आंटी की चुची मसल कर मस्ती की ट्रेन में

इधर मेरे लंड का बहुत बुरा हाल था.. मैं मज़े और डर दोनों के सातवें आसमान पर था।

मैं उनके गोल-गोल मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रहा था.. लेकिन आंटी की तरफ से कोई भी हरकत ना हुई.. वो गहरी नींद में होने का नाटक कर रही थीं।
मैं समझ नहीं पाया कि आंटी किधर तक साथ देने के मूड में हैं।

उनके मम्मों को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ उसकी पीठ की तरफ किया और मैं उनकी पीठ को सहलाने लगा।
वो अब जोश में आ चुकी थीं।
तभी एक सज्जन ने सोने का कारण बताकर लाइट को बन्द कर दिया।

आंटी ने कोई आपत्ति नहीं की और मैं भी खुश हो गया कि एक बार फिर से ग्रीन सिग्नल मिल गया, मैं बहुत खुश हुआ।

लाइट बंद होने के कारण कोई देख नहीं पा रहा था। आंटी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं और वे अपना एक पैर मेरे पैर के ऊपर रखकर सहलाने लगीं।

अब मेरा काम हो गया.. मैं अब अपना हाथ आंटी की गांड की तरफ ले गया तो पाया कि सलवार के नाड़े के कारण मेरा हाथ अन्दर नहीं जा पा रहा था।

ये दिक्कत समझ कर आंटी थोड़ा हिलीं.. दोनों पैरों को मोड़कर पलटी मारकर बैठ सी गईं।

मैंने भी अपना हाथ पीछे की बजाए आगे की तरफ ले आया और आंटी के पेट को कुछ देर तक सहलाया। फिर मैं अपना हाथ नीचे को ले गया तो नाड़ा बंद पाया।

मैंने कुछ देर तक सलवार के ऊपर से उनकी बुर को टटोला.. लेकिन मुझसे रहा नहीं गया।

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मैंने अपने हाथ से उनके नाड़ा को खोल दिया।

मैंने आंटी की तरफ देखा तो मेरी गांड फट गई.. मेरा खड़ा लंड सिकुड़ गया और अपनी पुरानी औकात में आ गया क्योंकि आंटी की आँखें खुली हुई थीं। मैं एकदम डर गया और अपना हाथ पीछे खींचने लगा तो उन्होंने अपना हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी बुर के ऊपर रख दिया।

लेकिन तभी कोई स्टेशन आ गया और काफ़ी लोग ट्रेन में चढ़े, मेरा बना बनाया मामला बिगड़ गया।
मेरे अधूरे सेक्स आंटी की चुची सहलाने की कहानी पर आपके सुझाव का इन्तजार रहेगा।

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