बॅंक मे मिली औरत की चुदाई की दास्तान

नमस्कार दोस्तो मैं राज हूडा रोहतक से आपके सामने एक और सच्ची कहानी लेकर प्रस्तुत हु।लेकिन कहानी शुरु करने से पहले एक प्रर्थना हैं।
की कम से कम घर से बाहर निकले और घर से बाहर से आये तो साबुन से हाथ जरूर धोये और आस पास के लोगो को भी जागरुक करे तभी हम कोरोना वायरस से बचाव कर सकते है।
अभी फ़्री था तो सोचा घऱ पर बैठे बैठे अपनी बात दोस्तो से शेयर कर ली जाए वैसे बता दु दोस्तो लड़कियों में मेरी कोई रुचि नही हैं भाभी और आंटियों में मैं बहुत रुचि रखता हूं क्योंकि एक तो लड़की नखरे बहुत करती हैं ऊपर से सेक्स के समय अलग से डरती हैं तो म लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नही देता शादीशुदा के साथ चुदाई का मजा ही अलग हैं खुल के साथ देती हैं।अब म अपनी बात पर आता हूं।
मैं रोहतक के पास के ही गाँव से हु और कृपया मेरे गाँव का नाम मत पूछा करो क्योकि गोपियता मेरे लिए पहले है अपनी भी और मेरी जो दोस्त है उनकी भी।
मैं दिसंबर में रोहतक बैंक में गया था मेरे बैंक के लिए उन्होंने पैन कार्ड की कॉपी मंगवायी थी तो मैं दोपहर को 12 बजे के करीब बैंक में गया तो बैंक में बहुत भीड़ थी कोई पेंसन लेने आया तो कोई एटीएम लेने कोई आधार जमा करवाने तो मैं भी लाइन में खड़ा हो गया ।
मेरे साथ वाली लाइन पेंसन लेने वालो की थी जिसमे ज्यादातर औरत ही थी जिसके पति सरकारी नोकरी में थे और गुजर चुके थे मतकब ज्यादातर विधवा ही थी कुछ आदमी थे तो मैं अपने नम्बर का इंतजार कर रहा था और बैंक में आई सूंदर औरतो को देख रहा था।
तभी मेरे नज़र एक औरत पर पड़ीं जो पेंसन वाली लाईन में आखिर में खड़ी थी मेरी उसकी नज़र मिली तो दिल मे धक धक हुई बिल्कुल भूरी आँखे गोरा चेहरा लंबी नाक लंबे बाल ऊपर से चुन्नी डाल रखी थी मेरी उसकी नज़र 10 सेकन्ड ही मिली थी कि उसने नज़र नही हटाई मुझे ही नज़र हटानी पड़ी।
मैंने सोचा लिया बेटा काम कुछ ह नही आज तो दोस्ती करनी ही ह इससे चाहे कितना टाइम लगे तो मैं बार बार उसकी तरफ देखता तो वो भी देखती और वो पीछे बार बार किसी से बात कर रही थी तो मैने देखा एक औरत बैठी हैं ।
मैंने सोचा इसकी बहन होगी उनकी बात सुनकर लग रहा था कि वो किसी गांव से ही हैं तो मैं उसकी तरफ देखता तो नज़रे मिलते ही मुस्कुराने लगी वो फिर मुझे लगा कोई चेक करता हु कोई और आदमी तो नही आया ह इसके साथ तो मैं बैंक से बाहर निकल गया तो वो बैंक के बाहर की तरफ देखने लगी तो मैं बाहर ही खड़ा रहा तो वो बार बार बाहर ही देख रही थी ।
तो मैंने उसे बाहर आने का इसारा किया तो उसने देख कर मुह फेर लिया तो मुझे गुस्सा आया थोड़ी देर में वो फिर देखने लगी तो मैंने फिर हाथ हिला के बुलाया उसे तो वो इधर उधर देख कर बाहर आ गयी और मेरी तरफ देखती हुए बाहर लगे पानी के कूलर की तरफ गयी और पानी पीने लगी पानी पीकर वो मुस्कुराते हुए अंदर जाने लगी तो मैंने उसे फ़ोन का इसारा किया तो वो मेरे पास आकर बोली – ले मेरे फोन से अपने फ़ोन पर घन्टी मार ले और अपनी ब्रा से फ़ोन निकाल कर दे दिया ।
मैंने उसके फ़ोन से अपना नम्बर डायल किया और फिर कॉल आते ही फ़ोन उसको दे दिया फिर मैं अपनी लाईन में जाकर खड़ा हो गया थोड़ी देर में वो भी आ गयी फिर हमारे इसारे चलते रहे तो मैं अपना काम करके बैंक से बाहर आकर उसको कॉल करके कहा – चलो कुछ खाते है तुम्हारा नम्बर तो बैंक के लंच टाइम के बाद आयेगा सायद।
तो वो बोली- मेरी सहेली आयी ह साथ मे तुम जाओ उसके साथ मार्किट में भी जाना है मैं नही चाहती उसे तुम पर शक हो या हमे बात करते देखे ।
तो मैंने उसे बॉय बोला और घर की तरफ चल पड़ा।
घर पहुंच कर मै जाते ही सो गया शाम को 5 के करीब उसका फ़ोन आया तो मैंने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम गुड्डी(काल्पनिक) बताया उसने बताया कि उसका पति सरकारी नोकरी में था 2 साल पहले ही गुजर गया और मेरी पेंसन बन गयी हैं ।
उसके बच्चों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसके 2 बच्चे है एक लड़का एक लड़की जो 8 और 10 साल के हैं और गांव के ही स्कूल में पढ़ते हैं उसका गांव रोहतक से 5 किलोमीटर ही दूर था ।
तो उसने मेरा नाम और मेरे बारे में पूछा मैंने सब बता दिया अपने बारे में तो फिर हमारी रोज़ बात होने लगी और हमने एक दूसरे से वादा किया कि किसी को एक दूसरे के बारे में नही बताएंगे ।
फिर उसने सब कुछ बताया कि उसकी पति की मौत के बाद उसके जेठ की शादी नही हुई थी उसके पल्ले,( शादी कर दी) लगा दिया लेकिन मेरा जेठ कुछ नही करता था सराब बहुत पीता हैं और सेक्स करते वक़्त तो सीधा सलवार खोली और डाल दिया और अपना काम करके सो जाता तो मैंने उसके साथ सोना छोड़ दिया और बच्चो के कमरे में सोने लगी और उसको भी कह दिया मेरे पास आने की जरूरत नही हैं अब 3 महीने से ज्यादा हो गए सेक्स किये बस बच्चो के सहारे दिन काट रही हु और रोने लगी ।
तो मैंने कहा – रो मत किसी चीज़ की जरूरत हो तो मुझे बोलना और आज के बाद रोई तो म तुमसे कभी बात नही करूँगा।
तो वो बोली – अब कभी नही रोऊंगा बाकी तुम बैंक में देखा तो बहुत अच्छे लगे लेकिन अब बात करके लग रहा ह तुम बहुत अच्छे हो कभी नाराज़ मत होना मुझसे कभी छोड़ना नही दोस्त।
तो मैंने भी वादा किया -, , मेरी वजह से कोई तकलीफ नही होगी तुम्हारे जीवन में फिर हमने एक दूसरे को बाय किया और फ़ोन काट दिया।
हमे बात करते 20 दिन के आस पास हो गए थे मैं भी गुड्डी को मिलने की नही कहता था कहि मुझे गलत न सोचें तो बस बात करते थे । एक दिन बात करते करते गुड्डी ने कहा मैं आज रोहतक आ रही हु तुम भी आ जाना मैं अकेली ही आउंगी। तो मैंने कहा -रोहतक में कहा तो वो बोली झज्जर चुंगी के पास मिलना कल ।
मैन कहा ठीक हैं।अगले दिन म झज्जर चुंगी से थोड़ा आगे बाइक लेकर खड़ा हो गया थोड़ी देर में कोई घूंघट किये मेरे पास आई और बोली चलो तो मैं समझ गया गुड्डी हैं मैंने बाइक स्टार्ट की और चल पड़ा तो मैं रास्ते मे बोलै घूंघट क्यो किया था तो गुड्डी बोली – ताकि कोई हमारे गांव वाला न देख ले मुझे।
तो मैंने बोला-क्या खाओगी
तो वो बोली -तुम्हे और हसने लगी
तो म बोला-बताओ ना
तो वो बोली- किसी होटल में चलो वही खाऊँगी कुछ और बात करेंगे तो मैंने एक होटल में कमरा लिया और कमरे में जाकर लेट गया मैं गुड्डी बाथरूम में चली गयी फिर गुड्डी मेरे पास आकर बैठ गयी ।
मैं बोला,-बताओ जी क्या खाओगी पीओगी।
तो गुड्डी बोली,- बताया था भूल गया तुझे खाऊँगी और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी।
लंड ने मुह उठाना शुरू कर दिया मैं भी बैठ गया औऱ बोला लो खा लो।
इतना कहते ही गुड्डी मेरे होठो को चूमने लगी म भी इसी घड़ी का इंतज़ार कर रहा था तो हमारी जीभ एक दूसरे की जीभ चुम रही थी 10 मिनट हमने किश की फिर गुड्डी खड़ी हो गयी और अपने बालों को खोल दिया और फिर मेरे होठो को चूमने लगी।
हम तो होश खो बैठे थे पागलो को तरह चुम रहे थे। फिर हम अलग हुए गुड्डी बोली -राज आज से मेरा सब कुछ तुमहरा हैं
बस मुझे आज जी भरकर प्यार करो।
मैं खड़ा हो गया और गुड्डी भी खड़ी हो गयी मैं गुड्डी के पीछे जाकर उसके गर्दन चूमने लगा और दोनों हाथों से चुचियो को दबाने लगा गुड्डी ने शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दिया।
और मेरा लण्ड गुड्डी के चूतड़ों पर वार कर रहा था गुड्डी अब बिल्कुल मस्त हो चुकी थी वो पीछे हाथ ले जाकर मेरा लण्ड पकङने लगी ।
मैंने गुड्डी का कुर्ता ऊपर उठाया ही था कि गुड्डी ने हाथ ऊपर कर दिए मैन गुड्डी का कुर्ता निकाल दिया और उसकी ब्रा क्व हुक खोल कर उसकी कमर पर जीभ फिराने लगा।
फिर मैंने गुड्डी की सलवार उतार दी और गुड्डी को बिलकुल नंगा कर दिया गुुड्डी को मैैंने बेड पर लीटा दिया और खुद भी अपने सारे कपड़े उतार दिया लण्ड को अब आज़ाद होकर खुल कर खेलने का मौका मिल गया मैने कपड़े उतरते ही गुड्डी की चूत को चाटना शुरू कर दिया गुड्डी तो होश खो बैठी थी उसकी आंखें बंद थी और मुह से आह आह की आवाज़।
मैंने उसकी चूत में जीभ डाल दी और चूत को जीभ से चोदने लगा 5 मिनट में गुड्डी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मैंने थोड़ा सा उसकी चूत का पानी पिया फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और होठो को चूमने लगा गुड्डी में भी बहो में जकड़ लिया मेरे मेरे होठो को काटने लगी मैं लण्ड के धक्के लगाने लगा नीचे से गुड्डी ने टांग खोल ली और एक हाथ से लण्ड को पकड़कर चूत पर रख दिया म समझ गया तैयार हैं गुड्डी लण्ड लेने के लिए।
मैंने लण्ड चूत के मुह पर रखते ही एक हल्का झटका मार दिया लण्ड इन टोपा चूत के अंदर ।
गुड्डी ने थोड़ी दर्द की आवाज़ की फिर मैने जोश में उसकी होठो को अपने होठो में क़ैद कर लिया और जोर से झटका मारा फिर में गुड्डी को चोदने लगा।
जब ऐसा लगता लण्ड झड़ने को ह तो मैं चूत से लण्ड निकाल देता ऐसा करते करते मैन गुड्डी का 2 बार पानी छूड़वा दिया था पहली बार मे ही ।
3 घण्टे हम होटल में रहे औऱ 4 बार चुदाई की और आज भी हम मिलते है ओर खुब मस्ती करते है ।
कैसी लगी मेरी कहानी मेल करना जरूर
Raj hooda48@gmail. com पर धन्यवाद

यह कहानी भी पड़े  ट्रेन मे भाई से सुहागरात–2


error: Content is protected !!