बाप ने बेटी को धोखे से बातरूम में चोदा

पापा: बेटा मेरी ख्वाहिश है की (मेरी गांद को फिरसे सहलाते हुए, और इस बार तोड़ा मसालते हुए) तेरी छूट की तरह तेरी गांद का उद्घाटन भी मैं ही करू. बेटा जी, मैं तुम्हारी ये गांद मारना चाहता हू.

मे: क्या (ये सुन कर मेरा सेक्स का सारा नशा उतार गया)!

पापा के मूह से ऐसी ख्वाहिश की तो मुझे सपने में भी उमीद नही थी. एक बार तो मैं दर्र गयी की कही ये आदमी अभी फिरसे अपना लंड खड़ा करके ज़बरदस्ती कही मेरी गांद में अपना लंड ना डाल दे. क्यूंकी अपनी गांद में लेने का ख़याल कभी मेरे दिमाग़ में ही नही आया. और पापा की वहशी नज़र जो मेरी गांद को घूर रही थी, वो देख कर मैने चादर से अपनी नंगी गांद को धक लिया.

क्यूंकी अक्सर जब कोई लड़की लड़के को एक बार अपनी छूट मारने को अलो करती है. उसके बाद वो उसे अपना बाप का माल समझने लगते है, की जब चाहे जैसे चाहे इसको छोड़ लेंगे. और यहा तो सच में मेरा बाप था, और मैं उसी का माल थी.

पापा: रिलॅक्स बेटा, चिंता मत करो. जैसे तुम्हारी मर्ज़ी से तुम्हारी छूट ली है, वैसे ही तुम्हारी मर्ज़ी से ही तुम्हारी गांद मारूँगा. अगर तुम राज़ी हो तो.

ये सुन कर मेरी जान में जान आई.

पापा: पर इसके बारे में सोचना ज़रूर. इसका भी अपना मज़ा है. तुम चाहो तो इंटरनेट पे वीडियो में भी देख सकती हो. फिलहाल तुम रिलॅक्स करो. अभी देर रात हो चुकी है. तुम तक गयी होगी. हमे यहा से कल सुबह को यूनिवर्सिटी भी जाना है. तुम्हारी मों को वाहा की फोटो भेज के यकीन भी दिलाना होगा ना.

और फिर मैं और पापा ने उठ कर अपने आप को वॉश किया. खून से सनी चादर और कपड़े सब बकेट में भिगो दिए. मुझे चलने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी. फर्स्ट चुदाई के बाद तोड़ा पाईं तो होता है.

पापा को शायद ये पता था, तो फिर उन्होने मुझे पाईं किल्लर टॅबलेट और पानी दिया. मैने तो पहले माना कर दिया, पर पापा ने मुझे इन्सिस्ट किया.

पापा: बेटा लेलो टॅबलेट. इससे तुम्हारे मसल रिलॅक्स हो जाएँगे और तुम आचे से चल पावगी. वरना तुम्हारी चाल देख कर रिसेप्षनिस्ट समझ जाएगा की तुम यहा पढ़ाई के लिए नही चुदाई के लिए आई हो. (और हम दोनो हासणे लगे)

मे: पापा आप भी ना. हमेशा मेरा मज़ाक करते रहते हो.

पापा: अर्रे ऐसी बात नही है बेटा. वो तो बस तुम्हे स्माइल दिलाने के लिए तोड़ा सा. और टॅबलेट लेकर तुम सुबह तक रिलॅक्स हो जाओगी, तभी तो मैं तुम्हारी छूट की फिरसे अची चुदाई कर पौँगा. (और पापा स्माइल करने लगे)

मे: क्या पापा आप भी!

और मैने वो टॅबलेट ली, और फिर हम दोनो सो गये. सुबह कब हुई पता ही नही चला. जब मैं उठी तो 11 बाज चुके थे, और पापा अभी तक सो रहे थे. मैं जब उठी तो अभी रात से अछा रिलॅक्स लग रहा था, शायद टॅबलेट की वजह से.

मैं वॉशरूम में गयी, फ्रेश हुई. वाहा मिरर में अपनी छूट को देखा, की कल तक जो एक काली थी, आज एक फूल बन गया था. छूट के पंख फैल गये थे. अगर सीमा ये देखती तो वो पक्का भाँप लेती की मैं छूट में लंड ले चुकी थी. पर अब उससे कोई फराक नही पड़ता.

मैने फिर पापा को उठाया, तो उन्होने उठते ही मुझे बेड पे खींच कर किस किया. जो मुझे भी अछा लगा. फिर हमने छाई नाश्ता किया. दोपहर के 12:30 बाज रहे थे. मैने पापा को नहाने को बोला, पर उन्होने बोला-

पापा: बेटा, मेरा कुछ काम है ऑफीस का, उसे मैं पूरा कर डू अपने लॅपटॉप से. फिर मैं नहा लूँगा.

तो मैं नहाने को चली गयी. फिर जब नहा कर वापस आई, तो टवल लपेटा था. बाहर निकली तो पापा नंगे बैठे थे, और मुझे घूर रहे थे. उनका लंड भी जैसे सलामी दे रहा था मेरी छूट को.

मे: क्या देख रहे हो?

पापा: सोच रहा हू की ये माल अब तक कहा च्छूपा कर रखा था. शायद मुझे पहले मिल जाता तो मज़ा ही आ जाता.

मे: ह्म, अब ज़्यादा रोमॅंटिक ना बनो, और जल्दी नहा लो. वरना यूनिवर्सिटी बंद हो जाएगी.

और पापा अपने कपड़ों के साथ अंदर चले गये. अंदर जाते ही शवर की आवाज़ आई. मैं टवल हटा कर अपने बाल सुखाते हुए अपनी ब्रा को डालने ही वाली थी की अंदर से पापा की आवाज़ आई-

पापा: अनु बेटा, ज़रा मेरा टवल तो देना. वही बेड के नीचे गिर गया है शायद (मैने देखा तो वो नीचे गिरा हुआ था पीछे की साइड पे).

मे: पापा, अभी मैं कपड़े डाल रही हू. आप पहले नहा तो लो, फिर मैं लास्ट में देती हू.

पापा: अरे बाद में तुम्हारे कपड़े भीग सकते है. अभी तुम टवल डाल कर मुझे मेरा टवल डेडॉ. कितना टाइम लगेगा इसमे.

अब मैने भी सोचा, की कपड़े पहने ही नही है, तो कोई दिक्कत नही. मैं ब्रा को बेड पे वापस डाल कर अपना टवल लपेट कर पापा को टवल देने बातरूम में गयी. फिर अंदर हाथ डाला तो मेरी सोच के बिल्कुल विपरीत पापा ने मेरे हाथ के समेत मुझे पूरा अंदर बातरूम में खींच लिया गया. फिर मेरे हाथ वाला टवल पापा ने ले लिया.

मैं कुछ समझ पाती उससे पहले दो चीज़े हुई. एक ये की जो टोलिया मेरे जिस्म के उपर था, वो अब उसपे नही रहा. और दूसरा, मेरे जिस्म पे से टोलिया हटते ही मेरे जिस्म के उपर पानी का शवर आने लगा. मतलब की ये पापा की सोची-समझी साज़िश थी मुझे बातरूम में ऐसे नंगा करने की. उन्होने वो टवल्ज़ को हॅंगर के उपर लटका दिया.

मे: पापा, ये सब क्या है? मुझे जाने दो प्लीज़. हमे लाते हो जाएगा यूनिवर्सिटी के लिए.

पापा (मेरे मूह पे उंगली रखते हुए मुझे

साइलेन्स करते हुए): ष्ह, हम यहा तेरी यूनिवर्सिटी के लिए नही आए है. तेरी यूनिवर्सिटी को तो हम चाहे तो कल भी जेया सकते है. मैं हॅंडल कर लूँगा तेरी मों को. मैं यहा पे मेरे इस स्टूडेंट को (अपने लंड की और इशारा करते हुए) तेरी इस यूनिवर्सिटी (मेरी छूट को सहलाते हुए) में अड्मिशन करने को लाया हू. और सिर्फ़ एक बार छूट देने से कुछ नही होता. छूट में बार-बार लंड डलवाने से रिश्ता मज़बूत होता है इन दोनो का, और तुम सेक्स का पूरा मज़ा भी ले पावगी.

ये बोलते ही पापा ने मुझे अपनी और खींचते हुए अपने होंठो को मेरे होंठो पे जड़ दिया. एक हाथ से मेरा बूब तो दूसरे से मेरी छूट सहलाने लगे. कुछ देर बाद ऐसे ही होंठ चूसने के बाद उन्होने नीचे घुटनो के बाल बैठ कर मुझे बातरूम की बेसिन पे बिताया. फिर मेरी छूट को अपने मूह में भर लिया, और मेरी छूट के दाने को काटने लगे.

मैं तो इस नये एक्सपीरियेन्स से फिरसे आसमान में उड़ने लगी. मेरे दिमाग़ में यूनिवर्सिटी के बजाए वापस चुदाई छाने लगी. पापा मेरी छूट को चाटने लगे. कुछ देर बाद वो खड़े हुए, और मेरी जगह पर वो बैठ गये. तो मैं समझ गयी. अब मैं घुटनो के बाल बैठ कर उनका लंड चूसने लगी, और उसे चूस-चूस कर हात्ोड़े जैसा टाइट कर दिया.

अब इस हात्ोड़े का मेरी छूट में जाना टाई था. मैं सोचने लगी की क्या पापा मुझे यही बातरूम में नीचे लिटा कर छोड़ेंगे, या बेड के उपर ले जाएँगे? मैं ये सोच ही रही थी, की पापा ने मुझे खड़ा किया, और जहा मैं बैठी थी, वाहा पे मेरी लेफ्ट टाँग को उँचा करके रखा.

फिर मुझे तोड़ा आयेज झुका कर वो पीछे से मेरी छूट के उपर लंड फिरने लगे. छूट के उपर से अब लंड मुझे मेरी गांद के होल पे फील होने लगा. इस पोज़िशन में मेरी छूट और गांद दोनो में डालना ईज़ी था. मुझे लगा की कही पापा मेरी गांद तो नही मारेंगे?

ये सोचते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये और गांद फटत गयी. क्यूंकी मैं इसके लिए अभी मेंटली प्रिपेर नही थी. मैने सोच लिया की अगर पापा ने मेरी गांद मारने का ट्राइ किया, या फिर ज़बरदस्ती मेरी गांद मारी, तो मैने उन्हे अपनी छूट भी नही मारने दूँगी.

मैं पापा को कुछ बोलती, उससे पहले ही मुझे पापा का लंड मेरी छूट की दीवारो को खोलता हुआ अंदर आता हुआ महसूस हुआ. मैं मेंटली रिलॅक्स हो गयी, क्यूंकी पापा मेरी गांद में अपना लंड नही डाल रहे थे, और मैं इस न्यू पोज़िशन को, और इस न्यू एक्सपीरियेन्स को एंजाय करने लगी.

पापा मेरी जांघों को पकड़ कर अपने लंड की स्ट्रोकिंग करने लगे, और मुझे छोड़ने लगे. मैं आ आ की आवाज़ के साथ पापा के लंड से चूड़ने लगी. ये मेरी दूसरी ही चुदाई थी, और इसलिए शायद मेरी छूट उतनी खुली नही थी, और मुझे अपनी छूट में लंड की रग़ाद अभी भी महसूस हो रही थी. लंड छूट की दीवारो को सतत कर ही अंदर बाहर जेया रहा था. उसकी रग़ाद से मेरी छूट में गर्मी बढ़ रही थी, और मूह से सिसकारियाँ निकल रही थी.

पापा कभी मेरे बूब्स को दबाते, तो कभी मेरे फेस को पूरा अपनी तरफ घुमा कर मुझे किस करते हुए छोड़ने लगे.

पापा: आ आ अनु, इस पोज़िशन में तुझे छोड़ने में सच में मज़ा आ रहा है. तेरी मों को भी जवानी में इस वाली पोज़िशन में बहुत बार छोड़ा है. आज तुझे इसमे छोड़ रहा हू.

मे: एस दाद, फक मे. आ, सच में अछा लग रहा है इस पोज़िशन में. इसमे मसल्स स्ट्रेस होते है, इसलिए और मज़ा आता है. आ सच में, कल वाली पोज़िशन से इसमे ज़्यादा रोमॅन्स फील होता है.

पापा: एस बेटा. इस पोज़िशन में सच में बहुत मज़ा आता है. और इससे भी ज़्यादा रोमॅन्स तुझे फील करना है तो अपनी गांद एक बार मरवा के देख.

मे (पापा वापस मेरी गांद को बीच में ले आए, पर मैने उसे अवाय्ड करते हुए बात को घुमा दिया): पापा छोड़िए ना. आप अभी मेरी छूट मारने पे कॉन्सेंट्रेट कीजिए. देखो अभी भी टाइट है, आप इसे छोड़ कर तोड़ा लूस कर दीजिए. एक बात बताइए पापा, क्या मों को छोड़ने में मज़ा आता है? या कल मुझे छोड़ने में?

पापा: ऑफ कोर्स बेटा, तेरी छूट मारने में ज़्यादा मज़ा आया. तेरी मों की छूट का लचीलापन्न अब वैसा नही है, जैसे पहले था. तेरी छूट तो अभी मस्त टाइट और चिकनी रसीली है. इसे मारने में जो मज़ा है, वो कही और नही.

और पापा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी मुझे छोड़ने की. उनका लंड तो बिना किसी दया के मेरी छूट को पेले जेया रहा था. ऐसा लग रहा था किसी भूखे इंसान के हाथ में बहुत दिन बाद रोटी मिली हो, और वो भी जाम लगा के. कुछ देर बाद पापा ने मुझे उल्टा घुमाया और वापस उसी काउंटर पे बिता दिया, और फिरसे आयेज से मेरी छूट में अपना लंड डाल दिया. अब वो साथ-साथ मुझे किस भी करने लगे.

पापा को इस पोज़िशन में छोड़ता हुआ देख मुझे ब्लूएफील्म का सीन याद आ गया, जिसमे एक तगड़ा बंदा पतली लड़की को अपनी गोद में उठा के छोड़ता है. तो मैने पापा को कहा-

मे: पापा याद है बचपन में आप मुझे, आ, अपनी गोद में उठा कर मुझे झो9ला झूलते थे.

पापा: एस डार्लिंग याद है, पर उसका क्या?

मे: तो क्या आप में आज भी वो केपॅसिटी है की मुझे अपनी गोद में उठा कर ये वाला झूला खिला सको? (उनका लंड अपने हाथो से पकड़ते हुए)

ये सुन कर पापा को जोश आया, और मुझे एक ही झटके में उस प्लॅटफॉर्म से उठा कर अपने हाथो पे उठा लिया. फिर उन्होने मुझे अपनी गोद में ले लिया. इस प्रोसेस में उनका लंड छूट से बाहर निकल गया. पर पापा के दोनो हाथ मुझे पकड़ने में ऑक्युपाइड थे, सो मैने ही अपने हाथो से पापा के लंड को अपनी छूट पे सेट किया.

फिर पापा अंदर पुश करते हुए, मुझे अपने हाथो से उपर नीचे उछालने लगे. इस तरह पापा के लंड के उपर मैं उछालने लगी. वाउ क्या मज़ा आ रहा था इसमे भी. हर जंप पे फिरसे लंड की जकड़न और छूट की दीवारो की रगड़ान महसूस हो रही थी.

मेरे बूब्स भी मस्त उछाल रहे थे. कभी पापा इन उछलते हुए बूब्स को अपने मूह में लेने का ट्राइ भी करते, और निपल्स को काट भी लेते. यहा पे एक बात मैं कन्फेस करना चाहूँगी, की ये अपने पार्ट्नर की गोद में बैठने वाला जो एक्सपीरियेन्स है, वो मोस्ट्ली लड़की को हब्बी या बाय्फ्रेंड की और से नही मिल पाता.

क्यूंकी मोस्ट्ली दोनो का वेट ऑलमोस्ट सेम रहता है. अगर लड़का जिम जाता हो या बॉडीबिल्डर टाइप हो, तो ये एक्सपीरियेन्स शायद मिल सकता है. पर इस रिलेशन्षिप में ये ऑलमोस्ट इंपॉसिबल रहता है. और पापा को अपनी बेटी को गोद में उठाने का एक्सपीरियेन्स तो होता ही है. बस इस बार बेटी के हाथो मैं झुनझुने की बजाए अपना लंड पकड़ना है, और फिर उसी लंड से उसकी छूट मारनी है, सिंपल.

पापा मुझे किस भी करते, और गोद में उठा कर छोड़ते भी. मैने इशारा किया तो पापा मुझे ऐसे ही पकड़े शवर के नीचे ले गये. फिर मैने उसे ओं किया, और पापा से बारिश में चूड़ने का एक्सपीरियेन्स भी साथ में मिल गया.

इसी पोज़िशन में छोड़ते हुए पापा ने मेरी छूट में अपना पूरा पानी छ्चोढ़ दिया, और मुझे धीरे से नीचे उतरा. फिर मुझे अपने हाथो से नहलाया बचपन के जैसे. फिर हम बाहर आए, कपड़े पहने, और फिर यूनिवर्सिटी की और निकल पड़े.

सो फ्रेंड्स, ये वाला पार्ट आपको कैसा लगा आप नीचे कॉमेंट्स में ज़रूर से बताईएएगा. आप मुझसे गमाल/घ्छत (लज़्यलीहास@गमाल.कॉम) पे कनेक्ट कर सकते है. बहुत सी गर्ल्स, जो इस तरह का एक्सपीरियेन्स लेना चाहती है, जो अपनी फॅमिली मैं किसी से चूड़ना चाहती है, पर कह नही सकती, ऐसी गर्ल्स के मुझे मेसेजस आते है, और उन्हे हेल्प करके अछा फील होता है. अगर आप भी वैसी गर्ल/औरत है, तो मुझसे कॉंटॅक्ट ज़रूर करे. ई’ल्ल ट्राइ मी बेस्ट तो हेल्प योउ.

यह कहानी भी पड़े  बेटी ने दिया बाप को सुख


error: Content is protected !!