तिन कुंवारी सहेलियां और मेरा लंड

मैं, सीमा, तृप्ति और अंजलि सभी एक ही काम्प्लेक्स में पिछले 5 साल से रह रहे हे. और हमारे एरिया में और ऐसी लडकियाँ हे भी नहीं. मेरी नजरें खराब ही थी उन्के ऊपर. लेकिन चांस मिला नहीं कभी और नॉन-सेक्सुअल दोस्ती वाला रिश्ता ही था हमारे बिच में. वैसे मैंने ऐसा कभी किया नहीं था लेकिन मेरे दोस्तों को लगता था की मैं उन तीनो को चोद रहा था. और मैंने भी इस जूठ को चला के रखा था. और साला स्कुल में जैसे मेरी इमेज लव गुरु की बनी हुई थी.

सीमा, अंजलि और तृप्ति तीनो ही 18 साल की थी उस वक्त और एक ही स्कुल में पढ़ती थी. सीमा सब से लम्बी थी, और उसका फिगर 36-25-38 का था. वो थोड़ी डार्क थी. कंधो तक बाल आते थे उसके और दिखने में और बातचीत में एकदम डायनेमिक पर्सनालिटी थी उसकी.

तृप्ति उस से थोड़ी कम हाईट की और उसका फिगर 38-26-36 था. वो मीडियम टोन वाली स्किन की, छोटे बालोंवाली और बड़ी छातियों वाली लड़की थी. अंजलि सब से कम हाईट की थी करीब 5 फिट जितनी ऊँची थी वो. उसका फिगर 36-24-36 था और उसकी चमड़ी सब से गोरी थी. उसके बाल घुटनों तक लम्बे थे. अंजलि इन तीनो में सब से सेक्सी और हॉट लगती थी. तो एक लाइन में कहूँ तो सीमा की सेक्सी लम्बी टाँगे थी. तृप्ति के बड़े बूब्स थे और अंजलि की सेक्सी लुक्स और गोरी चमड़ी थी. साथ में निकले तब वो तीनो का ग्रुप थोडा ओड ही लगता था.

हम चारों के पेरेंट्स अच्छे फ्रेंड्स थे. और इसी वजह से मैं भी उन तीनो का अच्छा दोस्त बन गया था. हम लोग अक्सर एक दुसरे के फ्लेट पर जाते थे और हर फंक्शन में एक दुसरे का इनविटेशन भी रहता ही था. शरीर में जैसे जैसे होर्नोमल चेंजिस आई वैसे वैसे मेरी निगाहें इन लड़कियों की तरफ धीरे धीरे बदलती गई. मैं उन्के साथ मस्ती मजाक करता था वो पहले निखालस यानी की मासूम मस्ती होती थी. लेकिन फिर मैं जानबूझ के उन्के बदन को टच करने के लिए ही उन्के साथ मस्ती करता था. अक्सर इन लड़कियों के बूब्स और गांड से टच हो जाने पर मुझे हस्तमैथुन का असली मजा मिलता था!

हम लोगों की एग्जाम एक ही दिन ख़तम हो रही थी. तो हम चारों ने आफ्टरनून में तृप्ति के घर पर मिल के सेलिब्रेट करने का फैसला किया. तृप्ति के मोम डेड दोनों जॉब करते हे और वो घर पर अकेली ही होती हे इसलिए वहां का चयन हुआ था. वो तीनो एकदम सेक्सी मेकअप कर के आई थी. उन्हें देख के मेरे लंड में इलू इलू सा होने लगा था. हम सब ने एक दुसरे को हग किया. सब के सब खुश और लाईट मूड में थे क्यूंकि एग्जाम का टेंशन सर से हट गया था. हम लोगों ने स्नेक्स और कोक का इंतजाम किया था. सब खाने पिने लगे और तृप्ति ने म्यूजिक भी चालु कर दिया था.

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और फिर तृप्ति ने कहा, आज मैं तुम सब के लिए एक सरप्राइज ले के आई हूँ. हम सब उसकी तरफ देख रहे थे. और उसने एक इम्पोर्टेड शेम्पेन की बोतल निकाली! उसने कहा की अगर एन्जॉय ही करना हे तो ये कोक शोक से नहीं लेकिन असली चीज से ही करते हे!

सीमा ने कहा, तेरे पापा को पता चला तो मार डालेंगे पागल.

तृप्ति ने कहा, अरे छोड़ न उन्हें पता नहीं चलेगा, ये बोतल एक जमाने से पड़ी हे, मेरा मामा लाये थे ड्यूटी फ्री से. पापा ने अभी हाथ नहीं लगाया उसे. अब पापा को पता चलेगा तब की तब देखेंगे, अभी तो एग्जाम को ख़तम करने का जश्न कर लेते हे.

और ऐसा सब कह के तृप्ति ने सीमा को कन्विंस कर ही लिया. इन तीनो ने अपनी लाइफ में कभी पहले शराब नहीं पी थी. शराब उन तीनो के ऊपर जल्दी ही चढ़ गई. फिर हम लोग उस खाली बोतल से ट्रूथ और डेर की गेम खेलने लगे. मुझे अभी याद नहीं हे लेकिन जब बोतल मेरे पास रुकी तो उनमे से एक लड़की ने मुझे अपना लंड दिखाने के लिए कहा! तिन शराबी लड़कियों के सामने लंड निकालने का मन मेरा भी तो था ही!

वो तीनो मेरे सामने सोफे के ऊपर अगल बगल बैठी हुई थी. और मैं उन्के सामने बैठा था. हमारे बिच में एक मेज थी. मैं खड़ा हुआ और अपनी जींस को खिंच दी. फिर अपनी अंडरवेर को निचे कर के मैंने उसे घुटनों तक ला दिया. मेरा लंड अब उन तीनो का ध्यान खिंच रहा था. वो तीनो की नजर मेरे कडक लोडे के ऊपर ही थी.

अंजलि बोली: ये ऐसा क्यूँ हे?

सीमा ने हंस के कहा, शायद इसे ही खड़ा लंड कहते हे!

तृप्ति खड़ी हो के करीब आ गई और ध्यान से मेरे लंड को देखने लगी. मैंने उसके हाथ को ले के लंड पकड़ा दिया उसे. वो हंस के वापस बैठ गई. मैंने अब कहा, मेरा लंड तो देख लिया तुम लोगों ने अब चलो तुम्हारी वजाइना भी दिखाओ मुझे सब के सब.

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मेरा ऐसा कहते ही सब से पहले सीमा खड़ी हुई., उसने स्कर्ट पहनी थी जिसकी बटन खोल के उसने निचे कर दिया. वो वापस सोफे के ऊपर बैठी और अपनी गांड को उठा के उसने पेंटी निकाली. वाऊ उसकी चूत मेरे सामने थी. उसे देख के तृप्ति और अंजलि ने भी अपने कपडे खोल के अपनी चूत मेरे सामने खोल दी. सब की चूत पिंकिश थी और उन्के अन्दर पानी भी निकला हुआ था.

बिना कुछ सोचे मैंने फट से अपने शूज़ निकाले और जींस निकाल फेंक के मैं सीमा के पास चला गया. उसकी टांगो को खोल के मैंने उसकी चूत के ऊपर अपनी जबान को रख दिया. और चूसने के साथ साथ मैंने अपनी ऊँगली से भी उसकी पुसी की छेड़खानी चालु कर दी.

तृप्ति और अंजलि भी पीछे नहीं रहना चाहती थी. तृप्ति ने मेरे पास आ के मेरा लंड पकड़ लिया. और अंजलि वही बैठ के अपने बूब्स अपने हाथ से मसलने लगी थी. मैंने अपने दुसरे हाथ से अंजलि के बूब्स पकडे और उन्हें दबाने लगा.

लंड के ऊपर लम्बी उँगलियाँ चल रही थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था. तृप्ति थोड़ी असहज सी हो रही थी इसलिए मैंने सब कुछ छोड़ के उसकी चूत को जोर जोर से चाटा. सीमा और अंजलि भी मोअन कर के अपने बदन से खेलने लगी थी.

अंजलि ने मेरे पास आ के अपनी सेक्सी चूत को नजदीक किया. उसकी स्मेल भी मुझे आने लगी थी. मैंने अब तीनो लड़कियों को पाँव ऊपर कर के सोफे के ऊपर बिठा दिया. और एक एक कर के उन तीनों की चूत को मैं लिक करने लगा था. और वो एक दुसरे के बूब्स को मसल रही थी. मैं उनकी चूत के होंठो को चाट चाट के उन्हें मस्त कर रहा था. इन तीनो की चूतों से पानी बहार आ रहा था और मैं उन्हें चाट के चखने लगा था. ये तीनो लड़कियां अपने बूब्स मसल के मोअन कर रही थी जोर जोर से.

फिर मैंने उन्हें कहा की चलो पीछे आराम से बैठ के सब अपने अपने मुहं को खोलो. वो लोगो ने ऐसे ही किया. और मुहं को खूला छोड़ के वो अपनी चूतों को अपने हाथ से मसल रही थी. मैंने अंजलि के बड़े बूब्स को दबाये और उसकी निपल्स को पिंच कर लिया. वो अह्ह्ह कर बैठी. मैं सोफे के ऊपर पाँव रख के चढ़ गया. और अपने लंड को मैंने उसके मुहं में डाल दिया. मैंने उसे कहा चुसो मेरी जान.

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