[कहानी शुरू केरने से पहले एक बार फिर बता डू, यहा से आयेज भदने से पहले प्लीज़ पिछला पार्ट ज़रूर पढ़ ले ताकि आपका कहानी के साथ संपर्क बना रहे….]
एलिया ने जब अपनी आँखे खोली तब उसके सामने आते जाते लोग उससे अजीब नज़रो से देख रहे थे. और उन सभी को देख कर एलिया को अजीब लग रहा था की एलिया कहा पहुच गयी है. साथ ही उसके मॅन मेी भी ये ख़याल आने लगा कही यूयेसेस भूदे ने उसका चूतिया तो नही काट दिया. लेकिन फिर भी तोड़ा हिम्मत रख कर एलिया आयेज बड़ाती और अपने आस पास देखने के लिए नज़रे घुमंने लगती है.
(एक छ्होटे बच्चे को रोक कर उससे पूछती है)
एलिया – ये कोंसि जगह है?
बच्चा – आंटी ये खिनू बेज़ार है.
एलिया – अच्छा ज़रा बताओगे ये साल है?
बच्चा आयेज कुछ बोलता वो वाहा से चला गया लेकिन उसका जवाब नही मिला और उसकी तलाश मेी और आयेज बदती है.
जगह उससे एक फकीर मिलता है. उससे पूछती है और फकीर का जवाब सुनकर एलिया को चक्कर आ जाता है. (असल मेी एलिया जिस साल की समाए की छलाँग लगाई थी वो बहुत लंबी थी.) लेकिन उससे ये बिल्कुल समाज नही आ रहा था की यूयेसेस भूड्धे ने उससे यहा क्यू बेजा और किस कारण, मक़सद से.
तभी उससे याद आता है की उसने अपने भाई से मिलने की फर्याद करी थी. जिसके बाद वो यहा आ गयी. उससे भी बड़ा सवाल आख़िर अली यहा केरने क्या आया है और कहा ढूंदे वो अली को. ये सब सोच सोच के एलिया बेशो हो जाती है.
जब एलिया की आँखे खुलती है तो उसके आँखो के सामने के औरत बैठी हुए होती है. जिससे देख कर एलिया को तोड़ा हेरानी होती और उठी हुए बोलती है-
एलिया – आंटी मे यहा कैसे आई?
आंटी – बेटी तुम बीच रोड पे बेहोश थी जेसे तुम यहा घूम सी हो गयी हो इसलिए मैं तुम्हे यहा ले आई.
एलिया – आंटी वेसए ये कोंसि जगह है?
आंटी – बेटा ये अननीयबाद है, वेसए तुम यहा कैसे?
अननीयबाद नाम सुनकर एलिया को को बहोट हेरानी और अजीब सा लगता है और उसके मॅन मे एक सवाल घूम रहा होता है की “क्या वो सच मेी समय मे पीछे आ गयी है या ये सब वो भूड्डा मज़ाक कर रहा है”.
लेकिन जब वो खड़ी होकके चारो तरफ नज़र घूमती है तो उससे यकीन हो जाता है की वो टाइम मे पीछे आ गयी है. क्यू वो समय मे पीछे क्यू आई है क्या अली भी समय मे पीछे आया है लेकिन क्यू?
(ये सारे सवाल एलिया के सर मे दर्द करे जा रहे थे लेकिन तभी आंटी बोलती है.)
आंटी – बेटी वेसए तुम्हारा नाम क्या है?
(एलिया मॅन ही मॅन सोचने लगती है. “अगर मुझे अपने सवालो के जवाब जाने है तो मुझे यहा रहना होगा.” यही सोच कर एलिया सच बोलने की जगह झूट बोल देती है.)
एलिया – आंटी मेरा नाम मुझे कुछ नही पता.
आंटी को भी उसकी हालत देख कर उसपे दया आ जाती है और उसको अपने पास ही रहने की इज़ाज़त दे देती है. और साथ ही साथ आंटी उसको नया नाम भी दे देती है “रज़िया.”उसके बाद से एलिया अफ रज़िया आंटी के पास ही रहती खन्ना वाना बनती और घर का काम वाँ केरती है.
लेकिन क्या इससे उसको (एलिया) को कुछ फायेदा होगा या नही ये तो न्ही पता बस एलिया को अभी रहने के लिए एक घर और 2 वक़्त की रोटी का इंतेज़ाम केरना था जो एलिया ने कर ही लिया, लेकिन अब क्या.?
4-5 दिन वाहा रहने के बाद एलिया को उसके भाई अली के बारे मे कुछ पता तो नही चला. लेकिन उससे आंटी के बारे मेी भोथ सी बाते पता लग गयी थी”. जैसे की आंटी अपने जवानी मेी क्या क्या करती थी.”
उहही एक रात को आंटी अपने कमरे मेी अपनी सलवार मे आधी उतार के अपनी छूट सहला रही थी. और जब ये सब एलिया ने देखा तो उसकी छूट की कही डिंनो की प्यसस जाग उठी.
और उनके सामने खड़ी होके वो भी अपने बूब्स को डाबा डाबा कर आहीे भरने लगी. साथ ही अपने होंटो को दातो मे डब्बा कर अपनी आवाज़ को बाहर आने से रोकने लगी.
लेकिन आंटी की अपनी छूट सहलाई देख कर एलिया से रहा ही नही गया और अपनी कामुक आवाज़े बधाई. जिससे सुनकर आंटी को होश आया लेकिन तब तक आंटी और एलिया की नज़र एक दूसरे से मिल चुक्की थी. और दोनो लगभग एक ही हालत और डोर से गुज़र रहे थे.
(इसलिए दोनो ने ज़्यादा देर ना करते हुए एक दूसरे के करीब आ गये.)
[तो बे कंटिन्यूड…]
उमीद है इश्स पार्ट को पहले पार्ट की तरह ही प्यार मिलेगा, और साथ बनने रहये इस नये के नये एपिसोड के साथ भी. और ये बताना भी मत भूलना की ये एपिसोड आपको केसा लगा कॉमेंट के ज़रिए या फिर एमाइल के ज़रिए.