दीदी की काली चूत का मजा

हैल्लो दोस्तों, में आज आप सभी के पढ़ने वालों की सेवा में अपने जीवन की एक सच्ची घटना को लिखकर भेज रहा हूँ। प्लीज मेरी किसी भी गलती के लिए मुझे माफ़ जरुर करें। दोस्तों में अब अपनी आज की कहानी को सुनाना शुरू करता हूँ जो मेरी एक सच्ची कहानी है। दोस्तों हमारे घर में मेरे चाचा चाची और चाचा की लड़की मतलब कि मेरी बहन सोनम रहती है और मेरी मम्मी पिताजी मेरे नाना के गाँव में रहते है, क्योंकि मेरी मम्मी के कोई भाई नहीं है, इसलिए वहां का सारा कारोबार शुरू से ही मेरे पिताजी सम्भालते है। अब में अपने बारे में बताता हूँ, दोस्तों मेरा नाम अभय है और मुझे घर में सभी लोग अभि कहते है। मेरी सोनम दीदी अब मेरे पास नहीं है, लेकिन वो व्यहवार की बहुत अच्छी दिखने में ब्राज़ील की लड़की की तरह काली है, लेकिन उसका बदन एकदम भरा हुआ गदराया है। वो मुझसे उम्र में एक साल बड़ी है में उसको दीदी कहकर पुकारता हूँ। वो बी.ए. की पढ़ाई कर रही है और में 12th में हूँ। दोस्तों हम सभी एक साथ रहकर बहुत खुश रहते थे, दीदी और में तो साथ में पढ़ाई करते थे। दोस्तों मैंने कभी भी अपनी दीदी को अपनी गंदी नज़र से नहीं देखा था, लेकिन वो कभी कभी अपने काले बदन के लिए मुझसे कहती थी तू कितना गोरा है, लेकिन मुझे देख में कितनी काली हूँ।

फिर में उनको कहता कि दीदी रंग से कुछ फरक नहीं पड़ता आपकी चमड़ी कितनी मुलायम है? आप वो भी तो देखिए और मेरी कितनी सख्त है। दोस्तों यह ऐसा कहकर में दीदी के हाथों के ऊपर अपना हाथ फेर देता और वो भी मेरी बात को सुनकर हंसने लगती। फिर ऐसे ही वो दिन चले जा रहे थे, तब हमारी दीवाली की छुट्टियाँ थी इसलिए हम दोनों घर पर ही थे और दीदी मुझे थोड़ी उदास नजर आ रही थी। फिर मुझे यह लगा कि दीदी शायद परेशान है, इसलिए मैंने उनसे पूछा कि दीदी क्या बात है आजकल आप बहुत ही उदास रहती है? तब उन्होंने कहा कि कुछ नहीं और फिर वो इधर उधर की बातें करने लगी। दोस्तों रात को हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे और उस रात को हम दोनों मस्ती करके सो गये, करीब एक घंटे के बाद मुझे लगा कि दीदी रो रही है। अब में सरककर दीदी के पास गया और मैंने उठकर उनसे पूछा क्यों क्या हुआ दीदी बताओ ना आप रो क्यों रही हो? दीदी बोली कि कुछ नहीं तू सो जा। फिर उसी समय मैंने उनको कहा कि अगर आपने मुझे नहीं बताया तो में चाची को बता दूंगा कि तुम रो रही हो। अब दीदी ने मुझसे कहा कि प्लीज अभि तुम ऐसा मत करो।

अब मैंने उनसे पूछा बताओ आप क्यों रो रही हो? तब दीदी ने कहा कि में काली कलूटी दिखती हूँ इसलिए कोई भी मेरी तरफ देखता ही नहीं। फिर उसी समय मैंने झट से कह दिया कि रोज में देखता हूँ ना। अब दीदी ने कहा कि तेरे देखने से क्या होगा? और वो थोड़ा मुस्कुराई और में भी मुस्कुरा गया और तभी दीदी ने मेरे माथे पर चूम लिया और उन्होंने मुझसे कहा कि चल अब तू जल्दी से सो जा मेरे राजा नहीं और वो मुझसे लिपटकर सो गई। फिर में भी वैसे ही ना जाने कब गहरी नींद में सो गया, सुबह उठकर में नहाने चला गया और नहाते समय अचानक से मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया और उसी समय मुझे अपनी दीदी की वो बात याद आ गई, तेरे देखने से क्या होगा? दोस्तों आज तक में सिर्फ़ बाहर की पराई लड़कियों के बूब्स की तरफ़ देखता था, लेकिन आज मुझे अपनी दीदी के बूब्स नज़र आने लगे थे। दोस्तों ना जाने वो क्या एहसास था? और तभी मेरे मन में आया कि इस लंड के लिए दीदी के मन में आग लगी है कि कोई उसको भी चोदे और मेरे मन में यह गंदे गंदे विचार आने लगे कि क्यों ना में ही दीदी की इस इच्छा को पूरी कर दूँ और में यह बात सोचकर उनके नाम की मुठ मारने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद में ठंडा होकर फ्रेश होकर नाश्ता करने चला आया और उस दिन मैंने अपने मन में सोच ही लिया था कि अपनी दीदी को तैयार करके मुझे उनकी चुदाई जरुर करनी है। फिर नाश्ते की टेबल पर मैंने चाची को आवाज़ दी वो उस समय रसोई में थी। चाची ने आवाज सुनकर कहा हाँ क्या हुआ है बेटा? में अभी आ रही हूँ। अब दीदी जो मेरे पास वाली कुर्सी पर बैठी थी और एकदम चकित होकर उन्होंने मेरी तरफ देखा और हाथ जोड़कर प्लीज कहा। तभी चाची रोटी लेकर टेबल पर आ गयी और उन्होंने पूछा क्या हुआ बता? अब मैंने कुछ कहने के लिए अपने होंठो को हिलाया, तभी दीदी ने ज़ोर से मेरे पैर पर लात मारी। फिर मैंने झट से बोला कि रात को दीदी सोते समय बहुत लाते मारती है। अब यह बात सुनकर दीदी का चेहरा ख़ुशी से खिल गया और चाची ने कहा कि इसको बचपन से ही यह आदत है यह पूरे बिस्तर पर घूमने लगती है और वो हँसने लगी और में भी हँसने लगा। अब दीदी ने उठकर मेरा गला दबोच लिया और कहा अभि के बच्चे लाते तो तू मारता है। तभी चाची ने उनको कहा कि पहले इसको नाश्ता तो करने दे उसके बाद आराम से इसका गला दबाना और अब वैसे भी तुम्हारी मस्ती के लिए छुट्टियाँ है और वो इतना कहकर वापस रसोई में चली गई।

अब मैंने कहा दीदी फिर से मत रोना वरना में उनको सब सच में बता दूँगा। तभी दीदी ने मेरे माथे पर चूम लिया और धन्यवाद कहा, लेकिन इस बार मुझे उनका माथे पर चूमना कुछ प्यारा लगा, में मन ही मन में सोचने लगा कि ऐसे ही वो माथे से शुरू होकर नीचे मुँह तक भी मुझे चूमे। अब मैंने कहा कि दीदी आप बहुत प्यारी और कोमल है इसलिए आप रोते हुए बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती और फिर मैंने उठकर देखा कि चाची अब तक अंदर है और उसी समय झट से मैंने दीदी के गाल पर चूम लिया। दोस्तों यह मेरा जिंदगी का पहला अनुभव था। अब वो कमसाई और उन्होंने मुझसे कहा कि तुमने यह क्यों किया? मैंने भी कह दिया कि हर रोज आप मेरा माथा चूमती है क्या मैंने कभी पूछा अपने क्यों किया? और वो मेरे मुहं से यह जवाब सुनकर हँसने लगी। अब वो मुझसे कहने लगी कि राजा खाना खा ले और उसके बाद पूरा दिन हम दोनों मस्ती करते रहे और मस्ती करते हुए दो तीन बार मैंने दीदी के बूब्स को छू भी लिया, लेकिन मस्ती में उसको कुछ अहसास नहीं हुआ या फिर उसने मुझे जताया नहीं। फिर रात का खाना खाया और कुछ देर टीवी देखकर हम सोने चले गए और कुछ देर बाद दीदी पानी पीने चली गयी। अब मैंने तुरंत उठकर अपनी अंडरवियर को उतारकर बिस्तर के नीचे रख लिया और मैंने अब सिर्फ़ पजामा पहन लिया।

दीदी पानी की बोतल साथ लेकर आई और वो बिस्तर पर लेट गयी और तभी मैंने कहा दीदी आज आप रोना नहीं। अब वो मुझे मारने लगी और में भी अपने हाथ से उसके हाथों को रोकने लगा, इसी बीच मेरा एक हाथ दीदी के एक बूब्स पर टकरा गया और उसी समय उसकी आँख नीचे झुक गई। अब मैंने एक नादान बच्चे की तरह दीदी से पूछा अरे दीदी आपके बूब्स तो एकदम नरम है, देखो मेरी छाती कैसी सख़्त है। अब दीदी ने शरमाते हुए कहा अबे बुद्धू तू एक लड़का है और में लकड़ी हूँ। दोस्तों मुझे लगा कि शायद वो भी चाहती थी कि में और भी कुछ बातें करूं और फिर मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रखकर रगड़ दिया, देखो मेरी छाती और ऐसा कहते हुए मैंने उसी के हाथ से उसके एक बूब्स को रगड़ा और कहा कि देखो तुम्हारे कैसे मुलायम है? अब दीदी का घुटना को मेरा तना हुआ लंड छूकर महसूस करने लगा और उसने पहले अपने पैर को थोड़ा पीछे लिया, लेकिन थोड़ी देर बाद वो अपने पैर से लंड को छूने लगी, शायद अब वो गरमा रही थी। अब मैंने पूछा बताओ ना दीदी यह इतनी मुलायम क्यों है? ऐसा कहते हुए मैंने अपना हाथ उसके एक बूब्स पर रख दिया और कहा कि अरे यह तो थोड़ा कड़क हो गया और में बूब्स को दबाने लगा।

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अब नीचे से उसके पैर मेरे लंड को सहलाने लगा और फिर उसने कुछ देर बाद मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि चल अब सो जा। फिर वो मेरी तरफ अपनी पीठ को करके लेट गयी। फिर कुछ देर बाद मैंने पीछे से सरककर उसको अपनी बाहों में दबोच लिया और में सो गया। दोस्तों उस समय मेरे खड़े लंड का टोपा दीदी के दोनों कूल्हों के बीच में था, लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा और थोड़ी ही देर बाद मेरे लंड से चिपचिपा सा तरल निकाला और वो उस पतले पजामे से होकर दीदी के कपड़ो के अंदर दीदी को भी महसूस हुआ। अब उसने तुरंत उठकर मुझसे कहा अभि के बच्चे क्या तूने बिस्तर में ही पेशाब कर दिया? में सोने का नाटक करने लगा, क्योंकि में जानना चाहता था कि दीदी अब क्या करती है? अब दीदी ने मुझे आवाज़ देकर कहा कि अभि यह देख यह क्या है, लेकिन मैंने अपनी आँख नहीं खोली में एकदम शांत होकर सोने का नाटक कर रहा था। फिर दीदी ने अपनी एक उंगली से थोड़ा वीर्य लिया और उसको सूंघकर मुहं में डाल लिया और वो मदहोश होकर अपनी ऊँगली को चूसने लगी फिर उसने दो उँगलियों से रगड़कर मेरा लंड के ऊपर पजामे से निकला सारा वीर्य लिया और मुहं में दोनों उंगलियो को लेकर चूसने लगी और फिर अचानक से मेरे मुँह के पास अपना मुँह किया और मेरे होंठो के ऊपर अपने होंठ लाकर रुक गयी और होंठो को चूमने की बजाए माथे पर चूमकर वो अब सो गयी।

दोस्तों इस बार अपनी गांड को वो मेरे लंड पर दबाकर लेटी थी और फिर सुबह जब में नींद से उठा, तब मैंने देखा कि मेरी बिस्तर के नीचे से अंडरवियर गायब थी। अब मैंने रात के बारे में सोचा और बहुत डरने लगा कि शायद दीदी अब मुझे बहुत मारेगी, लेकिन फिर मैंने सोचा कि जाने दो जो होगा देखा जाएगा, क्योंकि वो किसी को यह बात नहीं बताएगी, क्योंकि उसको भी लंड की प्यास लगी है और उसकी चूत भी लंड के लिए बेकरार है। फिर मैंने दीदी को आवाज़ दी और थोड़ी देर में दीदी आ गई और वो थोड़ा ज़ोर से चिल्लाकर बोली क्या है? काम भी नहीं करने देते। अब मैंने दीदी से पूछा कि मेरी वो कहाँ है? तब उसने कहा कि क्या तेरी वो हाँ बाहर सूख रही है। फिर मैंने उनको कहा कि में अब कैसे नहाऊँगा? अब उसकी आँखे चमक उठी और दीदी ने कहा कि पज़ामे में ही नहा ले क्योंकि रात को तूने पेशाब कर दिया था। अब मैंने अपने पजामे के ऊपर के दाग को छुपाया और तभी वो मुझसे कहने लगी बहुत गंदी बात है, अब जल्दी से जाकर नहा लो नहीं तो में बहुत मारूँगी, क्योंकि माँ ने मुझसे कहा है कि अगर परेशान करे तो मारना।

फिर मैंने पूछा किसने चाची ने यह कहाँ है और में चाची चाची कहते हुए बाहर आ गया। अब दीदी ने कहा कि वो दोनों तुम्हारी मामी के पास खेती के कुछ काम से गये है शायद उनको आने में तीन चार दिन भी लगे। अब तू नहीं बचेगा और फिर में झट से बाथरूम में गया और नहाने लगा नहा धोकर कपड़े पहनकर बाहर आया, फिर नाश्ता किया। अब दीदी ने मुझसे कहा कि तू इतना बड़ा होकर भी बिस्तर में पेशाब करता है। फिर मैंने कहा कि नहीं दीदी ऐसा नहीं हो सकता। दोस्तों शायद अब दीदी को बहुत मज़ा आ रहा था, क्योंकि काली होने की वजह उसका अभी तक कोई बॉयफ्रेंड नहीं था जिसके साथ वो अपनी चुदाई करा सके और अब उसको मेरे अंदर ही अपना सब दिखने लगा था। फिर रात का खाना खाकर हम दोनों टीवी देख रहे थे, मैंने उठते हुए कहा क्या अब में इस टाइट पेंट में ही सो जाऊं? दीदी ने कहा कि टावल लगाकर सो जाओ, मैंने कहा कि हाँ यह ठीक है और फिर मैंने अंदर जाकर पेंट को उतारा और टावल लपेट लिया मैंने अंडरवियर को भी उतार दिया। फिर दीदी जब अंदर आई, तब मैंने ऊपर चादर को ओढ़ लिया था और आकर वो भी अपनी चादर को ओढ़कर लेट गयी।

अब मैंने दीदी की तरफ सरककर थोड़ा सा उठकर दीदी के गाल पर किस किया, तब दीदी पूछने लगी कि यह किस खुशी में? मैंने कहा कि आप बहुत अच्छी है आप मेरा कितना ध्यान रखती है ना इसलिए। अब दीदी ने मेरी तरफ पलटकर पूछा, अभि में कैसी दिखती हूँ में एकदम काली दिखती हूँ ना? मैंने कहा कि नहीं दीदी देखो, मैंने पहले भी आपको बताया है कि आप बहुत सुंदर दिखती है और आपका यह शरीर एकदम गुलाब की तरह कोमल है और अगर आप गोरी होती तो किसी फिल्म की हिरोइन होती। अब दीदी ने कहा कि चल झूठा कहीं का और तभी मैंने मौके का फायदा उठाकर चादर को एक तरफ खीचकर दीदी के हाथ को सहलाकर कहा देखिए एकदम मुलायम है और यह कहते हुए में अपने हाथ को कमर से जांघ तक ले गया। अब मुझे पता चला कि दीदी ने मेक्सी के अंदर कुछ नहीं पहना था। दोस्तों शायद दीदी भी मेरे साथ मज़ा लेना चाहती थी, अब दीदी पूछने लगी क्या में सच में कोमल हूँ? अब मैंने उनको कहा क्या में आपसे झूठ बोलूँगा? और फिर मैंने दोबारा उनके गाल पर चूम लिया उसके बाद में अपनी आखों को बंद करके सो गया।

फिर कुछ देर बाद दीदी पलट गयी और वो मेरी तरफ अपनी पीठ को करके सो गयी और मैंने भी आगे सरककर दीदी को पीछे से पकड़ लिया। उस समय मेरा लंड टावल में खुला और तनकर खड़ा था। अब मैंने धीरे से अपनी चादर को एक तरफ किया, जिसकी वजह से मेरा लंड अब टावल से बाहर निकल चुका था और फिर धीरे से मैंने दीदी की चादर को ऊपर उठाया और थोड़ा सा आगे सरक गया। फिर उसी समय दीदी ने कहा कि तू बहुत हिलता है चुपचाप ठीक से सो जा और फिर मैंने अपना लंड दीदी की गांड के बीच में रखा और में कुछ देर लेटा रहा। फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी के मेक्सी को धीरे से ऊपर किया। उस समय मेरे लंड को पहली बार किसी की गांड का अहसास हुआ था जिसकी वजह से मेरा लंड जोश में आकर फुदक रहा था, ऐसे जैसे वो गांड या चूत में जाने के लिए बेकरार था। दोस्तों शायद मेरे लंड का फुदकना दीदी को भी महसूस हो गया था, तभी वो थोड़ा सा हिली और उन्होंने अपनी गांड को लंड के ऊपर धकेलकर कहा कि अभि तू ठीक से सो जा, नहीं तो में तुझे बहुत मारूँगी। अब मैंने थोड़ा सा ज़ोर लगाया जिसकी वजह से मेरे लंड का टोपा, दीदी के दोनों कूल्हों के बीच में आ गया और वो कूल्हों की गरमी को पाकर फुदकने लगा।

दोस्तों शायद मेरे लंड की गरमी से वो भी गरम हो चुकी थी और इसलिए वो अपनी कमर को हिलाकर लंड को अंदर लेना चाह रही थी। दोस्तों वो खुद ही बार बार हिल रही थी और मुझसे वो कह रही थी, अभि तू हिल मत। अब में चुपचाप रहा, तभी मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और झटके देने लगा। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैंने थोड़ा सा हिलते हुए लंड को अंदर की तरफ धकेल दिया। अब लंड शायद दीदी की गांड के छेद के पास था और उनकी तरफ से बिल्कुल भी विरोध ना देखकर मेरी हिम्मत अब पहले से ज्यादा बढ़ गई। फिर मैंने मन ही मन में सोच लिया कि चलो अब आगे भी कुछ तो करते है क्योंकि दीदी भी गरम हो चुकी थी। अब मैंने अपना हाथ अंदर डाला और दीदी की गांड के छेद को छू लिया और फिर दीदी की गर्दन पर पीछे से एक किस किया और में अपने एक हाथ को आगे चूत के पास ले गया। दोस्तों मेरे हाथ चिपचिपा हो गया शायद दीदी एक बार झड़ चुकी थी और मैंने हाथ को बाहर निकाल सूँघा जिसकी वजह से मुझे बेहोशी छाने लगी। में अपने हाथ पर लगे दीदी के रस को चाटने लगा और फिर मैंने हाथ को अंदर डाल दिया, उसके बाद दोबारा बाहर लाकर चाटने लगा।

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दोस्तों अब में कुछ करना चाहता था, इसलिए मैंने दीदी को धीरे से एकदम सीधा लेटा दिया और लेटाते समय मैंने दीदी की मेक्सी को छाती तक उठा दिया और फिर मैंने दीदी के चेहरे की तरफ देखा। अब उसने शरम की वजह से चादर से अपना मुँह ढक लिया था, जिसकी वजह से अब मेरे सामने दीदी का गदराया हुआ बदन था, जो बहुत ही सुंदर और सेक्सी था, मानो वो कोई ब्राज़ील की लड़की हो। फिर मैंने तुरंत अपनी शर्ट को उतारकर फेंक दिया। मेरे टावल तो पहले ही निकल चुका था। दोस्तों में बहुत खुश था, क्योंकि मेरी दीदी मुझसे अपनी चुदाई करवाने के लिए तैयार थी और उनको आज अपना बॉयफ्रेंड मिल गया था। अब मैंने धीरे से दीदी के दोनों पैरों को खोल दिया। मुझे हल्की रोशनी में दीदी की चूत दिखाई दी, भूरे बालों में काली चूत दिखने में बड़ी कामुक थी। फिर मैंने नीचे झुककर सूँघा और अपने दोनों हाथों से दीदी की नाज़ुक चूत को फैलाकर उसमे अपनी जीभ को डाल दिया और तभी जोश में आकर दीदी ने मेरे बाल पकड़ लिए और वो मुझे अपनी चूत पर दबाने लगी। अब में बड़ा मस्त होकर चूत को चाटने लगा। दीदी तिलमिला रही थी और वो अपने आपको रोक नहीं पा रही थी और चादर को मुँह से झट से ज़ोर से हटाया और सिसकियाँ लेते हुए कहने लगी सीईई ऊउईईईईइ अभि आऊच मर गयी आह्ह्ह हाँ और ज़ोर लगाकर और फिर कुछ ही मिनट में वो झड़ गई।

फिर मैंने वो सब अपनी जीभ से चाटकर साफ किया और अब मेरा लंड फनफना रहा था, तभी में उठा में दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी को किस करने लगा। अब मैंने अपनी जीभ को दीदी के मुँह के अंदर डाल दिया। दीदी भी अपनी जीभ मेरे जीभ से लड़ाने लगी और थोड़ी देर बाद मैंने कहा दीदी आप बहुत अच्छी है। अब दीदी ने मुझे अपनी बाहों में कसते हुए कहा अभि तुम भी बहुत अच्छे हो। दोस्तों उस समय मेरा लंड नीचे दीदी की चूत पर धक्के लगा रहा था, मैंने कहा क्यों दीदी अब आप तैयार हो ना? दीदी ने कहा कि हाँ, लेकिन धीरे से करना यह मेरा पहली बार है। अब मैंने उनसे कहा कि मेरा भी यह पहली बार ही है और फिर दीदी ने मुझसे कहा कि तू तेल कर आ, में तुरंत जाकर तेल लेकर आ गया और मैंने दीदी की चूत को फैलाकर उसमे ढेर सारा तेल डाल दिया और अपने लंड पर भी लगा लिया। फिर उसके बाद में दीदी के दोनों पैरों में बैठकर मैंने दीदी से कहा कि अपने हाथ से खोल दो, दीदी ने तुरंत ही अपनी चूत का मुँह खोल दिया और मैंने अपना लंड अंदर डालना शुरू किया।

दोस्तों सिर्फ़ टोपा ही चूत के अंदर गया था और दीदी दर्द से तिलमिला उठी उफ़फ्फ़ ऊउईईईइ प्लीज धीरे करो अभि। फिर मैंने थोड़ा सा रुककर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से दीदी की चूत में मेरा आधा लंड जा चुका था और उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। दोस्तों मेरी दीदी की काली काली चूत बहुत कमसिन और टाइट भी थी, इसलिए मुझे भी दर्द हो रहा था और साथ ही मज़ा भी आ रहा था। फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में चला गया और वो चिल्ला पड़ी आह्ह्ह्ह मर गयी। अब में थोड़ी देर रुक गया और फिर धीरे से धक्के लगाने लगा, लेकिन कुछ देर बाद मुझे जोश आ गया और अब में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और दीदी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी आऊऊउ अभि फट गयी आह्ह्ह रूको अभि रुक जाओ प्लीज ऊफ्फ्फ्फ़ प्लीज धीरे मुझे तेज दर्द हो रहा है प्लीज अभि अब बस करो। अब मैंने जोश में आकर अपनी स्पीड को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया, क्योंकि घर में दीदी की वो चीखने की आवाज़ सुनने वाला भी कोई नहीं था। फिर मैंने अपने होंठो को दीदी के होंठो पर रख दिया और में चूमने लगा और साथ ही में दीदी के छोटे छोटे बूब्स को भी रगड़ने लगा। फिर कुछ देर बाद मेरी रफ़्तार पहले और ज्यादा बढ़ गयी, शायद मेरा झड़ने का समय आ गया था।

अब मैंने ज़ोर का एक धक्का लगा दिया और फिर हम दोनों साथ में झड़ गये, मेरा सारा वीर्य दीदी की चूत में भर गया। दोस्तों में दो चार धक्के लगाकर दीदी के ऊपर ही लेट गया तब में अपना दर्द भूल गया क्योंकि वो मेरी जिंदगी का पहला अनुभव बिल्कुल अलग ही था। फिर करीब दस मिनट के बाद मैंने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाला, ढेर सारा वीर्य, खून में मिलकर बिस्तर पर गिरने लगा। अब में नीचे झुककर चूत को चाटने लगा और कुछ देर बाद में पीछे हट गया और तभी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों क्या हुआ? मुझे उन्होंने अपने गले लगा लिया और अब वो मुझसे कहने लगी, आज तूने मुझे जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है। इस दुनिया की सबसे बड़ी खुशी आज मुझे मिली है, जिसके लिए में कब से प्यासी थी, वो प्यास आज तूने बुझाई है। अब में सब दर्द भूलकर दीदी को चूमने लगा और फिर मैंने उनको कहा कि दीदी आपने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी खुशी दी है और फिर हम एक दूसरे को बाहों में भरकर चूमते हुए सो गये।

फिर दूसरे दिन सुबह हम दस बजे उठे और मैंने उठकर देखा, बिस्तर की चादर हम दोनों के स्पर्म और खून से भरी थी और यह देखकर हम दोनों हंसने लगे, क्योंकि उस सयम हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे थे। फिर में झुककर दीदी को किस करने लगा और फिर मैंने कहा कि दीदी प्लीज देखो यह अब दोबारा तैयार है में इसको अब कहाँ डालूं? अब दीदी ने मेरे मुहं से यह बात सुनकर तुरंत ही आगे आकर मेरे लंड को अपने मुँह में डाल लिया और फिर मैंने दीदी के बालों के साथ सर को पकड़ा और ज़ोर से में उनके मुँह में अपने लंड को आगे पीछे करने लगा, मानो जैसे कि में दीदी की चूत को चोद रहा हूँ। फिर करीब दस मिनट के बाद मेरे लंड ने अपना गरम लावा मेरी दीदी के मुँह में छोड़ दिया। दीदी उसको चाटकर पीने लगी और लंड को बाहर निकालकर मेरे मुँह में अपनी जीभ को डालकर वो मुझे किस करने लगी। दोस्तों अब दीदी की शादी हो चुकी है और जब भी वो हमारे घर आती है तब भी हम दोनों ऐसे ही मज़े करते है ।।



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