अनजानी दोस्ती से गांड चुदाई तक

अब वो सीधा होकर पीठ के बल लेट गया और अपनी टांग मेरे मुंह के सामने उठा ली जिससे मेरा लंड उसकी गांड के छेद पर पहुंच गया।

मैंने भी तुरंत लंड अंदर पेल दिया और फिर से उसकी चुदाई शुरु कर दी।

मैं उसकी टांगों को दोनों हाथों से ऊपर उठाए हुए मजे से उसकी गांड को चोद रहा था, इस पेलम पेल में बडा़ मजा आ रहा था, उसकी गर्म गांड में जब लंड अंदर जा रहा था तो मन करता था उसको बुरी तरह चोद दूं।

इसकी गर्मजोशी के साथ मैंने 6-7 मिनट तक उसको खूब चोदा और फिर अपना वीर्य उसकी गांड में निकालने लगा।
क्या मजा था वो जब उसकी गांड के अंदर मैं लंड पिचकारी मार रहा था।

उस रात मैंने उसे दो बार चोदा।

मैंने उससे अगले दिन पूछा कि जो रात को हुआ वो तुम्हें अच्छा लगा?
तो वो बोला- हाँ, मैं तो पहले दिन से तुम पर फिदा था, लेकिन अब जाकर वो खुशी मिली है जिसकी तलाश मुझे इतने दिन से थी।

यह सुनकर मैं हंस पड़ा, मैंने कहा- अगर ऐसी बात थी तो पहले ही बता देते, मैं तो पहले ही चोद देता तुम्हें!
वो बोला- मुझे डर लगता था कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ और मुझे अपने घर आने से मना कर दो..

मैं फिर हंस पड़ा और वो भी.. अब हमारी दोस्ती थोड़ी बदल गई थी, अब तो जब भी वो रात को घर रुकता, मैं हर बार उसकी चुदाई करता, और वो भी खूब मजे लेता मेरे लंड के साथ..

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हम दोनों ही एक दूसरे के साथ को मज़े कर रहे थे, लेकिन एक दिन मैंने जब उसको फोन करना चाहा तो उसका फोन बंद आ रहा था।
मैंने अगले दिन किया तब भी बंद आ रहा था, मैंने सोचा कहीं फोन खराब हो गया होगा, इसलिए बंद है।

लेकिन उसके बाद तो मैं वो नंबर जब भी लगाता वो हमेशा बंद ही सुनाई देता।
3-4 महीने बीत गए उसका नंबर कभी नहीं मिला और ना ही उसका कोई फोन आया..
पता नहीं ऐसी क्या बात हो गई जो वो एकदम से ही मुझसे अलग हो गया।

अब 2 साल हो चुके हैं लेकिन उसका कोई अता पता नहीं है… मैं उसे आज भी बहुत मिस करता हूँ.. काश वो फिर से आ जाए, बस यही सोचता रहता हूँ।

लेकिन मैं यह भी सोचता हूँ कि यह क्या चीज है जो मुझे उसकी तरफ खींच रही थी, क्या मैं उस पर निर्भर हो गया था, मुझे उसकी गांड मारने में इतना मजा क्यों आता था, उसका साथ होना पसंद आता था, मैं यह चीज आज तक नहीं समझ पाया…

आज भी उसकी बहुत याद आती है, वो मुझे मूवी के लिए ले जाता था, हंसता था, बातें करता था, मेरे जन्मदिन पर गिफ्ट भी लाता था, उसके साथ काफी अच्छा वक्त बिताया मैंने..

पता नहीं अब ऐसा कोई मिलेगा या नहीं!

यह कहानी मैंने इसलिये लिखी कि शायद मुझे अपने सवालों के जवाब यहाँ पर मिल जाएँ!
मुझे आपके मेल का इतजार रहेगा, रक्षित की तरह..

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