आंटी और जवान लड़के ने एक-दुसरे का रस पिया

ही फ्रेंड्स मैं विवेक फिर हाज़िर हु छूटो के रस में सराबोर अपनी कहानी के अगले पार्ट के साथ. पिछले पार्ट में बात उसके ज़बरदस्ती छूट चटवा कर मज़े लेने तक पहुंची थी.

फिर वो मेरे मुँह पर से उतर कर साइड में बैठ गयी और मेरी जीन्स का बटन खोलने लगी. मैं उसका हाथ पकड़ लिया तो हाथ झटक कर बोली-

उमा: अभी आग बुझी नहीं है मेरी.

इससे मैं थोड़ा सा सेहम गया और उसको जो करना था करने दिया. उसने मेरी जीन्स निकाल कर नीचे कोने में फेंक दी. फिर उसने चड्डी भी निकाल कर फेंक दी और मेरे मुरझाये हुए लोडे को देख कर हसने लगी.

फिर वो बीएड पर ही कड़ी हुई और अपनी साड़ी और पेटीकोट भी निकाल कर कोने में फेंक दिए.

हम दोनों के बदन पसीने से पूरी तरह भीगे हुए थे. फिर वो सीधा मेरे ऊपर लेट गयी. मैंने उसको रोकने की कोशिश की तो वो ज़बरदस्ती मेरे हाथ खोल कर अपना गीला जिस्म मेरे बदन पे रगड़ने लगी.

फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मुझे नैक पे चाटना शुरू किया. पर मुझे वो भी ाचा नहीं लग रहा था. थोड़ी देर में वो मेरे होंठो तक पहुँच गयी और उनको चूसना शुरू कर दिया.

मेरे साथ न देने का उसको कोई फरक नहीं पड़ा और फिर वो वापस अपनी जीभ मेरे मुँह में ठूसने लगी. मैंने बहुत कोशिश की की वो रुक जाये. लेकिन उसने जीभ पर इतना ज़ोर लगा के डाला था मेरे मुँह में की मैं कुछ नहीं कर पाया.

अब वो फिरसे अपनी टंग से मेरा मुँह छोड़ने लगी.शुरू में थोड़ा नार्मल थी फिर अचानक से मेरा सर पकड़ कर फिरसे अपने मुँह में लगा लिया. उसके बाद उसने सीधा जीभ वापस गले में उतार दी.

इस बार मुझे उलटी हुई तो उसकी छूट का ही रस निकल आया वापस मेरे मुँह से बाहर और उसके मुँह में जाने लगा. पर उसको इसका कोई फरक नहीं था. फिर भी वो जीभ मेरे मुँह में ही ठूस रही थी. लगभग एक-डेढ़ मिनट के बाद उलटी आना बंद हो गया पर उलटी जैसा लगता रहा.

वो लगातार मेरे मुँह में अपनी जीभ डाले अपना बदन रगड़ती रही मेरे बदन पे.अब १० मिनट से ज़्यादा हो चले थे. और उसकी जुबां अभी तक मेरे हलक़ में थी. पर अब उलटी की सेंसेशन बंद हो गयी थी.

मैं थोड़ी-थोड़ी करके उसके रस की साड़ी उलटी वापस पी गया था और अब मुँह उसकी थूक से भरा हुआ था जो लगातार मेरे मुँह में छु रही थी. थूक रिस-रिस कर बाहर भी बह रही थी.

उसका बदन अब और पसीना आ जाने की वजह से और ैसिलय फिसल रहा था मेरे ऊपर. मुझे अब ये नार्मल लग रहा था जैसे इसके अलावा और कोई सिचुएशन मुझे पता ही नहीं थी.

थोड़ी देर बाद मेरे दिल में एक ख़याल आया. वो ख़याल था की जब मुझे उसकी जीभ गले तक लेने में नार्मल लग रही थी तो क्यों नहीं मैं काम से काम मज़े ही उठा लेता सिचुएशन के. फिर मैंने एक लम्बी सांस ली और आँखें बंद करके रिलैक्स करने लगा.

मैंने शांत होने के बाद सांस ली तो फिरसे उसके बदन की महक आयी और इतनी देर से पसीना बहने की वजह से बहुत तेज़ आ रही थी. और अब मुझे वो फिरसे थोड़ी-थोड़ी अछि लगने लगी थी.

उसका बदन अब भी वो मेरे बदन पे रगड़ रही थी. मैंने नोटिस किया की उसके बूब्स के ऊपर उसका वेट आ रहा था और वो पिचक कर मेरी छाती से रगड़ रहे थे. मुझे ये भी ाचा लग रहा था थोड़ा-थोड़ा.

फिर मैं एक सांस में उसका सारा थूक जो मेरे मुँह में था वो पी गया और उसको मैंने पकड़ लिया. फिर मैं उसकी बैक पर अपने दोनों हाथ फिरने लगा. पसीना उसके दोनों तरफ से मेरे हाथो से हो-हो के गिरने लगा.

उसके मुँह से जो थूक टपक रहा था वो अब मेरा मुँह खली होने की वजह से मेरे मुँह के अंदर तप-तप महसूस हो रहा था. और इसका मुझे मज़ा आ रहा था. मैं उसकी लार मेरे मुँह में टपकते ही पी जा रहा था.

मुझे अब मज़ा आने लगा था. मैंने उसको कस के पकड़ कर उसकी जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया. वो भी साथ में और अंदर दाल देती थी जीभ मेरे चूसते टाइम और जुबां सीधा गले के पार हो जाती थी.

मुझे न-जाने क्यों इसमें भी अब मज़ा आ रहा था. और जितनी बार भी मैं उसकी जीभ खींचता था उसके मुँह में से थूक की एक धार सीधा मेरे मुँह में आ जाती थी. वो धार सीढ़ी खुद गले तक चली जाती थी.

क्या स्वाद था उसकी थूक में. मैंने काफी देर तक उसके साथ ये किया. अब मेरा लुंड फिरसे सलामी दे रहा था उसको और मैं पूरे जोश में था उसको छोड़ने के लिए.

मैंने अब उसकी जीभ चूसना बंद किया तो उसने बाहर निकाल कर पुछा-

उमा: मज़ा आने लगा तुझे तो.

फिर उसने एक-दम से पलट कर मेरा लुंड पकड़ लिया और अपनी छूट को मेरे मुँह पर रख दिया. उसकी छूट इतनी गीली थी की क्या बताऊ. मैंने उसकी गांड पकड़ कर उसकी छूट को अपने मुँह के और अंदर घुसेड़ दिया और ज़ोर-ज़ोर से चाटने लगा.

मैं दूसरी बार छूट चाट रहा था लाइफ में. और मुझे पहली बार मज़ा आ रहा था चाटने का. उसकी छूट की गंध ऐसा नशा कर रही थी की मेरे से रुका ही नहीं जा रहा था. मैं और छूट छाते ही जा रहा था पर अचानक से रुक गया.

अभी तक वो मेरे ऊपर लेट कर मेरा लुंड सेहला रही थी पर अचानक से मुझे लुंड के ऊपर एक गृप फील हुई और फिर बहुत ज़ोर से चूसना. एक ही पल में मज़ा आ गया और मैं एक ही बार चूसने से उसके मुँह में झाड़ गया.

उसने मेरा सारा पानी पी लिया लुंड मुँह में से बाहर निकाले बिना और लुंड चूसती रही. मेरा फर्स्ट सेक्स ओर्गास्म तो जैसे रुकने के मूड में ही नहीं था. बेहद मज़ा आ रहा था. इतने में उसने अपनी छूट वापस मेरे मुँह पर मारनी शुरू कर दी चाटने का इशारा करते हुए.

मैंने राइट हाथ से उसकी गांड पर एक ज़ोर का चांटा लगाया तो पसीना चाप करके मेरे मुँह पे गिरा आके. उसके मुँह से आह निकल गयी. मुझे नहीं पता था की मुझे इस चीज़ का भी इतना मज़ा आ सकता था. मेरा लुंड और फूल गया था उसके मुँह में.

आज तक इतना ज़्यादा मेरा लुंड कभी खड़ा नहीं हुआ था. इससे तो मानो मेरे अंदर बिजली सी दौड़ गयी थी. मैंने उसकी गांड को कस के पकड़ा और सारा ज़ोर लगा कर अपना मुँह उसकी छूट में देकर चाटने लगा.

उसकी छूट मेरे मुँह में इस बार पहले से भी ज़्यादा अंदर तक गयी और मैंने पूरी जान से जीभ उसकी छूट के सुराख़ में ठूस दी. फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से जीभ हिलने लगा अंदर ही. उसकी छूट से अब रस की धार बंधी हुई थी मेरे मुँह में. और मुझे इतना मज़ा आ रहा था उसको पीने में.

मेरा लुंड अब उसके मुँह में फिरसे पानी छोड़ने के लिए तैयार था. मैं पानी छोड़ने ही वाला था की मेरे मुँह में उसका पानी छूट पड़ा फिरसे. इस बार मैंने एक भी बूँद बर्बाद नहीं होने दी और गटागट पी गया रस.

इससे तो मेरे अंदर इतना जोश आ गया अचानक से की मेरा लांच और भी बढ़ा और झाड़ गया मैं उसके मुँह में. उसने तो एक-एक बूँद साफ़ कर दी मेरी.

फिर मैंने उसको पलटने के लिए ज़ोर लगाया तो वो मुझे कस के पकड़ कर घूम गयी. मैं अब ऊपर आ गया था. और ऐसा करने में ना तो उसने मेरा लुंड अपने मुँह से निकला और ना ही अपनी छूट मेरे मुँह से निकली.

इसके आगे की कहानी अगले भाग में. वैसे तो ये मेरी लाइफ की रियल स्टोरी है. तो रिव्यु से फरक नहीं पड़ता है. पर फिर भी किसी को इंटरेस्ट हो अगर बात करने में तो मेरी मेल ईद है:

कब तक अकेले पछताओगे जाओ किसी से जेक प्यास बुझाओ. खूब सेक्स करो नहीं तो जवानी निकल गयी फिर क्या.

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