ही फ्रेंड्स, आप लोगों से इससे पहले की लिखी मेरी सेक्स स्टोरीस इन हिन्दी “चोर पोलिसेका खेल चुदाई में बदला” और “बचपन का चुदाई ज्ञान आंटी जी ने सिखाया” पढ़ी, आप लोगों को ढेरों मेल्स मुझे मिली, और जिस तरह का सपोर्ट आअप लोगों ने मुझे दिया उसके लिए लॉट्स ऑफ थॅंक्स.
दोस्तों अब मैं अपनी स्टोरी को आयेज से कंटिन्यू करता हूँ..
अब मैं अगले दिन का वेट करने लगा और प्लानिंग बनाने लगा की कैसे में अपनी दीदी को आंटी के पास भेजू, मैं यह सोंच ही रहा था की तभी दीदी मेरे पास से गुज़री.
मैं उस वक़्त चेर पे बैठा हुआ स्टडी कर रहा था, दीदी जब मेरे पास से निकली तो उसकी स्कर्ट मेरी नोस से टच हुई और उसकी स्मेल ने मुझे मदहोश कर दिया, मैं बेसब्री से अगले दिन का वेट करने लगा.
मैं दीदी के बारे में बता देता हूँ, उस समय दीदी की आगे 18 साल की थी वो 12 में स्टडी कर रही थी, गोरी और स्लिम, बूब्स बड़े नही थे बॅस आप सानिया मिर्ज़ा को इमॅजिन कर सकते हैं.
नेक्स्ट दे जब दीदी स्कूल से आने के बाद लंच कर के सोने जेया रही थी तो मैने दीदी से कहा की कल आंटी आप को बुला रही थी.
दीदी: क्यूँ, आंटी को मुझसे क्या काम है.
मे: मुझे क्या पता दीदी, बुत आंटी कह रही थी की अपनी बेहन को ऊपेर भेज देना कुछ अर्जेंट काम है.
दीदी: ओक, मैं बाद में चली जाऊंगी.
मे: बाद में नही दीदी अभी चली जाओ, वरना आंटी मुझ पे गुस्सा करेंगी, वो सोनछेंगी की मैने आपको बताया ही नही.
दीदी: ओक बाबा, जाती हूँ.
फिर दीदी ऊपेर जाने लगीं, मैं भी उनके साथ ऊपेर चला गया आंटी के पास, उस वक़्त आंटी घर में अकेली थी, उनकी बेटी सोनिया भी कहीं गयी हुई थी.
दीदी: आंटी, राहुल कह रहा था की आपको मुझसे कोई काम है.
आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे सिर पे प्यार से हांत फेरते हुए बोलीं की हन बेटा मैने ही राहुल से कहा था की अपनी बेहन को मेरे पास भेज देना.
दीदी: हन आंटी बताइए क्या काम था.
आंटी: बेटा तुम साइन्स की स्टूडेंट हो ना ?
दीदी: हन आंटी.
आंटी: विच स्ट्रीम ?
दीदी: बियो से आंटी.
आंटी: अच्छा तो डॉक्टर बनने का इरादा है.
दीदी: हन आंटी कोशिश तो यही है.
आंटी: बॅस बेटा फिर तो तू ही मेरी हेल्प कर सकती है.
दीदी: आंटी बताइए ना क्या बात है ?
आंटी ने मुझेसे कहा की राहुल बेटा तुम थोड़ी देर के लिए नीचे चले जाओ मुझे तुम्हारी बेहन से कुछ इंपॉर्टेंट बात करनी हैं, मैं समझ गया था की आंटी ने ज़रूर कोई प्लान बनाया है तभी वो मुझे जाने के लिए कह रही हैं.
मैं वहाँ से उठा और नीचे जाने लगा की तभी मैने सोनचा की चलो देखा जाए की आख़िर आंटी दीदी के साथ कैसे मज़े लेती हैं, यही सोंच के मैं वापस ऊपेर गया और रूम के बाहर विंडो में से चुप चुप के अंदर का नज़ारा देखने लगा.
आंटी और दीदी अलग अलग सोफे पे बैठे हुए थे, आंटी ने दीदी से बातें करते हुए कहा.
आंटी: बेटा एक प्राब्लम है और सिर्फ़ तू ही मेरी हेल्प कर सकती है.
दीदी: हन आंटी जी बोलिए, मैं आपकी कैसे हेल्प कर सकती हूँ.
आंटी: बेटा मैने कुछ दिन पहले न्यूज़ पेपर में पड़ा था की लॅडीस को ब्रेस्ट कॅन्सर होने के बहुत चान्सस होते हैं.
दीदी: हन आंटी जी बुत उसमें डरने वाली क्या बात है यह तो आप खुद ही चेक कर सती हैं.
आंटी: बेटा तू कह तो सही रही है बुत मुझे ना इन सब बातों से बड़ा दर लगता है, क्या तुझे पता है की कैसे चेक करते हैं ??
दीदी: आंटी जी आपको अपने बूब्स पे यह चेक करना होता है की कहीं इनमें पाईं यो नही हो रहा है या कहीं कोई गाँठ तो नही है.
आंटी: बेटा बॅस इसी बात का तो दर्र है, तेरे अंकल जब मेरे दूध पीते हैं तो कभी कभी इनमें पाईं होता है.
आंटी के मूँह से यह बात सुन के दीदी को एक दम से शॉक लगा, उन्हे उम्मीद ही नही थी की आंटी उनसे इतने ओपन्ली बात सकती हैं, दीदी शर्मा गयी और बोली.
दीदी: आंटी अब मैं इसमें क्या कह सकती हूँ की आपको यह दर्द क्यूँ होता है, ई म नोट आ डॉक्टर.
आंटी: हन बेटा तू कैसे बता सकती है, बुत तुझे इसके बारे में और कुछ भी तो पता होगा ??
दीदी: हन आंटी, अगर आपको इसमें कहीं कोई गाँठ सी लगे और उसे दबाने में अगर पाईं हो तो ज़रूर डॉक्टर को चेक करना चाहिए.
आंटी उठ के दीदी के बगल में जेया के बैठ गयी और बोलीं.
आंटी: बेटा ज़रा तू चेक कर की कहीं मेरे कोई गाँठ तो नही है.
और इतना बोलने के बाद आंटी ने दीदी के सामने ही अपना ब्लाउस खोल दिया, दीदी को समझ ही नही आया की यह अचानक आंटी को हुआकया है ? दीदी शॉक हो गयी, फिर आंटी दीदी से बोली.
आंटी: बेटा ज़रा तू ही चेक कर ले की कहीं मेरे तो कोई गाँठ नही है ??
फिर आंटी ने खुद ही दीदी का हांत अपने बड़े बड़े बॉब्स पे रख दिया और अपने हांतो से दीदी का हांत अपने बूब्स पे दबाने लगी, अभी भी आंटी ने ब्रा पहनी हुई थी, दीदी भी अब ध्यान से आंटी के बूब्स दबा दबा के चेक कर रही थी बुत अभी भी दीदी को यह पता नही चला था की यह सब आंटी की एक चाल है.
फिर दीदी बोली की आंटी जी मुझे लगता है की आपको कोई प्राब्लम नही है.
आंटी: अरी ऐसे नही तू रुक मैं ब्रा भी उतार देती हूँ फिर तुझे सही आइडिया लग जाएगा.
इतना कहते ही आंटी जी दीदी के सामने अपनी ब्रा खोलने लगी, ब्रा के खुलते ही आंटी के दूध खुल के दीदी के सामने आ गये, अब आंटी एक हांत से अपने दूध दीदी के सामने दबाते हुए बोली की ले बेटा अब अच्छे से चेक कर ले, मुझे तो कॅन्सर से बड़ा दर लगता है की भगवान ना करे मुझे कोई प्राब्लम ना हो.
दीदी अब अपने दोनो हांतों से आंटी जी के सॉफ्ट सॉफ्ट दूध को दबा दबा के चेक कर रही थी, शायद ऐसा करने में दीदी को मज़ा भी आ रहा था क्यूंकी मैने नोटीस किया था की बीच बीच में दीदी अपनी आइज़ क्लोज़ कर रही थी.
और यही बात आंटी ने भी नोटीस की थी, बुत फिर 5 मिनिट तक ऐसे ही चेक करने के बाद दीदी बोली की आंटी जी सब ठीक है, आपके कोई गाँठ नही है,.
आंटी: लेकिन बेटा जब तेरे अंकल जी इसे चूस्टे हैं ओ इनमें दर्द क्यूँ होता है ??
दीदी: शायद अंकल जी ज़यादा ज़ोर से चूस्टे हों.
आंटी: देख अब मैं खुद तो चूज़ के तुझे चेक करा नही सकती, अगर तू बुरा ना माने तो एक बार इन्हे चूस सकती है ? क्या पता तेरे अंकल ही इन्हे ठीक से ना चूस्टे हों.
दीदी: यह क्या कह रही हैं आप आंटी जी, मैं ऐसे कैसे कर सकती हूँ.
आंटी: देख बेटा मैं किसी को कुछ नही बताऊंगी और वैसे भी जब तू कल को डॉक्टर बनेगी तो तुझे तो ना जाने किन किन लड़कियों के बूओबस दबाने होंगे और ना जाने क्या क्या करना होगा उनका टेस्ट करने के लिए.
अब आंटी दीदी के सामने ही अपने बूब्स दबा दबा के बातें कर रही थी, कुछ देर सोंछने के बाद दीदी ने कहा की ठीक है आंटी जी बुत आप यह बात किसी को भी नही बताएँगी.
आंटी: प्रॉमिस बेटा, बॅस तू ज़रा चूस के बता दे.
फिर डिड सोफे के नीचे बैठ गयी और आंटी ने अपना एक दूध दीदी के मूँह में दे दिया, अब दीदी ढेरे धीरे आंटी का एक दूध पी रही थी, तभी आंटी ने चालाकी से अपना दूसरा बूब भी दीदी के हांत में दे दिया, दीदी अब मज़े मज़े से आंटी के निपल्स को चूस रही थी और दूसरे हांत से आंटी के निपल को खींच रही थी.
मैं रूम के बाहर खड़ा खड़ा यह सब देख रहा था और अपनी जीन्स से अपने लंड को बाहर निकाल के मस्तेरबातिओं कर रहा था.
दीदी के आँखें बंद थी और वो खूब ज़ोर ज़ोर से आंटी के दूध को पी रही थी, फिर आंटी बोली की बेटा अब ज़रा दूसरा वाला भी पी लो, फिर दीदी ने बिना कुछ कहे ही बड़े ही आराम से आंटी का दूसरा दूध अपने मूँह में ले लिया और अब वो उसे भी खोब ज़ोर ज़ोर से पीने लगी.
आंटी ने भी अपना एक हांत दीदी की टशहिर्त के अंदर डाल दिया, तभी दीदी चौंक गयी और बोली.
दीदी: यह क्या कर रही हैं आप आंटी जी.
आंटी: अरी कुछ नही बस मैं भी चेक कर रही थी की तेरे और मेरे दूध में कितना डिफ़्फरेंसे है, मतलब कितने टाइट हैं अब आंटी ने दीदी की टशहिर्त को उतारने के लिए खींचना शुरू किया तो दीदी माना करने लगी.
दीदी: प्ल्स आंटी ऐसा माटी कीजिए मुझे शरम आती है.
दीदी अभी कुछ और बोल पति की तभी आंटी ने दीदी के मूँह को अपनी तरफ खींच के अपने होंठों से दीदी के होंठों को बंद कर दिया, और अपने दाँतों से.
दीदी के होंठों को काटने लगी, अब दीदी की आँखें बंद थी आंटी दीदी के होंठों को चूस्ते चूस्ते उसकी टशहिर्त उतारने लगी, अब दीदी ने भी कोई ऑब्जेक्षन नही किया.
मेरी अंकोहों के सामने दीदी अब सिर्फ़ ब्रा में थी, उसके बड़े बड़े बूब्स मुझे सॉफ नज़र आ रहे थे, मैने पहली बार अपनी रियल सिस्टर को इस तरह से ब्रा में देखा था, मैं अभी भी बाहर खड़ा हुआ अपना लंड सहला रहा था और आंटी का ग़मे एंजाय कर रहा था.
फिर आंटी ने दीदी को अपनी गोद में झुका लिया और अपने मूँह से उसकी पीठ चाटने लगीं, फिर आंटी ने अपने दाँतों से दीदी की ब्रा की स्ट्रीप खींचने लगीं, और उसे अपने मूँह से गीला कर दिया, फिर दीदी ने बिना कुछ बोले ही आंटी की गोदी में अपने मूँह रखे हुए हुए अपनी ब्रा के हुक्स को खोल दिया, शायद अब यह सब दीदी के बर्दाश्त के बाहर हो रहा था.
आंटी ने दीदी के बाल खींचे और दीदी के गले पे किस करने लगी, आंटी दोनो हांतों से दीदी के दूध को दबा रही तीन और उसके गालों पे किस कर रही थी.
मैं बाहर खड़े खड़े यह सब देख रहा था बुत अब मुझसे यह सब बर्दाश्त नही हो रहा था, मैं बिना कुछ सोनछे समझे अपनी जीन्स में से लौंद बाहर निकले हुए ही रूम में घुस गया.
दीदी मुझे इस हालत में देखते ही चौक गयी फिर उन्हे भी याद आया की वो इस वक़्त ऊपेर से नंगी है, और दोनो हांतो से अपने बड़े बड़े दूध छिपते हुए बोली की तू यहा क्या कर रहा है ??
मेरी आँखों के सामने इस वक़्त मेरी सग़ी बेहन ऊपेर से नंगी थी और साथ में मेरी आंटी भी ऊपेर से नंगी थी, आंटी नाटक करते हुए बोली.
आंटी: राहुल तुहे तो मैने नीचे जाने को बोला था, तू यहाँ क्या कर रहा है ??
मे: आंटी मैं तो यहाँ ऐसे ही आया था लेकिन आप दोनो को इस हालत में देख के मुझसे रहा ना गया.
दीदी: राहुल देख ऐसी कोई बात नही है, मैं तो आंटी का चेक उप कर रही थी.
अब दीदी एक हांत से अपनी टशहिर्त ढूंड रही थी, वो सोंच रही थी की जल्दी से टशहिर्त पहन के वहाँ से चली गये, इधर आंटी मुझे घूर घूर के देख रही थी क्यूंकी मेरे चक्कर में उनका ग़मे गड़बड़ हो गया था.
आंटी: राहुल बेटा, देख अपनी मम्मी को कुछ नही बताना, तेरी दीदी तो ज़रा मेरी हेल्प ही कर रही थी, मैने ही उससे नंगा होने के लिए बोला था.
इधर मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था और जीन्स की ज़िप में से बाहर झाँक रहा था, शायद दीदी ने भी मेरा खड़ा लंड देख लिया था, आंटी अपने दोनो दूध हिलती हुई मेरे पास आई और मुझे अपने सिने से चिपकते हुए बोलीं, की तू प्रॉमिस कर तो मैं तुझे कुछ मज़ा दिलाती हूँ,, और यह बता की तूने अपने यह लंड बाहर क्यूँ निकाला है.
आंटी के मूँह से इस तरह की बातें सुन के दीदी चौंक गयीं और आंटी को देखने लगी.
मे: आंटी मैने लाइफ में पहली बार किसी के दूध देखे हैं इसी लिए.
आंटी: तो क्या मेरा बेटा इसे पिएगा भी या बॅस ऐसे ही देखता रहेगा.
मे: पियोंगा आंटी.
आंटी: लेकिन पहले प्रॉमिस कर की तू यह सब किसी को भी नही बताएगा.
(मैं मान ही मान आंटी की कलाकारी की दाद दे रहा था की कितनी स्टाइल में उन्होने अपना प्लान बचा लिया)
मे: किसी को नही बताऊँगा आंटी प्रॉमिस.
आंटी: तो ठीक है.
फिर आंटी दीदी से बोली की तुम चिंता मत करो राहुल किसी को कुछ नही बताएगा, दीदी वही सोफे पे अपनी टशहिर्त पहन के बैठ गयी, और फिर आंटी भी वहीं दीदी के बगल में बैठ गयी लेकिन आंटी अभी भी ऊपेर से नंगी ही थी.
आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया , मेरा लंड अभी भी जीन्स की ज़िप से बाहर था.
आंटी: चल तू यहाँ आ के मेरे दूध पी ले फिर मैं आंटी के पास गया और उनके दूध को किसी छोटे से बच्चे की तरह पीने लगा, दीदी मुझे आंटी जी का दूध पीते हुए देखती रही, लेकिन उस समय दीदी के फेस पे एक अजीब सी फीलिंग लड़ रही थी, मानो वो मुझसे कह रही हों की आ जेया भाई अपनी बेहन का भी दोध पी ले.
आंटी ने भी मौके का फयडा उठाते हुए दीदी के बूब्स को दबाना शुरू कर किया, अब दीदी के आँखें बंद थी और वो आंटी जी से अपने दूध को दबाने का मज़ा ले रही थी और इधर मैं आंटी जी का दूध पी रहा था.
फिर आंटी उठी और दीदी की टशहिर्त उतार दी और दीदी के बूब्स को अपने हांतों से मसालने लगी, और उनका रिघ्त बूब अपने मूँह में ले के पीने लगी और मैं नीःसे लटकते हुए आंटी जी का दूध पी रहा था,, दीदी की आँखें बंद थी आंटी जी अभी भी दीदी के दूध को मसल मसल के पी रही थी और मैं आंटी जी के दूध का मज़ा ले रहा था.
तभी आंटी जी ने मुझे अपने दूध से हटाया और मेरा सिर दीदी के एक दूध में घोसेद दिया, मेरी तो जैसे लौटरी लग गयी, अब मैं और आंटी जी दोनो ही मिल के दीदी का दूध पी रहे थे, जैसे ही दीदी को फील हुआ की दो लोग उसके निपल चूज़ रहे हैं तो उसने अपने आँखें खोली और देखा की उसका सागा भाई उसका दूध पी रहा है.
दीदी ने मेरा सिर हटाने की कोशिश की तो आंटी ने उसके हांतों को पकड़ लिया और मुझसे बोली.
आंटी: पीए ले बेटा अपनी बेहन का दूध, बहुत टेस्टी है.
मे: हन दीदी पीला दो अपने भाई को अपना दूध.
अब आंटी दीदी के दोनो हांतो को पकड़ी हुई थी और मैं दीदी के दूध पे टूटा हुआ था, उन्हे ज़ोर ज़ोर से पी रहा था, बहुत ही मीठा टेस्ट था दीदी के बूब्स का, उनके निपल्स बहुत ही टेस्टी थे.
पढ़ते रहिए.. क्योकि ये सेक्स स्टोरीस इन हिन्दी अभी जारी रहेगी और मेरी मैल ईद है
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