अब मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला और उसके पीछे आ गया। जैसे ही मैं अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीमा सा जोर लगाया तो लगभग आधा लंड उसकी चूत में समा गया और वह कराह उठी।
मैंने देर ना करते हुए एक और जोरदार शाट मारा तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, अब मैं धीमे धीमे से उस जवान लड़की की चूत की चुदाई करने लगा तो उसको मजा आने लगा।
मैं उसके बाल पकड़े था उसको घोड़ी बनाए था और उस हसीना को चोद रहा था। काफ़ी देर तक मैं उसको ऐसे ही चोदता रहा, पूरी गाड़ी में फच फच की आवाज़ आ रही थी और पूरी गाड़ी का वातावरण कामुक हो गया था।
और अंत में जब मेरा छूटने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ छोडूँ?
तो वो बोली- अब अंदर ही डाल दो सारा माल!
और जैसे मैंने अपना माल उसकी चूत के अंदर छोड़ा, उसने अपनी चूत को बहुत जोर से कस लिया, ऐसा लगा कि मेरा लंड उसकी चूत मैं बंद हो गया हो।
वो पसीना पसीना हो गई थी और मैं भी!
अब उसने मेरे लंड पर लगा हुआ सारा माल अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया अब हम दोनों ने कपड़े पहने और सामने की सीट पर आ गए।
मैंने गाड़ी चालू की और बढ़ा दी।
आगे एक ढाबे पर हमने खाना खाया और सुबह चार बजे सागर पहुँच गये उसको काकगंज पर छोड़ा तो कहने लगी- यह मुलाक़ात कभी नहीं भूलूंगी।उसने मेरा नंबर मांगा और अपने फ़ोन मैं सेव करते हुए कहा- फ़िर मुलाक़ात होगी!
आज भी मुझे उस नीली छतरी वाली के फोन आते हैं।
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