बाप के बेटी को चोद कर बेतिचोद बनने की कहानी



ही फ्रेंड्स, मेरा नाम जगत है, और मैं राजस्थान के जाईपुर से हू. मेरी उमर 55 साल है, और इस उमर में भी मैं तन्डरस्ट और हटता-कटता हू. मेरे परिवार में मेरी बीवी, बेटा, और बेटी है.

मेरी एक राशन की दुकान है, जो काफ़ी अची चलती है. तो हमे पैसों की कोई दिक्कत नही है. मेरा बेटा अमर 22 साल का है, और बेटी मधु 24 साल की है. ये कहानी मेरे और मेरी बेटी के बीच हुए सेक्स की है. तो चलिए शुरू करते है.

आम दुकानदार की तरह मैं भी सुबा से शाम तक अपनी दुकान पर रहता हू. मेरा बेटा भी दुकान का काम ही देखता है. बेटी अभी कॉलेज में मास्टर्स कर रही है. बीच में मैं दोपहर में घर आता हू, और लंच करके वापस चला जाता हू.

बेटा मेरा दुकान पर सुबा ही लंच लेके जाता है, क्यूंकी उसको घर बार-बार आने में दिक्कत होती है. अगर वो कभी खाना सुबा नही लेके जाता, तो मुझसे दोपहर में मंगवा लेता है.

ये 6 महीने पहले की बात है. एक दिन मेरी बीवी के माइके से फोन आया की उसका भाई काफ़ी बीमार था. तो मैने उसको उसके माइके भेज दिया. उस दिन दोपहर में घर पे तो खाना मिलना नही था, क्यूंकी बीवी माइके गयी थी और बेटी कॉलेज. तो मैं बाहर से कुछ लेने के लिए दोपहर में मार्केट गया.

मैं पूरी-छोले पॅक करवा ही रहा था, की मेरी नज़र स्कूटर पर बौते एक लड़के-लड़की पर गयी. जब मैने उन्हे ध्यान से देखा, तो वो लड़की और कोई नही मेरी बेटी मधु थी.

लेकिन जिस लड़के के पीछे वो बैठी थी, मैं उसको नही जानता था. मैने जल्दी से अपनी बिके स्टार्ट की, और उनके पीछे जाने लगा. वो दोनो हमारे घर के ही रास्ते पर जेया रहे थे. हम सब लोग अपने पास घर की एक चाबी रखते है. तो मधु के पास भी एक चाबी थी.

वो लोग घर के बाहर रुके. फिर मधु ने दरवाज़ा खोला, और उस लड़के के साथ अंदर चली गयी. मैने गाते से थोड़ी डोर बिके लगाई, और चुपके से पीछे के दरवाज़े से घर के अंदर चला गया.

अंदर जाके जब मैने मधु के रूम में देखा, तो वो दोनो चुम्मा-छाती कर रहे थे. मेरी बेटी उस वक़्त पाजामी सूट में थी, और वो लड़का पंत-शर्ट में. मुझे उन दोनो को देख कर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वो दोनो जिस जोश में लगे हुए थे, मेरा और देखने का मॅन करने लगा.

फिर मैं वही साइड में बिना आवाज़ किए खड़ा रहा. चुम्मा-छाती करते हुए उस लड़के ने मेरी बेटी की पाजामी और शर्ट दोनो उतार दिए, और अब नीले रंग की पनटी, और काले रंग की ब्रा में थी.

अपनी बेटी को इस हाल में मैने पहली बार देखा था. मुझे पता ही नही था की मेरी बेटी इतनी जवान और खूबसूरत हो चुकी थी. रंग उसका गोरा था, और शरीर भरा हुआ था. फिर वो लड़का उसकी क्लीवेज में मूह डाल कर चूमने लगा, और उसकी गांद दबाने लगा.

उन दोनो को ऐसे देख कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया. मेरा दिल कर रहा था, की मैं भी मधु के साथ वैसा ही करू जैसा वो लड़का कर रहा था. फिर मेरी बेटी ने उस लड़के को धक्का देके बेड पर गिराया, और बिल्ली की तरह उछाल कर उस पर चढ़ गयी.

उसने लड़के की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाला, और उसको चूसने लग गयी. बस अब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो चुका था. मेरी बेटी ऐसे किसी भी . का लंड नही चूस . थी. तभी मैने ज़ोर से उसका नाम लिया, और उसके रूम में चला गया.

वो दोनो दर्र गये, और वो लड़का भागने की कोशिश करने लगा. मैने उसको पकड़ा, और दो थप्पड़ लगा कर वॉर्निंग दी की दोबारा कभी मधु के आस-पास भी ना दिखाई दे. फिर मैने उसको जाने दिया.

मधु अभी भी ब्रा पनटी में ही थी, और अपने कपड़ों से खुद को ढकने की कोशिश कर रही थी. वो मेरे सामने बेड के पास ही खड़ी थी. जब मैने उसको देखा, तो वो बोली-

मधु: पापा ग़लती हो गयी. मुझे माफ़ कर दो.

मैं: बेटा इसमे ग़लती वाली क्या बात है. जवानी में ऐसा ही होता है. जब छूट में आग लगी हो, तो लड़कियों को ये सब करना पड़ता है. लेकिन ऐसा कुछ करने के लिए बंदा सही होना चाहिए.

ये बोल कर मैने उसके दोनो कंधो पर हाथ रखा, और नीचे की तरफ दबाया. इससे वो बेड पर बैठ गयी. फिर मैने अपनी पंत की ज़िप खोली, और अपना खड़ा लंड बाहर निकाल लिया.

मेरा लंड देख कर मधु हैरान हो गयी, और मुझे अजीब सी नज़रों से देखने लगी. फिर मैने अपना लंड उसके मूह के आयेज किया, और उसको मूह में लेने का इशारा किया.

जब उसकी तरफ से कोई रिक्षन नही हुआ, तो मैने उसके सर पर हाथ रख कर अपने लंड की तरफ धकेला, और कहा-

मैं: चूसो बेटा इसको, जैसे उस लड़के का चूस रही थी.

मधु मेरी तरफ देखती रही, और उसने मेरा लंड मूह में ले लिया. वाह क्या गर्मी थी उसके मूह की. फिर मैं लंड अंदर बाहर करने लगा, और उसका मूह छोड़ने लगा.

कुछ ही देर में मैने मधु के मूह को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ना शुरू कर दिया. इस बीच मैने उसकी ब्रा उतार दी, और उसके गोरे चूचों को दबाने लग गया. अब मधु को भी मज़ा आने लगा था, और वो आँखें बंद करके लंड चूस रही थी.

जब मेरा लंड उसकी थूक से पूरा गीला हो गया, तो मैने लंड बाहर निकाला, और उसको खड़ा करके उसके होंठ चूसने लगा, और गांद मसालने लगा.

वो किस में मेरा पूरा साथ देने लगी, और आहें भरने लगी. कुछ देर उसके होंठ चूसने के बाद मैने उसको बेड पर लिटाया, और उसकी पनटी उतार दी. फिर मैने उसकी छूट पर मूह लगाया, और उसको चाटना शुरू किया.

वो कामुक आहें भर रही थी, और मेरा सर अपनी जांघों में दबा रही थी. मेरी बेटी की सील अभी टूटी नही थी. कुछ देर छूट चूसने के बाद मैं उपर आया, और उसके चूचे चूस्टे हुए उसकी छूट पर लंड रगड़ने लगा.

वो सिसकारियाँ भर रही थी, और उसकी साँसे तेज़ थी. फिर मैने उसकी छूट के मूह पर लंड टीका कर एक ज़ोर का धक्का मारा, और मेरा लंड मेरी बेटी की सील तोड़ता हुआ तोड़ा अंदर चला गया.

उसकी चीखें मैने अपने मूह से बंद कर दी, और कुछ और धक्को के साथ पूरा लंड अंदर घुसा दिया. मेरी बेटी तड़प रही थी, लेकिन मैने उस पर वज़न डाल कर उसको कंट्रोल कर रखा था.

फिर मैं धीरे-धीरे उसको छोड़ने लगा. कुछ टाइम बाद उसकी छूट थोड़ी खुल गयी, और उसको मज़ा आने लगा. फिर मैने अपनी स्पीड बधाई, और उसके बूब्स चूस्टे हुए उसकी ताबाद-तोड़ चुदाई करने लगा.

अब वो भी पुर मज़े में थी. हम दोनो कुछ बोल नही रहे थे, लेकिन चुदाई पुर मज़े से कर रहे थे. कुछ देर उसी पोज़िशन में छोड़ने के बाद मैने उसको उल्टा लिटाया, और उसकी टांगे खोल कर पीछे से लंड छूट में डाल दिया.

अगले 10 मिनिट मैने उसकी चूत चोदी. वो आ आ करके चुड रही थी. फिर मुझे उसका माल निकलता हुआ महसूस हुआ, और मैने भी अपना माल उसकी छूट में झाड़ दिया.

फिर मैं उठा, और कपड़े पहनने लगा. मैने वापस जाते हुए उसको बोला-

मैं: आयेज से जब भी मॅन करे, पापा को बता देना.

मधु: ओक पापा.

तो इस तरह से दोस्तों मैं बेटीचोड़ बन गया. कहानी का मज़ा आया हो तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करना.

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