चुदाई कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है. रोहिणी भाभी की जाम कर चुदाई करने के बाद भी मेरे मॅन में छूट की प्यास थी. मुझे पता था की वो सिर्फ़ सिद्धि की छूट में अपने लंड से खुदाई कर-कर के जो पानी निकालूँगा, वो पी कर ही बुझेगी.
पर सिद्धि इतनी आसानी से नही मिलने वाली ये पता था मुझे. मिलेगी भी या नही, ये भी पक्का नही था. क्यूंकी उसके बारे में बहुत रिसर्च की थी मैने. वरना यूष्यूयली जिन भाभियों के पति ऐसे छूतिए होते है, लंड छ्होटा होता है, और टाइमिंग नही होती है. वो कहीं ना कहीं किसी और लंड पर मूह ज़रूर मार्टी है.
पर सिद्धि का ऐसा कोई सीन समझ नही आया मुझे. तो सोचा चलो कोई बात नही, फिलहाल मा की छूट ना सही बेटी की ही छूट सही. उसे ही पी, खा, और बजा कर तसल्ली की जाए.
ये सोच कर हमेशा की तरह रात को एंपी की बस पकड़ी, और रास्ते में सोच रहा था की इस बार क्या नयी पोज़िशन ट्राइ करू जेया कर शिखा के साथ. सुबह बस थोड़ी लाते हो गयी, तो अराउंड 8 बजे उसके फ्लॅट के बाहर पहुचा मैं. बेल बजाई तो उसने आँखें मिचमिचाते हुए दरवाज़ा खोला, और मुझे देख कर स्माइल करते हुए हग किया.
शिखा: मुझे लगा ही था मेरा बलम मेरी छूट का छोड़ू आया होगा.
विवेक: बड़ी बेशरम हो गयी है बाहर रह कर.
शिखा: भूल गये क्या होटेल रूम में शादी हो चुकी हमारी. तो अपने पति से कैसा शरमाना?
विवेक: ओहू, आज तो तू फुल मूड में लग रही है मेरी जान.
शिखा: हा, कल सारी रात आपको याद कर-कर के छूट को गाजर खिलाई. अब आप बैठो, मैं फ्रेश हो कर ब्रश कर लू. वरना आप उसका भी टाइम नही दोगे.
शिखा मुझे सोफे पर धक्का देती है, और वॉशरूम में चली जाती है. मैं भी हाथ मूह धोता हू, और बेडरूम में जेया कर कपड़े निकालता हू, और नंगा बेड पर लेट जाता हू. फिर आयिल लेकर लंड पर डाल कर सहलाने लगता हू धीरे-धीरे. शिखा आती है, और मुझे ऐसे देख कर हासणे लगती है.
शिखा: बड़ी जल्दी है बहनचोड़. अपने से ही शुरू कर दिया, बहुत आग लगी है क्या?
विवेक: आग का तो पूच ही मत. पूरी ज्वालामुखी है. बस अब जल्दी से पानी डाल दे छूट का, और बुझा दे आग.
शिखा भी जल्दी से अपनी पाजामी और अंडरवेर निकालते हुए बेड की तरफ बढ़ी.
शिखा: छूट चूसेगा भाई, या आयिल लगा लू?
विवेक: ये भी कोई पूछने की बात है मेरी जान.
शिखा सीधे मेरे मूह के पास आई, और छूट मेरे होंठो पर रख दी.
शिखा: चल फिर चाट कुत्ते. मिटा मेरी खुजली.
मैने शिखा की कमर को पकड़ा, और अपने सिर को बेड के सिरहाने पर रखा. फिर शिखा की छूट अपने मूह से चिपका ली, और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. जीभ पूरी अंदर ले जेया कर, छूट मूह में भर कर, खींच-खींच कर चूसने लगा.
शिखा: आहह उम्म्म एम्म भैया, आप प्लीज़ यहीं ट्रान्स्फर करा लो ना यार. मेरी छूट ऐसे 1-1 महीने खाली पड़ी रहती है. सूख जाती है साली. जब तक आप चूस्टे नही, छोड़ते नही, तब तक विधवा जैसी फीलिंग आती है मुझे. और आप हो की महीने में एक दिन के लिए आते हो, सुहागन बनाते हो, और फिर विधवा छ्चोढ़ देते हो महीने भर के लिए.
विवेक: आ रानी, आज तो तू बिल्कुल मूड में है. ऐसे ही बोलती रहेगी तो मेरे अंदर का जानवर जाग जाएगा, और फिर तेरी बजाएगा.
मैने फिरसे उसकी छूट चूसी, और ज़ोर-ज़ोर से उसकी छूट के होंठ और दाने को चूसा. शिखा फिर उठी, और मेरे आयिल से सानने हुए लंड को सहला कर अपनी छूट में फसाया. फिर एक झटके में पूरा लंड छूट में ले गयी.
शिखा: हाए मा रे, क्या फीलिंग है भैया, बता नही सकती. आपका लंड मेरी छूट की दीवार चीरता हुआ जब अंदर तक धक्का पेलता है, तो कसम से मज़ा आ जाता है.
विवेक: तो आज तू फुल मज़े लेले मेरी रॅंड. छोड़ ले मेरे लंड से खुद को, उछाल मेरे लोड पर शिखा.
शिखा फिर लंड पर आयेज-पीछे होने लगी. वो अपने बूब्स दबाने लगती, तो कभी अपने चेहरे पे नाख़ून गादती, और अपने बालों को खींचती.
शिखा: उफ़फ्फ़ भैया यार, इस छूट की प्यास नही ख़तम होती है. लंड और अंदर, और तेज़ चाहिए इसको.
मैने उसकी कमर पकड़ी, और अपने लंड को नीचे से उसकी छूट में पेलने लगा. तो शिखा भी अपने आप को उसी के हिसाब से आयेज-पीछे करने लगी, और फिर डबल स्पीड में चुदाई शुरू हुई.
आज शिखा पर जोश कुछ ज़्यादा ही था. वो पीछे की तरफ बेंड हुई तो छूट आयेज की तरफ आ गयी, और लंड और अंदर तक जाने लगा, और मज़ा आने लगा. मैने उसके बूब्स पकड़े, और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.
करीब 5 मिनिट ऐसे चुदाई हुई. फिर शिखा आयेज की तरफ आई, और मेरे होंठों को चूसने लगी. जब मैने चूसना शुरू किया, तो धीरे से थप्पड़ मारी गालो पर स्माइल करते हुए, नही का इशारा किया, और फिर खुद ही चूसने लगी.
वो मेरे होंठो को खींचती, काट खाती, गालों को चूस्टी, गले को चूस्टी. फुल मज़े ले रही थी, और दे रही थी. ऐसे करते-करते मेरे कानो के पास गयी.
शिखा: फक मे बेबी, फक मे हार्डर. शो मे युवर अनिमल भैया, फक मे. मैं आपकी रंडी हू ना भैया, बोलो. आ छोड़ो.
शिखा की छूट से रस्स टपकने लगा, और वो धीरे-धीरे बिल्कुल बैठ गयी, और अपना सिर मेरे कंधे पर रख कर साँसे नॉर्मल करने लगी. इतने में मैने उसे कस्स कर अपने से चिपकाया, और पलट दिया. अब वो नीचे थी, और मैं उपर. फिर हमने मिशनरी में चुदाई शुरू की. शिखा ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली-
शिखा: भैया मुझे एक फेवर चाहिए. तभी आयेज आपको छोड़ने को मिलेगा. मतलब आपके लिए एक सर्प्राइज़ है, अगर आप राज़ी हो जाओ.
विवेक: ऐसा क्या सर्प्राइज़ है, जिसमे मुझे राज़ी होना है?
शिखा: भैया आप वरुण को जानते हो ना? वो मेरा गे फ्रेंड.
विवेक: हा-हा याद है गन्दू साला.
शिखा: भैया उसका ना आप पर दिल आ गया है (और वो हासणे लगी). आपको सैयाँ बनाना चाहता है वो. मुझे बोला उसने की सेट्टिंग करा दे मेरी.
मुझे बड़ा गुस्सा आया उसकी बात सुन कर.
विवेक: क्या चूतिया है क्या ब्स्ड वाला? बताया नही तूने उसे की मैं स्ट्रेट हू. मुझे लौंदों में कोई दिलचस्पी नही.
शिखा: बताया भैया, सब बताया की मेरा भाई कितना बड़ा बहनचोड़ है. कैसे मुझे होटेल में ले जेया कर शादी की मुझसे, और फिर मेरी सील खोली.
विवेक: क्या? तूने उस ब्स्ड वाले को हमारे बारे में बता .?
.: . . . .. . . . . . . . . . . .. . . . . . . . .. . . . . . . और . . . . की . . मर्वानी है ..
. उठा और शिखा की टाँगें . . अपने . . . ., और . . . .-. ..
.: . . ., . . . . . . . . की . . की . .? . . . . .. . . . ., उसकी . ., . . . . . . .. . . . . . . . . . . .?
.: . . . . . . की, . . . . . . . . . .. . . . . . . . की .. . . . . . . . . ..
. . . और रिक्वेस्ट . .. . .-. . . . ., की . . . . . . . . मेरी . . ..
.: . . की फॅंटेसी पूरी कर . . . .. . प्लीज़ हा . .. . . . . . . और . . . .. . . . .? . . . . . . . . . . . .? . . . . . . . ..
. .: . . ., . . . . . . . .. . . . . . . . . ., . उसकी . . . . . . ..
. . . . . . ..
.: . . . . . उसकी भी .. . . . ..
.: . . . . . ., . . .? . . ..
.: . . साथ रॉल्प्ले . . चुदाई . टाइम.
शिखा: ., नयी फॅंटेसी भैया. अछा बताओ किसे छोड़ना है मेरी छूट मारते टाइम? किसके लिए तारक बढ़ गयी? कों है जो मेरी छूट से भी ज़्यादा प्यारी लगने लगी मेरे कलूराम को?
विवेक: तू पहले कसम खा मुकर नही जाएगी.
शिखा: अर्रे हा, कसम खाती हू भैया, नही माना करूँगी. आप जैसे चाहो वैसे करना. मैं फुल सपोर्ट करूँगी. बस ये है की आप अकेले ही छोड़ोगे मुझे.
विवेक: मुझे तुझे नही तेरी मा को छोड़ना है. तुझे तेरी मा का रॉल्प्ले करना है.
इतना बोल कर मैने तेज़-तेज़ पेलना शुरू कर दिया उसकी छूट को, और वो मुझे गालियाँ बकने लगी की-
शिखा: मदारचोड़, बोला था ना मा पर मत जाना बेहन के लोड. बहुत गर्मी है तो मेरी छूट में निकल ना. मदारचोड़ मा पर नज़र क्यूँ डाल रहा है रंडवे भद्वे?
विवेक: अर्रे शांत हो जेया ब्स्ड वाली. तेरी मा नही छोड़ूँगा. छोड़ूँगा तो तुझे ही ना.
करीब 15 मिनिट तक हम दोनो की बहस चली, और तब जेया कर उसने हा बोली. हम दोनो की डील हुई की मैं वरुण की गांद छोड़ूँगा पहले. फिर शिखा की मा छोड़ूँगा उसकी छूट को छोड़ते हुए, और वो प्रॉपर रॉल्प्ले करेगी.
डील होने के बाद मैने उसकी गांद बजाई और उसे अपना माल पिलाया. पर वो बहुत गुस्से में थी, सो बस एक ही रौंद किया, और फिर अलग हो कर सोने लगी.