नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम नयनिका है और मेरे पापा का नाम राजवीर है. मैं प्यार से उन्हे राज बुलाती हू. आपने मेरी कहानी के 2 किससे पढ़े और बहुत सारा प्यार दिया. उसके लिए सुक्रिया. जिसने अभी तक कहानी नही पढ़ी, वो ज़रूर पढ़े.
ज़्यादा समय ना लेते हुए मैं सीधा कहानी पर आती हू. मैं और राज (मेरे पापा) ऑफीस के ग्रूप के साथ एक रिज़ॉर्ट में पिक्निक में आए थे. पिक्निक स्पॉट पर एंजाय करने के बाद हम काफ़ी करीब आ गये और राज यानी मेरे पापा ने मेरी सील तोड़ी.
पहली चुदाई होने के बाद मैं काफ़ी तक गयी थी. राज (पापा) ने मुझे गोद में उठाया, और बातरूम ले गये. मेरी छूट उनके वीर्या से भर गयी थी, जो उन्होने सॉफ की और नंगा ही मुझे बिस्तर पर सुला दिया. मैं नंगी ही कब सो गयी मुझे पता भी नही चला.
सुबह जब उठी तो मैं और राज ब्लंकेट में नंगे सोए हुए थे, और राज का हाथ मेरी चुचियों पर था. मैं नंगी ही उठ कर बातरूम में चली गयी और मूतने के बाद मिरर में देखा. मेरी छूट की झांते बहुत बढ़ी हुई थी.
मैने उसको कभी सॉफ नही किया था. मैने सोचा की उसको क्लीन कर देती हू, पर कैसे करती वो मुझे पता नही था. फिर मैने सोचा की मैं पार्लर हो आती हू. वही पर बिकिनी वॅक्स करवा लूँगी. राज भी उठ कर बातरूम में आए और उनकी नज़र मेरी छूट पर गयी.
राज: जान (मैं) छूट के बाल सॉफ करवा लो.
मैने राज से कहा: मुझे खुद से करना नही आता है, तो मैं पार्लर जाके करवा लेती हू.
राज मेरी छूट पर हट फेरते हुए बोले: इतनी प्यारी छूट को बालों में च्छूपा के रखा है.
राज ने एक उंगली मेरी छूट में घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगे.
मे: अहह… आहह… राज क्या कर रहे है?
राज: बस तुझे नंगा देख मेरा लंड खड़ा हो गया है. मेरे लंड को तो अब छूट चाहिए.
राज ने मुझसे कहा: मैं तुम्हे छोड़ना चाहता हू.
मैं राज की तड़प समझ रही थी, और मैने भी चुदाई के लिए हा कर दी. राज ने मुझे मुझे बातरूम की दीवार के सहारे खड़ा किया, और मैं तोड़ा झुक गयी. मेरी गांद बाहर की तरफ आ गयी.
फिर राज ने कहा: मुझे छोड़ते टाइम पापा बोलो, बहुत अची फीलिंग आती है.
पापा ने अपना लंड मेरी छूट के च्छेद पर लगाया, और एक ही झटके में अंदर घुसा दिया, और मेरे मूह से चीख निकल गयी आअहह… आहह… आहह…
मे: पापा बहुत दर्द हो रहा है.
पापा ने बोला: मेरी जान, प्यार का दर्द है, सहना पड़ेगा.
पापा ने पूरा लंड बाहर निकाला, और फिरसे छूट में एक झटके में घुसा दिया. आअहह… आहह.. और मैं दर्द के मारे तड़प रही थी. पापा बिना रुके ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट को पेलने लगे, और मैं आअहह आ की मोनिंग कर रही थी.
पापा ने काफ़ी देर छोड़ने के बाद मुझे अपनी तरफ घुमा लिया. फिर मेरा एक पैर उपर किया और मेरी छूट में लंड घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी छूट चुदाई होने लगी. साथ में पापा मेरी चुचियाँ भी चूस रहे थे. मुझे लीप किस करते हुए उनका लंड तेज़ी से लंड मेरी छूट को फाड़ रहा था.
पापा ने फिरसे मुझे कुटिया बनाया, और लंड मेरी छूट में डाल दिया. फिर ज़ोर से बिना रुके लंड मेरी छूट में चला रहे थे. पापा दोनो हाथ से मेरी चुचियाँ मसल रहे थे, और छूट को लंड से पेल रहे थे. फिर ऐसा करते हुए वो मेरी छूट में झाड़ गये.
इस बार की चुदाई में दो बार मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया था. चुदाई के बाद राज यानी मेरे पापा बहुत खुश थे. हम लोग साथ में नहाए, और मैं बेड में आके लेट गयी.
पापा ने बोला: सब घूमने जेया रहे है. पर मैने माना कर दिया की तुम्हारी तबीयत ठीक नही है. आज मुझे सिर्फ़ तुम बिस्तर में चाहिए.
पापा ने पार्लर वाली को होटेल में ही बुला लिया. पार्लर वाली ने आके मेरा बॉडी वॅक्स, फेशियल, आइब्रो सब कर दिए. 3 अवर्स बाद पापा आए, मुझे देखा तो देखते ही रह गये.
वॅक्सिंग के बाद मैं नहा कर पापा का दिया हुआ गिफ्ट पहन कर बाहर गयी. पापा ने मुझे ट्रांसपेरांत निघट्य दी थी. मेरी छूट, गांद, चुचियाँ सब उसमे से नज़र आ रही थी.
पापा मेरे पास आए और कहा: किसका कटाल करने वाली हो?
मे (मस्ती में कहा): आपका ही कटाल करना चाहती हू.
पापा: कटाल से पहले आखरी इक्चा तो पूच लो? मरने वाले की आखरी ख्वाहिश पूरी करना उसका हक है.
मे: क्या है आखरी ख्वाहिश?
पापा: तुम्हे अपने बच्चे की मा बनाना चाहता हू.
मैं ये सुन कर शरम से पानी-पानी हो गयी. पापा मेरे पास आए और बोले-
पापा: जान तुम्हारी छूट की भूख है, क्या वो मिल सकती है?
मैने हा कर दी. पापा ने मुझे बाहों में भर लिया, और मेरे होंठो को चूमने लगे. मैने पापा के सारे कपड़े निकाल दिए, और पापा ने मेरी निघट्य फाड़ दी.
पापा: जान, मेरे और तुम्हारे बीच मुझे ये कपड़े भी नही चाहिए.
उन्होने सीधा मुझे बेड में धक्का दिया, और मेरे दोनो पैर एक झटके में अलग कर दिए. फिर पापा मेरी छूट में हाथ फेरने लगे. मेरी छूट एक-दूं गुलाबी रंग की और फूली हुई थी. मेरी छूट की पंखुड़ी डबल रोटी जैसी एक-दूं फूली हुई लग रही थी.
पापा ने मेरी छूट पर किस किया, और अपनी जीभ मेरी छूट में घुसा दी, और मुझे एक-दूं झटका महसूस हुआ. पापा ने अपने हाथ से मेरी छूट को खोला, और चूसने लगे. वो बिना रुके अपनी जीभ से मेरी छूट चाट रहे थे. वो इतने आचे से छूट चूस रहे थे, की मैं बिस्तर में मचल रही थी.
मे: आ आ जान, नही बर्दाश्त होता.
पापा ने एक उंगली और जीभ दोनो मेरी छूट में घुसा दिए, और मैं बहुत बुरी तरह से मचल रही थी आ आ आ.
पापा ने पूछा: जान दर्द हो रहा है छूट में?
मैने हा कहा और पापा ने छूट चूसना बंद कर दिया.
मे: पापा बहुत दुख रहा है मुझे. आपने चूसना क्यूँ बंद किया?
पापा ने कहा: जान झड़ने वाली हो, पर दर्द में ही तो मज़ा है.
ये कहते हुए मेरे दोनो पैरों के बीच बैठ गये.
पापा: जान लंड चाहिए?
मैने कहा: जल्दी से डालिए, रुका नही जेया रहा, बहुत दर्द हो रहा है.
पापा: जान बस इसी पल का इंतेज़ार कर रहा था, की कब तुम भी चुदाई की प्यासी बनोगी. मेरे लंड से ज़िंदगी भर चूड़ोगी?
मे: हा पापा मैं और मेरी छूट आपकी ही है.
ये सुनते ही पापा ने लंड छूट में घुसा दिया और तेज़-तेज़ झटके देने लगे.
मे: आ आ पापा, छोड़ो ना.
पापा का लंड तेज़ी से छूट में चल रहा था, और मैने उनको लीप किस किया.
मे: जान तेज़ झटके दो ना.
पापा ने अपनी चुदाई स्पीड और बढ़ा दी. ऐसे लग रहा था की लंड नही मेरी छूट में मशीन चल रही हो. पापा मेरी चुचियाँ चूस्टे हुए लंड को तेज़ी से अंदर-बाहर कर रहे थे.
पापा ने कहा: कुटिया बन जाओ, मैं पीछे से तेरी छूट में डालना चाहता हू.
फिर उन्होने एक ही झटके में लंड घुसाया, और छोड़ना शुरू कर दिया. पापा के दोनो हाथ मेरी चुचियों पर थे, और लंड मेरी छूट में. वो बिना रुके अपना हथियार मेरी छूट में चला रहे थे. इस बार पर पापा भी मोन कर रहे थे.
पापा: आअहह मेरी रानी, बहुत अची छूट है. मुझे ये रोज़ चाहिए आअहह.
और सारा माल मेरी छूट में खाली कर दिया. मैं उल्टी बेड में लेट गयी, और पापा मेरे उपर ही सो गये. उनका लंड मेरी छूट में ही था.
दोस्तों मेरी कहानी कैसी लगी मुझे मैल (नयनिका.अग्रवाल2005@गमाल.कॉम) में ज़रूर बताएगा. राज और मेरी चुदाई की अभी शुरुआत ही हुई है. आयेज क्या हुआ वो जानने के लिए अगले पार्ट का इंतेज़ार करे.