आंटी की चूत का चौराहा बनाया

हेल्लो फ्रंड्स, मैं अमित कुमार बिश्नोई हरियाणा से हूँ। अभी मैं भिवानी में जॉब कर रहा हूँ।
कुछ समय पहले आपने मेरी पहली स्टोरी पढ़ी थी
दोस्त की बहन की चुत की सील तोड़ चुदाई
मेरी कहानी पर मुझे आप लोगों से बहुत से मेल आये। मैंने यथा संभव सबका उत्तर देने का प्रयास किया था लेकिन अगर कोई रहा गया हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ.

अब मैं आपको अभी कुछ दिन पहले की कहानी बताता हूं ये कोई झूठी बात नहीं है बल्कि हाल ही में घटी एक प्यारी घटना है।
मैं अभी कुछ दिन पहले ही भिवानी में जॉब पर लगा हूँ। जहां मैं जॉब करता हूँ वह शॉप रोड के बिल्कुल साथ ही है और शॉप के पीछे एक कॉलोनी है। उस कॉलोनी से एक आंटी हर रोज मेरी शॉप के आगे खड़ी रह कर अपनी बस का इंतज़ार करती है तो जब भी वो आती मैं शॉप के बाहर खड़ा हो जाता और उसे लाइन देता रहता था।

दोस्तो, पहले मैं बता दूँ कि आंटी एक मस्त आइटम है। वो होंठों पर लाल लिपस्टिक लगा कर आती थी, साड़ी बाँध कर आती थी और उसका पेटीकोट नाभि के नीचे बंधा होता था। धीरे धीरे वो भी मुझे लाइन देने लगी।

एक दिन सुबह मैं लेट उठा था तो उस टाइम तक आंटी चली गई थी। अगले दिन मैं इंतज़ार करने लगा कि तभी आंटी आ गई तो आंटी ने मेरी तरफ देख कर स्माइल की तो मैं भी मुस्कुरा दिया।
तभी आंटी मेरी शॉप के गेट के पास आ गई और मुझसे बात करने लगी- आप कल शॉप पर नहीं थे, क्या बात, तबियत तो ठीक है आपकी?
मैंने भी झूठ ही कह दिया- मेरे सर में दर्द था तो मैं लेट आया था।
तभी आंटी बोल पड़ी- क्यों क्या हुआ? डॉक्टर को दिखाओ ना।
मैं- नहीं आंटी, डॉक्टर की कोई जरूरत नहीं, बस ऐसे ही दवाई खा ली थी तो आराम आ गया।

मैं बात करते करते आंटी के बूब्स को घूर रहा था जो शायद आंटी ने भी नोट कर लिया था तो आंटी बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैं- नहीं आंटी, कुछ नहीं बस…
आंटी- अरे शरमा क्यों रहे हो? सीधे ही कह दो कि मेरी छाती पर नजर लगाये बैठे हो।

मैं एक बार तो घबरा गया फिर बोला- क्या करूँ आंटी, आप हो ही इतनी खूबसूरत कि नजर हट ही नहीं रही।
तभी आंटी ने बोला- अपने मोबाइल नम्बर दो।
उनके इस तरह सीधे नम्बर मांगने पर एक बार तो मुझे बड़ा अजीब लगा, फिर भी मैंने अपना नम्बर उन्हें दे दिया और तभी उनकी बस आ गई और वो स्माइल करती हुई चली गई।

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उनको जाते हुए देख मैं उनकी मस्त मोटी गांड को देख रहा था तभी वो वापिस घूमी और उन्होंने मुझे उनकी गांड देखते हुए देख लिया और स्माइल करके चली गई।
फिर मैं भी उनके नाम की मुठ मार कर अपने काम में लग गया। शाम को मेरे पास एक फ़ोन आया मैंने उठाया तो आगे से आंटी हेलो बोली और मैंने भी हेलो आंटी बोल दिया.
तो वो कहने लगी- तुमने तो मेरी आवाज फोन उठाते ही पहचान ली।
इस पर मैंने कहा- आपकी आवाज है ही इतनी मस्त कि कोई कैसे भूल सकता है आपकी आवाज को।

बस इसी तरह हम दो दिन तक फ़ोन पर बात करते रहे। फिर मैंने भी हिम्मत करके कह दिया कि आंटी मुझे आपके साथ सेक्स करने का दिल करता है।
आंटी- तो रोका किसने है, आज और कर ले अपनी मुराद पूरी।
मैं तो ये सुनते ही खुसी से झूम उठा।

फिर हमने शाम को मिलने का प्रोग्राम बनाया। शाम को मैं बताये हुए पते पर पहुँच गया और जैसे ही उनके घर की डोरबेल बजाई, एक मिनट में ही आंटी ने दरवाजा खोला तो मैं देखता ही रह गया।
आंटी ने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था और अंदर काले रंग की ब्रा पेंटी साफ़ साफ़ दिख रही थी।

तभी आंटी बोली- क्या हुआ? आँखों से ही खा जाओगे क्या?
तब मेरा एकदम से ध्यान टूटा और वो अंदर ले गई। मैं सोफे पर बैठा तो आंटी पानी ले कर आई।
मैंने पूछा- आपके घर में और कौन कौन रहता है?
तो वो बोली- मैं और मेरा 8 साल का बेटा जो अभी नानी के घर गया हुआ है।

तो मैंने आंटी को अपने पास बिठाया और उनके होंठों को चूसने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मैं अपने एक हाथ से उनके बूब्स दबाने लगा और दूसरे से उनकी चूत को सहलाने लगा। वो भी मूड में आ गई और उठ के मेरे पैरों के पास बैठ कर मेरी पैन्ट उतार दी और लण्ड देख कर खुश होते हुए बोली- मेरी किस्मत भी कितनी अच्छी है जो 35 साल की उम्र में 22 साल का जवान मोटा लण्ड मिला है मुझे। आज मेरी जम कर प्यास बुझा दे मेरे राजा।
और मेरा लण्ड चूसने लगी।

कुछ देर बाद मैं उनके मुंह में ही झड़ गया और मेरा माल पूरा बून्द बून्द पी गई। फिर मैंने उसे उठाया और उसका गाऊन ठीक कर उनकी चूत में उंगली करते हुए उनकी पेंटी उतार दी और उनकी चूत चाटने लगा।

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आंटी भी अपनी कमर हवा में लहराती हुई बड़बड़ाने लगी- आह जोर से चूस मेरे राजा और मेरी चूत का चौराहा बना के रख दे।
मैं भी पूरी जीभ अंदर तक डाल कर चाट रहा था कि तभी आंटी का शरीर अकड़ने लगा और वो झड़ गई. मैं भी उनकी चूत का सारा नमकीन पानी चाट गया।

फिर आंटी उठी और मेरे लण्ड को फिर चूसने लगी। कुछ देर में मेरा लण्ड अपनी औकात में आने लगा तो आंटी सोफे पर ही अपनी टांग ऊपर करके लेट गई। मैंने भी देर करना ठीक नहीं समझा और लण्ड उनकी चूत पर रगड़ने लगा तो आंटी तड़प उठी और बोली- कमीने अब डाल भी दे।

तभी मैंने एक झटका मारा और मेरा चार इंच लण्ड उनकी चूत में उतर गया तो आंटी चिल्लाने लगी- हाय फाड़ दी कमीने, कितना और बचा है बाहर?
मैं बोला- मेरा जान, अभी तो आधा ही गया है!
और उनके होंठ चूसने लगा. जब वो कुछ शांत हुई तो मैंने एक शॉट और मारा कि मेरा पूरा लण्ड आंटी की चूत में घुस गया। आंटी की आँखों से आंसू आने लगे। मैं बिना कोई परवाह किये उन्हें जोर से चोदने लगा।

थोड़ी देर में आंटी भी सामने कमर उठा के झटके मारने लगी और बड़बड़ाने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऐसी चुदाई तो आज तक मेरे पति ने भी नहीं की थी। आह आज मैंने जिंदगी के सारे सुख पा लिए।
और दस मिनट में ही आंटी झड़ गई तो मेरा लण्ड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था।

कुछ देर बाद मैंने भी अपना माल उनकी चूत में ही निकाल दिया तब तक आंटी एक बार और झड़ गई।
हम इसी तरह कुछ देर पड़े रहे। फिर आंटी उठी और मेरे लिए दूध और एक लिफाफा लेकर आई।

मैंने दूध पिया और आंटी को अपने ऊपर खींच लिया तो आंटी बोली- अभी नहीं, मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है, बाकी की चुदाई कल करेंगे… अभी तुम अभी जाओ, आज मेरा बेटा और भाई भी आने वाले हैं.
और आते हुए उसने मुझे वो लिफाफा दिया तो उसमें पांच हजार रूपए थे. तो मैं मना करने लगा लेकिन उसने कहा- मेरी तरफ से गिफ्ट समझ कर रख लो!
तो मैंने वो पैसे ले लिये और अपने घर आ गया.

अब तो जब भी हम दोनों को कोई भी मौका मिलता है तो हम मिल कर खूब मजे करते हैं चुदाई के!

तो दोस्तो, मैं आपके मेल का इंतज़ार करूँगा, मुझे जरूर बताएं कि मेरी कहानी कैसी लगी।



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