थोड़ी देर बाद मैंने जोर-जोर से चुत में लंड पेलना चालू किया। आंटी को बहुत मजा आ रहा था और वो भी अपनी गांड उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं।
कुछ देर के मैंने उन्हें अपने ऊपर ले लिया और लंड पर बिठा कर उछलने को कहा। अब मेरा पूरा लंड आंटी की चुत में जा रहा था और आंटी मस्ती से अपनी चूचियों को उछालते हुए अपनी चुदास शांत करवा रही थीं।
थोड़ी देर हम दोनों ने एक साथ अपना पानी निकाला। आंटी मुझ पर ही ढेर हो गईं और मुझे किस करने लगीं।
अभी तक दवाई का असर होने के कारण आंटी अब भी गर्म थीं। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर चोदने के लिए तैयार हो गया।
फिर मैंने आंटी को घोड़ी बनने को बोला.. आंटी तुरंत घोड़ी बन गईं। मैंने उनकी गांड के पीछे से लंड लगाकर उनकी गांड मारने लगा। आंटी की गांड का होल बहुत छोटा था.. इसलिए उन्हें बहुत गांड मराने में बहुत दर्द हो रहा था.. पर वो वियाग्रा के असर के चलते बड़े मजे से चुदवा रही थीं।
थोड़ी देर में मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.. पर में जानता था कि आंटी अभी भी प्यासी हैं, मैं आंटी की चुत में तीन उंगली डाल कर जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में आंटी बहुत जोर से चिल्लाने लगीं ‘आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह.. मेरे राजा.. मजा आ गया..’
थोड़ी ही देर में आंटी अपना पूरा पानी चुत में से बाहर निकालने लगीं, अब जाकर आंटी शांत हुई थीं।
हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में लेट गए। थोड़ी देर बाद मैंने जाकर लाईट का स्विच चालू कर दिया और फिर नहाकर सो गया।
सुबह उठा तो देखा कि आंटी बैठ कर रो रही थीं।
मैंने आंटी से पूछा- क्या हुआ?
बोलीं- रात को हम दोनों ने जो किया, वो सब गलत था। मैंने अपने पति को धोखा दिया।
मैंने आंटी को बांहों में भर कर कहा- आप अपनी प्यास बुझाओ, तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है। आप बेफिक्र रहिये आपके पति को इसके बारे में कुछ पता नहीं चलेगा।
थोड़ी देर नाटक करने के बाद वो मान गईं और मैंने उन्हें पटा कर दिन के उजाले में ही उनको चोदने लगा। अब आंटी मुझसे पट गई थीं। मैं दो साल तक आंटी को अपनी गर्लफ्रेंड बना कर चोदता रहा।
दोस्तो, आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे लिखना मत भूलना।