अनजान आंटी की चूत चुदाई बस में

मैंने उन्हें सामान्य करने के लिए बातें करना शुरू कर दीं, इसके साथ ही उनके ब्लाउज के ऊपर से धीरे धीरे उनके दूध मसलने लगा।
कुछ देर बाद जब वो थोड़ी कंफर्टबल फील करने लगीं.. तो मैं भी उनके शरीर को और अधिक मसलने लगा।
मैं अपना हाथ उनके चिकने पेट पर ले गया.. क्या चिकनी त्वचा थी उनकी।

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं उनके चेहरे पर किस करने लगा, पहले मैंने गालों को चूमा.. फिर आँखें चूमी.. इसके बाद उनका माथा चूमा और अंत में उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में भर लिया।
उनकी तरफ से भी मेरे होंठों को चूसा जाने लगा।
मुझे आज भी उनके होंठों का वो टेस्ट याद है।

शुरू में वो थोड़ी हिचक रही थीं.. लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगीं। अब मेरी ज़ुबान उनके मुँह में थी और उनकी रसना का रस चख रही थी। हम दोनों करीब 20 मिनट तक स्मूच करते रहे।

फिर मैं उनकी गर्दन चूमने लगा और फिर मैंने उनका ब्लाउज हटा दिया। मुझे तो मानो जन्नत के दीदार हो गए। पर्पल रंग की लेस वाली ब्रा में उनकी चूचियां कमाल लग रही थीं। मैं ब्रा के ऊपर से ही मम्मों को लिक करने लगा, मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत की तरफ बढ़ने लगा।

अब वो धीरे-धीरे सीत्कार कर रही थीं। उनकी कामुक सिसकारी सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया।

हम लोग बस में थे और ज़्यादा देर तक रिस्क नहीं ले सकते थे.. तो मैंने जल्दी से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और पेटीकोट भी ढीला कर दिया। अब वो सिर्फ़ पेंटी में थीं.. जो कि चूत रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
मैंने भी अपनी पैंट नीचे सरका दी और सिर्फ़ अपनी जॉकी में रह गया। मेरा लंड मेरी चड्डी में जो टेंट बना चुका था।

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अब एक बार फिर से मैं उनका दूध पीने में लग गया। उनकी सीत्कारें अब और थोड़ी तेज़ हो गई थीं। मैंने सोचा कि कहीं कोई सुन ना ले.. तो मैंने अपनी उंगली उनके मुँह में डाल दी। वो उसे चूसने लगीं और मैं उनके दूध पीने में लग गया।

अब मैं धीरे-धीरे नीचे उनकी जन्नत की तरफ बढ़ रहा था। उनकी चूत की मादक महक मुझे पागल कर रही थी।

मैं झुक कर उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत चाटने लगा। गीली पैंटी से चूत के रस का मजा मिल रहा था.. क्या मस्त स्वाद था।

मुझे तो अब भी उनकी चूत चाटने में बहुत मजा आता है।

फिर थोड़ी देर बाद उनकी चूत चाटने के मैंने जरा सा सीधे हो कर अपनी चड्डी एक पैर से निकाल दी और अपना लंड उनके हाथों में दे दिया। वो उसे प्यार से मसल रही थीं। ऐसा लग रहा था कि वो लंड बहुत दिनों बाद देख रही हों।

मैंने उनको कुछ इस तरह बैठने को कहा जिससे एक दूसरे को मजा दे सकें। कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे के गुप्तांगों को मजा देने लगे।
थोड़ी देर की रगड़ाई और चुसाई में हम दोनों झड़ गए।

मैंने उनकी चूत का पूरा रस उंगलियों से चाट लिया। वो भी मेरा पूरा अपने हाथ चाट कर साफ़ कर गईं और उसे फिर से लंड के ऊपर झुक कर लंड चाटने लगीं।

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो बोलीं- अब इसे किसी तरह मेरी चूत में डाल दो।
मैंने उनको अपनी गोद में बिठा लिया और अपना लंड उनकी चूत में लगा कर एक जोरदार ठाप लगा दी।
उनके मुँह से एक चीख निकलने को हुई तो मैंने जल्दी से अपना हाथ उनके मुँह पर रख दिया, ताकि कोई आवाज़ ना निकले। फिर 2-3 धक्कों में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में अन्दर घुस गया।

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अब हमारी चुदाई शुरू हो गई। मैं बीच-बीच में उनके मम्मों को भी मसल रहा था। करीब दस मिनट बाद हम दोनों ने अपनी पोज़िशन चेंज कर ली और अब मैंने उन्हें आगे की सीट के सहारे से घोड़ी सा बना दिया था। हम लोग फिर से चुदाई करने लगे। जब मैं झड़ने वाला था तो फिर से मैंने उन्हें फिर से नीचे अपनी गोद में कर लिया और दो-तीन तेज़ धक्के मारते हुए उनकी चूत के अन्दर ही झड़ गया।
हम दोनों पसीने से भीग गए थे।

फिर थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे, वो बोलीं- आज बहुत दिनों बाद मुझे मजा आया।
मैं भी बोल पड़ा- यहाँ टाइम और जगह की दिक्कत थी.. वरना मजा तो बहुत आ सकता था।
अब मैं उनके दूध से खेलने लगा।

फिर मैंने घड़ी देखी.. उसमें 4 बज रहे थे। हम लोगों ने खुद को सही किया, मैंने अपने कपड़े ठीक से पहने और उन्होंने भी अपने कपड़े ठीक किए।

लेकिन मैंने यादगार के लिए उनसे उनकी ब्रा और पेंटी माँग ली.. उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे दे दीं। मैं उनके सामने ही ब्रा पेंटी को लिक करने लगा।
यह देखकर उनकी सीत्कार निकल गई, वो बोलीं- जब असली माल सामने है तो ये क्यों?
मैं समझ गया और उनको फिर से किस करने लगा।

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