ही फ्रेंड्स, आप लोगों को मेरी अब तक की इंडियन सेक्स स्टोरीस कैसी लगी, प्लस्स मैल कर के ज़रूर बताईएएगा, तो अब मैं आयेज की स्टोरी कंटिन्यू करता हूँ.
मम्मी के आवाज़ लगते ही हम दोनो भाई बेहन ने जल्दी जल्दी कपड़े पहने और नीचे भाग गये, आंटी जी बोली की कल फिर आना मज़े करनेगे, हम दोनो ने आंटी को ओक बोला और जल्दी से नीचे चले गये.
जैसे ही हम दोनो नीचे पहुँचे मम्मी बोली की कहाँ थे तुम दोनो ? इतनी देर से ऊपेर क्या कर रहे थे तो दीदी ने कहा की कुछ नही आंटी को कुछ काम था इसी लिए बुलाया था.
मों: देखो नेहा बेटी तुम्हारा इस साल बोर्ड का एग्ज़ॅम है इस तरह से टाइम खराब मत किया करो.
दीदी: सॉरी मम्मी.
मों: ठीक है अब जाओ पड़ाई करो और अपने भाई को भी साथ में पदाओ.
दीदी: ठीक है मम्मी.
फिर दीदी मेरा हांत पकड़ के मुझे स्टडी रूम में ले गयीं, लेकिन अब तो हम दोनो का मान पड़ाई में नही लग रागा था और हम दोनो एक दूसरे को खाने की सोंच रहे थे.
मैने दीदी से कहा की दीदी अभी पड़ने का मॅन नही हो रहा है मेरा मॅन तो आपकी बर चूसने का कर रहा है तो दीदी बोली अभी नही मम्मी देख लेगी, जब अभी शाम को मम्मी मार्केट जाएगी तो हम दोनो जल्दी से एक रौंद कर लेंगे, ई साइड ओक दीदी, ई लोवे उ.
दीदी: ई लोवे उ तो भाई.
फिर हम दोनो भाई बेहन पड़ने बैठ गये और मम्मी के मार्केट जाने का वेट करने लगे, आज कल पापा भी बाहर तौर पे गये हुए थे इसलिए हम दोनो भाई बेहन के पास यह एक अच्छा मौका था एंजाय करने का.
शाम को करीब 6 बजे होंगे और हम दोनो यह वेट कर रहे थे की कब मों मार्केट जाएँगी की तभी मों हमारे स्टडी रूम में आई और दीदी से बोली की वो मार्केट जेया रही है वापस आने में शायद देर हो जाए क्यूंकी बगल वाली आंटी की ताब्यट खराब है, इस लिए लौटते वक़्त वो उनके घर भी जाएँगी, दीदी ने कहा की ठीक है मम्मी आप आराम से जाओ, हमारी फिकर ना करें.
मम्मी: देख राहुल मेरे जाते ही तू कहीं खेलने मत चले जाना, दीदी के साथ बैठ के पड़ाई करना.
मैं: ठीक है मम्मी, आप जाओ मैं यही हूँ दीदी के पास.
फिर करीब 15 मिनिट बाद मों मार्केट के लिए चली गयीं, मों के जाते ही जैसे ही दीदी गाते बंद कर के लौटी तो देखती हैं की मैं रूम में नंगा बैठा हूँ, आक्च्युयली मम्मी के जाते ही मैं इतना ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया था की मैं एक मिनिट भी बर्बाद नही करना चाहता था.
दीदी मुझे देखते हुए बोली की तुझे शरम नही आती है इस तरह से मेरे सामने नंगा खड़ा है.
मैं: दीदी अब बर्दाश्त नही होता है प्ल्स मेरे पास आओ ना.
दीदी: अभी नही पहले मैं अपना यह चॅप्टर कंप्लीट कर लून तब.
मैं: ओक दीदी तुम पड़ाई करो लेकिन पड़ते पड़ते मेरे लंड को हांत में पकड़ के सहले तो सकती ही हो.
दीदी: ठीक है लेकिन मुझे तुम डिस्टर्ब मत करना.
मैं: ओक दीदी.
इतना कहते ही मैं दीदी के पास जेया के बैठ गया, अब दीदी एक हांत से मेरे लंड की स्किन ऊपेर नीचे कर रही थी और एक हांत से बुक ले के पड़ाई कर रही थी.
मैं: आअहह दीदी बहुत अच्छा लग रहा है.
दीदी : मैने कहा था ना की मुझे डीस्टूरबे मत करना.
मैं: सॉरी दीदी.
दीदी के इस तारा से मेरे लंड को सहलाने से मेरा लंड एक दूं टाइट हो गया था और अब मुझसे वेट नही हो रहा था लेकिन दर्र भी लग रहा था की अगर दीदी नाराज़ हो गयी तो कहीं चूड़ने से माना ही ना कर दे, बुत बहुत सोंछने के बाद मैने दीदी से कहा की दीदी मैं आपको बिल्कुल भी परेशान नही करूँगा आप आराम से पड़ाई करो बॅस मैं नीचे बैठ के आपकी बर चूस्ता रहूँगा.
दीदी: नहीं बिल्कुल भी नही.
मैं: दीदी प्लस्स मैं आपको परेशन नही करोंगा, प्लस्सस मेरी प्यार दीदी.
दीदी: ठीक है चूस ले लेकिन मेरी पनटी मैं नही उतारूंगी.
मैं: अरे दीदी मैने कहा ना की मैं आपको डिस्टर्ब नही करूँगा, आप बस पड़ाई करो, आपकी कच्ची मैं निकाल दूँगा.
दीदी चेर पे बैठ के पड़ाई कर रही थी या यह कहें के पड़ने का नाटक कर रही थी और में नीचे बैठ के दीदी के पैरों के पास उनकी पनटी धीरे धीरे उतरने की काओशिश करने लगा.
बहुत आराम से उसकी टाँगों पे किस करते करते मैं दीदी की पनटी निकाल दी फिर दीदी की दोनो टाँगें फैला दी और उनकी टाँगों को फैला के दोनो हांतों से उनकी बर की स्किन को खोलने की कोशिश करने लगा, मैने सिर उठा के दीदी की तरफ देखा तो वो आराम से अपनी बुक की तरफ ही देख रही थी.
फिर मैने दीदी की बर में अपनी जीभ डाली, मेरे जीभ डालते ही मेरी साँस की गर्मी से दीदी की बॉडी में अजीब सी सिरहन उठी और उन्होने हल्के से अपनी चूतड़ उठा ली लेकिन मैने अपने दोनो हांतो से दीदी की चूतड़ को पकड़ा हुआ था और दीदी को चेर की तरफ ही खींच के उनके बर को अपने मूँह में घुसेड लेइया, और मज़े मज़े से मैं दीदी की बर चुस्स रहा था, दीदी भी अब धीरे धीरे से अपनी चूतड़ हिला रही थी और मेरे इस तरह से बर को चूसने को एंजाय कर रही थी.
क्या सीन था रूम का दीदी चेर पे बैठी हुई है उसके एक हांत में बुक है और दीदी का एक हांत मेरे सिर पे था, वो मेरे बालों को खींच रही थी और मेरा सिर अपनी बर में के अंदर घुसेड रही थी, मैं भी पुर मान से दीदी की बर के अंदर जीभ डाल के उसके रस्स को पी रहा था.
इस तरह से करते करते करीब 15 मिनिट बाद दीदी की बर से गरम गरम पानी निकला और मेरा मूँह दीदी की बर के रस्स से भीग गया, मैने कहा की यह क्या कर दिया दीदी, तुमने तो मेरे फेस पे ही सब कुछ कर दिया.
दीदी बोली की सॉरी भैया, लेकिन ग़लती तो तेरी ही है तुझे अपना मूँह मेरी बर से हटा लेना चाहिए थे, मैने पूंचा दीदी वैसे मज़ा तो आया, दीदी बोली की हन भाई रियली तुम बहुत ही अच्छे से बर चोस्टे हो, चलो बातरूम में चलो मैं अपने हांतो से तुम्हारा मूँह धो देती हूँ.
दीदी मुझे ले के बातरूम गयी और अपने हांतों से मेरा मूँह धोया, फिर मैने भी टवल ले के दीदी के लेग्स से बह रहा उनका रस्स सॉफ किया और हम दोनो भाई बेहन वापस अपने स्टडी रूम में आ गये.
दीदी बोली की राहुल तू यहीं खड़ा रहे मुझे तेरा लंड छहुउसना है, बुत मैने कहा की नही दीदी मुझे अभी तो तुमहार दूध पीना है, बुत दीदी बोली नही पहले मुझे अपना लंड चुसाओ तभी तुम्हे मेरा दूध पीने को मिलेगा, मैने कहा की ओक दीदी, लेकिन नंगी तो हो जाओ, दीदी बोली की अभी नही पहले लंड चुस्वओ बाद में मैं नंगी होंगी, मैने कहा की ठीक है दीदी, लो चूस लो मेरा लंड.
फिर दीदी नीचे बैठ गयी और मेरी चूतड़ को अपनी तरफ खींच के मेरे लंड को अपने मूँह में ले लिया और एक हांत से उसकी स्किन को ऊपेर नीचे करके उसे चूसने लगी, मैं भी आँखें बंद कर के दीदी के लंड चूसने को एंजाय करने लहगा.
फिर पता नही दीदी को क्या शरारत सूझी और उन्होने अपनी एक उंगली मेरी गांद में डालने की कोशिश करने लगी, मैं चिल्लाया की दीदी यह क्या कर रही हो, तो दीदी बोली देख तेरा जो मॅन करे वो तू मेरे साथ कर और मेरा जो मॅन करेगा वो मैं तेरे साथ करूँगी, अगर अग्री हो तो बोल वरना मुझे कुछ नही करना.
मैने कहा की ठीक है दीदी बुत धीरे धीरे करना पाईं होता है, दीदी बोली की पाईं हो तो बताना, और इतना कहते ही उन्होने मेरे चूतड़ के छेड़ में अपनी छोटी उंगली धीरे धीरे डालनी शुरू कर दी और मज़े से लंड चूसने लगी.
मुझे पाईं तो हो रहा था लेकिन दीदी की इच्छा के आयेज मैं चुप रहा और जो भी दीदी का करने का मान कर रहा था उसे करने दिया.
अब दीदी अपनी एक उंगली मेरी गांद में डाल के मेरा लंड चूस रही थी और मैं आँखें बंद कर के आराम से खड़ा हुआ अपनी सग़ी बेहन से अपना लंड चुस्वा रहा था.
फिर दीदी ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को चोसने लगी टोमने भी अपने दोनो हांतों से उनका मूँह अपने लंड से चिपकाने लगा और मैं भी उनके मूँह को जल्दी जल्दी आयेज पीछे करने लगा.
मैं: आअहह आहह चूज़ दीदी, आहह बहुत अच्छा लग रहा है दीदी, बॅस अगर मम्मी भी यहाँ होती तो मज़ा आ जाता फिर तो इस वक़्त मेरे मूँह में उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ होती और दीदी तुम इसी तरह से मेरा लंड चूस रही होती, आअहह
दीदी ने आँख उठ आके मेरी तरफ देखा लेकिन लंड को चूसना बंद नही किया, मेरे मूँह से अभी भी आ आ की आवाज़ें निकल रही थी.
10 मिनिट बाद मुझे लगा की अब मेरा माल निकालने वाला है तो मैने दीदी से कहा की दीदी मूँह से निकालो मेरा लुंदे झड़ने वाला है, लेकिन दीदी मेरा लंड छोड़े ही नही रही थी और एक एक्सपर्ट की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
जैसे ही मुझे लगा की अब तो बॅस मेरा माल निकालने ही वाला है और अगर अभी दीदी ने मेरे लंड को अपने मूँह से नही निकाला तो सारा माल उनके मूँह में ही गिर जाएगा, तो मैने झत्ट से दीदी के मूँह से अपना लंड बाहर खींचा और वहीं फर्श पे अपना सारा माल गिरा दिया.
दीदी मुझे लंड से माल गिरते हुए देख रही थी और वहीं फिर्श पे बैठे बैठे मेरे सामने अपनी बर में उंगली डाल रह थी.
झड़ने के बाद मेरा लंड सुकड के छोटा हो गया तो दीदी छोटे से लंड को हांत में लेते हुए बोली की लेयह तो बेकार हो गया तो मैने कहा की दीदी बेकार नही हुआ अभी आराम कर रहा है.
दीदी: तो फिर दोबारा खड़ा कैसे होगा?
मैं: मेरी नंगी दीदी को देखते ही खड़ा हो जाएगा, बॅस तुम जल्दी से अपने कपड़े उतार के नंगी हो जाओ.
दीदी: ठीक है अगर यह मुझे नंगा देख के ही खड़ा होगा तो ठीक है उतार दे मृए कपड़े और कर दे अपनी सग़ी बेहन को नंगा.
दीदी के इतना कहते ही मैं दीदी के पास आया और नीचे झुक कर अपने दाँतों से पकड़ कर उनकी स्कर्ट को नईएचए खीचने लगा थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ी बुत थोड़ी ही देर में मैने उनकी स्कर्ट उतार दी, इस समय मेरी दीदी नीचे से नंगी हो चुकी थी अब उसे ऊपेर से नंगा करने की बारी थी.
मैं दीदी के पाचे गया और पीछे से खाद हो के उनकी चुचियाँ दबाने लगा, दीदी ने भी दोनो पीछे करके मेरा लंड पकड़ लिया और उसे खींचे लगी.
फिर धीरे धीरे मैने दीदी की तशितत ओपपेर की लेकिन उसे निकाला नही और एक हांत से ब्रा के ऊपेर से हू उनके बूब्स को दबाना स्टार्ट कर दिया, दीदी अभी भी मेरा लंड पकड़ के सहला रही तीन, अब मेरे लंड ने भी फ्र से हरकत करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे खड़ा होने लगा.
मैने ब्रा में से दीदी को दोनो दूध बाहर निकले और उन्हे दबाने लगा, फिर मैने दीदी को झुका दिया, मैं दीदी के पीछे खड़ा था और और मेरा लंड दीदी ने अपने हांतों को पीछे कर के पकड़ा हुआ था.
मैने दीदी के हांतो से अपना लंड छुड़ाते हुए उनकी पीठ को झुकते हुए उसन्हे घोड़ी की तरह खड़ा कर दिया और उनकी ब्रा के हुक्स को खोलने लगा, ब्रा खुलते ही उनके बूब्स नीचे की तरफ लटकने लगे, मैने दोनो हांतों में उनके बूब्स को भर लिया और उन्हे खींच खींच के दबाने लगा.
फिर मैं नीचे बैठ के दीदी की गांद को चाटने लगा और एक उंगली धीरे धीरे से उनकी गांद में गालने लगा, दीदी चिल्लाई की यह क्या कर रहे हो, गांद में उंगली नही प्लस्सस.
मैं: अच्छा दीदी और अभी तुम क्या कर रही थी, तुमने भी तो मेरी गांद में उंगली डाली थी, तब तुमने ही कहा था की जो तुम्हारा मॅन करेगा वो तुम करोगी और जो मेरा मॅन करेगा वो मैं कर सकता हूँ.
अब दीदी को कुछ समझ नही आया की क्या कहें, और चुप छाप अपनी गांद में उंगली करवाने लगी.
दीदी: आहह अहह धीरे से कर ना राहुल.
मैं: हन दीदी आराम आराम से ही करूँगा, पाईं हो तो बताना नही.
दीदी: पाईं तो हो रहा है लेकिन अच्छा भी लग रहा है, तू करता रह लेकिन धीरे धीरे.
मैं: हन दीदी आराम आराम से ही तुम्हारी गंद में उंगली करूँगा.
और मैं धीरे धीरे दीदी की गांद में करता रहा अब मेरी पूरी उंगली दीदी की गांद में चली गयी थी और वो अपने चूतड़ हिला रही थी, फिर मैने उनके गांद स एऊंगली बाहर निकाल ली और उनकी गांद पे थूक दिया इससे उनकी गांद गीली हो गयी और इस बार मैने दीदी की गांद में दी उंगली डाली.
दीदी: यह क्या उईईईईईईईईई नहियिइ दो उंगली नही.
मैं: अरे कुछ नही होगा दीदी मैं धीरे धीरे डालूगा.
और मैने धीरे धीरे अपनी दो उंगलियायन उनकी गांद में डाल दी और एब मैं जल्दी जल्दी अपनी दोनो फिंगर्स को दीदी की गांद के छेड़ से अंदर बाहर करने लगा.
दीदी को दोनो बूब्स हवा में झूल रहे थे और दीदी घोड़ी बन के मेरी उंगलियों से अपनी गांद की चुदाई करवा रही थी, 10 मिनिट बाद मेरा लंड लोहे की रोड की तरह खड़ा हो चुका था.
मैने दीदी की गांद से अपनी दोनो उंगलियाँ निकली और दीदी के मूँह के पास जेया के अपना खड़ा हुआ लंड दीदी में मूँह में घुसा दिया दीदी भी कुटिया बन के मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मैं दीदी एक हांत से दीदी के बाल पकड़ के खींच रहा था ुआर और दीदी से अपना लंड चुस्वा रहा था, 10 मिनिट तक लंड चुसवाने के बाद मैने दीदी के बाल पकड़ के उन्हे उठा के खड़ा किया और दीदी के ऐसे ही बाल पकड़ के उन्हे स्टडी टेबल पे ले गया.
दीदी: आअहह मेरे बाल क्यूँ खींच रहे है, बाल तो छोड़े, देख अगर तू बाल नही छोड़ेगा तो मैं भी लंड खींच दूँगी.
(दीदी को मेरी इस हरकत से मज़ा भी आ रहा था क्यूंकी उसके चेहरे पे बिल्कुल भी गुस्सा नही था)
फिर दीदी ने भी मेरा लंड पकड़ के उसे दबाने लगी.
मैने दीदी को स्टडी टेबल पे बैठ अड़ीया और उनकी डोडो टाँगें फैला दी, इससे पहले की दीदी कुछ बोल पाती मैने एक जोरदार धक्के से लंड दीदी की बर में घुसा बाइया, दो टीन धक्के के बाद मैने लंड बाहर निकाला और दीदी की बर को तोड़ा सा चूसा फिर लंड अंदर डाला.
फिर 4-5 धक्के के बाद नीचे झुका और उनकी बर में जीभ डाल के उसे चूसा, इस तरह से मैने 4 बार किया, अब दीदी से बर्दाश्त नही हो रहा था और उन्होने मेरी कूतड़ पकड़ के अपनी बर की तरफ खींच ली और बोली.
दीदी: अब तो छोड़ मेरे भाई मुझे, अब छोड़ दे, अब लंड बाहर मॅट निकलना.
अब मैं भी दीदी की बर में लंड डाल के धक्के मरने लगा.
हचार हचार हचार की आवाज़ें हमारे स्टडी रूम में गूँज रही थी.
दीदी: छोड़ो भाई और छोड़ो मुझे, ऐसे ही मुझे छोड़ा करो, दिन रात हर समय.
मैं: मेरी दीदी, जिंदेगी भर मुझसे ऐसे ही चूड़ते रहना, आअहह आहह.
दीदी: ज़ोर से भाई और ज़ोर से छोड़ो.
मैं दीदी को दोनो बूब्स को हांत से पकड़ के ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था.
20 मिनिट की चुदाई के बाद जैसे मुझे लगा की अब मैं झड़ने वाला हों, मैने झटके से अपना लंड दीदी की बर से बाहर निकाला और उनके पेट पे अपना सारा माल गिरा दिया.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ के सारा माल निकालने में मेरी हेल्प की और लंड की स्किन को जल्दी जल्दी ऊपेर नीचे करने लगी, मैने दीदी के बाल पकड़े और उन्हे लीप किस करने लगा, दीदी के नीचे वेल होंठ को अपने मूँह में ले के मैं उसे चोसने लगा और अपने हांतों से दीदी के दोध दबा रहा था.
अब तक रात के 8 बाज गये त एओर मम्मी के वापस आने का टाइम हो रहा था, 10 मिनिट तक लीप किस करने के बाद दीदी बोली की राहुल अब जल्दी से कपड़े पहन लो, मुंम्मी के आने का टाइम हो रहा है.
मैं: दीदी, आप मैं और मम्मी कब इस घर में नंगे नंगे घूमेंगे, मुझे अब घर में आपको और मम्मी के हमेशा नंगे देखने का मॅन करता है, जब आप चाहे मेरा लंड चूस सकें, जब मेरा मॅन करे मैं आपके और मम्मी का दूध पी सकूँ, बताओ ना डिड ऐसा कब होगा ?
दीदी: बहुत जल्दी ही होगा मेरे भाई, मैं कल ही आंटी सेबात करती हूँ, वो कोई ना कोई तरकीब ज़रूर निकलेंगी.
फिर हम दोनो भाई बेहन अपने अपने कपड़े पहन के स्टडी रूम में चले गये, और एक दोसरे के होंठो ओ पीने लगे, 10 मिनिट मिनिट बाद डोर बेल बाजी, शायद मम्मी आ गयी थी.
कैसे आंटी जी ने इस सेक्स के ग़मे में मेरी मम्मी और अपनी बेटी सोनिया को भी शामिल किया, यह इस इंडियन सेक्स स्टोरीस के नेक्स्ट पार्ट में.
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