बारिश में हुई लड़का-लड़की की चुदाई की कहानी

मेरी छूट अब गीली रसिया रही थी. और उसके बड़े से मोटे लंड की चुभन अब मेरी गांद को पीछे से खाए जेया रही थी. ये समझ लीजिए उसने मुझे अपनी गोद में ही बिता लिया था, और अगर हमारे बीच ये कपड़े नही होते, तो मेरी गांद में फौलाद भर दिया होता. पर ये भी होने में अब कितनी ही देर बाकी थी.

धीरे से मैने महसूस किया की उसने अपना हाथ मेरी गातीली नाभि से होते हुए मेरे पाजामे, मेरी कक़ची के अंदर डाल दिया. मैं काँप उठी. हमारे होंठ छ्छूट गये और आअहह की ज़ोरदार आवाज़ से वादी का सन्नाटा ख़तम हो गया.

दोस्तों खुले आसमान के नीचे मेरा पहला चुदाई प्रोग्राम था, लेकिन इसमे कुछ बात ही अलग थी. उसने मेरे डाए कंधे पर पिशाच की तरह अपने दाँत गाड़ा दिया और मेरी कोमल चाँदी को चूस-चूस कर काटने लगा. मुझे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था. मेरे निचले होंठ को मैने अपने दंटो में दबा लिया और मेरे गले से ऊंफ-ऊंफ की आवाज़ आने लगी.

इतने में उसका हाथ मेरी छूट तक पहुँच गया. मेरे लोवर पहने होने के कारण उसको वाहा का रास्ता ढूँढने में ज़्यादा दिक्कत नही हुई. मेरी छूट जो पहले से ही गीली थी, उसकी उंगलियों को भीगा बैठी. उसने अपनी बीच की उंगली मेरी छूट के अंदर दे दी, और उसको वही पर टहलाने लगा. बहुत ही मोहब्बत से वो उसको मेरी छूट में रगड़ने लगा.

अंदर-बाहर, अंदर-बाहर, मेरी तड़पति आवाज़, सिसकारियों में बदल गयी. कुछ देर मेरी छूट को अपनी उंगली का आनंद देने के बाद, उसने एक और उंगली मेरी छूट में तूस दी. मेरी तो जैसे आँखें ही बाहर आ गयी हो.

उसने धड़क-धड़क करते हुए मेरी छूट में तेज़ी से अपनी उंगलियाँ चलानी शुरू कर दी. आआआः आअहह अक्षय कहते हुए मैने उसका बाया कान अपने दांतो से काट लिया. वो तड़प उठा. पर हवस की कहानी अभी यही शांत नही हुई थी. उसने अपनी उंगलियाँ निकाल कर मेरे मूह में डाल दी, और फिर उसके बाद अपने मूह में. मेरी छूट का रस्स चाट कर वो पागल सा हो उठा.

उसने मुझे दोनो हाथो से उठा कर बिछी हुई चादर पर उल्टा लिटा दिया. फिर उसने झट से मेरी कक़ची समेत मेरे लोवर को मेरे गोल-मटोल छूतदों से अलग कर दिया, और वो किसी फुटबॉल की तरह बाहर आ कर उछालने लगे.

उसके बाद उसने चार-पाँच तमाचे मेरे गोल-मटोल तरबूज़ो पर रसीद कर दिए, और उन्हे लाल कर दिया. फिर उन्हे दोनो हाथो से ज़ोर से जाकड़ कर अपने दांतो से काटने लगा. फिर वो मेरे उपर लेट गया और अपने दोनो हाथ नीचे से घुसेध कर मेरे दोनो मुम्मो को मसालने लगा. और मेरी गर्दन को काटने लगा.

मुझे मज़ा आ रहा था. उसने झट से मुझे पलटा और मेरे उपर लेट कर मुझे फिरसे स्मूच करने लगा. मैने अपने दोनो हाथो से उसकी पीठ जाकड़ ली. और अपनी उंगलियाँ उसपे गाड़ने लगी. ऐसा लग रहा था की अपनी इन मज़बूत बाज़ुओं से ही आज मेरी जान निकाल देगा. 5 मिनिट तक हम दोनो एक-दूसरे के होंठ चूस्टे रहे. फिर वो उठा और एक साथ उसने मेरी लोवर और कक़ची मेरे बदन से अलग कर दी.

अब मैं उस हसीन वाडी में नंगी लेती हुई थी. वो मुझे हवासी निगाहों से खड़े हुए ताड़ रहा था. मैने दोनो हाथ अपने मुम्मो पर रख लिए. जैसे उसके देखने से मैं शरम से पानी हो रही थी. उसने अपनी कपरी और ककचे को उतार कर खुद को भी नंगी अवस्था में पहुँचा दिया.

दोस्तों वो नज़ारा मुझे भूले नही भूलता. 1 इंच मोटा तन्ना हुआ, 6.5 इंच का गड्रीला लंड मेरे मूह के सामने खड़ा सलामी दे रहा था. उसने मुझे दोनो हाथ से उठाया और घुटनो के बाल बिता दिया.

मैने अपनी शरारती नज़रे उपर उठा कर उसको देखा, और फिर अपने कोमल हाथो से धीरे से उसके विशाल लॉड को पकड़ कर, उसको सहलाने लगी. मैं अपनी हथेली से धीरे-धीरे उसकी खाल को आयेज-पीछे करने लगी.

उसका तन्ना हुआ गोल लॉलिपोप जैसा टोपा तोड़ा सा गीला था, पर मैदान में लंबा तिकुंगा, ऐसा मुझे कह रहा था. मैने अपनी जीभ निकली और उसको धीरे से नीचे की तरफ से चाट लिया.

हम दोनो की नज़रे मिली हुई थी. मैने इसके बाद उसको पूरा मूह में ले लिया, और चूसने चाटने लगी. अपनी जीभ से उसके साथ खेलने लगी. और अपने डाए हाथ से उसको आयेज-पीछे करने लगी.

उसको देख कर ऐसा लग रहा था की उसका सुख चरम पर पहुँच रहा हो. मैने और ज़ोर से उसको चूसना शुरू कर दिया. मेरी गर्दन में जैसे ही जाता मुझे आनंद आ जाता. पर ऐसा मोटू लॉलिपोप चूसने का आनंद मेरी जीभ को भी कम नही आ रहा था. करीब 10 मिनिट उसके मज़े लेने के बाद, अक्षय ने मेरे दोनो गालों पर हाथ रख लिया और मेरा मूह छोड़ने लगा.

उसने स्पीड बढ़ा दी और मेरी गर्दन में उसको और अंदर डालने लगा. साथ ही उसने मेरे खुले हुए बाल पकड़े और उसकी अपने हाथो से पोनीटेल बना के मेरे मूह में ज़ोरदार पिलाई करने लगा. मेरे मूह से अघड़ाक अघड़ाक फ़सससस्स की आवाज़े आ रही थी.

फिर उसने लॉडा निकाला, और पेड़ से टेक लगा कर बैठ गया. मैं घोड़ी बन कर उसके पास गयी, और उसके लॉड को फिरसे चूसने लगी.

उसने मेरे छूतदों पर तबला बजाया, और फिर मेरा मूह उपर करके मेरे होंठ चूसने लगा. मैं उठी, और अपनी दोनो टांगे फैला कर उसकी जांघों पर बैठ ही रही थी, की उसने अपना टोपा सेट करके मेरी छूट के नीचे रख दिया, और मेरे बैठते ही मानो एक पूरी बिल्डिंग मेरे अंदर जेया बसी.

आअहह… की ज़ोरदार चीख के साथ मेरे माथे की थयोरी चढ़ गयी, और उसने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में फिरसे भर लिया. उसने एक हाथ से मेरे बाल खींचे और मेरे होंठ को अपने मूह में ले लिया. और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को पकड़ कर मुझे उपर-नीचे करने लगा. अब मैं भी उछाल-उछाल कर उसके लंड पर कूदने लगी.

हम दोनो एक-दूसरे को जाकड़ कर कराह रहे थे, और हमारे उबलते हुए गरमा जिस्म एक-दूसरे से रगडे जेया रहे थे. उसने मेरी गर्दन पीछे से दबोच ली, और मेरे मुम्मो में दाँत गाड़ाने लगा. मैं सकपका रही थी, और उछाल-उछाल कर हम दोनो को चरम सुख की प्राप्ति हो रही थी.

उसके उपर 5 मिनिट उछालने के बाद उसने मुझे लिटा दिया, और मेरे उपर लेट कर अपना फौलादी लॉडा मेरी टाँगो के बीच में घुसा के मेरी छूट को फिरसे भर दिया. अब वो मेरे उपर था और मेरे दोनो हाथो को फैला कर, उन्हे दबोच कर, लेती हुई जवानी में झटके मार रहा था. आहह अक्षय उम्म. उसने झटके तेज़ कर दिए, और मेरे उपर अपनी छाती टीका कर मुझे स्मूच करने लगा.

मेरी आवाज़ दबने लगी. मैने दोनो हाथो को च्चूदवया और अपने मुम्मो को मैं खुद से मसालने लगी. उसने अपनी दोनो बाहें मेरी गर्दन के पीछे रख कर मुझे पूरी आगोश में लेकर और मुझे फुल स्पीड में छोड़ने लगा. झटके ऐसे लग रहे थे, जैसे किसी मशीन का पिस्टन चलता है.

उसने अपने घुटने ज़मीन पर रख कर मुझे उठा लिया, और खड़े हो कर मुझे हवा में लटका कर मुझे पेड़ से सता दिया. मेरे सूजे हुए होंठो को अपने मूह दबा कर रग़ाद-रग़ाद कर मुझे चूसने लगा. मैने भी अपनी टांगे उठा कर उसकी पीठ में घुमा दी. अब मैं पूरी तरह उसकी आगोश में थी. और वो मुझे चूज़ जेया रहा था, छोड़े जेया रहा था.

पेड़ से सता कर उसने मुझे जो झटके मारने चालू किए, मैं तो बॅस यही सोच रही थी, की अब तक ये लॉडा कहा था. क्यूँ नही आज तक मेरे इतने करीब होने पर भी मैं इसका सुख नही भोग पाई. पर जो हो रहा था वो जन्नत देखने से कम नही था. काफ़ी देर खड़े-खड़े मेरी चुदाई करने के बाद जब हम तक गये, तो हम चादर पर जेया कर लेट गये.

उसने अपनी बाई टाँग को उठा कर मेरे टाँगों के उपर रख दिया और अपने गरम लंड को मेरे छूतदों से रगड़ने लगा. फिर उसने टाँगों की पोज़िशन चेंज करी. मेरी बाई टाँग अपनी बाई के उपर रख दिया, और अपनी बची हुई हवस से मेरी पानी से लहू लुहान छूट को अपने लॉड की चोंच पे चिपका दिया.

अपने दोनो हाथो को आयेज ला कर उसने मेरे मुममे दबोच लिए, और उसकी मदद से झटका मार के मेरी छूट अपने हात्ोड़े नुमा लॉड से फाड़ दी. झटके पे झटके मार-मार के वो मेरी छूट पीछे से छोड़ता रहा. दोस्तों ये मेरी 2न्ड फेवोवरिट पोज़िशन थी. गोदी में/दीवार से सतत कर पहले नंबर पर है. उसके झटके तेज़ होते गये जैसे वो चरम पे हो.

ऐसे ही मेरा पानी छूट गया. मीरी टांगे काँप उठी और उसके लंड को मेरी छूट के शीतल जल ने पवितरा कर दिया. तभी सकपकते हुए उसने अपना लॉडा बाहर निकाला और मेरी डाई टाँग की अंदर जाँघ पे अपना वीरया छ्चोढ़ दिया. हम दोनो अब टूट चुके थे.

अक्षय: ये मेरी ज़िंदगी की सबसे अची चुदाई थी. (कहते हुए उसने मुझे पीछे से जाकड़ लिया)

मैं: काश तुम्हारा लॉडा मुझे पहले मिल गया होता. ऐसा लगता है काई जन्मो की प्यास बुझ गयी हो.

मैने अपने मुम्मो पर उसके दोनो हाथ रख लिए, और अपने उसके उपर. लगभग आधे घंटे तक हम यू ही लेते रहे. फिर उसने उठ कर पास की कुटिया से कुछ लकड़ियाँ लेकर जलाई. अपना टेंट सेट किया और हम दोनो नरम टेंट के गद्दे में जेया कर नंगे बदन एक-दूसरे से चिपक कर, उपर मेरा लाल रंग का फेवोवरिट रेशमी कंबल लेकर लेट गये.

उसका लॉडा अभी भी मेरी टाँगो के बीच में था, पर अब वो कुछ ढीला सा हो गया था. उसकी गर्मी फिर भी मुझे आनंद दे रही थी. उसने मेरे मुम्मो को जकड़ा, मेरे होंठो को एक 20 सेकेंड्स तक चूस के किस किया, और हम दोनो वही पर सो गये.

दोस्तों ये कहानी की आयेज की घटनाए और भी काफ़ी रोचक है. कैसे सुबा हमने फिरसे जाम कर चुदाई की, कैसे बाकी ग्रूप से जेया कर मिले, और कैसे अक्षय को फिरसे भाव कम करने के बाद उसने क्या-क्या पपद बेले मेरी छूट का रस्स चाटने के लिए. उन्हे जानने के लिए जुड़े रहिए. आपकी प्यारी, खूबसूरत, चुड़क्कड़ विनी के साथ.

आयेज के भाग जल्द ही उपलोआड करूँगी. कहानी कैसी लगी इसके बारे में विन्निसेन0@गमाल.कॉम पर मैल करके बताना मत भूलिएगा.

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