अनजानी दोस्ती से गांड चुदाई तक

‘ठीक है कोई बात नहीं, पास होने लायक तो कर आए होगे?’
‘पता नहीं, वो तो परिणाम ही बताएगा!’
‘कोई बात नहीं हो जाएगा।’
‘हाँ देखते हैं!’

हम ऐसे ही बातें करते हुए गेट के बाहर आ गए, मैंने कहा- ठीक है चलता हूँ!
वो बोला- कहाँ जाओगे आप?
‘दिल्ली..’
‘मैं भी दिल्ली ही जाऊँगा, क्या आप मुझे आनंद विहार तक छोड़ सकते हैं?’
मैंने कहा- ठीक है, आ जाओ!

हम चल पड़े, उसका नाम रक्षित बताया उसने.. रास्ते में चलते हुए उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर रखे हुए थे और जब बाइक के ब्रेक्स लगते थे तो वो मेरी पीठ से बिल्कुल सट जाता था और अपनी बाहों में भर लेता था।
मुझे भी इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि ब्रेक्स लगने पर अक्सर ऐसा हो जाता है।

हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में पूछा, घर के बारे में पूछा और ऐसे ही बातें करते हुए आनंद विहार आ गया, उसने कहा- यहीं उतार दीजिए मुझे, यहाँ से मैट्रो ट्रेन से चला जाऊँगा।
मैंने कहा- ठीक है।

हमने एक दूसरे फोन नम्बर लिए और बाय-बाय कहकर अपने अपने रास्ते चले गए।

दोस्ती हुई और वो मेरे घर आने लगा
दो महीने बाद एग्जाम का रिजल्ट आया और उसी दिन शाम को उसी लड़के का फोन आया, वो बोला- अजय यार, मैं तो पास नहीं हो पाया उस एग्जाम में!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगले साल फिर से एग्जाम दे देना!

‘वो सब तो ठीक है लेकिन तैयारी कैसे करूँगा? क्या आप मेरी हेल्प कर सकते हो?’

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मैंने थोड़ा सोचा और कहा- ठीक है… लेकिन अगर तुम मेरे घर आ सको तो ज्यादा ठीक रहेगा, क्योंकि मेरे पास इतना समय नहीं होता कि मैं किसी और जगह जाकर तुम्हें पढ़ाऊँ!
‘ठीक है मैं आ जाऊँगा, कोई दिक्कत नहीं है मुझे आने में… मैं सोमवार से तुम्हारे वहाँ आ जाया करुँगा।
‘ठीक है!’ कहकर मैंने फोन काट दिया।

सोमवार को शाम के 7 बजे वो मेरे घर आ गया, मैं भी जल्दी ही फ्री होकर उसे पढ़ाने लगा।

ऐसे ही हम दोनों आपस में घुल-मिलने लगे और अच्छे दोस्त बन गए, कभी-कभी जब पढ़ाते हुए रात को देर हो जाती तो वो मेरे घर पर ही सो जाया करता था।

समलैंगिक मैथुन
ऐसी ही एक रात की बात है, हम पढ़ाई खत्म करके सोने की तैयारी कर रहे थे, गर्मियों का वक्त था, रक्षित बोला- अजय, आज गर्मी बहुत है और ये जींस इतनी टाइट है कि मुझे इसमें नींद ही नहीं आएगी।
‘हाँ यार, मुझे भी बहुत गर्मी लग रही है।’

वो बोला- यार, मुझसे तो नहीं सोया जाएगा इस जींस में!
‘कोई बात नहीं, तुम जींस निकाल दो, हम दोनों ही तो यहाँ पर हैं, और कौन है! सिर्फ अंडरवियर में भी सो सकते हैं..’

‘नहीं यार, मुझे ऐसे सही नहीं लगता, किसी के सामने!’
‘कोई बात नहीं, आज लाइट बंद करके सो जाएंगे। फिर तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ना?’
‘नहीं फिर तो नहीं होगी!’
कहकर मैंने लाइट बंद कर दी और हम लेट गए।

कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई और उसे भी..
रात को नींद में अक्सर हमारे हाथ पैर एक दूसरे को लग जाया करते थे, लेकिन दोनों में से किसी को इस बात से कोई ऐतराज नहीं था।

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लेकिन आज रात जब मेरी आंख खुली तो मैंने पाया कि रक्षित के चूतड़ मेरी जांघों के बीच में लग रहे थे, उसके घुटने कुछ इस तरह से मुड़े हुए थे उसकी गांड सीधा मेरे लंड पर टच हो रही थी।

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