अन्तर्वासना का तोहफा- फिर से मिली कुंवारी चूत-1

फिर एक दिन मैंने उसको बताया कि मेरे भाई की शादी है।
तो वो कहने लगी- मुझे नहीं बुलाओगे क्या शादी में?

तो मैंने उससे उसका अड्रेस पूछा और उसको शादी का कार्ड कूरियर कर दिया। उसने आने का रास्ता पूछा तो मैंने उसकी टिकट कन्फर्म करके उसको मेल कर दी और फ़ोन करके उसको सब कुछ समझा दिया।
निर्धारित दिन वो निकल पड़ी मेरे भाई की शादी में आने के लिए… मैं उसको स्टेशन रिसीव करने के लिए गया और वहाँ उसका इंतज़ार करने लगा।
दिमाग में बस यही बात घूम रही थी कि वो देखने में कैसी होगी? मैं उसको पहचानूँगा कैसे?

वो आई मेरे घर

बस बैठा यही सोच रहा था कि एक सुंदर सी हसीं लड़की मेरे पास आई, जिसकी हाइट करीब 5 फुट 3 इंच होगी और जिंस टॉप में क्या कमाल लग रही थी, गुलाबी होंठ, सुन्दर नशीली आँखें, जो देखे, उनमें डूब जाए… एकदम मस्त फिगर… कुल मिलाकर किसी अप्सरा से कम नहीं थी।

दिल किया कि यही एक टाइट हग कर लूं और इसके गुलाबी होंठों को चूस चूस कर लाल कर दूँ।
पर पब्लिक पैलेस को ध्यान में रखकर मैंने उससे हाथ मिलाया। मैंने पूछा की मुझे पहचाना कैसे तो बोली- मेरी gmail की प्रोफाइल पिक देखी थी, बस उसी से पहचान लिया।

मैंने उसको गाड़ी में बिठाया और घर ले आया, अपनी फैमिली से मिलवाकर मैंने उसको सिस्टर के रूम में ठहरा दिया।
उसको आराम करने की कहकर मैं अपना शादी के काम करने में बिजी हो गया।

मैं घर के बाहर फूल मालाएं लगाने में बिजी था और वो मुझे छत से देखकर मुस्कुरा रही थी।
गर्मी होने के कारण मैं पसीने में भीगा हुआ था कि अचानक वो मेरे पास आई।
मैंने देखा तो उसके हाथ में पानी का गिलास था, उसने पानी पीने के लिए कहा।

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मैंने कहा कि उसने क्यों तकलीफ की, तो बोली- दोस्त हूँ और दोस्ती में तकलीफ कैसी?
मैं पानी पीने लगा और वो अंदर चली गई।

कुछ देर बाद मैं अंदर गया तो देखा वो मेरी बहन के साथ काम करवा रही थी। मैंने उसको देखकर स्माइल पास की और अपने कमरे में चला गया।

कुछ देर बाद वो मुझे बुलाने के बहाने अंदर आई।
मैं बिस्तर पर लेट गया था और नींद आ गई थी।
आकर उसने मुझे जगाने के लिए जैसे ही छुआ, मेरे पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।
मेरे उठने पर कहने लगी कि मेरी माँ बुला रही है।

पहला स्पर्श

जब कहकर वो जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और रुकने को कहा।
वो मेरे पास आकर बैठ गई।
मैं उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगा और उसने शर्माकर आँखें नीचे कर ली।

उसकी इसी अदा पर मैं कायल हो गया और उसको हग करने को पूछा। उसने हाँ कर दी और कहते ही मैंने उसको बाँहों में भर लिया।
बाँहो में आते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे कि ट्रांसफार्मर को पकड़ लिया हो।
उसके शरीर का स्पर्श पाते ही लण्ड अपनी औकात पर आ गया तो पैंट को अपना तंबू बना लिया।

जैसे ही मैंने उसको लिप किस करना चाहा, वो मेरे गाल पर चुम्बन करके भाग गई और जाते हुए इशारे में कहा कि ‘सब्र करो, जल्दी ही मिलूँगी मैं…’
और फ्लाइंग किस देते हुए कमरे से बाहर निकल गई।

उसके जाने के बाद मैं उसके ख्यालों में डूब गया और उसको चोदने के सपने देखने लगा, उसके गुलाबी होंठ, जैसे गुलाब की पंखुड़ियाँ हों! उसकी मोरनी जैसे पतली सी गर्दन, उसके मौसमी जैसे चूचों के बारे में सोचते ही मुँह से पानी आने लगा और कुंवारी चूत का दिमाग में आते ही लण्ड महाराज सलामी देने लगा।

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