयारी में लग गया. मैं दिखने में ज़्यादा अछा तो नही कह सकते, पर ठीक-ताक दिखता हू.

मेरी हाइट 5’10” है, और ब्राउन मुंडा हू. आवरेज बॉडी है, मस्क्युलर जिम बॉय नही हू. मेरी सेक्स लाइफ के बारे में बतौ तो मैं अभी तक मेरी गर्लफ्रेंड्स के साथ सेक्स कर चुका हू. इनकी कहानी अगर मॅन किया तो आपको बाद में बता दूँगा. ये कहानी जैसे की आपको पता चल ही गया होगा मेरी और मेरी बेहन की है.

अब बात करते है मेरी फॅमिली की. मेरी फॅमिली में 4 लोग है, मई, मेरी बड़ी बेहन, जो की मुझसे 2 साल बड़ी है. उनका नाम मनु है. वो अभी पोस्ट ग्रॅजुयेशन करके प्राइवेट जॉब कर रही है. उनकी हाइट 5’5″ है. दिखने में गोरी है. अछा फिगर है, क्यूंकी वो हमेशा से ही रोज़ शाम को घर पे ही वर्काउट करती है.

बड़ी बेहन के अलावा मम्मी (उमर 43) और पापा (उमर 46) है. मम्मी एक होम्मेकर है और पापा इनस्पेक्टर है. जिस वजह से वो बहुत बिज़ी रहते है. उनको ड्यूटी से फ़ुर्सत ही नही मिलती है. पापा गूव्ट जॉब करते है तो हमारी फाइनान्षियल कंडीशन (आर्थिक स्थिति) बहुत अची है. पापा मम्मी ने कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नही होने दी.

हम गूव्ट. घरो में रहते है. जिसमे 2 बेडरूम, एक किचन, एक लिविंग रूम, एक बातरूम, और एक वॉशरूम है. मम्मी और पापा के रूम में सोते है, और एक रूम में मैं और दीदी. अब कहानी पर आते है. बाकी कहानी में ही मैं बाकी डीटेल्स बता दूँगा दोस्तों.

ये कहानी शुरू होती है आज से 2 साल पहले जब मैं 20 साल का था, और दीदी 22 की. मैं उस टाइम कॉलेज के 2न्ड एअर में था, और और दीदी प्ग के 1स्ट्रीट एअर में थी. हम दोनो सेम कॉलेज में जया करते थे, और साथ ही कॉलेज जाते थे. हम रोज़ 9 बजे के आस-पास कॉलेज के लिए निकलते थे. मैं और दीदी हमेशा ही दोस्त रहे है, और एक दूसरे को बहुत प्यार ( भाई बेहन वाला प्यार) भी करते थे.

कॉलेज पहुँच के हम अपने-अपने लेक्चर लेने चले जाते थे. दीदी की क्लास जल्दी ख़तम हो जाती थी, तो वो मुझसे पहले घर आ जाया करती थी. पापा रोज़ 10 बजे ड्यूटी पे जाते थे. सब कुछ नॉर्मल चल रहा था, जैसे हर फॅमिली में होता है.

एक दिन हुआ यू की पापा की पोस्टिंग चेंज हो गयी, जिससे पापा को जल्दी काम में जाना पड़ेगा. तो हम तीनो का नहाने के टाइम एक साथ होने लगा. दीदी सबसे पहले नहाती थी, और बहुत टाइम लगती थी नहाने में. 30 मिनिट लगा देती थी वो. तो मेरे और पापा के बीच न्हाने की दिक्कत आने लगी.

अब पापा के सामने किसकी चलती है? वो नहा के के काम पे चले जाते. अब मैं रोज़ लाते नहाता तो मैं लाते होने लगा कॉलेज के लिए. ऐसे ही एक हफ्ते तक मैं कॉलेज के लिए लाते हो जाता, और मेरी क्लास मिस हो जाती. तो मैने शाम को कॉलेज से आके मम्मी को बोला-

मैं: मम्मी, आज से मैं पहले नाहया करूँगा. मुझे नही पता मैं रोज़ लाते हो जाता हू. दीदी को बोलो अब से मैं जल्दी नाहोँगा.

मम्मी बोलती है: तू खुद जाके बात कर उससे. मुझे नही पता तुम दोनो का. तुम्हारे पापा को लाते नही होना चाहिए पर.

मैं दीदी के पास बात करने गया. पर दीदी सब पहले से ही मेरी और मम्मी की बातें सुन रही थी अपने रूम में बैठे-बैठे. जैसे ही मैं उनके पास गया वो बोली-

दीदी: मैं लाते नही नाहोँगी, मुझे नही पता. मुझे कॉलेज के लिए लाते नही होना.

मैं: पर मनु (मैं दीदी को नाम से ही बुलाता हू हमेशा), मैं भी तो रोज़ लाते हो जाता हू. मेरी एक हफ्ते से क्लास मिस हो रही है.

दीदी: मैं क्या करू फिर? मैं लाते नाहोँगी तो मेरी क्लास मिस होगी. तू एक काम कर, जल्दी उठा कर सुबा. पता नही इतनी लाते तक फोन चलता रहता है. क्या करता है फोन में?

मैं: मैं कुछ नही करता हू. ऐसा है तो आप जल्दी-जल्दी नाहया करो, ताकि मैं लाते ना हू (दीदी को ताना मारता होये). पता नही आप क्या करती हो 30 मिनिट तक बातरूम में?

दीदी: अछा तू भी तो बहुत टाइम लगता है नहाने में. तू क्या करता है सब पता है मुझे. बड़ी हू तुझसे समझा.

मैं: मैं कुछ नही जानता. कल से जल्दी नहा लेना वरना.

दीदी: वरना क्या? क्या करेगा तू?

मैं: मैं बीच में बातरूम में घुस जौंगा (गुस्से में).

दीदी (दीदी इस्पे हासणे लगती है, और स्माइल करती है): ठीक है घुस जाना अगर हिम्मत है तो.

अगले दिन सुबा दीदी नहा रही होती है, तो मैं बातरूम के बाहर से बोलता हू-

मैं: दीदी जल्दी आ जाओ, वरना मैं अंदर आ जौंगा.

दीदी: हा आके तो दिखा (मज़ाक में कहती है).

उनको लगता है की उन्होने लॉक लगा रखा होता है. मैं गाते खोल देता हू, और गाते खुलते ही शॉक हो जाता हू. मेरी आँखें खुली की खुली रह जाती है. दीदी नंगी सिर्फ़ पनटी पहने खड़ी होती है बिल्कुल मेरे सामने. उनको पता नही था की गाते सच में खुल जाएगा. जैसे ही गाते खुलता है, वो एक-दूं से मेरी तरफ देखती है. हमारी आँखें मिलती है, और हम एक-दूसरे की आँखों में देखते है.

हम दोनो का दिमाग़ एक-दूं से बंद हो जाता है. अगले ही सेकेंड हमे होश आता है. मुझे उनके वाइट बूब्स एक दूं सॉफ्ट और स्मूद लगते है. उसके उपर हल्के पिंक निपल मेरी आँखों में च्चप जाते है. मेरी आँखों के सामने अपनी खुद की बेहन के बूब्स देख के मेरी हालत खराब हो जाती है.

मैने अपनी बहुत सी गर्लफ्रेंड्स के बूब्स देखे है, पर अपनी खुद की बेहन के बूब्स देखने पर एक अजीब सी ही फीलिंग थी.

मुझे ऐसा कभी महसूस नही हुआ था. दीदी को होश आता है, और वो एक-दूं से घूम जाती है, और कमर मेरी तरफ कर लेती है. मैं भी वापस बातरूम से आ जाता हू. हम दोनो ब्रेकफास्ट करते है, पर पहली बार हम दोनो के बीच चुप्पी थी. दोनो एक-दूसरे से नज़र भी नही मिला पा रहे थे.

इस सीरीस के अगले पार्ट में पढ़े, की कैसे बेहन ने भाई के साथ क्या किया, और कैसे ये भाई-बेहन का रिश्ता प्यार में बदल जाता है. उमीद करता हू कहानी आपको पसंद आएगी. कहानी काफ़ी स्लो और लंबी है, बीच-बीच में आपको लगेगा की बोरिंग है, पर जैसे-जैसे कहानी के पार्ट्स आएँगे, आप सभी को काफ़ी पसंद आएगी.

आपका कोई कॉमेंट या रिव्यू हो, तो कॉमेंट करके ज़रूर बताए. जल्दी मिलते है अगले पार्ट में.

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