आयशा खान से सच्चा प्यार और चुदाई 2

आयशा खान से सच्चा प्यार और चुदाई जब आयशा नदी में कूदी तो आयशा का स्कूल ड्रेस ऊपर की तरफ उठा और आयशा की चिकनी चिकनी जांघे दिखी ,आयशा नदी में अठखेलिया करने लगी और बोली ”आपको तैरना नहीं आता है इस लिए आप डरते हो सर” तो मैंने बोला ”आता है तैरना पर कोई देख नहीं ले हम दोनों को इस लिए डरता हु” तो आयशा बोली ”सर आप को लड़की होना था,अल्ला मिया ने आपको लड़का बनाकर गलती किया ” इतना कहकर आयशा हसने लगी, तो मैं भी अपनी लुंगी-बनियान उतार कर नदी कूद गया और आयशा के साथ नहाने लगा आयशा के सर्ट की दो बटन को खोल दिया और चुचियो को सहलाने लगा , मैं पहली बार किसी लड़की की चूची को हाथ लगाया था क्या टाइट चुचिया थी आयशा की पानी में ही चुचियो को चूसने भी लगा, तो आयशा सर्मा गई और बोली ”रहने दो सर कोई आ नहीं जाए”तब मुझे आयशा की बात सही लगी और मैंने आयशा को बोला ” आशा तुम बाहर निकल जाओ पानी से नहीं तो पानी सुख जाएगा तुम्हारे वदन की गर्मी से ” तो आयशा हसने लगी और कुछ नहीं बोली हम दोनों करीब 15 मिनट नदी में खूब नहाये आपस में लिपट लिपट कर मेरा लण्ड फनफना उठा आयशा की चूत का रसपान करने के लिए, मैंने आयशा से कहा ”चलो उधर चलते है ” [जंगल की तरफ इसारा किया] तो आयशा बोली ”नहीं कोई आ जाएगा देख लेगा ” तो मैं मन मसोस कर रह गया और फिर आयशा को बोला ”चलो फिर बाहर निकलो” और हम दोनों पानी से बाहर आ गए , आयशा की स्कूल ड्रेस की सर्ट में से आयशा की चुचिया दिख रही थी मैंने आयशा को बोला ” आशा बटन लगा लो” तो आशा ने सर्ट की बटन लगा लिया | आयशा का गीला वदन साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था मैंने आयशा को बोला ‘आशा दुपट्टा रख लो मैं पागल हो रहा हु तुम्हे देखकर ” तो आयशा अपनी चुचिओ को दुपट्टे से ढक लिया और कुछ देर बाद दोनों नदी से अलग अलग रास्ते से घर चले आये किसी ने देखा भी नहीं |

आयशा और लड़कियों को पढ़ाते पढ़ाते समय कब निकल गए पता ही नहीं चला मार्च का महीना आ गया [मैं 10 दिन से गाँव से अपडाउन करता था इस लिए आयशा की जानकारी नहीं मिली] एक दिन आयशा स्कूल नही आई तो उसकी एक फ्रेंड से पूछा तो पता चला की उसके अब्बु और अम्मी कही बाहर गई हुई है ओ दिन भर दूकान पर बैठती है मैं 5 बजे स्कूल से छूटा और आयशा के दूकान गया तो दूकान बंद मिली तो मैं दूकान के बगल में लगे छोटे सटर [जिससे घर के अंदर आते जाते है ] को खटखटाया तो कुछ देर में आयशा निकली एक कम्बल ओढ़े हुए , आयशा को देखते ही मैं समझ गया ये बीमार है तब मैं गली में घुसा और फिर भी मैंने उससे पूछ लिया ” क्या हुआ आशा” तो बोली ”बुखार आ रहा है ” तब मैंने पूछा की ”अब्बु कहा है” तो जबाब मिला ” बनारस गए है ” तब मैंने पूछा ”क्यों ” तो बोली ”मौसी का निकाह है ” फिर मैंने पूछा ”किस डाक्टर को दिखाया ” तो आयशा बोली ” किसी को नहीं दिखाया ” फिर मैंने पूछा कितने दिन से बुखार आ रही है ” तो बोली ”दो दिन हुए ” तब मैंने आयशा का वदन टटोला तो देखा की अभी भी खूब जोर की बुखार है

तब मैंने आयशा को बोला ” चलो मैं डाक्टर को दिखा दू ” तो पहले तो आयशा ने ना नुकुर किया पर मैंने आयशा का हाथ पकड़ा और बुलट में बिठाया और डाक्टर के पास ले गया और आयशा को दिखाया दवाई लाकर आयशा को वापस घर ले आया और आयशा को बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा का सिर दबाने लगा तो आयशा ने हाथ पकड़ लिया और बोली ”इतनी सेवा मत करो सर ” तो मैंने कहा की ” दुःख में साथ नहीं दुगा तो कब दुगा ” और बहुत से बाते किया पर आयशा का घर बदबू मार रहा था बकरियो की गंध दिमाग खराब कर रही थी मुझे ऐसा लगे आयशा के घर से बहार निकल जाउ पर आयशा को इस हालत में छोड़ नहीं सकता था , कुछ देर में आयशा बोली ” आप जाइए सर,नहीं तो मुहल्ले वाले क्या सोचेगे आपकी इज्जत पर धब्बा लगेगा ” तो मैंने बोला ” सोचने दो तुम्हारी जान से बढ़कर मेरी इज्जत नहीं है ” पर आयशा बार बार यही कहे जा रही थी इस लिए मैं आयशा के घर से उठकर चला आया अपन कमरे पर साम को 7 बजे आयशा के पास फिर से गया तो देखा की उसकी बुखार अभी भी कम नहीं हुई तब एक टेबलेट और दिया जो दूध के साथ देनी थी पर आयशा के घर दूध नहीं था तो बाजार से दूध लाया और चूल्हे में गर्म किया और आयशा को जबरजस्ती दूध पिलाया और साम की दवाई खिलाया डाक्टर ने खाना खाने के लिए मना किया था

इस कारण कुछ फल लाया था ओ खिलाने लगा तो आयशा एक एप्पल खाई और मना कर दिया जब मैंने आग्रह किया की और खा लो तो मना कर दिया तब मैंने पूछा ” आशा और क्या खाना पसंद करोगी ” तो आयशा हलके से मुस्कुराई और बोली ” केला खाने का मन कर रहा है ” तो मैंने कहा ”ठीक है मैं केला लाता हु ” तो बोली ” अभी रहने दीजिये रात में खा लूँगी केला ” तो मैंने कहा ” लेकर आता हु , रख दू नहीं तो दूकान बंद हो जाएगी ” और इतना कह कर मैं आयशा के पास से उठा और बाजार से जाकर केला लाया और आयशा के पास रख दिया तब तक रात के 8 बज गए थे आयशा ने पूछा ”आपने खाना खा लिया क्या ” तो मैंने बोला ”नहीं कौन बनाये इतनी रात को, दूध पीकर सो जाउगा” तो आयशा बोली ”मैं बना देती हु आप खा लीजिये” तो मैंने कहा ”आशा तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है मत परेसान हो ” फिर भी आयशा नहीं मानी और उठने लगी तो मैंने आयशा को फिर से लिटा दिया और बोला ”आराम मिल जाए तब बना देना” और मैं इतना कह कर फिर अपने रूम में आ गया

8.45 पर केरोसिन के स्टोप में दूध गरम करने लगा इतने में किसी ने दरवाजे में दस्तक दिआ तो जाकर देखा तो मुह ढाक कर एक कम्बल ओढ़े हुए सामने आयशा खड़ी थी,दरवाजा खुलते ही आयशा रूम के अंदर आ गई जल्दी से [कस्बे में स्ट्रेट लाइट नहीं होने से अन्धेरा रहता है] और दरवाजा बंद कर दिया और कमरे के अंदर आ गई , मैंने पूछा ”बुखार उत्तर गई ” तो कुछ नहीं बोली तब मैंने आयशा के हाथ पकड़ कर देखा तो बुखार उत्तर चुकी थी , इतने में दूध जलने की बदबू आई मैं दौड़ा कर किचेन वाले रूम में देखा की सारा दूध उफन कर बाहर आ गया था , मैंने जल्दी से स्टोव को बंद किया और तपेली को उतारा देखा की उसमे से कुछ दूध बह गया था इतने में आयशा आई और ये सब देख कर बोली ” चलिए हटिये ये काम मेरा है आपका नहीं ‘ ‘तब मैं वहा से हट गया और आयशा खाना बनाने लगी हम दोनों बाते भी करते गए और खाना बन गया तब तक रात के 10 बज गए आयशा और मैंने एक ही थाली में खाना खाये पर आयशा ने तो ज्यादा नहीं खाया |

खाने के बाद आयशा बोली ” मैं जाऊ अब ” तो मैंने बोला ”मैं मना कर दुगा तो मान जाओगी क्या ” तब आयशा कुछ नहीं बोली और अपनी नजरे नीची करके खड़ी रही , तब मैंने आयशा को पकड़ कर चिपका लिया सीने से और किस कर लिया गाल पर तो आयशा मेरे सीने से चिपकी रही और फिर बोली ” अब तो जाने दीजिये ” तब मैंने बोला ”प्यास जगा कर प्यास नहीं बुजाओगी ” तो बोली ”रुकिए” और मेरे से अलग होकर किचेन वाले रूम में गई और एक ग्लास पानी लाइ और बोली ”लीजिये” और मंद मंद मुस्कुराने लगी तब मैंने गिलास को एक किनारे रख दिया और आयशा के होठो को किस करते हुए चूसने लगा और आयशा के स्तन पर हाथ रख दिया और सलवार के ऊपर से स्तन को सहलाने लगा, आयशा कोई बिरोध रही थी कुछ देर में आयशा भी किस करने लगी मेरे पीठ पर हाथ घुमाने लगी, लुंगी के नीचे मेरा लण्ड खड़ा होकर तन गया धीरे से आयशा को बिस्तर पर बैठा दिया और आयशा की जांघो को सहलाने लगा इतने में आयशा मेरे जांघ पर अपना हाथ दिया और जांघ को सहलाने लगी और फिर मेरे लण्ड पर अपना हाथ रख दिया पर हाथ रखते ही जल्दी से हाथ को हटा लिया और लुंगी के नीचे खड़े लण्ड को देखने लगी और बोली ” मैं जा रही हु ,मुझे डर लग रहा है ”

मैंने बोला ” क्यों डर रही हो ” तो कुछ नहीं बोली और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई तो मैंने हाथ पकड़ कर फिर से आयशा को बिठा लिया तो आयशा बोलती है ” सिर दर्द कर रहा है छोड़ दीजिये मुझे ” तब मैंने आयशा को बोला ” लेट जाओ सिर दबा देता हु ” और इतना कह कर आयशा का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा के सिर पर थोड़ा सा ”रमेश्वारादि ” का तेल डालकर आयशा का सिर दबाने लगा तो आयशा बोलती है ” इतनी सेवा नहीं करिये ” तो मैंने बोला ”तुम मेरा प्यार हो आशा तुम्हारे लिए कुछ भी करुगा ” तो आयशा बोली ” निकाह करेंगे मेरे साथ ” तब मैंने बोला ”हां करुगा तुम तैयार हो ” तो आयशा बोली ” हा तैयार हु पर आप इतने बड़े आदमी है नहीं करेंगे ” तब मैंने बोला ”करुगा तुम साथ दे दो तो” तो आयशा बोली ” मैं तैयार हु ” तो आयशा बिस्तर से उठी और मुझे किस करते हुए चिपक गई तो मैंने आयशा को फिर से किस करने लगा और आयशा के कुर्ती को ऊपर उठाया और स्तन को ब्रा के ऊपर से सहलाने लगा और झुक कर आयशा के गुलाब जैसे सुन्दर होठो को चूसने लगा आयशा भी मेरे होठो को चाटने लगी और कुछ देर में मेरे लण्ड को पकड़ लिया तो मैंने कान में धीरे से बोला ” केला खाओगी ” तो मुस्कुराई और मादक नजरो से देखी तब मैंने आयशा के सलवार का नाड़ा खोल दिया

और सलवार को नीचे खिसकाने लगा तो सलवार को पकड़ लिया तो मैंने बोला ” उतारो इसे ” तो बोली ” न ” मैंने फिर से बोला ”उतारो” तो आयशा बिजली के बल्ब की तरफ देखने लगी मैं समझ गया ये सर्मा रही है तो मैं उठा और बल्ब को बंद कर दिया कमरे में अन्धेरा हो गया पर किचेन वाले रूम की हलकी हलकी लाइट आ रही थी और फिर मैंने आयशा का सलवार उतार दिया , आयशा की गोरी गोरी चिकनी चिकनी पतली पतली दूधिया जांघे दिखाई दे गई , आयशा ने पेंटी पहन रखी थी मैंने आयशा की जांघो पर हाथ घुमाते घुमाते पेंटी के किनारो से उसकी चूत पर हाथ घुमाया तो चूत पर हलके हलके मुलायम बाल थे ,चूत के किनारो को ऊँगली से सहलाने लगा … … ……………………

“”पर मेरी नींद खुल गई और मेरे बगल में लेटी हुई मेरी पत्नी मेरे लण्ड के साथ खेल रही थी क्योकि स्वप्न में मैं मेरी पत्नी की चूत सहला रहा था पत्नी गरम पड़ गई थी मैंने उन्हें ससुराल में नहीं चोदना चाहता था पर ओ है की गर्म पड़ गई थी और अपनी गाउन को उतार कर सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी ओ मेरे चढ्ढी को उतार कर मुझे नंगा कर चुकी थी और खुद भी नंगी होकर मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसेड़ कर मुझे चोद रही थी मैं उन्हें फ़टाफ़ट चोदने लगा और 10 मिनट बाद जब ओ संतुष्ट हो कर अलग हो गई तो मैं कपड़ा पहनने लगा मोबाइल में देखा की रात के दो बज गए है कुछ ही देर में पत्नी ब्रा और पेंटी में ही खुर्राटे लेने लगी और फिर से आयशा की यादो में खो गया आयशा और मेरे जीवन की पहली चुदाई को याद करने लगा””

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……………………… आयशा ने पेंटी पहन रखी थी मैंने आयशा की जांघो पर हाथ घुमाते घुमाते उसकी चूत पर हाथ घुमाया तो चूत पर हलके हलके मुलायम बाल थे ,चूत के किनारो को ऊँगली से सहलाने लगा [कोक शास्त्र, कामसूत्र जैसे कई किताबो को पढ़ रखा था इस लिए चुदाई का किताबी ज्ञान खूब था मेरे पास आज उस ज्ञान को आजमाने का अच्छा मौका था] और कुछ देर में पेंटी के किनारे को हाथ से पकड़ा और चूत को चाटने लगा तो आयशा मेरे सर को पकड़ कर किनारे करने लगी और धीरे से बोली ”कितने गंदे हो ये कोई चाटने के जगह है क्या ” तो मैंने बोला ”आशा यही तो जन्नत है ” तो आयशा बोली ”छिः छिः कैसे बाते करते है ” तब मैंने फिर से आयशा की चूत को चाटने लगा आयशा ने फिर से मेरे सर को पकड़ कर हटाने लगी तो मैंने आयशा के दोनों हाथो को एक ही हाथ से पकड़ कर चूत को चाटने लगा आयशा को अच्छा लगाने लगा तो बोली ” हाथ छोड़िये दर्द करने लगा” तब मैंने आयशा के हाथ को छोड़ दिया और आयशा की पेंटी को आयशा के वदन से अलग कर दिया और दोनों टांगो को फैलाते हुए आयशा की चूत को चाटने लगा

आयशा धीरे धीरे गर्म होने लगी तब मैंने आयशा को बोला ”इसे भी उतारो ना [कुर्ती की तरफ इसारा किया] तब आयशा बैठ गई और अपनी कुर्ती को उतारने लगी पर आयशा कुर्ती उतारते हुए काँप रही थी इस लिए उसकी कुर्ती नहीं उत्तर रही थी तब मैं आयशा को बोला की दोनों हाथ ऊपर करो तो आयशा ने अपने दोनों हाथ को ऊपर किया तब मैं कुर्ती को उतार दिया अब आयशा के वदन में सिर्फ ब्रा बची थी मैंने ब्रा का हुक खोला और आयशा की सुंदरसुन्दर चुचिया ब्रा से आजाद होकर बाहर आ गई , मैं पहली बार किसी लड़की को इस तरह से नंगी देख रहा हु ,आयशा की छोटी छोटी चुचिया गजब की सुन्दर थी ,आयशा बेड पर बैठी हुई थी मैं झुककर आयशा की बूब्स को चूसने आयशा मेरे सिर के बालो पर अपनी उंगलियो को फसाकर घुमाने लगी मेरे सिर को सहलाने लगी अपनी उंगलियो के पोर से फिर मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगी पर मैंने बनियान पहन रखी थी जिसे आयशा उतारने लगी तो मैंने दोनों हाथ ऊपर कर दिया तो आयशा मेरी बनियान को उतार दिया मैं आयशा की जांघो पर हाथ हुमाता रहा

इतने में आयशा मेरे जांघो पर अपना हाथ राखी और जांघो को सहलाने लगी और लुंगी को उतार दिया और चढ्ढि के ऊपर से मेरे लण्ड पर हाथ घुमाने लगी तब मैं खुद ही मेरी चढ्ढी को उतार दिया और आयशा के सामने नंगा होकर बैठा गया आयशा मेरे लण्ड को आवाक होकर देखने लगी आयशा के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ओ डर रही हो तब मैंने आयशा का हाथ पकड़ा और अपने लण्ड के ऊपर आयशा का हाथ रख दिया पहले तो आयसा डरी फिर लण्ड को पकड़ लिया डरते डरते आयशा के हाथ में मेरा लंबा और तगड़ा लण्ड नहीं पकड़ में आ रहा था मैं आयशा के कमर को पकड़ कर नजदीक खिसकाया और आयशा की चूत के पास लण्ड को ले गया तो आयशा डर कर पीछे खिसकने लगी तो मैंने फिर से आयशा आकि कमर को पकड़ा और लण्ड के नजदीक लाया और झुककर आयशा की चुचियो को चूसने लगा और एक हाथ से चूत में ऊँगली से सहलाने लगा और आयशा को पूस करके बिस्तर पर लिटा दिया और आयशा की दोनों टांगो को पकड़ कर फैला दिया और चूत को चाटने लगा आयशा की चूत गीली हो गई चुचियो की निप्पल टाइट पड़ गई मैं समझ गया आयशा लण्ड लेने को तैयार हो चुकी है , मैंने लण्ड के सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया और आयशा की चूत के मुह पर लण्ड को रखा पर चूत के ज़रा से छेद में लण्ड को कैसे डालु ये सोचने लगा और ऊगली से आयशा की चूत की दोनों तरफ की स्किन को फैलाया और लण्ड को चूत के मुह में टिका दिया और धीरे धीरे लण्ड को आयशा की चूत में घुसेड़ने लगा

अभी लण्ड का आधा सुपाड़ा ही चूत में घुसा था की आयशा के मुह से कराहने की आवाज आई और आयशा ने आपने चूतड़ को खिसका लिया तब लण्ड बाहर आ गया और आयशा डर कर बैठ गई और बोली ”रहने दो सर दर्द हो रहा है ” तो मैंने आयशा को पुचकारा और फिर से लिटा दिया और चूत में ”रामेश्वारादि तेल”[रामेश्वारादि तेल को सिर पर लगाने से बहुत अच्छी खुसबू आती है और सर में हलकी से चुनचुनाहट होती है,आयशा की चूत में भी हलके हलके चुनचुनाहट होने लगी थी ] को एक ढक्कन आयशा की चूत में डालकर चूत को चिकनी कर दिया और फिर धीरे धीरे लण्ड को पुश करने लगा लण्ड का सुपाड़ा कब घुस गया आयशा को पता ही नहीं चला तब मैं आयशा के ऊपर झुक गया और आयशा को किस करने लगा , चुचियो को चूसने लगा और लण्ड के हलके हलके झटके मारने लगा और धीरे धीरे करके आधा लण्ड घुसेड़ दिया और लण्ड को आगे पीछे करने लगा और फिर एक हल्का सा झटका मारा और पूरा का पूरा 8 इंच लंबा लण्ड आयशा की चूत की ”कौमार्य झिल्ली ” को फाड़ते हुए अंदर तक घुस गया जैसे ही कौमार्य झिल्ली फटी तो आयशा को दर्द हुआ और उसके आँखों से आँसू निकल पड़े तो मैं आयशा के आशुओ को मेरी जीभ से चाटने लगा तो आयशा भावुक होकर रोने लगी और धीरे से बोली ” इतना प्यार मत करो नहीं तो आपकी ये लैला आपसे बिछड़ जाएगी

” तब मैंने आयशा को बोला ” मेरी लैला को मेरे से कोई नहीं छीन सकता” आयशा रोती जाती और मैं आयशा के आशु चाटते जाता उधर लण्ड के झटके लगातार चूत पर पड़ रहे थे आयशा चुदाई के आनंद में खो गई आशु बहना बंद हो गया और आयशा बड़े प्यार से चुदाने लगी आयशा कुछ ही पलो में अपनी आँखों को बंद कर लिया और लम्बी लम्बी साँसे लेने लगी मैं झटके की गति और प्रहार दोनों को बढ़ा दिया आयशा मेरे होठो को किस करती मेरे सिर पर ,पीठ पर हाथ घुमाती मैं लगातार झटके मारने लगा मुस्किल से 5 मिनट की चुदाई में आयशा और मैं एक साथ झर गए आयशा जोर से लिपट गई मैं झरते वक्त पूरी ताकत से लण्ड को आयशा की चूत में घुसा दिया और आयशा के ऊपर लेट गया और किस करता रहा , आयशा की चूत से ढेर सारा वीर्य बहकर बाहर आने लगा तो आयशा बोली ”उठो ना अब ” तो मैं लण्ड को बाहर निकालते हुए उठ गया और देखा की लण्ड में खून लगा है आयशा भी उठी और खून को देखकर घबरा गई और मेरी तरफ देखने लगी तो मैंने आयशा को समझाया की तुमने पहली बार किया है न इस लिए तुम्हारी झिल्ली फट गई है तो आयशा कुछ नहीं बोली और मुझे किस करने लगी और धीरे से कान में बोलती है ” आज आपने जन्नत पहुंचा दिया” और इतना कह कर लिपट गई मेरे साथ फिर उठी और कपडे पहनने लगी तो मैंने बोला ” मत पहनो ” तो बोली ”हट्ट सर्म लग रही है ” तो मैंने फिर से कहा की ”अब काहे की सरम अब तो सब देख लिया मैंने ” तब भी आयशा नहीं मानी और कपडे पहन लिया तब मैंने भी कपडे पहन लिया कुछ देर में आयशा घर जाने लगी तो मैंने आयशा को बोला ”अभी मत जाओ ना”

आयशा बोली ” कोई जान गया तो अब्बु को बता देगी तो अब्बु जान से मार डालेंगे ” तो मैंने कहा की ” तुम्हे मारने वाला कोई पैदा नहीं हुआ , तुम्हे कोई हाथ लगा देगा तो उसके हाथ पाँव तोड़ डालूँगा ” तो आयशा बोली ” मेरे अब्बु मरेंगे तब भी आप ऐसा ही करोगे” तब मैंने आयशा को बोला ” तुम्हारे अब्बु क्या तुम्हारा खुदा -मेरा भगवान भी तुम्हे मरेगा तो उससे भी लड़ जाउगा ” तो आयशा बोली ” सच में आप इतना प्यार करते हो मुझे ” तो मैंने बोला ” जब आजमाना हो आजमा लेना ” तो आयशा बोली ” मैं आजमा लू तैयार हो आप ” तो मैंने बोला ” हा तैयार हु ” तब आयशा बेड से उठी और किचेन वाले रूम से नुकीला चाक़ू उठा लाइ और बोली ” लो इससे मेरा नाम लिखो अपने हाथ में तब मैंने आयशा के हाथ से चाक़ू लिया और ये सब्द कहते हुए ………….

एक बार मेरी वफा का विश्ळास तो कर |
न मिले चाहे पर मिलने की आस तो कर |
यूँ तो मिल जाएंगे दुनियां मेँ आशिक हजारों |
किसकी मुहब्बत सच्ची है एहसास तो कर |

अपने हाथ में ”आयशा ” लिखने लगा , आयशा देखती रही जब मैंने ”आ ” लिख दिया तो हाथ से खून बहने लगा तब आयशा मेरे हाथ से चाक़ू छुड़ा लिया और लिपट गई मेरे से और चूमने लगी मुझे और किचेन में गई चुटकी में हल्दी लाइ और अपने दुपट्टे को फाड़ कर हाथ में हल्दी रखी और बाँध दिया जहा से खून निकल रहा था और को बार बार चूमने लगी तो मैंने आयशा को बोला ” आशा अब अपने घर जाओ ” तो आयशा बोली ”नहीं ” तो मैंने बोला ”अभी तो जाने के लिए छटपटा रही थी और अब हो ” तो आयशा कुछ नहीं बोली और प्यार से मेरे तरफ देखने लगी तो मैंने आयशा का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया और आयशा को किस करने लगा आधा घंटे के बाद आयशा फिर से चुदाने के लिए तैयार हो गई आयशा इस बार बड़े बेसर्मी के साथ आपने सभी कपडे उतार कर जल्दी से नंगी हो गई और मेरे खड़े लण्ड चूत में घुसेड लिया और बड़े मजे से मेरे ऊपर कूद कूद कर चुदवाया मेरे हाथ का सारा दर्द गायब हो गया और रात भर में 4 बार आयशा ने चुदवाया सुबह 5 बजे अँधेरे में ही उठकर अपने घर चली गई |

आयशा की 11 वी की एक्जाम हो गई आयशा अच्छे नंबरों से पास होकर 12 वी में चली गई , 12 वी में भी साल भर आयशा को मौका देखकर चोदता रहा पर हम दोनों के रिश्ते के बारे में अभी तक आयशा के अब्बु को नही पता चला,आयशा 12 वी पास होने के बाद एक कालेज में एड्मिसन ले लिया और ट्रेन से रोज अपडाउन करने लगी अब आयशा 21 साल की हो गई आयशा की सुंदरता में और निखार आ गया हम दोनों एक दूसरे को बहुत अधिक दिलोजान से चाहने लगे एक दूसरे के बिना रह नहीं पाते आयशा 10 बजे कालेज जाती तो साम को 4 बजे वापस आती आयशा के चेहरा तक नहीं देख पाता | आयशा से मिलना दूभर हो गया, आयशा से मिलने और बात करने के लिए मैं भी आयशा के साथ ट्रेन से उसके कालेज तक जाता और दिन भर इधर -उधर घूमता और जब आयशा कालेज से आती तो फिर से आयशा के साथ वापस ट्रेन से आता रास्ते भर बाते करता कई बार ऐसा करने से आयशा के अब्बु को किसी ने बता दिया तो आयशा के अब्बु निगरानी रखने लगे, हम दोनों का मिलना मुस्किल हो गया पर प्यार की आग दोनों को जलाये जा रही थी,आयशा से मिले बिना नहीं पड़ता तो मैंने दूसरा रास्ता निकाल लिया | आयशा कालेज के पहले ही किसी स्टेशन में उत्तर जाती तो मैं आयशा को मेरी बुलट में बिठाकर कही इधर उधर लोगो की नज़रे बचाते हुए घूमते और मौका देख कर किसी होटल में जाते और अपने जिस्म की प्यास बुझाते इस तरह से एक साल तक आयशा और मैं खूब मौज मस्ती किये आयशा को साल भर में कई बार चोदा पर अब जब भी चुदाई करता कंडोम लगा लेता | एक बार नवम्बर के महीने में मैं और आयशा होटल से निकल रहे थे तो आयशा के मामू ने हम दोनों देख लिया और आयशा के अब्बु को बता दिया उस दिन से आयशा का घर से निकलना बंद हो गया, आयशा दूकान में भी नहीं बैठती लगातार 20 दिन से मैंने आयशा को नहीं देखा,

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मै आयशा के लिए बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगा एक दिन रात में आयशा मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया तो मैंने दरवाजा खोला और आयशा जल्दी से अंदर आ गई और सारी बात बताया,आयशा के अब्बु आयशा का निकाह करना चाहते थे , मैंने आयशा को बोला मेरे से सादी करोगी तो आयशा तैयार हो गई, उस समय रात के 3 बज रहे थे मैं तुरंत तैयार हुआ और आयशा को बोला की अँधेरे में यहाँ से रोड की तरफ निकलो यहाँ बुलट स्टार्ट करुगा तो उसकी आवाज से पूरा मुहल्ला जाग जाएगा मैंने बुलट को 1 KM तक घसीट कर ले गया वहा पर बुलट स्टार्ट किया और आपने गाँव के घर आ गया और आयशा के बारे में अपनी भाभी से बताया [मेरी भाभी मुझे बहुत चाहती था, मेरी हर खुसी का ख्याल रखती थी मैं उनसे मेरे मन की बाते बताया करता था,आयशा के बारे में भी भाभी को बता रखा था] धीरे धीरे रात में ही ये बात मम्मी पापा को पता चल गई,

घर में कोहराम मच गया पापा की ठाकुरी सिर चढ़कर बोलने लगी पापा दौड़े और बन्दुक उठकर आये और बोले जान से मार दुगा इस ”मुसल्ली ” को तो मैं दौड़कर आयशा के सामने खड़ा हो गया और बोला ”पापा आप मुझे मारने के बाद ही इसे हाथ लगा पायेगे ” तब मम्मी पापा के हाथ से बन्दुक छीन कर पापा को ले गई बड़े भइया भी नराज थे ,पर भाभी और माँ मान गई भाभी जी बोली ”सुन्दर कुड़ी है कर दो सादी क्या बुराई है ” पर घर में पापा और बड़े भाई नहीं तैयार हुए मैं भी गुस्से में अपने कमरे में घुस गया और अंदर से दरवाजा लगा लिया और आयशा से बोला ”तुम साथ तो नहीं छोड़ोगी” तो आयशा आँखों में आसु भरे हुए बोली ” अब मर भी जाऊ तब भी आपका साथ नहीं छोड़ूगी ” मैंने बोला ठीक है चलो कही भाग जाते है और मंदिर से सादी कर लेते है तो आयशा तैयार होगी तो कुछ देर में भाभी ने दरवाजा खटखटाया तो मैंने दरवाजा होला और भाभी अंदर आई और मुझे समझाने लगी की इसे [आयशा को] इसके घर छोड़कर आ जाओ पर मैंने साफ़ साफ़ मना कर दिया

भाभी को और आयशा को लेकर घर से बाहर आया बुलट में बिठाया और घर से निकलने लगा तो भाभी ने फिर से रोका जब मैं नहीं माना तो भाभी ने आएशा को अपनी स्वेटर और साल दे दिया भाभी के पास कुछ रुपये थे भाभी ने चुपचाप पकड़ा दिया और कान में धीरे से बोली जाओ मंदिर में सादी कर लो बाद में मान जायेगे पापा । फिर मैं सुबह 6 बजे घर से निकल लिया और घर से 200 KM दूर एक शहर आ गए जहा कोई भी जान पहचान का नहीं था वहा पर एक होटल में रुके फ्रेस हुए आराम किया और जेब में हाथ डालकर रुपये निकाले और गिने तो पता चला की 9725 रुपये है फिर मैं आर्य समाज में गया और वहा पर पूरी हकीकत बताई तो आर्यसमाजी मुस्लिम लड़की के कारण पहले आपत्ति उठाया और समझाया पर मैं मेरी जगह अडिग रहा तो ओ सादी कराने को तैयार हो गए और अगले दिन आर्यसमाजियों ने मेरी आयशा के साथ 18 दिसंबर को बिधिवत विवाह कर लिया और होटल के कमरे में आ गए वही पर आयशा के साथ सुहागरात मनाया उस अजनबी शहर में 14 दिन रुके आयशा के लिए साडी -ब्लाउज खरीद दिया आयशा साडी पहन कर साथ जाती मांग में सिंदूर माथे पर बिंदिया लगाती दोनों खूब खुस थे खूब मस्ती किये आयशा को एक दिन में तीन तीन बार चोदता पर जेब धीरे धीरे खाली होने लगी तो आयशा को बोला तो आयशा बोली चलो घर वापस चलते है तो मैंने मना कर दिया और मैं बोला ”यही कही मजदूरी कर लेता हु और कोई सस्ता सा रूम किराए से ले लेता हु और वही रहता हु” तो आयशा बोली ”आपसे ये सब नहीं होगा” पर मैं नहीं माना और काम तलास लिया एक मकान बन रहा था वहा मजदूरी करने चला गया आयशा को होटल में छोड़ कर पर मैंने कभी काम नहीं किया था साम को जब वापस आया तो मुझे बुखार आ गई तो आयशा बहुत दुखी हुई और बोली ” चलो घर वापस चलते है मैं आपको परेसान नहीं देख सकती हु ” तो मैंने आयशा को कहा की ”पापा नहीं माने तो ” आयशा बोली

” नहीं मानेगे तो आपके पास सरकारी नौकरी तो है वही रहेंगे ” तब मैंने बोला ”तुम्हारे अब्बु तुम्हे मार डालेंगे ” तो आयशा बोली ” मार ही डालेंगे और क्या करेंगे पर जब तक रहूगी आपके साथ ही रहूगी ” आयशा का संकल्प देखकर अगले दिन सुबह 7 बजे होटल से निकल लिये और दोपहर के 3 बजे घर आ गए । आयशा को साड़ी और मांग में सिंदूर ,माथे पर बिंदिया देखकर माँ और भाभी बहुत खुस हुई , भाभी ने तो गले लगा लिया आयशा को आयशा ने सभी के पाँव छुआ पापा का भी गुस्सा पुत्र मोह के आगे सांत हो गया घर वालो ने आयशा को अपना लिया, माँ ने आयशा के गले 5 तोले का हार पहना दिया भाभी ने अपनी सोने के पायल और हाथ की चुडिया आयशा को पहना दिया पापा ने अपने गले की मोटी से सोने की चैन आयशा के हाथ में रख दिया, बड़े भाई भी कहा पीछे रहने वाले थे उन्होंने ने भी आयशा के लिए कान की रिंग (बाले) दे दिया, आयशा इतना प्यार और सम्मान पा कर खुसी से फूली नहीं समा रही थी पापा फिर से बिधिवत विवाह का प्लान बनाने लगे पर जब आयशा के अब्बु को ये सब पता चला तो ओ मेरे घर आये और पापा के पाँव पकड़ लिए और बोले ”ठाकुर साहब आपने मेरी बेटी को अपना लिया ये मेरे लिए सम्मान की बात है मुझे खुसी है की मेरी बेटी आपकी बहु बन गई” पर आयशा के अब्बु के मन में खोट था ओ आयशा को बुलाकर अपने साथ ले गए, दो दिन बाद मैं अपने स्कूल गया जहा सभी बड़े अजीब नजरो से मुझे देख रहे थे , मैं आयशा के घर गया तो आयशा के घर और दूकान में ताला लगा मिला मेरा मन संकित हुआ तो मैंने पास में पूछा तो पता चला की आयशा परसो ही अपने अब्बु के साथ कही चली गई फिर दुबारा आयशा नहीं मिली मुझे आयशा के अब्बु बदनामी से बचने के लिए आनन फानन में आयशा का निकाह कर दिया आयशा के मामू के घर से और आयशा मेरे से बिछड़ गई,मैं आयशा के गम पागल हो गया पाने हाथ में ”आयशा ” लिख लिया चाक़ू से गोद कर और दिन भर उसे चूमता मैं पागलो की तरह इधर उधर भटकने लगा स्कूल जाना बंद कर दिया 6 महीने तक सेविन्ग नहीं किया बाल नहीं कटवाए पागलो जैसी हालत हो गई मेरी मैं दिन भर आयशा के लिए रोता तड़पता मैं जोर जोर से एकांत में रोता |

रोते रोते अचानक मेरी नींद खुल गई [आयशा को याद करते करते कब नींद लग गई पता ही नहीं चला] बगल में मेरी श्रीमती जी लेटी हुई थी ओ मेरी आँखों में बहते हुए आँसू को देखकर समझ गई मैं आयशा को याद कर रहा था क्योकि सादी होने के बाद भी मैं अक्सर आयशा की याद में रोया करता था पर मेरी पत्नी बहुत ही समझदार ,शुशील और गजब की सुन्दर है , उनको मेरे और आयशा के संबधो के बारे में सब पता है और बुरे वक्त में उन्होंने अपने प्यार से मुझे सम्हाल लिया | पत्नी ने बोला ”क्या हुआ फिर से उसका सपना देखा क्या ” तो मैंने मना कर दिया तो पत्नी ने मेरे आसुओ को पोछा और प्यार से गाल में झप्पी पप्पी लिया और बोली ” चलिए उठिए जनाब सुबह हो गई ” और फिर मैं उठ गया और मॉर्निंग वाक के लिए निकल लिया | घूम कर वापस आया फ्रेस हुआ चाय पीया और फिर से आयशा की याद में खो गया आयशा के बिछड़ने के बाद की शेष बाते आगे पढ़ो ………

पर वक्त बड़े बड़े घाव को भर देता है माँ और भाभी का प्यार फिर से मुझे सही रास्ते लाया, भाभी मुझे कहने लगी ”सादी कर लो लल्ला साहब ओ तो गई लाखो के गहने लेकर ” तो मैंने भाभी को बोला ” भाभी माँ आप ऐसा नहीं सोचो आयशा धोखा नहीं दे सकती है ” पर मैं नहीं माना और सादी नहीं करने का फैसला कर लिया, पापा ने उस स्कूल से ट्रांसफर करवा दिया मेरा दूसरे शहर में जहा मेरे अतीत को कोई नहीं जानता था, अपने आप को ब्यस्त रखने के लिए मैंने कास्ट्रकसन का बिजनेस सुरु कर लिया सस्ती जमीन खरीदता और उसे नगर निवेश से पास करवाता और फिर मकान बनाकर बेचता, देखते देखते मैं करोड़पति हो गया और 5 साल कब निकल गए पता ही नहीं चला पर मैंने अभी तक सादी नहीं किया जब जब आयशा की याद आती अपने आपको एक कमरे में बंद कर लेता खूब रोता और दिल को हल्का करता और अपने काम में लग जाता , मेरी उम्र 36-37 साल की हो गई मम्मी मुझे लेकर बहुत चिंतित रहने लगी और बीमार पड़ गई और माँ की स्थित मरणासन्न हो गई माँ की एक ही इच्छा थी की मैं सादी कर लू,माँ की जिद के आगे झुक गया और भाभी की सगी छोटी बहन से ही सादी होगी मेरी जो मेरे से उम्र में 16 साल छोटी है गजब की खूबसूरत है मेरी पत्नी , उन्हें सब पता होते हुए भी मुझे बहुत प्यार दिया और आयशा को निकाल दिया मेरे जीवन से मैं मेरे परिवार में खुस रहने लगा और कॉन्सट्रकसन के बिजनेश के साथ साथ नौकरी भी करता, साथ ही साड़ियों की बड़ी से दूकान डाल लिया समय के साथ साथ मैं करोड़पति हो गया दो बच्चे भी हो गए एक लड़का एक लड़की पर अचानक आयशा 20 साल बाद मेरी जिंदगी में फिर से आ गई |

आज मेरे पास 60 करोड़ से भी अधिक की संप्पत्ति है आयशा को अपने साथ रख सकता हु, मन ही मन फैसला कर लिया की अब फिर से आयशा को अपने पास रखूँगा ये सोच ही रहा था की मोबाइल में एक मिस काल आई तो मैंने रिटर्न फोन किया तो आयशा की आवाज सुनाई दिया आयशा ने बताया की उसने नया मोबाइल और नंबर भी ले लिया है आयशा से बात करने के लिए मैं ससुराल के घर से बाहर आ गया और एक सेफ जगह देर तक बाते किया | आयशा को बोला ”चलो मेरे साथ रहो छोड़ दो अपनी ये परेसानी भरी जिंदगी मैं तुम्हारे लड़को को भी पाल पोस लूगा तुम्हारी लड़कियों की निकाह भी करवा दुगा मेरी सम्पत्ति का 25 % तुम्हारे नाम कर दुगा” तो आयशा बोली ”आप बहुत प्यार करते है मुझे पता है आपका प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ी दौलत है पर मैं अपने शौहर को इस स्थित में छोड़ कर नहीं जा सकती हु ” तब मैंने आयशा से पूछा ” क्या हुआ है तुम्हारे शौहर को ” तो आयशा कुछ नहीं बोली मैंने कई बार पूछा तब भी कुछ नहीं बताया तब मैंने आयशा से बोला मैं मिलना चाहता हु तुम्हारे शौहर से तो पहले आयशा ने मना किया पर मेरे बार बार आग्रह पर बोली आप घर आ जाओ पर इन्हे संका नहीं होनी चाहिए | मैं जल्दी से वहा से चला घर आकर फ्रेश हुआ और आयशा के घर जो की मेरी ससुराल से 2 KM की दूरी पर ही था ”अकरम भाई कबाड़ी वाले ” का नाम पूछते पूछते पहुंच गया आयशा ने पहले ही बोल दिया था की अपनी असली पहचान नहीं बताना तो मैंने आयशा से बोल दिया की मैं फाइनेंसर बन कर आउगा तुम्हारे घर |

 



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